-पिछले 14 दिनों से पाबंदी के कारण काम बंद होने के कारण लोगों को झेलनी पड़ रही थी परेशानी
बठिंडा. पिछले दो सप्ताह से सिविल अस्पताल बठिंडा का बलड बैंक अनियमियतता के कारण पंजाब ड्रग कंट्रोल अथार्टी की तरफ से बंद रखने के बाद मंगलवार को शुरू हो गया। इसमें ड्रग अथार्टी ने ब्लड बैंक में सुधार की रिपोर्ट मिलने के बाद इसे फिर से शरू करने की अनुमति प्रदान की है। फिलहाल ब्लड बैंक के फिर से शुरू होने के बाद सिविल अस्पताल में एमरजेंसी में उपचार करवाने, गर्भवती महिलाओं, आपरेशन व थेलेसीमिया पीड़ित लोगों ने राहत की सास ली है। सिविल अस्पताल बठिंडा में प्रतिदिन 700 से एक हजार लोगों की ओपीडी होती है जिसमें ज्यादातर लोगों को मौसमी बीमारियों के चलते खासकर डेंगू, मलेरिया, होम्युग्लोबीन की मात्रा कम होने पर रक्त की जरुरत पड़ती थी वही हर सप्ताह विभिन्न बीमारियों का आपरेशन करवाने के दौरान इसकी सर्वाधिक जरूरत थी। इसमें मरीजों को रक्त हासिल करने के लिए जहां अस्पताल में मश्कत करनी पड़ रही थी वही एमरजेंसी में बाहर से रक्त लेना पड़ रहा था हालांकि इन 14 दिनों के दौरान सिविल सर्जन ने आपात रक्त के लिए कुछ ब्लड बैंकों को अनुबंधित किया था लेकिन इसमें सिर्फ बहुत जरूरी व्यवस्था के तहत ही खून मिल रहा था। फिलहाल शहीद भाई मणि सिंह सिविल हॉस्पिटल बेस के प्रबंधन को विवादास्पद ब्लड बैंक की फूड एंड ड्रग कंट्रोल अथार्टी (एफडीए) के अधिकारियों की टीम ने जांच की थी। जांच के बाद मंगलवार से ब्लड बैंक में लगाई गई पाबंदी को हटाने का फैसला लिया गया।
बठिंडा ड्रग इंस्पेक्ट गुंरदीप बंसल ने सोमवार को सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक की सुविधा का निरीक्षण किया था। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड रूम और ब्लड टेस्टिंग मशीन मानक संचालक आईएनजी प्रक्रिया (एसओपी) के अनुरूप सही पाए गए है। वही सिविल अस्पताल में मूल स्ट्रक्चर और कुछ विद्युत संबंधी कार्य अभी भी लंबित पड़े हैं।
गुरदीप बांसल ने कहा कि पंजाब ड्रग अथार्टी की तरफ से उन्हें निर्देश मिले थे कि ब्लड बैंक को बंद करने से पहले जो खामिया मिली थी उसकी फिर से जांच कर अवलोकन किया जाए। अगर मामले में पहले मिली खामियों में सुधार मिलता है तो ब्लड बैंक को शुरू किया जा सकता है। मामले में जांच के बाद कुछ खामियां मिली थी जिसे सिविल अस्पताल प्रबंधन व ब्लड बैंक अधिकारियों ने आगामी सात दिनों में ठीक करने का आश्वासन दिया है। सात दिनों के बाद फिर से ब्लड बैंक की जांच होगी। बीटीओ डॉ. राजिंदर शर्मा ने कहा कि लोग अब स्वैच्छिक रक्तदान के लिए सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में आ सकते हैं वही पहले की तरह ब्लड बैंक में सभी तरहकी सुविधाओं को बहाल कर दिया गया है।
गौरतलब है कि 2 जनवरी को सिविल अस्पताल बठिंडा के सरकारी ब्लड बैंक का लाइसेंस 14 दिनों के लिए सस्पेंड किए जाने के बाद रक्त लेने के लिए मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही थी। वहीं आपातकालीन केसों में भी मरीजों के स्वजनों को महंगे दामों में प्राइवेट ब्लड बैंक जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा था। सबसे ज्यादा परेशानी थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों, गर्भवती महिलाओं व हादसों में घायल मरीजों को हो रही थी। वहीं प्रतिदिन होने वाले आपरेशन के दौरान भी मरीजों को प्राइवेट ब्लड बैंकों से रक्त लाना पड़ रहा था। इन परेशानियों को मद्देनजर रखते हुए बठिडा के नए सिविल सर्जन डा. तेजवंत सिंह ढिल्लों ने ब्लड बैंक बंद होने से पेश आ रही परेशानियों पर बैठक कर इसका सार्थक हल निकालने के लिए अधिकारियों को हिदायतें दी थी। उन्होंने ड्रग अथारिटी की तरफ से उजागर की खामियों को तुरंत दूर करने के आदेश दिए, ताकि ब्लड बैंक का लाइसेंस 14 दिनों के बाद बहाल करवाया जा सके। 11 जनवरी तक बंद सरकारी ब्लड बैंक में रक्त लेने के लिए आने वाले मरीजों की समस्या को देखते हुए सिविल सर्जन डा. ढिल्लो ने रामपुरा फूल स्थित सरकारी ब्लड बैंक और शहर के अजीत रोड पर स्थित गोयल ब्लड बैंक के साथ संपर्क कर मरीजों को इमरजेंसी ब्लड उपलब्ध करवाने का फैसला लिया था। दोनों ब्लड बैंक के अधिकारियों को सिविल अस्पताल बठिडा से रक्त लेने के लिए आने वाले मरीजों को सरकारी रेट पर रक्त उपलब्ध करवाने के आदेश भी सिविल सर्जन ने जारी किए थे।
थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआइवी संक्रमित खून चढ़ाने के करीब तीन माह बाद उठे विवाद के बाद पंजाब ड्रग कंट्रोल अथारिटी ने सिविल अस्पताल प्रशासन को नोटिस निकालकर ब्लड बैंक में की गई लापरवाही को लेकर जबाव तलब किया था। संतोषजनक उत्तर न मिलने व कमियों में किसी तरह का सुधार नहीं करने पर सिविल अस्पताल स्थित ब्लड बैक का लाइसेंस 14 दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया था।