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Tuesday, June 28, 2022

गैंगस्टर मिंटू को बठिंडा जेल से बाहर लाई पुलिस:जेल से सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहा था तस्वीरें, मूसेवाला मर्डर में हो चुकी पूछताछ

बठिंडा. सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के एक और दोषी गैंगस्टर सारज मिंटू पर पंजाब पुलिस ने शकंजा कसना शुरू कर दिया है। सेंट्रल जेल में बंद गैंगस्टर सारज मिंटू को बठिंडा पुलिस रिमांड पर लेकर आई है। पुलिस ने आरोपी का चार दिन का रिमांड हासिल किया है। उस पर आरोप है कि वह जेल में बंद रहकर भी सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरों को अपलोड कर रहा है।

अमृतसर के रहने वाले सारज मिंटू के खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, रंगदारी, नशा तस्करी, हथियार रखने के डेढ़ दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं। एक सप्ताह पहले सारज के इंस्टाग्राम एकाउंट पर कुछ तस्वीरें पोस्ट हुई थीं। सारज की यह तस्वीरें जेल के अंदर खींची गई थीं। एक तस्वीर खुले में जेल की दीवार के बिल्कुल पास खींची गई थी।

कुछ तस्वीरें उसने अपनी बैरक में साथियों के साथ खींच कर इंस्टाग्राम पर डाली थीं। पुलिस को शक है कि सारज मिंटू ने जेल के बाहर घूमने वाले साथियों को जेल की तस्वीरें भेजी हैं। मिंटू जेल में गुपचुप तरीके से मोबाइल फोन चला रहा है, जिस आधार पर अब बठिंडा पुलिस ने आरोपी को रिमांड पर हिरासत में ले लिया है।

जेल के अंदर तस्वीरें खींचकर इंस्टाग्राम पर डाली गई।
जेल के अंदर तस्वीरें खींचकर इंस्टाग्राम पर डाली गई।

1 जून को CIA ने लिया था रिमांड पर

सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में केंद्रीय जांच एजेंसी CIA ने सारज मिंटू को रिमांड पर लिया था। सारज पर आरोप लगे थे कि उसने सिद्धू मूसेवाला को मारने वाले हत्यारों को गाड़ियां उपलब्ध करवाई थीं। CIA ने जांच पूरी होने के बाद कुछ समय पहले ही उसे दोबारा जेल भेज दिया था, लेकिन अब उसे दोबारा रिमांड पर लिया गया है।

2017 में हिंदू नेता को मारी थी गोलियां

अमृतसर में बटाला रोड पर हिंदू नेता का कत्ल करने के बाद वह लाइमलाइट में आया था। सराज मिंटू ने अक्टूबर 2017 में हिंदू नेता विपन शर्मा की गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। गैंगस्टर मिंटू कुख्यात गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया के गिरोह का सदस्य है। इसके अलावा उस पर 18 के करीब हत्या, हत्या प्रयास, लूट, फिरौती आदि के मामले दर्ज हैं। जिनके ट्रायल कोर्ट में चल रहे हैं।

सफाई कर्मचारी यूनियन ने सेंटरी सुपरवाइजर राजिंदर कुमार नेगी की मौत की उच्चस्तरीय जांच की रखी मांग,चीफ सेंटरी इस्पेक्टर सतीश कुमार के तबादले के साथ अफसरों के घरों में काम कर रहे कर्मियों को फिल्ड में उतारने की रखी मांग

 

-एक दिन के संकेतिक प्रदर्शन में अधिकारियों की तरफ से कर्मचारियों को प्रताड़ित करने पर जताया रोष 

बठिंडा, 28 जून(जोशी). सफाई कर्मचारी यूनियन नगर निगम के कर्मचारियों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर नगर निगम कमिश्नर दफ्तर के बाहर एक दिवसीय संकेतिक हड़ताल की। इस दौरान यूनियन नेताओं ने चेतावनी दी कि उनकी जायज मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो वह अनिश्चतकाल के लिए हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होंगे। यूनियन के प्रधान विक्रम कुमार विक्की की अगुवाई में इससे पहले समूह कर्मचारियों ने एक बैठक आयोजित कर निगम अधिकारियों को मांगों के संबंध में पूर्व में दिए अल्टीमेंट के बारे में विचार किया गया। वही फैसला लिया है कि आंदोलन शुरू करने से पहले निगम कमिश्नर को एक दिन का नोटिस दिया जाए। इसी कड़ी में समूह कर्मचारियों ने इकट्ठा होकर प्रदर्शन किया व सरकार के साथ अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी की।


प्रधान विक्रम विक्की ने आरोप लगाया कि शहर में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए रखे गए सफाई कर्मचारियों को अधिकारियों ने अपने घरों व कोठियों में तैनात कर रखा है जिससे जहां नियमों का उल्लघन हो रहा है वही शहर में सफाई व्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है। उन्होंने इस बाबत बिना किसी देरी के अधिकारियों के यहां लगा रखे कर्मियों को फिल्ड में उतारने की मांग रखी। वही पेंशन बहाल करने की मांग को लेकर कर्मचारी कई बार सरकार, जनप्रतिनिधियों व निगम अधिकारियों को मांग पत्र दे चुके हैं लेकिन इस बाबत आज तक कोई भी सार्थक कदम नहीं उठाया जा सका है। रैली के दौरान उच्च अधिकारियों की तरफ से कर्मचारियों को प्रताडित करने व मानसिक तौर पर परेशान करने पर कड़ी आपत्ति जताई गई। इसमें चीफ सेंटरी इस्पेक्टर सतीश कुमार पर कर्मचारियों को मानसिक तौर पर परेशान करने व उनके प्रति अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगा वर्तमान सीट से तबदील करने की मांग की गई। कर्मचारी नेता विक्रम कुमार, वरिंदर नाथ, राम सिंह, लक्षमण व शेखर डिक्का ने कहा कि उक्त अधिकारी पिछले 10 साल से एक ही सीट पर तैनात है जबकि सरकार की हिदायतों के अनुसार की भी अधिकारी व कर्मचारी एक ही सीट पर लंबे समय तक नहीं रह सकता है। यही कारण है कि उक्त अधिकारी मनमानी कर रहे हैं व कर्मचारियों को परेशान कर रहे हैं। हाल ही में एक अधिकारी की तरफ से मानसिक परेशान करने से आहत सेंटरी सुपरवाइजर राजिंदर कुमार नेगी ने आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में आज तक किसी तरह की कारर्वाई नहीं की गई है। उन्होंने इस घटना की निंदा करते पूरे मामले की निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग की है वही दोषी लोगों पर बनती कानूनी कारर्वाई करने के लिए कहा है। वही कर्मचारी संगठनों ने कहा कि जो कर्मचारी आउट सोर्स पर काम कर रहे हैं उन कर्मचारियों को नगर निगम के अधीन करने की प्रक्रिया शुरू की जाए। उक्त सभी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो कर्मचारी अनिश्चकाल के लिए आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। 

फोटो-बठिंडा नगर निगम में अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करते सफाई कर्मचारी यूनियन के वर्कर व नेता।   


डेराबस्सी में परिवार से मारपीट करने के मामले में पंजाब भाजपा सचिव ने सीएम व डीजीपी को भेजी शिकायत


बठिंडा, 28 जून(जोशी).
पंजाब के डेराबस्सी में परिवार के साथ मारपीट और गाली गलौज करते हुए युवक को गोली मारने का मामला तूल पकड़ रहा है। मामले में आरोपी सब इंस्पेक्टर बलविंदर सिंह के खिलाफ केस दर्ज करके उसे सस्पेंड कर दिया गया है। ‌वहीं घटना के दौरान मौके पर मौजूद 3 अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू हो गई है।

दूसरी तरफ भाजपा के प्रदेश सचिव सुखपाल सिंह सरां ने सीएम भगवंत मान और डीजीपी को ईमेल के जरिए शिकायत भेजी। उन्होंने कहा कि डेराबस्सी पुलिस ने मानवता का गला घोंटते हुए महिला के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए मारपीट की। इसका विरोध करने पर मौजूद पुलिस के सब इंस्पेक्टर ने एक नौजवान को गोली मार कर जख्मी कर दिया।

उन्होंने कहा कि पूरी घटना को जहां बाकी पुलिसकर्मी तमाशबीन बन कर देखते रहे। वहीं जख्मी नौजवान को अस्पताल ले जाने की बजाए सड़क पर खून से लथपथ छोड़ कर मौके से गाड़ी भगाने की कोशिश की। स्थानीय लोगों ने उन्हें रोकने का प्रयास भी किया। भाजपा सचिव ने मांग की है कि सब इंस्पेक्टर के साथ मौके पर मौजूद कर्मियों को भी नौकरी से बर्खास्त कर इरादा कत्ल सहित शांति भंग करने और महिला का अपमान करने का मामला दर्ज किया जाए।

सुखपाल सिंह सरां ने कहा कि मुख्यमंत्री पीड़ित परिवार की सुरक्षा को यकीनी बनाएं। क्योंकि पुलिस मामले को रफा-दफा करने के लिए पीड़ित परिवार पर दबाव भी बना सकती है। सरां ने कहा कि पंजाब में बढ़ रहे अपराध को रोकने में नाकाम पुलिस आम लोगों को परेशान करने में लगी है। पंजाब का माहौल बिगाड़ना चाहती है। मुख्यमंत्री पुलिस को सख्त निर्देश देकर लोगों की सुरक्षा पर चिंतन करें। अन्यथा भाजपा को प्रदर्शनों के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

फोटो -भाजपा प्रदेश सचिव सुखपाल सिंह सरां।


दहश्त में शहरवासी- गैंगस्टर गोल्डी बराड के नाम पर मांगी बठिंडा की महिला से दो लाख की फिरोती, पैसे नहीं देने पर पति को जान से मारने की धमकी दी


बठिंडा, 28 जून(जोशी).
बठिंडा शहर के परस राम नगर निवासी एक महिला को उसके फोन पर एक विदेशी नंबर से आए फोन से फिरौती की धमकी मिली है। फोन करने वाले ने खुद को गोल्डी बराड़ बताते हुए धमकी दी है कि अगर शाम तक पैसे खाते में जमा नहीं करवाएं, तो वो उसके पति को जान से मार देंगे। फोन बीती 27 जून को किया गया था। पीड़िता महिला ने इस संबंध में थाना कैनाल पुलिस को शिकायत दे दी है। पुलिस ने फोन काल व वाट्सएप काल करने वाले नंबरों के आधार पर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। परसराम नगर निवासी एक महिला ने बताया कि बीती 27 जून की दोपहर के समय उसके मोबाइल नंबर पर एक विदेशी नंबर से फोन आया, जिसने उसे कहा कि वो गोल्डी बराड़ बोल रहा है, जिसने मूसेवाला का कत्ल करवाया है। उनको दो लाख रुपये शाम तक उनके बैंक खाते में डाल दो, अगर नहीं डाले तो उसके पति को जान से मार देंगे। वहीं थाना कैनाल कालोनी के इंचार्ज संदीप सिंह भाटी ने बताया कि पीड़ित महिला की शिकायत पर पुलिस मामले की जांच कर रही है। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से गोल्डी बराड के नाम पर फिरोती मांगने का बठिंडा में ही चौथा मामला है। इसमें पुलिस ने सभी मामलों में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी लेकिन आज तक किसी तरह के नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। वही बताया जा रहा है कि असामाजिक तत्व गैंगस्टर गोल्डी बराड के नाम पर शहर के व्यापारियों पर दहश्त बनाने की कोशिश करते हैं व उनसे अवैध वसूली करते हैं। इससे पहले गोनियाना व बठिंडा के एक ज्वैलर को भी इसी तरह के फोन पर फिरोती मांगी गई थी जबकि माडल टाउन में फ्लैक्स व्यापारी के यहां तो फिरोती मांगने के बाद डराने के लिए पैट्रोल बंम फैंका व गोलियां चलाई गई थी। इन तमाम मामलों में पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है। 

कौन है गोल्डी बराड़

पंजाब के मानसा में ताबड़तोड़ 30 से ज्यादा गोलियां बरसा कर सिंगर और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला की हत्या को अंजाम दिलाने वाले गोल्डी बरार का पूरा नाम है सतविंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बरार.

सतविंदर सिंह उर्फ गोल्डी बरार 1994 में पैदा हुआ और BA की डिग्री हासिल कर चुका है. सतविंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बरार की 5 अलग अलग तस्वीरें पंजाब पुलिस के इस डोजियर में है, तस्वीरें देखने से पता चलता है की वक्त के साथ गोल्डी बरार अपना हुलिया बदलता रहा है। गोल्डी A+ कैटगरी का गैंगस्टर है और कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित किया हुआ है. डोजियर में गोल्डी बरार के 12 सहयोगियों का पूरा खुलासा किया गया है जो अपराधिक गतिविधियों में उसके साथ हैं और उन सहयोगियों में पहले नंबर पर नाम है. पंजाब के कुख्यात गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई का गोल्डी के सहयोगियों में राजस्थान के गैंगस्टर संपत नेहरा का नाम भी है. वही नेहरा जिसने साल 2018 में मुंबई जाकर सलमान खान के घर की रेकी की थी.

गोल्डी बरार पर हत्या, हत्या की कोशिश, रंगदारी जैसे संगीन मामले दर्ज हैं, गोल्डी पर पंजाब में कुल 16 अपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि 4 मामले ऐसे हैं जिनमें वो बरी हो चुका है. कनाडा भागने से पहले गोल्डी की पंजाब के फिरोजपुर और श्री मुक्तसर साहिब में क्रिमिनल एक्टिविटी ज्यादा थी.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक लारेंस के जेल जाने के बाद अब गैंग की कमान कनाडा में बैठकर सतविंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बरार संभालता है. जेल में बैठा लारेंस जेल से बस इशारा करता है जो कनाडा में बैठे गोल्डी तक पहुंचती है, उसके बाद गोल्डी पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल में बैठे शूटर से कांटेक्ट करता है उनको तैयार करता है उसके बाद टास्क देता है और वारदातों को अंजाम दिलवाता है.


Friday, June 24, 2022

राज्य का सेहतमंत्री कमिशन के चक्कर में जेल गया लेकिन बठिंडा का सिविल अस्पताल कमिशनखोरी का अड्डा बना


बठिंडा (हरिदत्त जोशी).
भगवान का दर्जा प्राप्त डॉक्टरों में से चिकित्सकों का एक तबका सवालों के घेरे में है। जिला के अस्पतालों में महंगी दवाइयों पर कमीशनखोरी का गोरखधंधा चल रहा है तो प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों के टेस्ट करवाने के नाम पर कुछ डाक्टरों को मोटी कमिशन पहुंच रहा है। यही नहीं इस धंधे में एम्स व सरकारी अस्पताल में तैनात कुछ डाक्टरों पर भी शक की सुई घूम रही है। हाल ही में सिविल अस्पताल में एक प्राइवेट डायग्नोसिस्ट सेंटर की गाड़ी व दो करिंदे पकड़े गए लेकिन इसमें सिविल अस्पताल प्रबंधन ने किसी तरह की कारर्वाई नहीं की और न ही पुलिस ने इस मामले में दिलचस्पी दिखाई जिससे मामला रफादफा कर दिया गया। इस मामले में आशंका जताई जा रही है कि जिस डायग्नोसिस्ट सेंटर में सिविल अस्पताल से मरीज लेकर जा रहे थे उसका संचालक सरकारी डाक्टर के परिचित कर रहे हैं व इस बाबत बकायदा कमिश्न भी समय पर दिया जा रहा था। एक तरफ राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कमिशनखोरी के चक्कर में अपनी ही सरकार के सेहत मंत्री पर केस दर्ज करवाकर मंत्री पद छीन गिरफ्तार करवा दिया वही सिविल अस्पताल व सरकारी अस्पतालों व संस्थानों में सरेआम चल रहे कमिशनखोरी के धंधे पर लगाम कसने के लिए किसी तरह के सार्थक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं बल्कि जो मामला सामने आया उसे भी दबाने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में पुलिस ने सिविल अस्पताल में उपचार के लिए आए मरीजों को गुमराह कर प्राइवेट डायग्नोसिस्ट सेंटर में लेकर जाने वाले दो लोगों को मौके पर हिरासत में लिया था वही सेंटर की एक गाड़ी जिसमें मरीजों को लेकर जाते थे को भी पकड़ा लेकिन सिविल अस्पताल प्रबंधन की तरफ से मामले में किसी तरह की दिलचस्पी नहीं दिखाने के चलते 72 घंटे बाद भी मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। फिलहाल इस घटना में सिविल अस्पताल प्रबंधन की निरसता कई तरह के सवाल खड़े करती है। पहला सवाल यह है कि सिविल अस्पताल में रखी गई करोड़ों रुपए की मशीनों को कबाड़ कहकर बंद रखा जाता है इन मशीनों को कर्मी व एक्सपर्ट की कमी के चलते नहीं चलाने की बात कही जाती है लेकिन हाल की घटना से इन मशीनों को बंद रखने के पीछे बड़ी साजिश व प्राइवेट अस्पतालों को फायदा पहुंचाने की आशंका जताई जा रही है। यही नहीं सिविल अस्पताल में हर तरह के टेस्ट की सुविधा है इसके बावजूद दलाल लोगों को कहते हैं कि अस्पताल में टेस्ट की सुविधा नहीं है व जो टेस्ट होते हैं वह रिपोर्ट गलत देते हैं। सिविल अस्पताल की सुविधाओं को सरेआम नकारा कहने वाले उक्त दलालों को सिविल सर्जन दफ्तर के पास ही बनी ओपीडी में सरेआम घूमते देखा जा सकता है जबकि अधिकारी इस मामले में आंखे मूदकर बैठे हैं व इसे सामान्य घटना कहकर व शिकायत का इंतजार कर रहे है का दावा कर चुपी साध लेते हैं।  

यही नहीं पुख्ता सूत्रों के मुताबिक कुछ चिकित्सक मरीजों को कमीशन के चक्कर में महंगी ब्रांडेड दवाएं व बाहर से टेस्ट करवाने का लिख रहे हैं। इसकी वजह से आम आदमी की जेब ढीली हो रही है। अस्पताल में लाखों रुपये की सरकारी दवा पहुंचती है लेकिन इसमें मरीजों को गिनती की कुछ दवा ही दी जाती है व बाकि महंगी दवाएं कहा जाती है यह भी जांच का विषय है। हालांकि जिला में यह गोरखधंधा लंबे अरसे से जारी है। इसके तहत चिकित्सक दवा कंपनियों से मोटी चांदी कूट रहे हैं। इसमें न केवल ब्रांडेड बल्कि लोकल ब्रांड की दवा कंपनियों का भी खेल चल रहा है। वहीं, सरकार के फरमान के बावजूद अधिकांश डॉक्टर मरीजों को सस्ती जेनरिक दवाई लिखने के बजाय महंगी ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं। इस कथित मनमानी से आम मरीज परेशान और बेबस हैं। विभागीय सूत्र बताते हैं कि जिला के अस्पतालों में विभाग की ओर से दवाओं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। इसके बावजूद चिकित्सक मरीजों को बाहरी स्टोरों से दवा खरीदने को मजबूर कर रहे हैं।

गिफ्ट से लेकर कैश तक का चलता है धंधा

नाम न छापने की शर्त पर जिला में कार्यरत दवा कंपनी के एक एमआर (मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव) ने बताया कि अमूमन दवा कंपनियों की ओर से डॉक्टरों को सालाना उपहार तय होते हैं, लेकिन कई मर्तबा डॉक्टर कैश तक की डिमांड करते हैं। जिनकी आपूर्ति करना मजबूरी बन जाता है। हालांकि नामी कंपनियां कैश जैसे मामलों में न पड़कर तय गिफ्ट देती हैं। लेकिन लोकल ब्रांड के मामलों में बात कैश तक आती है। डॉक्टरों की 20 से लेकर 50 फीसदी तक कमीशन तय रहती है। यह दीगर है कि सभी डॉक्टर इस तरह की अनैतिक प्रैक्टिस में शामिल नहीं हैं।

सरकार बनाए ठोस नीति- जिला में आम आदमी के सरोकारों से जुड़े संगठनों का कहना है कि सरकार को इस बाबत कोई ठोस नीति बनाकर उसे अमल में लाना चाहिए। जहां तक डॉक्टरी पेशे का सवाल है यह पुण्य के कार्य से जुड़ा है। चिकित्सकों को इस तरह की अनैतिक प्रैक्टिस में शामिल नहीं होना चाहिए। इस पर कार्रवाई की जरूरत है। वहीं, प्रदेश भर में बतौर एमआर जुड़े हजारों युवाओं के लिए भी सरकार को नीति निर्धारित करनी चाहिए। 




Thursday, June 23, 2022

बठिंडा सिविल अस्पताल से प्राइवेट अस्पतालों में मरीज रैफर करने का गौरखधंधा, दलालों के मार्फत मिलता है कर्मियों को मोटा कमिशन

 


बठिंडा, हरिदत्त जोशी. 
पंजाब सरकार ने सरकारी अस्पतालों में सभी तरह के इलाज और दवाइयां मुफ्त देने की योजनाओं की घोषणा कर रखी है. प्रशासन इस बात के दावे भी करता है कि वो योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू भी कर रहा है लेकिन बठिंडा सिविल अस्पताल में जिस तरह से दलालों के जरिए प्राइवेट अस्पतालों को फायदा पहुंचाना का खेल चल रहा है वो सरकार की योजनाओं पर पानी फेर रहा है। सिविल अस्पताल में एबुलेंस से लेकर हर तरह की सरकारी सुविधा उपलब्ध है लेकिन इसके बावजूद प्राइवेट अस्पतालों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी अस्पताल के स्टाफ विभिन्न अस्पतालों के दलालों के साथ साजगाठ कर मोटा कमिश्न हासिल कर रहे हैं। सिविल अस्पताल से मरीज रैफर करने से लेकर किसी भी तरह के टेस्ट प्राइवेट अस्पताल से करवाने की एवज में सीधे तौर पर 50 फीसदी तक का कमिशन दिया जाता है। 

इसमें सरकारी स्टाफ पर शक न जाए इसलिए अस्पताल में दलालों का टोला हर समय घूमता रहता है। इस टोले में सेहत विभाग की विभिन्न स्कीमों के साथ जुड़े कर्मी भी शामिल है। गत दिवस सिविल अस्पताल में सुप्रीम डायग्नोसिस्ट सेंटर अस्पताल की एक एबुलेस व दो कर्मियों को सुरक्षा कर्मियों ने मरीजों को गुमराह कर प्राइवेट अस्पताल में लेकर जाने का मामला सामने आया। इसमें सिविल अस्पताल प्रशासन के पास मामले की जानकारी होने के बावजूद इस गौरखधंधे को रोकने के लिए किसी तरह के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए वही न ही मामले में पकड़े दलाल व अस्पताल प्रबंधकों के खिलाफ किसी तरह की कारर्वाई की गई है।     

क्या है पूरा मामला ?

जिला सिविल अस्पताल में सरकारी इलाज लेने आ रहे मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों के दलाल अपने अस्पतालों में ले जा रहे हैं और दलालों के इस खेल में जिला अस्पताल के कर्मचारी खुद शामिल है। दो चंद पैसों के कमीशन के लालच में गरीब मरीजों को निजी अस्पतालों के लूट के जाल में फंसा देते हैं। 

यही नहीं दलाल जब मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में लेकर जाते हैं तो उनके इलाज का खर्च भी दो गुणा हो जाता है क्योंकि दलाल व रैफर करने वाले डाक्टरों को सीधे तौर पर 50 से 60 फीसदी कमिशन मीरज से वसूली जाने वाली रकम से दिया जाता है। इस स्थिति में अगर एक मरीज का प्राइवेट अस्पताल में इलाज एक लाख रुपए तक में हो सकता है तो उससे सीधे तौर पर दो लाख रुपए की वसूली की जाती है। इसमें अस्पताल अपना खर्च व कमाई निकालकर बाकि अतिरिक्त वसूली रकम दलाल व रैफर करने वाले कर्मियों व डाक्टरों को भेज देता है। कमिश्न का यह धंधा किसी भी तरह के मेडिकल टेस्ट, स्कैन व उपचार में चलता है। फिलहाल सरकारी अस्पताल में पैसों की कमी से जूझ रहे लोग पहुंचते हैं लेकिन दलाल जबरन इन मरीजों की जेबे खाली करने में जुटे हुए है। मजबूरी में उक्त लोग किसी तरह उधार व कर्ज लेकर इन अस्पतालों का भुगतान करने पर मजबूर होते हैं। वही अगर कोई मरीज हेल्थ बीमा धारक होता है तो उसकी लूट का सिलसिला दूसरी कड़ी में शुरू किया जाता है। इसमें मनमाफिक राशि वसूल करने की छूट मिल जाती है। अभी हाल में आयुष्माण बीमा योजना में कुछ प्राइवेट अस्पतालों की तरफ से सरकारी खजाने की लूट करने के लिए डमी मरीज दिखाने के साथ खर्च से ज्यादा की राशि वसूल करने के कई मामले सामने आ चुके हैं। इसमें सरकार को कई अस्पतालों को बीमा योजना के पैनल से बाहर निकालना पड़ा।  

सर, आप परेशान न हो। आप के पापा को कुछ नहीं होगा। सरकारी अस्पताल का हाल तो आप देख ही रही हैं, यहां मरीजों का इलाज़ ठीक से नहीं करते हैं। मैं आपको एक प्राइवेट अस्पताल ले चलता हूं। वहां आपके पापा का अच्छा इलाज हो जाएगा।” यह शब्द सरकारी अस्पताल ओपीडी सेंटर के बाहर खड़े दलाल के हैं। सरकारी अस्पतालों के बाहर प्राइवेट अस्पतालों ने अपने-अपने दलाल फिट कर रखे हैं। यह दलाल सरकारी अस्पताल के बाहर खड़े होकर मरीजों को अपनी सेटिंग वाले अस्पताल में ले जाते हैं।

संवाददाता को जब इसकी भनक लगी तो उन्होंने हकीकत की तलाश में परेशान तीमारदार बनकर प्राइवेट अस्पताल के लिए एम्बुलेंस तलाश करने की एक्टिंग की। तीमारदार को इधर-उधर दौड़ता भागता देख करीब एक घण्टे के बाद वह दलाल की नजरों में आ गया। फिर क्या था, एक दलाल ने दूसरे दलाल को फोन करके बुला लिया। दलाल ने मरीज को ले जाने से लेकर अपनी मर्जी के अस्पताल तक सेटिंग उसके मालिक से कर ली और अपना नम्बर देते वक्त यह भी कहा कि सर, हमको डायरेक्ट फोन कर लिजिएगा। क्योंकि अन्दर तक के कर्मचारी सब इस दलाली में मिले होते हैं अगर आप सिविल अस्पताल के कर्मचारी से कहेंगी तो वह हमसे कमीशन ले लेगा, वही पैसा हम आपका कम कर देंगे।

तीमारदार ने उससे मरीज को माल रोड स्थित अस्पताल ले जाने की बात की थी, लेकिन उसने बात को यह कहकर मना कर दिया कि सर, सबसे बड़ा स्कैनिग सेंटर यही है, यहां की हकीकत तो आप देख ही रही हैं। यहां टेस्ट की सुविधा है नही वही जो रिपोर्ट मिलेगी वह सही होती नहीं है ? तीमारदार ने कहा, यहां तो उसको कुछ भी नहीं पता। वह यहां पहली बार आया है, कौन सा अस्पताल ले जाएं। तीमारदार का बस इतना कहना था कि दलाल ने अस्पताल की पहले से बाहर खड़ी एबुलेंस के ड्राइवर के साथ सेंटर के मालिक को फोन कर दिया और तीमारदार की बात अस्पताल के मालिक से करा दी और वहीं सारी की सारी डीलिंग हो गई। 

सरकारी कर्मचारी वसूलते हैं कमीशन 

इस दलाली का काला चिट्ठा यही बंद नहीं होता है। ऐसा सिर्फ सिविल अस्पताल ही नहीं बल्कि जिले के हर सरकारी अस्पताल के बाहर और अन्दर ऐसे दलाल लगे रहते हैं। जिसके तार अन्दर बैठे सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों से जुड़े होते हैं। 

सरकारी अस्पताल मरीज को प्राइवेट अस्पताल भेजने के लिए कमीशन के रूप में मोटी रकम वसूल करते हैं। इन दलालों की हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि यह दलाल सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीजों को अस्पताल के अन्दर से उठा ले जाते हैं और जहां से इनका कमीशन जुड़ा होता वहां ले जाकर पटक देते हैं और बदले में मोटी रकम वसूल करते हैं।

प्रशासन से सवाल 

1. जब मरीज रजिस्ट्रेशन काउंटर पर फाइल बनवाते है, तो मरीज के नंबर दलाल तक कैसे पहुंच रहे हैं ?

2. क्या सरकारी योजना के पूर्व कार्मिक ही अब निजी अस्पतालों के दलाल बन गए है ?

3. क्या रजिस्ट्रेशन काउंटर पर बैठे कार्मिक दलालों से मिले हुए है ?

4. जब मरीज ने फाइल सरकारी अस्पताल में बना ली, तो उसे वापिस क्यों जाने दिया जाता है ?

5. फाइल बनाने के बावजूद मरीज वापिस लौट रहा हो, इसकी जांच पड़ताल क्यों नहीं की जाती है ?

6. क्या निजी अस्पतालों के दलाल और सरकारी अस्पताल के स्टाफ की मिलीभगत है ?

7. क्या जिला अस्पताल का प्रबंधन अब दोषी कार्मिकों पर कार्रवाई करेगा ?

8. क्या सरकारी योजना का गलत तरीके से निजी अस्पतालों को फायदा पहुंचाया जा रहा है ?

और सवाल ये भी है कि एक अस्पताल का ये मामला सामने आया है लेकिन असल में राज्य सरकार की योजना के उद्देश्यों पर पानी फेरने का ये खेल कितना बड़ा है. ऐसे में जरुरत है कि शासन और प्रशासन इस मामले में सख्त कार्रवाई करे. ताकि गरीबों को लूटने वाले और गलत तरीके से निजी अस्पतालों फायदा पहुंचाने के इस खेल पर लगाम लग सके।



Wednesday, June 22, 2022

सिविल अस्पताल में प्राइवेट अस्पताल के एजेंट सुविधा के नाम पर गुमराह कर रहे मरीजों को -सिविल अस्पताल की सुविधा को गलत बताकर प्राइवेट अस्पताल में ले जाकर करते हैं लूट



-सिविल अस्पताल प्रबंधन ने कहा शिकायत मिलेगी तो करेंगे जांच, मौके पर पकड़े लोगों के बारे में साधी चुप्पी 

बठिंडा, 22 जून(जोशी). राज्य सरकार लोगों को बेहतर सेहत सुविधा देने का दावा कर रही है। वही दावा किया जा रहा है कि सिविल अस्पतालों में मरीजों की लूट रुकी है लेकिन दूसरी तरफ सिविल अस्पताल में मरीजों को सुविधा देने के नाम पर कुछ प्राइवेट अस्पताल दलाली का गौरखधंधा कर रहे हैं। इसमें सिविल अस्पताल में दी जाने वाली सुविधा के बारे में मरीजों को गुमराह कर प्राइवेट अस्पतालों में लेकर जा रहे हैं। यह धंधा सिविल अस्पताल के अधिकारियों व कर्मचारियों के सामने हो रहा है लेकिन कमिशन के नाम पर होने वाली काली कमाई के सामने सभी चुप्पी साधकर बैठे हैं। बुधवार को सिविल अस्पताल में एक मामला सामने आया है। इसमें सिविल अस्पताल के अंदर ही सुप्रीम डायग्नो सेंटर के कर्मचारी मरीजों को गुमराह कर प्राइवेट सेंटर में लेकर जाते पकड़े गए। सेंटर का एक कर्मी ओपीडी स्लिप काउंटर में बैठकर वहां आने वाले मरीजों की जानकारी जुटा रहा था व जो व्यक्ति स्कैन व किसी तरह के टेस्ट के लिए वहां पहुंच रहा था उसे रोककर कहा जा रहा था कि सिविल अस्पताल में होने वाली किसी भी जांच के लिए मशीन नहीं है वही जो टेस्ट व जांच की जा रही है वह गलत है जिससे मरीज का सही इलाज नहीं हो सकेंगा। इसके बाद वह मरीज को सुप्रीम डायग्नो सेटर के बारे में जानकारी देकर कहता है कि मरीज को सिविल अस्पताल से सेंटर तक निशुल्क लेकर जाने की सुविधा है व बाजार में टेस्ट के नाम पर ली जाने वाले चार्ज से कम रेट पर उनका टेस्ट किया जाएगा। इसके बाद उक्त व्यक्ति मरीज व उनके परिजनों को वहां से लेकर जाता है व बाहर खड़ी आल्टो गाड़ी की तरफ छोड़कर फिर से वहां आकर बैठ जाता है। उक्त हरकत को वहां तैनात सुरक्षा कर्मी देख रहा था। शक होने पर सुरक्षा कर्मी ने उक्त व्यक्ति को रोककर उसके बारे में जानकारी मांगी तो उसने बताया कि वह सिविल अस्पताल का कर्मी है व एंटी लारवा सैल में तैनात है। आज उसकी ओपीडी में ड्यटी लगी है। सुरक्षा कर्मी ने उसकी बात की जांच के लिए जब एंटी मलेरिया व लारवा सैल में संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उक्त व्यक्ति उनके पास तैनात नहीं है। मामला अला अधिकारियों के सामने लाया गया तो पता चला कि उस व्यक्ति का सिविल अस्पताल से कोई संबंध नहीं है। पोल खुलती देख व्यक्ति ने माना कि वह शहर के सुप्रीम डायग्नो सेंटर में तैनात है व सिविल अस्पताल से प्रतिदिन मरीज लेकर सेंटर में जाता है। वही उसने बताया कि बाहर एक आल्टो गाड़ी खड़ी है व इसी गाड़ी में मरीज को सेंटर में लेकर जाते हैं। जब सुरक्षा कर्मी वहां पहुंचा तो गाड़ी में एक ड्राइवर जग्गा सिंह बैठा था। उसने कहा कि उसकी सिविल अस्पताल में सेंटर के मालिक ने ड्यूटी लगा रखी है व उनके कहने पर ही प्रतिदिन मरीजों को यहां लेकर लेकर जाता है। इसके इलावा उसे किसी तरह की जानकारी नहीं है। इसके बाद मामले की जानकारी सिविल अस्पताल में स्थित पुलिस चौकी के पास दी गई। इसमें पुलिस चौकी के कर्मचारियों ने दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। दूसरी तरफ बताया जा रहा है कि सिविल अस्पताल में पिछले लंबे समय से उक्त खेल चल रहा है जिसमें शहर के प्राइवेट अस्पतालों की दर्जनों गाड़ियां अस्पताल में आकर खड़ी होती है व उनके करिंदे मरीजों को गुमराह कर प्राइवेट अस्पतालों में सुविधा देने के नाम पर लेकर जाते हैं व मोटी राशि वसूल की जाती है। सिविल अस्पताल में हर तरह के टेस्ट व जांच की सुविध दोने के बावजूद मरीजों की लूटपाट के लिए उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में लेकर जाने के इस गौरखधंधे के संबंध में सिविल अस्पताल प्रबंधन व जिम्मेवार लोगों ने आंखे मूंद रखी है। वही सहायक सिविल सर्जन अनुपमा शर्मा हर बार की तरह इस मामले में भी कह रही है कि उनके पास लिखित में अगर शिकायत आएगी तो वह बनती कारर्वाई करेंगी। वही सिविल अस्पताल के स्टाफ व सुरक्षा कर्मियों की तरफ से सरेआम एजेंटों को पकड़ने व मरीजों को गुमराह करने के मामले में किसी तरह की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।   



फोटो -सिविल अस्पताल परिसर में मरीजों को गुमराह कर प्राइवेट अस्पताल में लेकर जाने वाली गाड़ी जिसे सुरक्षा कर्मियों ने पकड़कर पुलिस चौकी को सौंपा।  


युवक की हादसे में मौत के बाद लोगों ने जाम किया बरनाला बाईपास हाईवे रोड -प्रशासन से रुके हुए पुल का काम शुरू करवाने की रखी मांग, आंदोलन तेज करने की दी चेतावनी



बठिंडा. बरनाला बाईपास स्थित ग्रीन सिटी रोड नजदीक गुरुद्वारा साहिब के पास लोगों की सुविधा के लिए बनने वाले ओवरब्रिज के काम को अधर में लटकाने को लेकर लोगों का गुस्सा फिर से बढ़ गया है। इस रोड में वन वे ट्रैफिक व वाहनों के आवागमन को लेकर सही दिशा निर्देश नहीं मिलने के चलते प्रतिदिन हादसे हो रहे हैं। गत दिवस एक 30 साल का विवाहित युवक इस रोड में हादसे का शिकार हुआ था व उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद आसपास के इलाकों में रहने वाले सैकड़ों लोगों ने नेशनल हाईवे को जाम कर विरोध प्रदर्शन किया व प्रशासन से उक्त पुल का काम तेजी से पूरा करवाने व बंद रोड को जल्द खुलवाने की मांग रखी वही प्रशासन को चेतावनी दी कि जब तक काम शुरू नहीं होगा उनका आंदोलन जारी रहेगा।

प्रदर्शन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एडवोकेट राजन गर्ग, एमसी बेअंत रंधावा, हैप्पी ठेकेदार ने कहा कि लोगों की सुविधा के लिए ग्रीन सिटी रोड पर ओवरब्रिज का निर्माण किया जाना था। इसमें पुल को पिल्लर पर बनाने व मिट्टी का इस्तेमाल कर बनाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया था व लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। इसी के चलते नेशनल हाईवे आथार्टी ने कुछ दिन काम शुरू करने के बाद इसे बंद कर दिया था। करीब एक साल से अधिक समय बीतने के बावजूद उक्त पुल को लेकर खोदी गई सड़क से रास्ता खस्ता हाल में पड़ा है। हाईवे होने के कारण वाहन पीछे से तेज गति से आते हैं व टूटी सड़क के नजदीक आते ही ब्रेक मारने के कारण हादसों का शिकार होते हैं। दो माह पहले भी इस रोड पर 14 साल का एक बच्चा तेज रफ्तार वाहन की चपेट में आ गया था व उसकी मौत हो गई वही पिछले दिनों भी दो से अधिक हादसे उक्त रोड पर हो चुके हैं। फिलहाल करीब 47 करोड़ की लागत से बनने वाले इस अंडरब्रिज से ग्रीन सिटी चौंक व बल्लाराम नगर चौंक क्रासिंग को पूरी तरह से फ्री करने की योजना थी। हाइवे के निर्माण के बाद अभी तक ग्रीन सिटी व बल्ला राम नगर चौंक पर सैकड़ों छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें कई लोगों की कीमती जान जा चुकी है।


फोटो - बठिंडा के बरनाला बाईपास में धरना देकर बैठे स्थानीय लोग व गत दिवस हुए हादसे में क्षतिग्रस्त कार जिसमें एक युवक की मौत हो गई।

Tuesday, June 7, 2022

दैनिक जागरण की पत्रकार ज्योति के पिता स्व. विजय कुमार की आत्मिक शांति के लिए रखे पाठ का भोग 10 जून को

बठिंडा। दैनिक जागरण की संवाददाता ज्योति के पिता विजय कुमार का बीती 4 जून को देहांत हो गया है। वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और अंबाला के रेलवे अस्पताल में उपचारधीन थे। बीती चार जून को अचानक उनकी तयबीत बिगड़ गई और उन्हें सांस लेने में परेशानी होनी लगी और उनक निधन हो गया। उनकी आत्मिक शांति के लिए पाठ का भोग 10 जून को गुरुद्वारा साहिब बाबा दीप सिंह जोगी नगर बठिंडा में दोपहर 12 से 1 बजे डाला जाएगा। स्वर्गीय विजय कुमार के निधन पर शहर की सामाजिक, धार्मिक व राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने शोक जताया है।




Monday, June 6, 2022

मलूका आईएएस इंस्टीच्यूट ने हाल ही में घोषित यूपीएससी की परीक्षा में रिकार्डतोड़ परिणाम प्रदान किए


 बठिंडा, 6 जून (जसप्रीत सिंह).
बठिंडा में पावर हाउस रोड चौक स्थित मलूका आईएएस इंस्टीच्यूट ने हाल ही में घोषित यूपीएससी की परीक्षा में रिकार्डतोड़ परिणाम प्रदान किए है। आईएएस 2021-22 में संस्थान ने 685 छात्रों को कोचिंग दी जिसमें 110 से अधिक छात्रों का बेहतर रैंक आने के साथ चयन हुआ है। मलूका आईएएस ने देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षा में रिकॉर्ड तोड़ चयन कर बठिंडा ही नहीं उत्तर भारत में इतिहास रचा है। इससे पहले पिछले साल मलूका आईएएस के 78 छात्रों का चयन हुआ था। उन्होंने इस साल 100 छात्रों  का चयन करने का लक्षय रखा व इसमें कड़ी मेहनत के बाद सफलता हासिल की है। अब, जब परिणाम सामने आए तो  मलूका आईएएस ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है और दूसरों को प्रेरित किया है कि सही मार्गदर्शन और उचित परामर्श के साथ, आईएएस को आसानी से पास किया जा सकता है। मलूका आईएएस के एमडी लक्ष्मण सिंह मलूका ने कहा है कि उनका मुख्य ध्यान छात्रों को सही अध्ययन सामग्री, कोचिंग और मार्गदर्शन प्रदान करना है ताकि वे आसानी से आईएएस परीक्षा पास कर सकें। उन्होंने कहा कि मलूका आईएएस न केवल बहुत अच्छी कोचिंग पर ध्यान केंद्रित करता है बल्कि छात्रों के समग्र विकास पर भी ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने सभी टॉपर्स और उनके दोस्तों और परिवार को बधाई दी। परीक्षा में 18वां रैंक हासिल करने वाले रवि कुमार ने कहा कि वह मलूका आईएएस टीम के अद्भुत अध्ययन सामग्री प्रदान करने और तैयारी के दौरान छात्रों का पूरा सहयोग करने के लिए धन्यवाद देना चाहता हैं। उन्होंने मेरे व्यक्तित्व को संपूर्ण रूप से विकसित करने में मेरी मदद की। बेहतर रैंक हासिल कर आईएएस के लिए चयनित पशुपति सिथिया, सरुति राजलक्ष्मी, शुभम शुकला, व रमिया ने कहा कि मलूका आईएएस टीम मेरे प्रदर्शन पर मूल्यवान प्रतिक्रिया प्रदान करती है और हमारे निचले चरणों में आगे बढ़ने और मार्गदर्शन करने के लिए प्रेरित करती है। मलूका सर का विशेष धन्यवाद जो हमारी परीक्षा की तैयारी के दौरान बड़े भाई के रूप में हमेशा खड़े रहे। उन्होंने बताया कि मलूका सर छाात्रों के लिए हर समय खड़े रहते हैं व जब भी किसी तरह का डाउट या फिर जानकारी हसिल करनी हो वह उपलब्ध रहे।




Tuesday, May 31, 2022

अरविंद केजरीवाल पंजाब को बनाना चाहते हैं पश्चिम बंगाल: सुखपाल सरां

 

हर रोज मर रहे नौजवान पर सरकार खामोश: सन्दीप अग्रवाल
कब तक केजरीवाल सरकार देखेगी नौजवानों की मौत का तमाशा : भाजपा

बठिंडा (हरिदत्त जोशी). पंजाब में दिन प्रतिदिन हो रहे नौजवानों की मौतों पर भाजपा के प्रदेश सचिव सुखपाल सिंह सरां ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार कब तक नौजवानों की मौत का तमाशा देखेगी।  प्रदेश सचिव सुखपाल सिंह सरां ने कहा कि कभी नशे से नौजवानों की मौत हो रही है तो कभी शरेआम कत्ल किये जा रहे है। 

केजरीवाल ममता बनर्जी  की तरह पंजाब को पश्चिम बंगाल बनाना चाहते है पंजाब के गम्भीर हालातों पर बोलते हुए सरां कहा कि पंजाब की सुरक्षा भगवान भरोसे ही रह गई। पंजाब के किसी जिले में खिलाड़ियों पर गोलियां दाग कर दोषी फरार हो जाते है। तो कहीं  पंजाब का नाम रोशन करने वाले कलाकार शुभदीप सिधु मुसेवाला को शरेआम घेर कर मौत के घाट उतार कर पुलिस की नाक नीचे से दहशतगर्दी मचाने वाले निकल जाते हैं। 

लेकिन पंजाब सरकार व पुलिस कोई एक्शन लेने की बजाए सिर्फ शोक प्रकट करके अपने जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे है। सरां ने कहा कि इस मामले की जांच केंद्र की जांच एजेंसी करें तो बड़े खुलासे होने की संभावना है। केजरीवाल पंजाब में फेल साबित होने पर दिल्ली की तरह दंगे भी करवा सकते हैं। केजरीवाल के पुराने साथी कुमार विश्वास के केजरीवाल पर किये खुलासे सच साबित हो रहे है। 

   भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष सन्दीप अग्रवाल ने कहा कि पंजाब के हालात को काबू करने के लिए केंद्र सरकार को पंजाब सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति राज लगा देना चाहिए। 

अन्यथा केजरीवाल पंजाब में खून की होली खेल कर वापिस आतंकवाद के दौर में पंजाब को धकेल देंगे। अग्रवाल ने कहा कि पंजाब की सरकार को केजरीवाल चला रहे है। भगवंत मान मात्र मोहरे साबित हो रहे है। लोगो ने अच्छे बदलाव के लिए सरकार को चुना था  न कि पंजाब की धरती को खून से लाल करने के लिए। आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के ढाई महीनों में 50 के करीब कत्ल होना और किसानों की खुदकुशियो में बढ़ोतरी, नशो से नौजवानों की मौत ने हर पंजाबी को चिंता में डाल दिया है। जो केजरीवाल लोगो को गारंटियों देते थे अब लोग जान की सुरक्षा की गारंटी मांग रहे हैं। पंजाब सरकार को लोगो के प्रति जिम्मेवारी लेनी होगी और बढ़ रही दहशतगर्दी और नशो पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाने होंगे।



Friday, May 27, 2022

बठिंडा के आरटीओ दफ्तर में चल रहा है दो दशक से गौरखधंधा, अब परिवहन मंत्री ने आरटीए बलविंदर सिंह को किया सस्पेंड

 

बठिंडा, 27 मई(जोशी).
पंजाब के परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बठिंडा के आरटीए बलविंदर सिंह को सस्पेंड कर दिया है। कार्रवाई बस परमिट जारी करने के मामले में की गई है। कुछ दिन पहले ही परिवहन मंत्री ने दौरा कर ट्रांसपोर्ट प्रधान सचिव से रिपोर्ट मांगी थी। परिवहन मंत्री ने कार्रवाई के निर्देश दिए थे।

यहां बताते चले कि आरटीए ऑफिस में पिछले दो दशक से गाड़ियों की जाली आरसी बनाकर बेचने का खेल चल रहा था। पिछले साल इसी दफ्तर का एक कारनामा सामने आया था। बठिंडा आरटीए ऑफिस की ओर से यूपी नंबर की गाड़ी यूपी-14एफटी 6080 जिसका 2016 से टैक्स और 2018 से पासिंग पेंडिंग थी। इसका हरियाणा आरटीए ने आंध्रा प्रदेश की बस बता कर इसकी गलत तरीके से बैकलाग डाल एचआर74एस 1133 नंबर डाल बठिंडा आरटीए को एनओसी जारी कर दी। बठिंडा आरटीए ने भी जाली पेपर लगा कर हरविंदर नामक व्यक्ति के नाम पर पीबी03बीई 5375 नंबर जारी कर दिया था। जबकि गाड़ी पर अभी भी यूपी नंबर ही लगा हुआ है और वह दिल्ली में खड़ी थी। 

आरटीए दफ्तर में न सिर्फ एजेंटों का बोलबाला है, बल्कि दफ्तर में हुए घोटालों को भी आज तक हल नहीं किया गया। इस मामले में एडवोकेट विक्कर सिंह अहलुवालिया की तरफ से पिछले 8 साल में दर्जनों शिकायते ट्रांसपोर्ट मंत्री से लेकर विजिलेंस विभाग के पास की गई। मामले में राजनीतिक मिलीभगत के चलते मामलों की जांच विजिलेंस विभाग को सौंपी तो गई लेकिन इसमें आरोपी अधिकारियों, कर्मचारियों व एजेंटों के खिलाफ आज तक किसी तरह की कारर्वाई नहीं हो सकी है। 

वर्तमान में राज्य में भगवंत मान सरकार से एडवोकेट विक्कर सिंह अहलुवालिया को उम्मीद जगी है। उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान से राज्य भर में चल रहे आरटीओ दफ्तरों में अरबों रुपए के घपलों की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की है वही इन मामलों में जांच रिपोर्ट को दबाने वाले विजिलेंस व पुलिस विभाग के अफसरों पर भी कानूनी कारर्वाई करने की मांग की है। यहां बताते चले कि आरटीए दफ्तर में अब एजेंटों के हौंसले इतने ज्यादा बुलंद हो गए हैं कि वह खुद मुलाजिम के कमरे में जाते हैं और कागजों पर मोहरें लगाकर आ जाते हैं। यहां तक कि दफ्तर में कई बार विजिलेंस की रेड भी पड़ चुकी है, लेकिन इसके बाद भी यहां पर कोई समाधान नहीं हुआ।

अगर कुछ वर्ष पहले की बात करें तो गांव नरुआना स्थित आटोमेटेड ड्राइविग टेस्ट ट्रैक पर वाहनों की पासिग के लिए रिश्वत वसूलने व बिना टेस्ट के वाहनों की पासिग देने के मामले में जमकर हंगामा हुआ था। पिछले लंबे समय से टेस्ट ट्रैक के बाहर दलालों का कब्जा है, जो आरटीए दफ्तर के कर्मचारियों के साथ मिलकर गोरखधंधे को अंजाम देते हैं। इस समय मामला इतना बढ़ गया था कि टेस्ट ट्रैक के बाहर बैठे दुकानदारों के बीच पासिग वाले कमरे में ही जमकर लात घूंसे चले। यहां तक कि दफ्तर में पड़े कम्प्यूटर के की-बोर्ड का भी झगड़े में इस्तेमाल किया गया। इसके बाद मामला बढ़ता देख दफ्तर के स्टाफ ने किसी तरह कमरे को ताला लगाकर सभी को बाहर भेजा। मगर इसके बाद भी यहां पर कोई एक्शन लेने की बजाए, सिस्टम एजेंटों के माध्यम से ही चल रहा है। 

पासिग के नाम पर वसूले जाते हैं पैसे

नियमों के अनुसार दो बार पूरी तरह से इंस्पेक्शन होने के बाद पासिग होती है। इसके तहत नए वाहन को दो साल तो पुराने वाहन को एक साल के लिए पासिग दी जाती है। इसके लिए अलग-अलग वाहन की फीस तय की गई है, लेकिन यहां पर काम करवाने के लिए आए लोगों से पासिग के नाम पर दो से तीन हजार रुपये तक की वसूली की जा रही है। इससे पहले 15 दिसंबर 2011 को भी बठिडा के एंटी नारकोटिक्स सेल की ओर से धरे गए चोर गिरोह के दो सदस्यों से पुलिस ने 13 गाड़ियां बरामद कर जांच शुरू की तो गिरोह के सदस्यों ने माना कि जाली आरसी बनाने में डीटीओ दफ्तर के कई दलाल व कर्मचारी शामिल थे। इसके बाद 2011 में अमृतपाल सिंह नामक एक व्यक्त को गिरफ्तार किया गया, जो बाद में फिर से जाली आरसी बनाने का काम करने लगा तो पुलिस ने उसे 2016 में फिर से गिरफ्तार कर लिया। 

विजिलेंस जांच पर भी नहीं हुई कार्रवाई

विजिलेंस विभाग की तरफ से ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पंजाब को 19 मई 2016 को एक रिपोर्ट भेजी गई थी। इसमें एक व्यक्ति की शिकायत के बाद करवाई जांच का विवरण दिया था। जिला ट्रांसपोर्ट विभाग को इसमें बनती कार्रवाई करने के साथ विजिलेंस विभाग बठिडा को आरोपी लोगों के खिलाफ केस दायर करने की सिफारिश भी की गई थी। इसमें एडीसी बठिडा ने 24 जून 2016 को जांच शुरू की थी। इसी मामले में फिर से अगस्त 2017 में जांच शुरू की गई, लेकिन इसमें आरोपितों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। 

रिकार्ड में भी दर्ज है गोरखधंधा

विजिलेंस ब्यूरो के संयुक्त डायरेक्टर एडमिन की तरफ से रिकार्ड नंबर 21327 दिनांक 17 मई 2016 में कहा गया था कि जिला ट्रांसपोर्ट अफसर बठिडा के अधिकारी कर्मचारी दफ्तर मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के कर्मचारियों ने डीटीओ दफ्तर में प्राइवेट दलालों का जाल बिछा रखा है। एक गाड़ी के पीछे 20 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक की चपत सरकारी खजाने को लगाई जा रही है। एक थ्रीव्हीलर बजाज नंबर पीबी-3-एजे-1511 दिनांक 9 मई 2014 को खरीदा गया था जिसके पासिग आर्डर 12 जनवरी 2015 को जारी हुए थे। इस तरह से यह गाड़ी आठ माह लेट पास करवाई गई। मिलीभगत से पासिग फीस 50 रुपये लगाई गई है, जबकि नियम अनुसार फीस एक हजार रुपये से अधिक बनती है।

आठ साल पहले गायब हुआ था 9321 वाहनों का रिकार्ड

आठ साल पहले डीटीओ आफिस में बड़ा घोटाला सामने आया था। जब यहां से 9321 वाहनों का रजिस्ट्रेशन रिकार्ड गायब कर दिया गया। गायब किए गए रिकार्ड में गड़बड़ी कर लोगों को वाहनों की फर्जी आरसी तक जारी कर दी गई थी। इसमें पूर्व डीटीओ बीएम सिंह, एसओ रमन कुमार, एजेंट गगनतेशवर सहित पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था, जबकि जिन नंबरों का रिकार्ड गायब हुआ था, वह बाद में भी वाहनों पर लगते रहे, लेकिन अब इन नंबरों को रद्द कर दिया गया है। 

कई-कई वाहनों पर लगे हैं एक ही नंबर

पंजाब सरकार ने अब वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर लगाना अनिवार्य कर दिया है। जब पुराने वाहन चालकों ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने के लिए अप्लाई किया तो नए-नए कारनामे सामने आने लगे। सबसे बड़ी बात तो यह थी कि जिनकी आरसी कापी वाली बनी हुई थी, उन वाहनों के नंबर कई-कई वाहनों पर चल रहे हैं। बठिडा के गुरु तेग बहादुर नगर के नवदीप कुमार ने जब अपनी स्कूटी पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने के लिए अप्लाई किया तो उसको पता लगा कि उसकी स्कूटी का नंबर संगरूर में किसी कैंटर पर लगा हुआ है। इसके बाद रिकार्ड जांचा तो वही नंबर एक स्कूटर पर भी बठिडा में लगा हुआ मिला। 





Thursday, May 26, 2022

आदेश मेडिकल कालेज ने छात्रों की उपस्थिति को लेकर जारी किए निर्देश, छात्रों में फैसले को लेकर आक्रोश

बठिंडा (हरिदत्त जोशी) . बठिंडा स्थित आदेश इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च की तरफ से अपने सभी मेडिकल छात्रों के लिए उपस्थिति संबंधी नियमावली जारी की है। इसमें कहा गया है कि पहली उपस्थिति सुबह 8 बजे, दूसरी शाम 4.00 बजे और तीसरी शाम 7.30 बजे से रात 9 बजे तक बायोमैट्रिक्स के माध्यम से दर्ज करवाना जरूरी होगा। इसमें रविवार और सभी सरकारी छुट्टियों में भी उपस्थिति लगाना लाजमी किया गया है। 

यही नहीं इसमें कहा गया है कि उपस्थिति दर्ज करने में किसी भी तरह की देरी को तीन दिनों के लिए अनुपस्थित माना जाएगा और पोस्ट-फैक्टो मंजूरी के लिए छुट्टी आवेदन जमा करने के माध्यम से अनुपस्थिति को दूर करने का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। वही लगने वाली गैरहाजिरी को पहले से मौजूद निर्णय के आधार पर ही निपटाया जाएगा। इसका मतलब यह है कि दो मिनट की देरी से भी छात्रों को तीन दिन की अनुपस्थित की सजा के साथ-साथ तीन दिन के वजीफा का नुकसान भी होगा। मेडिकल कालेज की तरफ से जारी इस आदेश का समूह छात्रों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है वही इस मामले में आईएमए के मैंबर व मानवाधिकार कार्यकर्ता डां. वितुल कुमार गुप्ता ने विरोध जताया है। उन्होंने इस बाबत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, दिल्ली, पंजाब मानवाधिकार आयोग, चंडीगढ़ और राष्ट्र चिकित्सा आयोग को लिखित शिकायत भेजकर तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। आदेश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च बठिंडा के प्रिंसीपल की तरफ से जारी आदेश को उन्होंने अमानवीय और अनुचित करार दिया है। वही इसे छात्रों के मूल मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन करार दे संस्थान से जबावतलबी मांगने को कहा है। डॉ. वितुल ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन- 2021 में धारा 17.2 के तहत कहा गया है कि “पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल होने वाले सभी उम्मीदवार फुल वर्क करेंगे। प्रशिक्षण की अवधि के दौरान और प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के दौरान प्रदान किए गए प्रशिक्षण के कम से कम 80 प्रतिशत वर्क में भाग लेंगे। 

इसके अलावा, गर्भवती स्नातकोत्तर छात्रों को मौजूदा नियमों और विनियमों के अनुसार मातृत्व अवकाश की अनुमति दी जाएगी। उन्हें वजीफा भी दिया जाएगा। हालांकि, मातृत्व अवकाश के कारण प्रशिक्षण कार्यक्रम में नुकसान हुए समय को पूरा करने के लिए संबंधित विश्वविद्यालय द्वारा उनका कार्यकाल फिर से तय किया जाएगा। डा. वितुल ने कहा कि कालेज ने एनएमसी के खिलाफ यह बहुत कठोर उपस्थिति नियम जारी किया है। नए नियम में छात्रों को हर दिन काम करने के लिए निर्देशित किया गया है और दो मिनट की देरी से उन्हें तीन दिन का खर्च आएगा। उपस्थिति और वजीफा की हानि भी होगी। डॉ. वितुल ने एनएचआरसी, पीएचआरसी के साथ-साथ एनएमसी से तत्काल हस्तक्षेप करने, जांच का आदेश देने और प्राचार्य, एआईएमएसआर को इन अमानवीय उपस्थिति दिशानिर्देशों को वापस लेने और तार्किक उपस्थिति नियमों को जल्द से जल्द बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। 




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