जालंधर। अंधविश्वास इंसान को किसी भी हद तक ले जा सकता है। इसकी ताजा उदाहरण मंगलवार को महानगर के थाना बस्ती बावा खेल में देखने को मिली। मांगलिक बेटी के विवाह में बार-बार रुकावट पैदा होने पर उसके परिवार ने 13 साल के बच्चे की बेटी से शादी करवा दी, फिर उसके मरने का मातम भी मनाया जिसमें बाकायदा दुल्हन ने अपने गहने और चूड़ियां फोड़ीं और विलाप किया। बच्चे ने घर जाकर सारी बात बताई तो इसकी पोल खुली।
महानगर में इस प्रकार का यह पहला मामला सामने आया है जब किसी मांगलिक लड़की ने भविष्य में होने वाली शादी को सफल बनाने के लिए परिवारवालों के साथ मिलकर सारा नाटक किया हो। बच्चे के परिवार ने आरोप लगाया कि उनका बेटा युवती के घर पर ट्यूशन पढ़ता था। एक दिन किसी पंडित ने युवती के घरवालों को बताया कि उनकी बेटी मांगलिक है और इस दोष को दूर करने के लिए उन्हें बेटी की किसी बच्चे से शादी करवानी होगी। शादी की सारी रस्में निभाने के बाद विधवा बनकर विलाप भी करना होगा, ऐसा करने पर ही उनकी बेटी की कुंडली से ये दोष निकलेगा। पंडित के कहने के बाद युवती के परिजनों ने उसकी शादी बच्चे से करवा दी।
सुहागरात के कुछ दिन बाद मौत का नाटक
शादी की सभी रस्में निभाने के बाद बच्चे को सुहागरात के लिए कमरे में भी ले जाया गया और कुछ दिन बाद विधवा होने का नाटक किया गया। पीड़ित परिवार की शिकायत के बाद पुलिस ने दोनों पक्षों को थाने बुलाकर समझौता करवा दिया है। मौके पर ही एक दूसरे पंडित को बुलवाकर ये भी बताया कि ये सब कुछ अंधविश्वास है। दैनिक जागरण के पास इस खबर की सारी जानकारी है, लेकिन बच्चे व लड़की के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उनकी पहचान नहीं उजागर की जा रही है।
पढ़ाई में अच्छे नंबर लाने की बात कह घर पर ही रख लिया था बच्चे को
बच्चे के परिजनों के अनुसार उनका बेटा युवती के घर ट्यूशन जाता था। एक दिन युवती ने कहा कि वह बच्चे को अपने पास ही कुछ दिन के लिए रख लेगी। यहीं रहकर वो तैयारी कर लेगा और पेपरों में अच्छे नंबर आ जाएंगे। परिवार ने कहा कि बेटे के भविष्य को देखते हुए वह मान गए और दस दिन बेटा युवती के घर ही रहा। पुलिस जांच में सामने आया कि शादी की रस्में व मौत का यह सारा नाटक पांच से छह दिन तक चला। बच्चा उतने दिन उनके घर पर ही रहा। बच्चे से घर के काम भी करवाए गए।