बठिंडा (हरिदत्त जोशी) . बठिंडा स्थित आदेश इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च की तरफ से अपने सभी मेडिकल छात्रों के लिए उपस्थिति संबंधी नियमावली जारी की है। इसमें कहा गया है कि पहली उपस्थिति सुबह 8 बजे, दूसरी शाम 4.00 बजे और तीसरी शाम 7.30 बजे से रात 9 बजे तक बायोमैट्रिक्स के माध्यम से दर्ज करवाना जरूरी होगा। इसमें रविवार और सभी सरकारी छुट्टियों में भी उपस्थिति लगाना लाजमी किया गया है।
यही नहीं इसमें कहा गया है कि उपस्थिति दर्ज करने में किसी भी तरह की देरी को तीन दिनों के लिए अनुपस्थित माना जाएगा और पोस्ट-फैक्टो मंजूरी के लिए छुट्टी आवेदन जमा करने के माध्यम से अनुपस्थिति को दूर करने का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। वही लगने वाली गैरहाजिरी को पहले से मौजूद निर्णय के आधार पर ही निपटाया जाएगा। इसका मतलब यह है कि दो मिनट की देरी से भी छात्रों को तीन दिन की अनुपस्थित की सजा के साथ-साथ तीन दिन के वजीफा का नुकसान भी होगा। मेडिकल कालेज की तरफ से जारी इस आदेश का समूह छात्रों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है वही इस मामले में आईएमए के मैंबर व मानवाधिकार कार्यकर्ता डां. वितुल कुमार गुप्ता ने विरोध जताया है। उन्होंने इस बाबत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, दिल्ली, पंजाब मानवाधिकार आयोग, चंडीगढ़ और राष्ट्र चिकित्सा आयोग को लिखित शिकायत भेजकर तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। आदेश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च बठिंडा के प्रिंसीपल की तरफ से जारी आदेश को उन्होंने अमानवीय और अनुचित करार दिया है। वही इसे छात्रों के मूल मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन करार दे संस्थान से जबावतलबी मांगने को कहा है। डॉ. वितुल ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन- 2021 में धारा 17.2 के तहत कहा गया है कि “पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल होने वाले सभी उम्मीदवार फुल वर्क करेंगे। प्रशिक्षण की अवधि के दौरान और प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के दौरान प्रदान किए गए प्रशिक्षण के कम से कम 80 प्रतिशत वर्क में भाग लेंगे।
इसके अलावा, गर्भवती स्नातकोत्तर छात्रों को मौजूदा नियमों और विनियमों के अनुसार मातृत्व अवकाश की अनुमति दी जाएगी। उन्हें वजीफा भी दिया जाएगा। हालांकि, मातृत्व अवकाश के कारण प्रशिक्षण कार्यक्रम में नुकसान हुए समय को पूरा करने के लिए संबंधित विश्वविद्यालय द्वारा उनका कार्यकाल फिर से तय किया जाएगा। डा. वितुल ने कहा कि कालेज ने एनएमसी के खिलाफ यह बहुत कठोर उपस्थिति नियम जारी किया है। नए नियम में छात्रों को हर दिन काम करने के लिए निर्देशित किया गया है और दो मिनट की देरी से उन्हें तीन दिन का खर्च आएगा। उपस्थिति और वजीफा की हानि भी होगी। डॉ. वितुल ने एनएचआरसी, पीएचआरसी के साथ-साथ एनएमसी से तत्काल हस्तक्षेप करने, जांच का आदेश देने और प्राचार्य, एआईएमएसआर को इन अमानवीय उपस्थिति दिशानिर्देशों को वापस लेने और तार्किक उपस्थिति नियमों को जल्द से जल्द बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।