Wednesday, July 28, 2010

थानों में पुलिस के दलाल फैला रहे हैं भ्रष्ट्राचार रुपी गंदगी

-लोगों को कानून का हौवा दिखाकर वसूल कर लेते हैं मोटी राशि
-कई राजनीतिक दलों केञ् नेता भी इस गौरखधंधे से पीछे नहीं रहे     
बठिंडा। थानों में व्याप्त भ्रष्ट्राचार को वहां आने वाले दलाल और पुलिस के मुखविर ही हवा देते हैं। पुलिस कर्मचारी व थानों में तैनात ड्यूटी अफसर सीधे तौर पर लोगों से पैसे की वसूली करने की बजाय इन दलालों और मुखविरों के सहारे ही पैसे वसूल करते हैं। इसके लिए इन लोगों को बकायदा भ्रष्ट्राचार से इकट्ठा किया पैसे का एक हिस्सा मिलता है। लोगों को कानून का हौवा दिखाकर डराने, लगी धाराओं के बारे में गलत प्रचार करने के साथ आरोपी को बचाने या फिर दूसरे पक्ष के केस को मजबूत करने की एवज में एक मुस्त राशि खर्च करने के लिए उक्त दलाल ही तैयार करते हैं। इसमें बकायदा लोगों को बताया जाता है कि उसकी तरफ से दी जाने वाली राशि का कितना हिस्सा किसके पास जाएगा। वर्तमान में जिले के हर थाने में इस तरह के दलालों की भारी भरमार है जो अपना कामकाज छोड़कर थानों में सुबह-सांय मड़राते दिख जाते हैं। इसमें कई राजनीतिक दलों के नेता तक शामिल है जो अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए थानों में इस तरह का धंधा चला रहे हैं। इसमें कई पूर्व व वर्तमान पार्षदों की एक लंबी सूची शामिल है। थानों में लोगों का सौदा करवाने की एवज में जहां वह वाहवाही लूटते हैं वही दूसरे पक्ष की जेब कांटकर अपनी जेब भी सुगमता से भर लेते हैं। इन लोगों को पुलिस कई केसों में झूठे गवाह के तौर पर भी पेश करती है ताकि जिस पार्टी से पैसा मिला है उसका केस मजबूत किया जा सके। 
गौरतलब है कि पुलिस विभाग के पास कर्मचारियों की भारी कमी है, जिसके चलते उन्हें विभिन्न स्थानों से सूचनाएं इकट्ठी करने के लिए मुखविरो की जरूरत पड़ती है। वर्तमान में जिले भर में इस तरह के मुखविरो की तादाद सैकड़ों में होगी। इनमें अधिकतर लोग ऐसे हैं जो कोई काम कार नहीं करते हैं बल्कि पुलिस को सूचना देकर व इसमें मिलने वाले मेहनताने से वह अपनी रोजी चला लेते हैं। शुरू में पुलिस के लिए उक्त लोग काफी कारगर साबित होते थे लेकिन धीरे-धीरे उक्त मुखविर पुलिस के सहयोगी कम और दलाल ज्यादा बन गए। हर केस में मोटी कमाई करने के लिए लोगों को झूठे केस में फंसना, उन्हें कानून का भय दिखाकर पैसे एठने का काम करने लगे हैं। पुलिस भी इन लोगों के मार्फत होने वाली मोटी कमाई के  चलते इन्हें हर तरह का संरक्षण प्रदान करती है। जिसमें उक्त लोग कई गैरकानूनी कार्य भी करने लगे हैं। जिसमें नशीले पदार्थों की तस्करी करना, थानों में बरामद अफीम, भुक्की में से कुछ हिस्सा निकालकर बेचने का धंधा शामिल है।
इन्हीं लोगों की एक अन्य केटागिरी नेता लोग दलालों की है जो पुलिस के पास केस लोगों का समझौता करवाने की इवज में लाते हैं व मामला दर्ज करवाने के बाद उससे बाहर निकलने के लिए पैसे की मांग करते हैं। समझौता करवाने वाले नेता दोनों पक्षों से पैसों की वसूली तो करता है साथ ही इसमें बड़ा हिस्सा पुलिस को दिलवाता है। फिलहाल पुलिस के आला अधिकारी थानों में भ्रष्ट्राचार समाप्त करने के दावे करती है वही पुलिस व पब्लिक के बीच की दूरी कम करने की बात कहती है लेकिन उक्त योजना तब तक सफल नहीं हो सकती है जब तक थानों में व्याप्त भ्रष्ट्राचार को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जाता है। इसके लिए पहले थानों में दलाली कर रहे इन तत्वों को बाहर निकालना होगा तभी थानों के अंदर का माहौल भी तबदील हो सकेगा। 


पोस्टिक दूध के नाम पर प्रतिदिन दे रहे हैं बच्चे को जहर

-बेड टी में डाले जाने वाले दूध में है कई खतरनाक केञ्मिकल 
-बठिंडा केञ् रोजगार्डन क्षेत्र में बनी है दर्जनों नकली दूध की ड्डैञ्タट्री 
-सुबह तीन से पांच बजे केञ् बीच खरीदते हैं बडे़ दूध उत्पादकों केञ् टैंकर 
बठिंडा। शरीर को स्वास्थ्य रखने के लिए प्रतिदिन सैर करने के बाद चाय का कप पीना दिनचार्य का हिस्सा बन गया है। वही बच्चा जब रोने लगता है तो उसे भी मां बोतल में दूध देकर चुप करवा देती है। इस दौरान हम जाने-अनजाने स्वयं के  साथ अपने लाल को तंदरुस्ती के लिए दिए जाने वाले दूध की जगह केमिकल वाला जहर दे रहे हैं। इस बाबत समय-समय पर नकली दूध की शिकायते मिलती रहती है लेकिन वर्तमान में हैरानी वाली बात यह है कि पैकेट में बंद दूध में कुछ कर्मचारी व वेरका जैसी कंपनियों को दूध बिक्री करने वाले लोग पैसे के लालच में नकली दुध केमिकल युक्त सप्लाई कर रहे हैं। उक्त लोग अगर सौ लीटर दूध कंपनी की प्लांट में देते हैं तो उसमें ४० फीसदी दूध केमिकल से बना होता है। यह दूध असली दूध के साथ मिलाकर इसकी मात्रा बढ़ा दी जाती है। वर्तमान में रोजगार्डन के नजदीक बनी कालोनियों में इस तरह का नकली दूध धडल्ले से सारी रात जागकर तैयार किया जाता है जिसमें सोड़ा, सोयाबीन, रिफाइड के साथ जहरीली केमिकल मिक्स कर कई टन दूध प्रतिदिन तैयार कर दिया जाता है। इस दूध को सुबह तीन से पांच बजे के बीच कई बड़ी दूध कंपनियों के टैंकर इकट्ठा कर मिल्क प्लांट में सप्लाई कर देते हैं। केमिकल से तैयार दूध जहां गाढ़ा लगता है वही इसमें डाले गए आरारोट जैसे तत्वों से मिलाई भी जम जाती है जिससे लोगों को इसका अभास ही नहीं होता है कि दूध नकली है या फिर असली। रोजगार्डन के साथ लगते रिहायशी इलाकों में चला रहे इस गौरखधंधे की जानकारी सेहत विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को भलीभांती से हैं इसके बावजूद इन लोगों पर किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती है। इस तरह का दूध तैयार करने वाले लोग बाहरी बस्तियों में अपना अड्डा बनाकर काम करते हैं इसमें लाल सिंह बस्ती, अमरपुरा बस्ती जैसे क्षेत्र में भी इस तरह का दूध तैयार करने वाले दलालों की भरमार है। लोगों के जीवन से सौदा करने वाले इन दलाल के पास जब पंजाब की सच टीम अपनी पहचान बदलकर पहुंची तो उक्त लोगों ने दो टूक शब्दों में कहा कि वह जो दूध तैयार करते हैं वह सीधा बड़ी दूध कंपनियों में प्रतिदिन पहुंचता है। इसमें सेहत विभाग के कुछ कर्मचारी उनसे अपना हिस्सा लेकर जाते हैं जिससे उन पर कोई भी हाथ नहीं डालता है। पुलिस के कुछ कर्मचारी भी उनके पास आते हैं जिसमें उन्होंने सभी का हिस्सा बांध रखा है। ऐसे में उनका धंधा बेरोकटोक चलता है। बड़ी कंञ्पनियों के ढोल जब नकली दूध लेकर जाते हैं तो उन्हें कोई भी नहीं रोकता है और न ही इस दूध का सैंपल भरा जाता है जिससे फंसने की संभावना न के बराबर रहती है। केमिकल से तैयार दूध वह मात्र पांच से सात रुपये लीटर तैयार करके देते हैं। इसमें भी उन्हें काफी कमाई हो जाती है। दूसरी तरफ जब उक्त दूध असली दूध के साथ मिक्स हो जाता है तो इसका दाम २८ रुपये प्रति किलो हो जाता है। इस तरह मिल्क प्लांटो में दूध सप्लाई करने वाले लोगों को भी मोटा मुनाफा हो जाता है। फिलहाल इस गौरखधंधे की तह पर जाए तो कई मामले ऐसे हैं जो मिल्क प्लांट के प्रबंधकों की कारगुजारी पर भी संदेह खड़ा करते हैं। इस तरह का धंधा आज से नहीं बल्कि लंबे समय से चल रहा है, अब सेहत विभाग के अधिकारियों के ध्यान में उक्त जालसाजी कभी क्यों नहीं आई, अगर कभी सैंपल भरे भी होगे तो फेल होने पर इसमें क्या कार्रवाई की गई। दूसरी तरफ दूध प्लांटों में दूध की गुणवत्ता जांच के लिए मशीने लगी है और इसमें कई तकनीकि माहिर जांच भी करते हैं, क्या इन माहिरों के ध्यान में उक्त धंधा सामने नहीं आया। इन तमाम तथ्यों व प्रश्न इस बात का खुलासा करते हैं कि दाल में काला है इसकी जानकारी सभी को है लेकिन पैसे के लेनदेन के चक्कर में कोई भी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। ऐसे में उपभोक्ताओं की जेब से असली दूध के पैसे झांडकर उन्हें  धडल्ले से जहर पिलाया जा रहा है। इस गंभीर मसले पर सेहत मंत्री लक्ष्मीकांता चावला का कहना है कि वह मामले की जांच के लिए सिविल अस्पताल प्रबंधकों को लिखेगी। यहां बताना जरूरी है कि इस केमिकल युक्त दूध से बच्चों में मानसिक विकार के साथ भूख न लगना, बीमार रहना, आंखों व मुंह के विकार के साथ कैंसर होने तक की संभावना रहती है। अगर इस तरह का दूध रुटीन में पिलाया जा रहा है तो बच्चे की मौत भी संभव है।   

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