Sunday, April 4, 2021

Bathinda/ कोरोना से दो लोगों की मौत वही 167 नए पोजिटव केस आए सामने, अब तक एिक्टव केसों की तादाद 1226 हुई


बठिंडा.
जिले में कोरोना वायरस के मामलों में आए दिन बढ़ोतरी ने जिला प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। रविवार को सेहत विभाग की तरफ से सांय जारी रिपोर्ट में दो लोगों के मरने की पुष्टी की गई जबकि 167 नए कोरोना पोजिटव केस मिले हैं। वर्तमान में स्थिति यह है कि अब तक जिले में 1226 एिक्टव पोजिटव केस हैं जबकि 280 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है।

इसमें होम आइसोलेशन में 830 लोगों को रखा गया है जबकि 396 मरीजों को हालत खराब होने की स्थिति में विभिन्न अस्पतालों में उपचार के लिए दाखिल करवाया गया है। रविवार को 8 लोगों को ठीक होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। सेहत विभाग के अनुसार जिले में अब तक एक लाख 78 हजार 301 लोगों के सैंपल लिए गए है। इसमें 13 हजार 492 लोगों की रिपोर्ट पोजिटव मिली जिसमें राहत वाली बात यह रही कि अब तक 11 हजार 538 लोगों को ठीक होने पर छुट्टी देकर घर भेजा जा चुका है। दूसरी तरफ अभी तक सेहत विभाग 23 पोजिटव लोगों को ट्रेस नहीं कर सका है जबकि 280 लोग ऐसे हैं जो कोरोना पोजिटव थे लेकिन उनके संपर्क नंबर व पत्ता गलत होने की स्थिति में उनके बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है।  


बठिंडा में गढ़वाल भ्रातृ मंडल ने लगवाया कोविड से बचाव के लिए वैक्सीनेशन कैंप, प्रधान सुरेश सिंह धमंदा ने लगवाई पहली वैक्सीन


बठिंडा.
रविवार को गढ़वाल भ्रातृ मण्डल बठिंडा की तरफ से स्थानीय दफ्तर व धर्मशाला गली नंबर 35 परस राम नगर में वेक्सीनेशन कैंप लगाया। इस दौरान सेहत विभाग की ओर से मुफ्त वेक्सिनेशन व डाक्टरों की टीम भेजकर कैंप को सफल बनाने में सहयोग दिया। इस केंप में भ्रातृ मंडल से जुड़े पदाधिकारियों व सदस्यों ने वैक्सीन लगाकर स्वयं को कोविड-19 से सुरक्षित बनाया। कैंप का आगाज सभा के प्रधान सुरेश सिंह धमंदा की तरफ से स्वयं को वैक्सीन लगवाकर किया। वही उन्होंने दूसरे सदस्यों व पदाधिकारियों को भी इसके लिए प्रेरित करते कहा कि वैक्सीन लगाने के बाद किसी भी तरह का नुकसान व शारीरिक दिक्कत पेश आती है बल्कि यह हमारे शरीर के अंदर रोगों से लड़ने की क्षमता को विकसित करती है व कोविड जैसी बीमारी से हमारा बचान करने में सहायता करती है। 

गढ़वाल भ्रातृ मंडल के प्रधान सुरेश सिंह धमांदा ने बताया कि उनका संगठन कोरोना को लेकर जहां पिछले एक साल से जागरुकता मुहिम चला रहा है व लोगों को इससे बचने के लिए प्रेरित कर रहा है वही लाकडाउन व विभिन्न प्रस्तिथियों में लोगों को राशन उपलब्ध करवाना, मास्क देना व उन्हें पंजाब से उत्तराखंड व मूल स्थानों में भेजने की व्यवस्था करने जैसे काम सफलतापूर्वक संपन्न किए। वही सरकार की तरफ से अब कोरोना से बचाव के लिए वैकसीन लगाई जा रही है। इसी कड़ी में उनकी संस्था ने फैसला लिया कि उनके सभी सदस्य व पदाधिकारी कोरोना वैक्सीन लगाएंगे व इस बाबत दूसरों को भी जगरुक करेंगे। पहले कैंप की सफलता के बाद संस्था जल्दी ही दूसरा कैंप लगाएगी।

फोटो -आयोजित कैंप में वैक्सीन लगवाते सभा के प्रधान सुरेश सिंह धमंदा व दूसरे पदाधिकारी। 


बठिंडा- नया शिक्षा सेशन शुरू पर बच्चों को नहीं मिल रही है बाजार में एनसीआरटी की किताबें, अभिभावकों को शहर की कुछ तय दुकानों से खरीदनी पड़ रही है महंगी किताबें


बठिंडा।
राज्य शिक्षा विभाग की तरफ से स्कूल प्रबंधकों को किताबें खरीदने के लिए बच्चों पर दबाब बनाने की स्थिति पर कारर्वाई की हिदायत दी है वही अब हालात ऐसे पैदा किए जा रहे हैं जिसमें बच्चों के अभिभावकों को न चाहते हुए भी एक ही दुकान से महंगे दाम में किताबों की खरीद करनी पड़ रही है। एक अप्रैल से स्कूलों में नया सेशन शुरू हो जाएगा। बच्चे नए सेशन में नई किताबें व नई ड्रेस की खरीददारी करने की तैयारी कर रहे है, लेकिन इसी दौरान अभिभावकों की चिंता भी बढ़ गई है। एक तरफ सरकार ने दस अप्रैल तक सभी स्कूल व कालेज बंद करने आदेश दिए हैं, ताकि कोरोना का असर विद्यार्थियों पर न पड़े। वहीं दूसरी तरफ बाजार में एनसीईआरटी की किताबें अभिभावकों को मिल नहीं रही है। इस स्थिति में अभिभावकों को शहर में एक ही तय दुकान से मेहंगे दामों पर किताबें खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। कई अभिभावकों को यह किताबें मिल ही नहीं रही है। गौर है कि हर वर्ष निजी स्कूलों की तरफ से कुछ कक्षाओं के विद्यार्थियों को एनसीआरटी की किताबें लगाई जाती है, लेकिन यह किताबे बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होती है क्योंकि अधिकतर दुकानदारों को चिंता रहती है कि स्कूल प्रबंधकों की तरफ से मोटे कमिशन के चक्कर में कुछ दुकानदारों तरफ से बताई पब्लिकेशन की किताबें लिखी जाती है व अपने स्कूल के आसपास ही दुकान खोलकर अभिभावकों को वहां से खरीदारी करने के लिए कहा जाता है। वही एनसीआरटी पब्लिकेशन की तरफ से भी बाजार में जरूरत अनुसार किताबे उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है। इन हालात में किताबे हर दुकान में नहीं मिलने के कारण बच्चों को मेहंगे दामों पर खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है। लेकिन अगर स्कूलों द्वारा एनसीईआरटी की किताबें भी कुछ क्लासेस के लिए लगती हैं तो किताबें उपलब्ध न होना भी एक समस्या बन रहा है।

आज अप्रैल से नया सेशन शुरू होने वाला है। ऐसे में अभिभावक किताबों के लिए बाजारों के चक्कर काटने के अलावा स्कूलों में भी जाकर किताबों के बारे में पूछ रहे हैं। लेकिन किताबें पूरी नहीं मिल पा रही। अभिभावकों द्वारा लंबे समय से मांग की जा रही है कि सरकार को इस ओर ध्यान देते हुए पर्याप्त नंबर में किताबें उपलब्ध करवानी चाहिए ताकि सेशन शुरू होने से पहले किताबें ली जा सकें।

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आनलाइन पढ़ाई भी बनी समस्या

एक बार फिर से स्कूल बंद होने के कारण अभिभावकों को बच्चो को आनलाइन पढ़ाई ही करवानी पड़ रही है। अब आनलाइन पढ़ाई में अभिभावकों को भी बच्चे को पढ़ाई करवानी पड़ती है, अगर इस बीच किताबें न मिली तो अभिभावक बच्चों को पढ़ाई कैसे करवा पाएंगे। एक तरफ स्कूल नहीं खुल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अभिभावकों को किताबें नहीं मिल रही है। जिस कारण आनलाइन पढ़ाई भी अध्यापकों के लिए समस्या बन गई है।

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किताबें नहीं मिल रही

हर वर्ष अभिभावकों को यह झेलना पड़ता है। किताबें न मिलने के कारण हमें निजी दुकानों पर किताबे खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। अब अभिभावकों को भी यह बात समझ नहीं आ रही है, कि वह करे क्या। नया सेशन शुरू होते ही बच्चे की पढ़ाई की टेंशन बढ़ जाती है।

संजीव जिंदल, प्रधान पैरेंट्स राइट एसोसिएशन

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किताब बदलने पर नुक्सान उठाना पड़ता है।

पहले तो एनसीईआरटी की किताबों के लिए एनसीईआरटी की बहुत सी शर्ते हैं। जिन्हें हर कोई पूरा नहीं कर पाता। वहीं, हर राज्य के मुताबिक एनसीईआरटी द्वारा किताबें भेजी जाती हैं। अगर साल पहले भी किताबें इकट्ठा करनी शुरु करें तो भी डिमांड पूरी नहीं हो सकती। वहीं ये भी नहीं मालूम होता कि एनसीईआरटी या सीबीएसई द्वारा एकदम सिलेबस या किताब ही बदल दी जाए को डीलर को नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि एक तो किताबों की सप्लाई बढ़ाए और जो भी सिलेबस हो उसे सेशन की शुरुआत से काफी पहले की अपडेट किया जाए।

-दीपक कुमार, बुक डीलर

 

बठिंडा सिविल अस्पताल में जिला डेंटल अफसर डा. नरेश सिंगला हुए रिटायर, विभाग ने दी विदायगी पार्टी


बठिंडा।
सरकारी अस्पताल में तैनात जिला डेंटल अफसर डा. नरेश सिंगला रिटायर हो गए। उनकी रिटायर्मेंट पर सेहत विभाग की ओर से भावभिनी विदायगी पार्टी दी। इस विदायगी पार्टी में सिविल सर्जन डा. तेजवंत सिंह ढिल्लो ने डा. नरेश सिंगला की ओर से आेपीडी के अलावा कोविड के दौरान दी सेवाओं की सराहना की। इस मौके पर समूह स्टाफ ने डा. सिंगला को यादगारी चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

बता दें कि डेंटल डा.नरेश सिंगला मोगा,बालियांवाली,रामपुरा में सेवाएं देने के 2012 से 2020 तक सिविल अस्पताल की ओपीडी में बतौर डेंटल डाक्टर के तौर पर सेवाएं दी। इस दौरान  2020 में जिला डेंटल अफसर के तौर पर प्रमोट होने के बाद से सिविल सर्जन आफिस में डिप्टी डायरेक्टर कम डीडीएचओ के तौर पर सेवाएं दीं। डा. सिंगला को विभाग के प्रति दी सेवाओं के बदले दो स्टेट अवार्ड और 100 के करीब प्रशंसा पत्र सेहत विभाग की ओर से दिए गए। इसके अलावा उन्होंने 22 मार्च 2020 से लेकर अब तक कोरोना वॉरियर के तौर पर काम करने के अलावा 250 वर्करों को ट्रेनिंग दी। इस दौरान उनको कोविड-19 सैंपलिंग के लिए जिला नोडल अफसर भी नियुक्त किया। 

उनकी विदायगी के मौके पर एसएमओ डा. मनिंदरपाल सिंह, एसएमओ डा. सुखजिंदर सिंह, डीएचओ डा. उषा गोयल, सहायक सिविल सर्जन डा. अनुपमा शर्मा, जिला टीकाकरण अफसर डा. मीनाक्षी सिंगला, जिला लैपरोसी अफसर डा. सीमा गुप्ता, डा. मनु गुप्ता, मनोचिकित्सक डा.अरूण बांसल, डा.उमेश गुप्ता, डा. रविंदर सिंह आहुवालिया,डा.सतीश जिंदल,ईएमओ डा. गुरमेल सिंह, बीटीओ डा. राजिंदर कुमार, डा. खुशदीप सिंह, डा. गिरिश, डा. डिंपी, डा. गुरिंदर कौार,डा. रमनदीप गोयल, डा. प्रियंका सिंगला, एसएमओ गोनियाना डा. अनिल गोयल, डीएमसी रमन सिंगला, डा. इंद्रप्रीत सिंह सरां, डा. गुरदीप सिंह मौजूद थे।

जागरण के पत्रकार नितिन सिंगला के दादा व नगर निगम से रिटायर्ड सीनियर सहायक स्वर्गीय सोहन लाल सिंगला के निमित श्री गरूड़ पुराणा पाठ का भोग कल

बठिंडा. बठिंडा के दैनिक जागरण समाचारपत्र के वरिष्ठ पत्रकार नितिन सिंगला के दादा व बठिंडा नगर निगम से रिटायर्ड सीनियर सहायक स्वर्गीय सोहन लाल सिंगला का बीती 26 मार्च को अचानक निधन हो गया। उनकी आत्मिंक शांति के लिए रखे गए श्री गरूड़ पुराण के पाठ का भोग छह अप्रैल दिन मंगलवार को वीर कालोनी स्थित वीर भवन बठिंडा में दोपहर एक से दो बजे बीच डाला जाएगा। उनके निधन पर बालियांवाली मूल निवासी सभा के प्रधान अशोक बालियांवालीरिटायर्ड एडीसी शिवदेव सिंह दंदीवालमोदन सिंह मानप्रेम जिंदलबालमुकंद गर्ग के अलावा निगम के रिटायर्ड ज्वाइंट कमिश्नर कमलकांत गोयल समेत विभिन्न समाजसेवी  राजनीतिक संस्थाओं ने उनके बेटे नरेश सिंगलाकेवल कृष्ण सिंगलाअशोक कुमार सिंगला व नरिंदर कुमार सिंगला के अलावा पारिवारिक मेंबरों के साथ शोक व्यक्त किया है।

 फोटो-स्वर्गीय सोहन लाल सिंगला की फाइल फोटो।

बंगी नगर की गली नंबर एक से तीन दिन से युवक लापता, परिजन परेशान

बठिंडाशहर के बंगी नगर की गली नंबर एक-तीन का निवासी 26 वर्षीय रवि कुमार बीती दो अप्रैल को संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गया है। वह दो अप्रैल की सुबह नौ बजे घर से नाश्ता करने के बाद बाजार के लिए गया थाजिसके बाद वह वापस लौटकर घर नहीं आया। लापता युवक रवि कुमार के पिता जीवत राम ने उसकी काफी तलाश कीलेकिन कहीं पर उसकी जानकारी नहीं मिली। इसके चलते उन्होंने अपने बेटे के लापता होने की सूचना थाना कैनाल कालोनी पुलिस के पास दर्ज करवा दी है। इसके बाद पुलिस युवक की तलाश शुरू कर दी है। वहीं लापता युवक के परिजन काफी परेशान है। फोटो-बीटीडी-1-लापता युवक की फाइल फोटो।

 

 

घर में हर रोज इस्तेमाल होने वाले दूध-पनीर से लेकर देसी घी में हो रही मिलावट -पूर्व एक साल में की गई सैंपलिग रिपोर्ट में 40 फीसद चीजें नहीं उतर रही है तय मानकों पर खरी


बठिंडा
. हमारी रोजाना खाने-पीने की बहुत सी चीजों में मिलावट पाई जा रही है, जोकि हमारी सेहत को बहुत हानि पहुंचाती है। यह एक तरह से धीरे-धीरे दी जाने वाले जहर के सामान ही है, जोकि अंत में व्यक्ति की जान ही ले लेता है। इसके इलावा शरीर के अंदरूनी अंगों पर भी इसका बहुत ही बुरा असर पड़ता है। ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में दुकानदार अपने सामान में बहुत ज्यादा मिलावट करते हैं और लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ भी करते हैं। ऐसी मिलावटी चीजें खाने से पेट से संबंधित गंभीर बीमारियां अल्सर, ट्यूमर आदि होने का बहुत ज्यादा खतरा रहता है। इतना ही नहीं सेहत विभाग की फूड टीम हर माह चेकिग कर विभिन्न खाद्य पदार्थो की सैंपलिग करता है और उन्हें जांच करने के लिए लैब भेजता है। सैंपल फेल होने पर एक्ट के मुताबिक जुर्माना या कार्रवाई की जाती है, लेकिन इसके बावजूद भी हर खाने-पीने की चीज में मिलावटखोरी का खेल चल रहा है। हाल यह है कि दूध और दूध से बने उत्पाद के साथ घरों में रोजाना इस्तेमाल होने वाली दालों से लेकर मसालों में और देसी घी से लेकर रिफाइंड समेत अन्य खाद्य पदार्थो में भी जमकर मिलावट की जा रही है। विभाग द्वारा पूर्व एक साल में की गई सैंपलिग रिपोर्ट में 40 फीसद चीजें तय मानकों पर खरी नहीं उतर रही है। हर दसवीं चीज में मिलावट हो रही है, जोकि इंसान के शरीर के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकती है। इसके चलते आम आदमी खाद्य पदार्थो में हो रही मिलावटखोरी से खासा परेशान है। बाजार में मिलने वाली हर चीज में कुछ न कुछ मिलावट जरूर है, जोकि लोगों के लिए एक चिता का विषय है। आज मिलावट का कहर सबसे ज्यादा हमारी रोजमर्रा की जरूरत की चीजों पर ही पड़ रहा है। ऐसे में भारी भरकम जुर्माना व सजा होने के बाद भी सेहत विभाग सौ फीसद मिलावटखोरी पर अंकुश लगाने में सफल नहीं हो रहा है। ऐसे में मिलावटखोर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने में पीछे नहीं हैं।

सेहत विभाग की फूड टीम की ढीली कारगुजारी
मिलावट रोकने के लिए सेहत विभाग की फूड टीम को हर माह कम से कम 100 खाद्य पदार्थों के सैंपल भरने होते हैं, लेकिन पूर्व एक साल माह में बठिडा फूड टीम ने महज 124 की सैंपल भरे, जबकि कम से कम 1200 सैंपल भरने जरूरी थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते 9 माह तक सब कुछ बंद रहने के कारण सैंपल नहीं भरे जा सके है। विभाग की तरफ से पूर्व एक साल में भरे गए 124 सैंपलों में 15 सैंपल फेल पाए है, जबकि 17 की रिपोर्ट आनी बाकी है। फेल हुए ज्यादा तरह सैंपल हररोज प्रयोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थो की है। विभाग की यह रिपोर्ट बताती है कि दूध और दूध से बने पदार्थो में सबसे ज्यादा मिलावटखोरी पाई गई है।

अब तक दस केसों में हो चुका है 15.56 लाख रुपए का जुर्माना

सेहत विभाग की मानने तो एक जनवरी 2018 से लेकर मार्च 2021 तक फूड सेफ्टी विभाग की तरफ से विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों के सैंपल भर गए थे, जिनमें में सैंपल फेल हुए। विभाग ने अब तक करीब 82 केसों में 15 लाख 56 हजार रुपए का जुर्माना करवाया है, जिसमें सबसे बड़ा जुर्माना पांच लाख रुपए वाला है। खाद्य उत्पाद विनियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों को उम्रकैद की सजा और दस लाख रुपये तक का दंड देने का प्रावधान है। एफएसएसएआई ने 2006 के खाद्य सुरक्षा और मानक कानून में संशोधन के बाद किया है। ऐसे में उस व्यक्ति पर कम से कम दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया सकता है।

चार घंटे की ट्रेनिग करनी होगी लाजमी
जिला फूड सेफ्टी अफसर डा. ऊषा गोयल ने बताया कि सेहत विभाग फूड एंड सेफ्टी स्टेंडर्ड एक्ट के तहत सरकार के तरफ से कुछ जरूरी दिशा निर्देश जारी कर रखे हैं। इसके तहत होटल-रेस्टोरेंट, ढाबा, फास्ट फूड बेचने वाले लोगों को किस प्रकार से अपनी दुकान में साफ-सफाई रखने के अलावा उनका बनाने की पूरी ट्रेनिग लेना लाजिमी है। ट्रेनिग हासिल करने वालों को सार्टिफिकेट जारी किया जाएगा।
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रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ रही है
सिविल अस्पताल बठिंडा की एमडी मेडिसन डा. रमनदीप गोयल का कहना है कि मिलावटी खाद्य सामग्री खाने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसी का नतीजा है कि पहले की अपेक्षा अब अधिक लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ रही है। खासकर मिलावटी खाद्य सामग्री इस्तेमाल करने से गंभीर बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है। मिलावटी मावा किडनी व लीवर को खराब कर सकता है। इससे संक्रमण पैदा हो सकता है। सिर दर्द, पेट दर्द व त्वचा रोग हो सकते हैं। पेट खराब होने व आंतों में संक्रमण होने की भी संभावना है। मावा या खोवा में मिलावट की पहचान रासायनिक व जैविक परीक्षण से की जा सकती है।
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ऐसे कर सकते है नकली मावा की पहचान
भौतिक रुप से भी नकली मावा को पहचाना जा सकता है। कुछ बातें ध्यान रखने से नकली मावा की पहचान कर सकते हैं, जैसे मावा सफेद या हलके पीले रंग का है तो वह मिलावटी हो सकता है। सूंघने पर मिलावटी मावे की खुशबू अजीब सी लगती है, जबकि ओरिजिनल मावा की महक अच्छी होती है। मावे को हाथ से रगड़ने पर ओरिजिनल होने पर घी छोड़ता है। चखकर देखने पर असली मावा का स्वाद अच्छा लगता है, नकली होने पर यह कड़वा लग सकता है। नकली मावा आसानी से पानी में नहीं घुलता। मिलावटी मावा बनाने में दूध पाउडर का इस्तेमाल होता है। इसमें रिफाइंड या वेजीटेबल ऑयल मिलाया जाता है। इसके अलावा रसायन, आलू, शकरकंदी का प्रयोग भी किया जाता है। इसमें डिटर्जेंट पाउडर, तरल जैल, चिकनाहट लाने के लिए रिफाइंड व मोबिल आयल एवं एसेंट पाउडर डाला जाता है। इतना ही नहीं मिलावटखोर कई बार यूरिया के घोल में पाउडर व मोबिल डालकर भी तैयार करते हैं।
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माह         सैंपल भरे/फेल हुए सैंपल
जनवरी 2020    15             4
फरवरी        26             2
मार्च          35             2
जून            6             1
जुलाई         14             3
अक्टूबर         9             3
नवंबर          9              0
जनवरी 21         10              0
फरवरी         25              0  (आठ पास है, जबकि 17 की रिपोर्ट पेडिंग है)
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तारीख                 फेल हुई आइटम
तीन जनवरी 2020                      दूध
तीन जनवरी 2020                     पनीर
तीन जनवरी                  दूध
आठ जनवरी                सोयाबिन तेल
तीन फरवरी                 खोया पेडा
तीन फरवरी                 खोया बर्फी
11
मार्च                    पनीर
13
मार्च                    देसी घी
14
जून                    पनीर
10
जुलाई                   दूध
10
जुलाई                   दूध
10
जुलाई                  हल्दी पाउडर
27
अक्टूबर                 पीसी हुई चीनी
27
अक्टूबर                 लाल राजमह
27
अक्टूबर                  रिफाइंड
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बठिंडा सेंट्रल जेल में बंद हवालतियों से चार मोबाइल फोन बरामद


बठिंडा
. केंद्रीय जेल बठिंडा में बंद कैदियों व हवालातियों से मोबाइल फोन नशा आदि मिलने का सिलसिला रुक नहीं रहा है। गत दिनों भी जेल में बंद चार हवालातियों से चार माेबाइल फोन बरामद हुए है। जिन्हें जेल प्रशासन ने अपने कब्जे में लेकर थाना कैंट में उनके खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। हवालातियों के पास मोबाइल फोन कैसे और कब पहुंचे। पुलिस इसकी जांच कर रही है। थाना कैंट के एएसआइ गुरविंदर सिंह ने बताया कि बीती दो अप्रैल को जेल में सर्च अभियान चलाया गया। इस दाैरान हवालाती ब्लाक में बंद हवालाती खुशवंत राये निवासी जैतो मंडी जिला फरीदकोटमंदर सिंह निवासी गांव अकालिया जलाल जिला बठिंडागगनदीप सिंह निवासी गांव कैलेबांदर जिला बठिंडा और दरबारा सिंह निवासी चक शेरे वाला जिला श्री मुक्तसर साहिब की तलाशी ली गईतो उनके पास से विभिन्न कंपनियों के चार मोबाइल फोन बरामद हुए। पुलिस ने चारों मोबाइल फोन अपने कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है।

24 बोतल शराब समेत एक काबू

बठिंडा. थाना मौड़ पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर माैड़ मंडी से 24 बोतल देसी शराब समेत एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर मामला दर्ज किया है। जिसके खिलाफ एक्साइज एकट के तहत मामला दर्ज कर अगली कार्रवाई शुरू कर दी है। एएसआइ राजवीर सिंह ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली कि मौड़ मंडी निवासी अवतार सिंह शराब तस्करी का काम करता है। सूचना के आधार पर पुलिस ने छापेमारी कर आरोपित को 24 बोतल देसी शराब समेत गिरफ्तार कर मामला दर्ज किया गया।

दो कारों की टक्कर में एक हवलदार की मौत, कार चालक पर केस दर्ज

बठिंडा. बीती दो अप्रैल को गांव अकालियां कलां के पास दो कारों की हुई आपसी भिंड़त में एक हवलदार की मौत हो गई थी। इसके चलते थाना नेहियांवाला पुलिस ने एक कार चालक पर मामला दर्ज कर अगली कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस को शिकायत देकर बलविंदर सिंह निवासी गांव रोड़ीकपूरा जिला फरीदकोट ने बताया कि बीती दो अप्रैल को वह और हवलदार एकत्र सिंह निवासी रोड़ीकपूरा जिन कार नंबर डीएल-2सीआर-1329 पर सवार होकर जा रहे थे। इस दौरान आरोपित सुखजिंदर सिंह निवासी अमृतसर ने अपनी कार नंबर पीबी-05ए-2348 से गांव अकालियां कलां के पास उनकी कार को जोरदार टक्कर मार दी। हादसे में हवलदार एकत्र सिंह की मौत हो गई। पुलिस ने आरोपित कार चालक पर मामला दर्ज कर अगली कार्रवाई शुरू कर दी है।

Bathinda/पत्नी से परेशान व्यक्ति ने निगली जहरीली चीज, इलाज के दौरान मौत, पत्नी व ससुर पर किया मामला दर्ज


बठिंडा
. शहर के बसंत बिहार निवासी 31 वर्षीय एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी से परेशान होकर कोई जहरीली चीज निगल ली। 9 दिन के इलाज के बाद व्यक्ति ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। थाना सिविल लाइन पुलिस ने मृतक युवक के पिता की शिकायत पर आरोपी पत्नी व उसके ससुर पर आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज कर अगली कार्रवाई शुरू कर दी है। फिलहाल आरोपी की गिरफ्तारी होनी बाकी है। पुलिस को शिकायत देकर बसंत बिहार निवासी सुरजीत सिंह ने बताया कि उसके 31 वर्षीय बेटे बरिंदरपाल सिंह की शादी गांव निहाल सिंह वाला निवासी गुरप्रीत कौर के साथ हुई थी। दोनों पति-पत्नी के बीच किसी बात को लेकर लड़ाई झगड़ा चल रहा था, जिसके चलते आरोपित गुरप्रीत कौर उसके बेटे के साथ नहीं रहना चाहती थी, जबकि उसका बेटा उसे अपने साथ पास रखना चाहता था, लेकिन उसकी बहू गुरप्रीत कौर व उसका ससुर बलदेव सिंह उसे तंग परेशान करते थे और उसे धमाकते भी थे। जिसे परेशान होकर बीती 24 मार्च को उसके बेटे बरिंदरपाल सिंह ने घर में पड़ी कोई जहरीली चीज निगल ली, जिसके बाद उसकी हालत गंभीर हो गई और उसे इलाज के लिए बठिंडा के आईवीवाई अस्पताल में भर्ती करवाया गया। 9 दिन के इलाज के बाद बीती तीन अप्रैल को उसकी इलाज के दाैरान मौत हो गई। थाना सिविल लाइन पुलिस ने आरोपित पत्नी गुरप्रीत कौर व ससुर बलदेव सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर अगली कार्रवाई शुरू कर दी है।

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इलेक्ट्रो होम्योपैथी पितामह डॉ.काउंट सीजर मैटी की 125वी बरसी पर श्रद्धांजलि समारोह मनाया


बठिंडा:
इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के पितामह डॉक्टर काउंट सीजर मैटी की 125वी बरसी पर पुष्प माला अर्पित कर  श्रद्धांजलि समारोह मनाया गया। बठिंडा के सीसीएम इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रोहोम्योपैथी में मनाए गए उक्त कार्यक्रम में इंस्टीट्यूट के एमडी डॉ. प्रो. हरविंदर सिंह, (पंजाब प्रधान, इलेक्ट्रो होम्योपैथी फाऊंडेशन) मैडिकल ऑफिसर डॉ वरिंदर कौर, डॉ. स्वामीनाथ भारद्वाज, डॉ बलदेव रत्न, डॉ राजिंदर, डॉ. मंदीप धूड़िया, डॉ. रितेश श्रीवास्तव, डॉ गुरप्रीत सिंह, डॉ कमलकांत, डॉ. संतोष ढिल्लो, डॉ सुनंदा चौहान, डॉ नानक चंद आदी खास तौर पर उपस्थित थे। 

सीसीएम इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी के एमडी डॉ. प्रो. हरविंदर सिंह और सीईओ अल्केमी डॉ परमिंदर सिंह चौहान ने कहा कि उक्त पैथी सस्ती है। आम आदमी की पहुंच में है। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं। गंभीर से गंभीर बीमारियों में यह चमत्कारी प्रभाव दिखाती हैं। सरकार को चाहिए कि इस को जल्द से जल्द मान्यता दे। ताकि इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से जुड़े क्वालीफाइडस को सरकारी नौकरी मिल सके। 

इलेक्ट्रो होम्योपैथी के फॉदर डॉ काउंट सीजर मैटी ने 1865 में की थी  ख़ोज


इलेक्ट्रो होम्योपैथी के जन्मदाता काउंट सीजर मैटी इटली देश के बलोग्ना सिटी (Bologna city) में निवास करते थे इनका जन्म 11 जनवरी 1809 ई0 को हुआ था। यह एक जमीदार व धनवान पुरुष थे। इन्होंने रोम के तत्कालीन पोप को , ऑस्ट्रिया के आक्रमण को रोकने के लिए अपनी जमीन का कुछ हिस्सा भेट कर दिया था । इसी भेंट के उपलक्ष में इन्हें काउंट की उपाधि दी गई थी ।


इसी समय इन्हे फौज में लेफ्टिनेंट कर्नल भी बना दिया गया था । कुछ समय के बाद यह मजिस्ट्रेट भी बनाए गए थे । अंत में इन्हें रोम की पार्लियामेंट का सदस्य चुना गया परंतु पार्लियामेंट में रूक्ष वाद-विवाद करने में इनको रुचि नहीं आई उन्होंने सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।

काउन्ट मैटी को चिकित्सा विज्ञान में बड़ी रूचि थी। इसलिए उन्होंने तत्कालीन चिकित्सा पद्धतियों की पुस्तकों का अध्ययन करना शुरू कर दिया । उस समय आयुर्वेद, यूनानी, एलोपैथी, का बड़ा बोलबाला था। डॉक्टर हनीमैन द्वारा आविष्कृत होम्योपैथी भी लड़खडाते कदमों में चल रही थी । काउंट मैटी ने तत्कालीन प्रचलित वैदक शास्त्रों को अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला कि यह सभी चिकित्सा पद्धतियां दोष पूर्ण है । कोई ऐसी पद्धति तैयार की जाए जिसने कोई दोष न हो बहुत सोच समझकर उन्होंने एक ऐसी चिकित्सा पद्धति तैयार की जो आयुर्वेद और होम्योपैथी का मिश्रण था । जब इस चिकित्सा पद्धति का मैटी ने रिजल्ट देखा तो होम्योपैथी से बहुत फास्ट था । इसलिए सन 1865 ई0 में उन्होंने इस पैथी का नाम ” इलेक्ट्रो होम्यो पैथी ” रखा।

मैटी की दवाइयां बहुत कारगर थी और मैटी भी प्रभाव शाली व्यक्ति थे । इसलिए रोम के एक सरकारी अस्पताल (SanTheresa Hospital Rome) में इलाज करने का इन्हें एक अवसर सरकार की तरफ से दिया गया ताकि दवाओं का सही ढंग से परीक्षण किया जा सके । बोलोग्ना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पासक्यूसी एम .डी. (Professor Pascucci M.D.) ने उस अस्पताल की उस वर्ष की वार्षिक रिपोर्ट में लिखा है कि मैटी की औषधियां बहुत कारगर साबित हुई है । इन की लोकप्रियता इतनी थी कि मरीजों को संभालने के लिए आर्मी का सहारा लेना पड़ता था।


मैटी इस पैथी को 25-30 वर्ष तक बखूबी चलाते रहे और बहुत से रोगों को ठीक किया । यूरोप के बहुत देशों में अब तक फैल चुकी थी । इतना ही नहीं बल्कि भारत में भी यह पैथी प्रवेश कर गई थी । दक्षिण भारत (कंकनाड़ी, मंगलूर ) मे फादर मुल्लर (जो काउंट सीजर मैटी के दोस्त थे ) का एक अस्पताल है । जिसमें काउंट सीजर मैटी आए थे । उस अस्पताल के बनवाने के लिए 2500/ भी दान में दिया था जिसका नींव पत्थर अस्पताल में लगा था लेकिन यह सब करते करते काउंट सीजर मैटी की आयु बढ़ चुकी थी । पुत्र का आभाव था इसलिए औषधि बनाने का सारा कार्य अपने दामाद मारियो वेन्ट्रोली ( Mario Venturoli ) मैटी को सौंप दिया था। जब ( लगभग 9 साल तक) तक जीवित रहे फार्मेसी की देखरेख करते रहे लेकिन मौत किसी को छोड़ती नहीं अब तक उनकी आयु लगभग 87 वर्ष की हो चुकी थी । 3 अप्रैल सन् 18 96 ई0 को सुबह 7:00 बजे उनके किले रोचटा ( Rochetta ) में उनकी मृत्यु हो गई थी । मैटी तो चले गए लेकिन इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से उनका नाम अमर हो गया।

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