Wednesday, July 14, 2010

असहाय लोगों के लिए काम कर रहा है राजीव गांधी विचार मंच

-प्रदेश वाईस चेयरमैन अमरजीत सिंह ग्रेवाल का महत्वपूर्ण योगदान
-अब बठिंडा के साथ मालवा में मंच को मजबूत करने का काम 
बठिंडा। स्वर्गीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी युवाओं के साथ निर्बल व असहाय लोगों के उत्थान के लिए जीवनभर संघर्ष करते रहे। उन्होंने प्रधानमंत्री रहते इस वर्ग के लिए जितना काम किया वह बेमिशाल रहा। वर्तमान में उनकी ही विचारधारा व सोच को लेकर राजीव गांधी  विचार मंच देश भर में काम कर रहा है। पिछले ढ़ाई साल से इस मंच ने पंजाब में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। ढ़ाई साल पहले गरीबों, बेसहारा लोगों के उत्थान के साथ समाज में फैली बुराईयों के खिलाफ काम करने की शपथ लेकर शुरू हुए राजीव गांधी विचार मंच ने कम समय में ही अपनी नई पहचान बनाने में सफलता हासिल की है।
मंच को बुलंदियों में पहुंचाने के लिए प्रदेश वाईस चेयरमैन अमरजीत सिंह ग्रेवाल का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने इस मंच को पंजाब के विभिन्न जिलों में स्थापित करवाने के साथ बडे़ स्तर पर इसके सदस्य बनाने की मुहिम शुरू की। उनकी मेहनत का नतीजा ही रहा कि  ढाई साल में पंजाब के अंदर छह लाख ६८ हजार सदस्य बने हैं। इस मंच की खास बात यह है कि इसके साथ अधिकतर ऐसा वर्ग है जो गरीब व पिछड़ा है। इस मंच के चेयरमैन बलवीर सिंह है, जो समय-समय पर संस्था को अपना सहयोग देने के साथ उसके कार्य विस्तार को लेकर अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। मंच ने गरीब महिलाओं के उत्थान के लिए मुहिम चलाई जिसमें महिलाओं को स्वालंबी बनाने के साथ अपने पैरों में खड़ा करने के लिए सिलाई सेंटर खोलने का सिलसिला शुरू किया। इसके तहत राज्य में अब तक १२५ सिलाई सेंटर चल रहे हैं जिसमें महिलाओं को निशुल्क सिखलाई प्रदान की जाती है जिसमें छह माह का कोर्स करवाने के साथ बकायदा प्रमाणपत्र भी दिया जाता है। इसके साथ ही राजीव गांधी विचार मंच गरीब घरों की लड़कियों के विवाह में भी समय-समय पर सहयोग प्रदान करता है। जो परिवार ज्यादा जरूरुतमंद होता है उसे मंच के पदाधिकारी ४७ हजार रुपये का सामान देते हैं। इसके इलावा गरीब वर्ग की लड़की के विवाह में शगुन के तौर पर ११०० व ५१०० रुपये की सहायता भी प्रदान की जाती है।
राजीव गांधी विचार मंच के प्रदेश वाईस चेयरमैन अमरजीत सिंह ग्रेवाल का कहना है कि उनका मंच मानता है कि समाज में फैली बुराईयों को दूर करे बिना राष्ट्र का निर्माण संभव नहीं हो सकता है। इसी सोच के चलते समय-समय पर समाज में जागृति लाने व सामाजिक बुराईयों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए  सेमिनार का आयोजन भी किया जाता है। वर्तमान में मंच के महासचिव सुखदेव सिंह राज्य भर में मंच को बुलंदी में पहुंचाने के लिए कामं कर रहे हैं। मंच को प्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस सुप्रीमों सोनिया गांधी देखती है व समय-समय पर मंच का मार्गदर्शन करती है।
उन्होंने बताया कि राज्य भर में जिस तरह के मंच का कार्य विस्तार हुआ उससे मंच में नए व वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की तादाद भी बढ़ने लगी। इसके लिए उन्होंने सोनिया गांधी से पदाधिकारियों को समुचित सम्मान देने की अपील की थी जिसे स्वीकार करते हुए उन्होंने मंच के कार्यविस्तार की अनुमति प्रदान कर दी व छह नए विंग बनाने के आदेश दिए। इसी के तहत वर्तमान में एससीबीसी विंग, महिला विंग व स्पोर्टं‌स सैल, बीसी सैल अपना काम कर रहा है। इसमें बीसी सैल के प्रधान लक्खा सिंह बलटौवा है जबकि महिला सैल की प्रधान कमलजीत कौर है जो मंच की मजबूती में सहयोग दे रही है। वर्तमान में राजीव गांधी विचार मंच बठिंडा के इलावा मालवा में मंच को मजबूत करने व इसके कार्यविस्तार के लिए काम कर रहा है, जिसमें एक मुस्त योजना बनाकर व्यवहार में योजना को लागू किया जा रहा है।
प्रस्तुतिः-बब्बल गर्ग

एचटूपी प्रोजेक्ट के तहत लगाया एकदिवसीय शिविर

बठिंडा : स्थानीय ड्यून्स क्लब में इंडियन रेड क्रोस सोसायटी की ओर से ह्यूमनट्रीयन पेनडेमिक प्रपेर्डनेस प्रोजेक्ट (एचटूपी प्रोजेक्ट) के तहत स्वाईन फ्लू व अन्य महामारियों से निबटने हेतु लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए जिले भर से करीबन 25 लोगों को बुलाया गया। इस एकदिवसीय जागरूकता शिविर में समाज सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों, आरएमपी डॉक्टरों व अन्य लोगों ने भाग हिस्सा लिया। प्रशिक्षिण व जागरूकता हेतु आयोजित इस शिविर में प्रोजेक्ट डायरेक्टर आरवी वर्मा विशेष तौर पर पहुंचे, जिन्होंने शिविर में उपस्थित लोगों को स्वाईन फ्लू व अन्य महामारियों से निबटने के लिए कुछ खास बातें बताई, ताकि जो किसी महामारी के फैलने पर उसको रोकने के लिए व्यापक प्रबंध किए जा सके। इस मौके पर अन्य लोगों के अलावा सेहत विभाग की ओर से डॉ.धर्मपाल सेखों, रेड क्रास सचिव जेआर गोयल, रेड क्रास सुपरवाईजर नरेश पठानियां, रिपोर्टिंग ऑफिसर हरकृष्ण शर्मा, रेड क्रास कर्मचारी विद्या सागर व अजय गोयल आदि उपस्थित थे। इस मौके पर संबोधित करते हुए अलग अलग वक्ताओं ने स्वाईन फ्लू के लक्षणों व उनको फैलने से रोकने हेतु भरपूर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऐसी बीमारियों से निबटने के लिए सबसे बेहतर होता है बचाओ। इस लिए ध्यान रखें हाथों को निरंतर धोएं, छींकते समय मुंह पर रुमाल रखें, बीमार व्यक्ति से दूरी बनाए रखें व बीमार व्यक्ति को अलग कमरे में रखें। ज्ञात रहे कि एच1एन1 एक नया फ्लू है, जो लोगों में दमे की बीमारी पैदा कर रहा है। इस वायरस को सबसे पहले 18 मार्च 2009 को मैकसिको में पंछियों व सूअरों में पाया गया। इसके बाद यह बीमारी यूनाईटेड स्टेट व कनेडा में फैल गई। सूत्र बताते हैं कि अब तक इस बीमारी की चपेट में करीबन दुनिया भर के 209 देश आ चुके हैं, जिसमें भारत भी शामिल है। उधर, डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार 24 जनवरी तक दुनिया भर में स्वाईन फ्लू से लगभग 14711 मौतें हुई, जबकि भारत में 1194 मौतें। इतना ही नहीं, इस बीमारी से ग्रस्त 28596 केस सामने आए थे।

संस्था ने करवाया अंतिम संस्कार
बठिंडा : स्थानीय समाज सेवी संस्था सहारा जन सेवा ने एक प्रवासी मजदूर का पूरी धार्मिक रीति के अनुसार अंतिम संस्कार करवाया। जानकारी के अनुसार गत दिवस दौरा पड़ने से संगत मंडी के नजदीक स्थित गांव बांडी में 50 वर्षीय प्रवासी मजदूर मखतयार सिंह की दौरा पड़ने से मौत हो गई थी, जिसका अंतिम संस्कार करने के लिए उसकी पत्नि व 5 वर्षीय बच्ची के पास पैसे नहीं थे। वो मदद के लिए दर ब दर भटक रही थीं, ऐसे में सहारा जन सेवा को सूचना मिली, जिन्होंने मामले की पूरी पैरवी करने के बाद मृतक का अंतिम संस्कार धार्मिक रसमों के साथ करवाया। ज्ञात रहे कि उक्त मजदूर राजस्थान का रहने वाला था, वो पिछले छह माह से उक्त गांव में मजदूरी कर रहा था। 

घर में घुसकर की मारपीट, दो गंभीर घायल

बठिंडा : स्थानीय अमरपुरा बस्ती में गत रात उस समय तनाव का माहौल बन गया, जब एक घर में कुछ व्यक्तियों ने घूसकर मारपीट करना शुरू कर दिया। इस हादसे में घायल हुए लोगों को स्थानीय संस्था सहारा जन सेवा ने समय रहते स्थानीय सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया। सिविल अस्पताल में भर्ती घायल हरदेव सिंह ने बताया कि गत दिवस उसका पुत्र टोनी स्थानीय राशन डिपो पर तेल लेने के लिए गया। डिपो मालकों ने तेल देने से मना कर दिया, जिसके बाद वहां कहासुनी हो गई। इसके बाद मामला पूरी तरह शांत हो गया था, मगर आधी रात के करीब डिपो मालक अपने कुछ साथियों के साथ हमारे घर में आ धमका, जिन्होंने हमारे साथ बदसलूकी करते हुए मारपीट की। इस बाद वो मेरे बेटे टोनी को उठाकर ले गए, और उसके साथ खूब मारपीट गई। किसी ने संस्था को सूचना की, और संस्था के कार्यकर्ताओं ने घटनास्थल पर पहुंचकर इस घायल परिवार के सदस्यों को स्थानीय सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया। पुलिस ने घायल लोगों के बयान लेने के बाद शिकायत दर्ज करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है। सूत्र बताते हैं कि हरदेव सिंह व उसके पुत्र टोनी सिंह को काफी चोटें लगी हैं, जबकि अन्य सदस्य को मालूमी चोटें लगी।

शहीदे आजम व उसकी छवि

जब दिल्ली में बैठे हुक्मरान कहते हैं कि शहीदे आजम भगत सिंह हिंसक सोच के व्यक्ति थे, तो भगत सिंह को चाहने वाले, उनको आदर्श मानने वाले लोग दिल्ली के शासकों कोसने लगते हैं, लेकिन क्या यह सत्य नहीं कि शहीदेआजम की छवि को उनके चाहने वाले ही बिगाड़ रहे हैं।

अभी कल की ही बात है, एक स्कूटर की स्पिटनी वाली जगह पर लगे एक टूल बॉक्स पर भगत सिंह की तस्वीर देखी, जो भगत सिंह के हिंसक होने का सबूत दे रही थी। यह तस्वीर हिन्दी फिल्म अभिनेता सन्नी दिओल के माफिक हाथ में पिस्टल थामे भगत सिंह को प्रदर्शित कर रही थी। इस तस्वीर में भगत सिंह को निशाना साधते हुए दिखाया गया, जबकि इससे पहले शहर में ऐसी तमाम तस्वीरें आपने देखी होंगी, जिसमें भगत सिंह एक अधखुले दरवाजे में पिस्टल लिए खड़ा है, जो शहीदे आजम की उदारवादी सोच पर सवालिया निशान लगती है। जब महात्मा गांधी जैसी शख्सियत भगत सिंह जैसे देश भगत पर उंगली उठाती है तो कुछ सामाजिक तत्व हिंसक हो उठते हैं, तलवारें खींच लेते हैं, लेकिन उनकी निगाह में यह तस्वीर क्यों नहीं आती, जो भगत सिंह की छवि को उग्र साबित करने के लिए शहर में आम वाहनों पर लगी देखी जा सकती हैं।

यहां तक मुझे याद है, या मेरा अल्प ज्ञान कहता है, शायद भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर केवल सांडरस को उड़ाया था, वो भी शहीद लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए, इसके अलावा किसी और हत्याकांड में भगत सिंह का नाम नहीं आया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर फिर भगत सिंह की ऐसी ही छवि क्यों बनाई जा रही है, जो नौजवानों को हिंसक रास्ते की ओर चलने का इशारा कर रही हो। ऐसी तस्वीरें क्यों नहीं बाजार में उतारी जाती, जिसमें भगत सिंह को कोई किताब पढ़ते हुए दिखाया जाए। उसको एक लक्ष्य को हासिल करने वाले उस नौजवान के रूप में पेश किया जाए, जो अपने देश को गोरों से मुक्त करवाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा चुका है। भगत सिंह ने हिंसक एक बार की थी, लेकिन उसका ज्यादातर जीवन किताबें पढ़ने में गुजरा है। भगत सिंह किताबें पढ़ने का इतना बड़ा दीवाना था कि वो किताब यहां देखता वहीं से किताब कुछ समय के लिए पढ़ने हेतु ले जाता था। जब भगत सिंह को फांसी लगने वाली थी, तब भी वो किसी रूसी लेखक की किताब पढ़ने में व्यस्त थे, भगत सिंह की जीवनी लिखने वाले ज्यादातर लेखकों का यही कहना है।

फिर भी न जाने क्यों पंजाब में भगत सिंह की उग्र व हिंसक सोच वाली तस्वीरों को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। पंजाब अपने बहादुर सूरवीरों व मेहमाननिवाजी के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है, लेकिन कुछ कथित उग्र सोच के लोगों के कारण पंजाब की साफ सुथरी छवि को ठेस लगी है, हैरत की बात तो यह कि बाहरी दुश्मनों को छठी का दूध याद करवाने वाला पंजाब अपने ही मुल्क में ब्लैकलिस्टड है, जिसके बारे में यहां के गृहमंत्री को भी पता नहीं।

हमारी राज्य सरकार, पानी की रॉल्यटी को लेकर पड़ोसी राज्यों से तू तू मैं मैं कर रही है, लेकिन वो भी उस पानी के लिए जो कुदरत की देन है, जिसमें पंजाब सरकार का कुछ भी योगदान नहीं, ताकि आने वाले चुनावों में लोगों को एक बार फिर से मूर्ख बनाया जाए कि हमारा पानी के मुद्दे पर संघर्ष जारी है। यह सरकार पंजाब को खुशहाल, बेरोजगारी व भुखमरी मुक्त राज्य क्यों नहीं बनाने की तरफ ध्यान दे रही, कल तक बिहार को सबसे निकम्मा राज्य गिना जाता था, लेकिन वहां हो रहा विकास बिहार की छवि को राष्ट्रीय स्तर पर सुधार रहा है, मगर पंजाब सरकार राज्य पर लगे ब्लैकलिस्टड के धब्बे को हटाने के लिए यत्न नहीं कर रही, यह धब्बा भगत सिंह पर लगे हिंसक सोच के व्यक्तित्व के धब्बे जैसा है, जिसको सुधारना हमारे बस में है। जितना क्रांतिकारी साहित्य भगत सिंह ने पढ़ा था, उतने के बारे में तो उनके प्रशंसकों ने सुना भी नहीं होगा। शर्म से सिर झुक जाता है, जब भगत सिंह की हिंसक तस्वीर देखता हूं, जिसमें उसके हाथ में पिस्टल थमाया होता है। चित्रकारों व अन्य ग्राफिक की दुनिया से जुड़े लोगों से निवेदन है कि भगत सिंह की उस तस्वीर की समीक्षा कर देखे व उस तस्वीर को गौर से देखें, जिसमें वो लाहौर जेल के प्रांगण में एक खटिया पर बैठा है, एक सादे कपड़ों में बैठे हवलदार को कुछ बता रहा है, क्या उसके चेहरे पर कहीं हिंसा का नामोनिशान नजर आता है। अगर भगत सिंह हिंसक सोच का होता तो दिल्ली की असंबली में बम्ब फेंककर वो धुआं नहीं फैलाता, बल्कि लाशों के ढेर लगाता, लेकिन भगत सिंह का एक ही मकसद था, देश की आजादी, सोए हुए लोगों को जगाना, लेकिन मुझे लगता है कि सोए हुए लोगों को जगाना समझ में आता है, लेकिन उन लोगों को जगाना मुश्किल है, जो सोने का बहाना कर रहे हैं, उस कबूतर की तरह जो बिल्ली को देखकर आंखें बंद कर लेते है, और सोचता है कि बिल्ली चली गई। भगत सिंह जैसे शहीदों ने देश को गोरों से तो आजाद करवा दिया, लेकिन गुलाम होने की फिदरत से आजाद नहीं करवा सके। भगत सिंह जैसे सूरवीरों ने अपनी कुर्बानी राष्ट्र के लिए दी, ना कि किसी क्षेत्र, भाषा व एक विशेष वर्ग के लिए, लेकिन सीमित सोच के लोग, उनको अपना कहकर उनका दायरा सीमित कर देते हैं, जबकि भगत सिंह जैसे लोग यूनीवर्सल होते हैं। भगत सिंह की बिगड़ती छवि को बचाने के लिए वो संस्थाएं आगे आएं, जो भगत सिंह पर होने वाली टिप्पणी को लेकर मारने काटने पर उतारू हो जाती हैं।

स्वच्छ जल के लिए १२८०.३० करोड़ का प्रोजेक्ट : पुरी

नितिन/राकेश
बठिंडा। राज्य के  गांवों में दूषित पानी के  कारण बढ़ रही बीमारियों से निपटने के  लिए राज्य सरकार की ओर से १२८०.३० करोड़ की लागत वाला पंजाब ग्रामीण जल सप्लाई व सेनिटेशन प्रोजेक्ट स्थापित कर राज्य के गांवों में पीने वाला साफ व सुरक्षित पानी मुहैया करवाया जाएगा, जो विश्व बैंक की वित्त सहायता से चलाया जा रहा है।
इस प्रोजेक्ट को कामयाब करने के  लिए जल सप्लाई व सेनिटेशन विभाग के जिला प्रोग्राम प्रबंधन सेल, बठिंडा की ओर से विगत दिवस मेहता रिसोर्ट मौड़ मंडी में ब्लॉक मौड़ के  १२ गांवों के  पंच-सरपंचों व ब्लॉक समिति सदस्य के  लिए पंचायती राज्य संस्थाओं के शक्तिकरण सबंधी ट्रेनिंग प्रोग्राम करवाया गया।
इस प्रोग्राम में ब्लॉक समिति मौड़ के चेयरमैन बलजिंदर सिंह पुरी बतौर विशेष मेहमान पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने पंचायतों को आगे आने व गांवों को साफ पानी मुहैया करवाने के  लिए जल सप्लाई की इस योजना को अपनाने व सफलतापूर्वक ढंग से चलाने को ही पंचायती राज्य की शक्तिकरण की एक मिसाल देकर प्रेरित किया।
इस मौके पर प्रोग्राम प्रबंधन सेल बठिंडा की ओर से अमनदीप सिंह, उप मंडल इंजीनियर, कुञ्लदीप गांधी, राजदीप सिंह बराड़, राजेंद्र सिंह व गुरइकबाल सिंह, गुरविंदर सिंह मान व बीडीपीओ गुरतेज सिंह उपस्थि थे।

महानगरी में नहीं सुधर रही है सड़कों की स्थिति, हादसों की भरमार

-करोड़ों खर्च करने पर भी नहीं हो सका है सड़कों की दशा में सुधार
-हर साल बढ़ रहा है सड़कों पर ट्रैफिक, नहीं हो रहा है सड़कों का विस्तार  
बठिंडा। महानगर बठिंडा में दो सोसायटी ऐसी है जो सड़क हादसों में घायल लोगों को तत्काल चकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाती है। इसमें सहारा जन सेवा और नौजवान वैलफेयर सोसायटी प्रमुख है। इन दोनों संस्थानों की तरफ से अस्पतालों में पहुंचाने वाले मरीजों की बात करे तो प्रतिदिन १२ से १३ लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं इसमें कई लोग मर भी जाते हैं। हर साल बठिंडा जिले में ही छह सौ के करीब लोग हादसों में अपाहिज होते हैं तो सौ के करीब मौत के मुंह में चले जाते हैं। इन हादसों के लिए ट्रैफिक अव्यवस्था के साथ हमारी डामाडोल सड़के काफी हद तक जिम्मेवार है। हमारी सड़कें  देश की आजादी के  बाद क्या कुछ हुआ है और क्या हो रहा है, उसका सही आईना हैं।
मकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट द्वारा अप्रैल में जारी की गई रिपोर्ट के  अनुसार, लगभग आठ करोड़ लोग शहरों की मलिन बस्तियों में रहते हैं। ये वे लोग हैं, जो रोजी-रोटी के  लिए शहरों में आए हैं। इनके  लिए न चमकती-दमकती मोटरगाडिय़ां हैं और न एयरकंञ्डीशंड लो-फ्लोर बसें। ये पैदल, साइकिल और यदा-कदा मोटर बाइक पर दिखते हैं। सडक़ों पर  इनके  लिए सुरक्षित पृथक लेन राज्य के अधितक महामार्गो में भी नहीं हैं। जहां हैं भी, वहां पाकिग    और सामान बेचने के  लिए उन पर व्यापारियों या रेहड़ी चालकों ने कब्जा कर रखा है। पुलिस को हफ्ते से मतलब है, उनकी सुरक्षा से नहीं। ऐसे में उक्त लोग सड़कों पर आवागमन करने के लिए मजबूर होते हैं व यदाकदा हादसों का शिकार हो जाते हैं। वर्तमान में अगर हादसे के शिकार लोगों की तादाद देखे तो इसी तरह के लोग बड़ी गाडि़यों का शिकार होते हैं। सार्वजनिक परिवहन में लगातार गिरावट आ रही है। वर्ष १९९४ में यातायात में सार्वजनिक परिवहन का हिस्सा ४० प्रतिशत था, जो अभी ३० प्रतिशत हो गया है, परंतु निजी गाड़ियों की संチया लगातार  बढ़ती जा रही है। नए-नए मॉडल रोज आ रहे हैं, जो आकार की दृष्टि से पहले की अपेक्षा काफी बडे़ हैं। भीड़भाड़ के  समय १९९४ की अपेक्षा आज सडक़ पर ५० प्रतिशत अधिक गाड़ियां आ गई हैं। वर्ष २०२० आते-आते आज की तुलना में तिगुनी गाड़ियां सडक़ों पर दिखेंगी। दूसरी तरफ सड़कों का आकार व स्थिति वही चालिस साल पहले वाली बनी हुई है। इससे हादसे को बढ़ते है साथ ही यातायात जाम होने की समस्या निरंतर बनी रहती है।
समाज के  एक छोटे से तबके  को राष्ट्रीय आय का अधिकांश प्राप्त हो रहा है। इसी का परिणाम है कि महंगाई के  दिनों में भी कारों की खरीदारी धड़ल्ले से बढ़ रही है। पिछले वर्ष मई में देश भर में १,१३,८१० गाड़ियां बिकीं, जबकि इस साल मई में १,१४,४८१ गाड़ियों की बिक्रञ्ी हुई। बठिंडा में ही हर साल सैकड़ों नए वाहन सड़कों पर उतर रहे हैं। एशिया में भारत मोटर वाहनों का तीसरा  बड़ा बाजार बन गया है। नव धनाढ्य परिवारों में औसतन दो से तीन मोटर गाडिय़ां हैं। पार्किंग को लेकर आए दिन गली-मुहल्लों के साथ बाजारों में हिंसक झड़पें होने लगी हैं। गाड़ीवालों की मनोवृति भी अलग-सी है। सड़कों पर अंधाधुंध गाडिय़ां चलाना आम बात है। पांच लाख रुपये की गाड़ी वाला पांच कौड़ी वाले आदमी की परवाह नहीं करता है और सामने आने पर गाड़ी भी नहीं रोक ता है। परिवहन के  कायदे-कानूनों को ये नवधनाढ्य धता बताते हैं। रसूख और पैसे वाले इन लोगों का कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। ऐसे में, सडक़ों की हालत में बहुत सुधार संभव नहीं है, भले ही सरकार जितने भी पैसे लगाए और इरादे करे। भ्रष्टाचार का दैत्य भारी बाधा है। सड़कों में कानून की अवहेलना कर शराब पीकर वाहन चलाना आम बात है वही इस बाबत बने कडे़ नियमों की पालना भी लोग नहीं करते हैं। इन धनाढ़य लोगों को अगर पुलिस कभी गलती से हाथ डाल लेती है तो पैसे दिखाकर आसानी से निकल जाते हैं। जब कानून पैसे के दम पर जेब में रखा जा सकता है तो फिर नियमों को मानने व उनकी पालना करने की जरूरत नहीं होती है, ऐसे में अगर उक्त लोग किसी गली मुहल्ले में किसी के बच्चे को कुचल दे या फिर मजदूर को फेट मार दे तो उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं होती है।
ऐसी मानसिकता से ग्रस्त हो चुके समाज में ट्रैफिक नियमों को लागू करना डेढ़ी खीर से कम नहीं है। इसके इलावा महानगरों में ट्रकों व कारों की संख्या में भारी वृद्धि के साथ अप्रशिक्षित चालकों की भरमार हो रही है। परिवहन विभाग में भी तय नियम को तोड़कर किसी को भी लाइसेंस जारी कर दिया जाता है अब कार व ट्रक के कुछ फक्सन आते हो और गाड़ी दौड़ती है तो वह सुगमता से ड्राइवर की डिग्री ले लेता है इसके बाद वह सड़क में कुछ भी करने का लाइसेंस भी हासिल कर लेता है? वर्तमान में सड़क हादसों को रोकने के लिए सड़क प्रबंधन को बेहतर बनाने के साथ ट्रैफिक नियमों की सख्ती से पालना करवाना जरूरी है । हमारे यहां इसका अभाव है। नशे में धुत्त चालकों की संख्या व उनसे होने वाले हादसे बढ़ रहे हैं, अब पुलिस चाहे जो दावे करे। 

विशाल मैगामार्ट ने दी ३० छात्रों को पैलेसमेंट


-बाबा फरीद संस्थान में आयोजित किया गया विशाल कैंप   
बठिंडा। बाबा फरीद ग्रुप आप इंस्टीच्यूशन की तरफ से साल २०१० पलेसमेंट को समर्पित नारे को हकीकत में बदलने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयासों के अधीन संस्था में मैगा जाब फेयर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें ३८ कंपनियों ने हिस्सा लिया व इसके बाद लगातार विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों की प्लेसमेंट ड्रइव का आयोजन करवाया जा रहा है। इस कड़ी के तहत  ११ जुलाई को संस्था में विशाल मैगा मार्ट ग्रुप की तरफ से एक प्लेसमेंट ड्राइव  करवाई गई। जिक्रयोग्य है कि विशाल मैगामार्ट कंपनी देश की प्रसिद्ध कंपनी है जिसके बठिंडा सहित देश के लगभग सभी बडे़ शहरों में स्टोर खोल रखे हैं। 
संस्था में आयोजित प्लेसमेंट ड्राइव में बाबा फरीद संस्था के साथ इस क्षेत्र की दूसरी संस्थाओं के छात्रों ने भी हिस्सा लिया। इस कैंप का मुख्य लक्ष्य संस्था के छात्रों के इलावा मालवा के विभिन्न क्षेत्रों में बेरोजगारों को रोजगार प्रदान करना है। इस प्लेसमेंट ड्राइव में सौ से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया। विशाल मैगामार्ट कंपनी के जयवीर सिंह ने संस्था की तरफ से किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की व छात्रों की योग्यता पर भी संतुष्टी जताई। इस कैंप में तीस छात्रों का चुनाव बतौर स्टोर मैनेजर के तौर पर की गई जो देश के विभिन्न हिस्सों में काम करेंगे। इसमें छात्रों की योग्यता के आधार पर उन्हें दो लाश से साढे़ तीन लाख रुपये का वार्षिक पैकेज दिया जाएगा। बाबा फरीद संस्थान के प्रबंधकीय निर्देशक गुरमीत सिंह धालीवाल ने चुने गए छात्रों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि संस्था इस तरह के प्रयास आगे भी जारी रखेगी जिससे शिक्षा हासिल कर रोजगार की तलाश करने वाले सौकड़ों छात्रों को लाभ मिलेगा। 


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