Thursday, December 24, 2020

बठिंडा नगर निगम हदबंदी को लेकर कोर्ट ने मांगी वार्डवाइज मैपिंग, 4 जनवरी को होगी विस्तार से सुनवाई

 


बठिंडा. नगर निगम बठिंडा की कांग्रेस सरकार के दौरान की गई हदबंदी को लेकर हाईकोर्ट ने शहर की अधिकारिक मैपिंग देने के लिए कहा है। यह दस्तावेज तय करेंगा कि नगर निगम बठिंडा के वार्डों को तोड़कर सही बनाया या फिर राजनीतिक लाभ लेने के लिए इसमें जोड़तोड़ किया गया है। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में नगर निगम क्षेत्र की हदबंदी को लेकर अकाली दल की तरफ से दायर की गई याचिका पर सुनवाई चल रही है। पहले जहां अदालत ने सुनवाई के लिए तीन माह का समय डाला था वही इस मामले में अब 10 से 5 दिन के बीच में सुनवाई हो रही है। हाईकोर्ट ने पहले सात दिन का समय 15 दिसंबर को दिया था जबकि इसमें अगली सुनवाई के लिए 22 दिसंबर का समय रख दिया वही अब कोर्ट में ठंड की छुट्टियों के चलते सुनवाई 4 जनवरी को निर्धारित की गई है। खंडपीठ ने कहा कि नगर निगम बठिंडा में हदबंदी को नियमों के विपरित किया गया है तो प्रभावित पक्ष इसमें तथ्य लेकर अगली पेशी में आए जिसमें हंदबदी को दर्शाने वाले मैप के साथ वार्डबंदी की स्थिति को बताते मैपिंग को भी पेश किया जाए।

इसमें कोर्ट उठाए गए सवालों पर विचार करेगी। राज्य में सरकार की तरफ से फरवरी माह के पहले सप्ताह में चुनाव करवाने की संभावना के चलते कोर्ट इस मामले में सभी दस्तावेजों व पक्षों के बयान दर्ज कर फैसला लेना चाहता है ताकि पंजाब में दूसरे निगम व काउंसिलों के साथ बठिंडा में भी चुनाव संभव हो सके। वही दोनों पक्षों के वकीलों का तर्क है कि अगर मामले में कोर्ट को लगता है कि केस में अभी अन्य तथ्य व सबूतों की जरूरत है तो सुनवाई लंबी भी चल सकती है व इस स्थिति में नगर निगम चुनाव अन्य निगमों न काउंसिलों के साथ न करवाकर सरकार को केस की सुनवाई पूरी होने के बाद वार्डबंदी को लेकर अदालत के नए निर्देशों की पालना करते अलग से नोटिफिकेशन जारी करना पड़ेगा।

स्पष्ट नहीं है कि बठिंडा नगर निगम के चुनाव दूसरे निगमों के साथ होगे या फिर बाद में

फिलहाल अभी स्पष्ट नहीं है कि बठिंडा नगर निगम के चुनाव दूसरे निगमों के साथ होगे या फिर बाद में। अदालत में याचिका दायर करने वाले अकाली दल का कहना है कि कांग्रेस ने सत्ता का लाभ हासिल कर अपने स्तर पर वार्डों को तोड़कर नए इलाकों को जोड़ दिया है। कांग्रेस ने इस वार्डबंदी में ऐसे वार्डों की तोड़फोड़ की है जहां वह कमजोर थी व वहां अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जनसंख्या, इलाके की स्थिति, पुलिस थाना, जातिगत समीकरण व अन्य जरुरी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। इसमें अब कई वार्ड ऐसे बना दिए हैं जहां सामान्य वर्ग की अधिकता है है पर वह पिछड़े वर्ग के लिए आरंक्षित कर दिया गया है वही बहुल दलित वर्ग वाले इलाकों को तोड़कर दूसरे वार्डों में जोड़ दिया गया। कांग्रेस ने हदबंदी के बाद वाडों कों इस तरह से डिजाइन किया है कि उसे समझना आसान नहीं है वही इससे वहां रह रहे लोगों को भी दिक्कत होगी व जनप्रतिनिधि भी लोगों के काम करवाने में परेशानी का सामना करेगे।

स्थानीय निकाय विभाग की ओर से सितंबर में शहर की नई हदबंदी जारी की गई

गौरतलब है कि नगर निगम के चुनाव के लिए स्थानीय निकाय विभाग की ओर से सितंबर में शहर की नई हदबंदी जारी की गई थी। इसको लेकर शिरोमणि अकाली दल के शहरी अध्यक्ष और पूर्व पार्षद एडवोकेट राजबिदर सिंह सिद्धू की रिव्यू पिटीशन पर मंगलवार को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इससे पहले इस केस पर 15 दिसंबर को सुनवाई हुई थी, जिसकी तारीख 22 दिसंबर निर्धारित कर दी गई थी। वही अब 4 जनवरी 2021 को अगली सुनवाई होगी।
इससे पहले बठिडा के इस केस के अलावा मोहाली के भी डीलिमिटेशन संबंधी केस की सुनवाई की गई। जस्टिस राज कुमार गुप्ता और जस्टिस कर्म सिंह ने सुनवाई की। अदालत की ओर से मोहाली के केस को डिसमिस कर दिया गया था। इस पर स्थानीय निकाय विभाग के सरकारी वकील ने भी बठिडा के केस डिसमिस करने की मांग की लेकिन याचिकाकर्ता राजबिदर सिंह सिद्धू के वकील केएस डबवाल ने इसका विरोध जताते हुए कहा कि बठिडा का यह केस मोहाली के केस से बिलकुल अलग है। इसलिए इस पर और बहस की जरूरत है। इस पर बैंच ने इस केस को जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस अशोक के बैंच को भेज दिया। एडवोकेट केएस डडवाल ने बताया कि अब नई बैंच की ओर से इस केस की सुनवाई हो रही है।

राजबिदर सिंह सिद्धू ने बीते दिनों यह रिव्यू पिटीशन दायर करते हुए कहा था कि नई वार्डबंदी पूरी तरह से गलत

बता दें कि याचिककर्ता राजबिदर सिंह सिद्धू ने बीते दिनों यह रिव्यू पिटीशन दायर करते हुए कहा था कि नई वार्डबंदी पूरी तरह से गलत है। इससे पहले सितंबर में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सभी एतराज ध्यानपूर्वक सुने जाएं लेकिन निर्देश के बावजूद निकाय विभाग ने उनके एतराजों की सुनवाई नहीं की। वार्डबंदी में अनेक खामियां है। उनके वकील केएस डडवाल का कहना है कि नई वार्डबंदी पंजाब म्यूनिसिपल आर्डिनेंस के क्लाज 95 का उल्लंघन है। नई वार्डबंदी में न तो एकरूपता है और न ही एक-दूसरे से मिलते हैं।
नगर निगम पर काबिज होने को लेकर कांग्रेस की हदबंदी प्लानिंग ने जहां कांग्रेस सहित शिअद व भाजपा को इस स्कीम को समझने के लिए सिर खुजलाने को मजबूर कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दलों के लिए एक नई मुसीबत पैदा हो गई है तथा वह है वार्डबंदी बदले जाने से पुराने उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर नियमानुसार रोक लग जाना। ऐसे में अब जहां राजनीतिक दल वार्डबंदी को सेट करवाने को पूरे जोर लगा रहे हैं, वहीं इन वार्डों के लिए नए चेहरों की तलाश भी शुरू कर दी गई है। हालांकि शिअद कांग्रेस द्वारा करवाई गई इस हदबंदी को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है, लेकिन कांग्रेस नेता, जिनके चुनाव लड़ने के सपने पर ब्रेक लग चुकी है, भी अपने सीनियर्स की इस प्लानिंग से बेहद नाराज व निराश हैं, ऐसे में वह भी अपने एतराज देने को इंतजार कर रहे हैं।
नए एरिया बनने से अब नए चेहरों की तलाश
नगर निगम की नई हदबंदी की तैयारियों के बीच जहां शिअद कांग्रेस से इसकी खुलकर नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं तथा हदबंदी को लेकर कांग्रेस पर उन्होंने बिना चुनाव ही निगम की कुर्सी संभालने की बात तक कह दी है। हदबंदी में सारे ही वार्डों की सीमाएं बदलने के बाद पुराने उम्मीदवार में अधिकतर वार्डों की संरचना ही बदल गई है तथा दूसरे वार्ड में जनाधार नहीं होने के चलते उनके पास चुनाव लड़ने की कोई आप्शन ही बाकी नहीं बच रही है। यह हाल अकेले शिअद या भाजपा में ही नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के भी करीब-करीब ऐसे ही हाल हैं। विशेषकर महिला या जाति आरक्षित वार्ड में सभी दलों को उम्मीदवार तलाशने को बेहद माथा-पच्ची करनी पड़ेगी जिसे सभी दलों के नेता स्वीकार करते हैं। महिला कैडर की बात करें तो करीब-करीब सभी राजनीतिक दलों में महिलाओं को दोयम स्तर का दर्जा हासिल है यानी की किसी भी पार्टी में शहर में एक भी महिला नेता पहली कतार में खड़ी नजर नहीं आती है जिससे गांवों की भांति शहरों में भी पुरुष ही पीछे से सिस्टम को कंट्रोल करेंगे।

कांग्रेस के भीतर नाराजगी, कई विपक्षी उम्मीदवारों में खुशी भी

कांग्रेस ही हदबंदी योजना का पूरा मकसद शिअद को चुनाव से पहले ऐसी बिसात बिछना है ताकि चुनाव से पहले ही उन्हें मात दी जा सके, लेकिन इस टारगेट को हासिल करने को कांग्रेस ने अपने ही घर में कई नेताओं के सपनों को तिलांजलि दे दी है जिससे उनमें निराशा का आलम है, लेकिन दूसरी तरफ शहर में हाल ही में घटित कुछ घटनाक्रमों के बाद कई शिअद नेताओं ने चुनाव से दूर रहने का भी मन बना लिया है तथा वार्डबंदी का ढांचा बदलने से उनके मन की मुराद पूरी हो गई है। हालांकि बाहर वह इस बात को जाहिर करने को तैयार नहीं हैं, लेकिन किसी तरह का पंगा मोल लेने की बजाए हदबंदी के ऊपर सारा दोष डालना उनके लिए आसान हो गया है।

बठिंडा कोर्ट ने ब्लड बैंक में संक्रमित रक्त चढ़ाने पर टिप्पणी करते कहा कि कर्मियों का काम गंभीर अपराध के साथ अमानवीय, इसलिए नहीं देंगे कोई राहत


 

बठिंडा. ब्लड बैंक में जुलाई से नवंबर के मध्य थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एड्स संक्रमित खून चढ़ाने के मामले में कानूनी कारर्वाई का सामना कर रहे दो कर्मचारियों की तरफ से पिछले दिनों जिला अदालत में जमानत याचिका दायर की थी जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया है। इसमें पूर्व बीटीओ बलदेव सिंह रोमाणा ने जहां गिरफ्तारी के बाद जमानत के लिए आवेदन किया था वही पुलिस की तरफ से पिछले दिनों एक अन्य पूर्व कर्मी रुचि गोयल के खिलाफ केस दर्ज किया था व उक्त कर्मी ने अग्रीम जमानत के लिए एडीशनल सेशन जज के पास अर्जी दाखिल की थी।

इसमें कोर्ट की तरफ से दोनों की अर्जी पर विचार करते टिप्पणी की कि आप लोगों ने अमानवीय काम किया जिसमें लापरवाही की हद करते पहले से थेलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को एचआईवी पोजटिव बनाने की कोशिश की जो गहन अपराध की श्रेणी में आता है व इसमें वह जमानत नहीं दे सकते हैं। इसके बाद अब दोनों आरोपियों के पास जमानत के लिए ऊपरी अदालत में जाने का विकल्प ही बचा है। गौरतलब है कि सिविल अस्पताल में एक महिला व चार बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाने का काम वहां स्थित ब्लड बैक में किया गया।

इस दौरान दोनों आरोपी बैंक में तैनात थे जबकि उक्त लोगों के साथ एक अन्य कर्मी को भी मामले में आरोपी ठहराते सेहत विभाग के मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने पहली जांच में निलंबित कर दिया था। इसमें तीसरे आरोपी पर अभी पुलिस की तरफ से किसी तरह की कारर्वाई नहीं की गई है। वही अक्तूबर व नवंबर माह में फिर से तीन बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले सामने आए थे जिसमें  जांच के बाद सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने बठिंडा ब्लड बैंक में कार्यरत चार कांट्रेक्ट लैब टेक्नीशियनों को जांच के बाद दोषी पाए जाने पर नौकरी से डिसमिस कर दिया था। सेहत विभाग की अक्टूबर माह के बाद यह दूसरी बड़ी कार्रवाई थी जबकि 3 अक्टूबर के केस में जहां एक एमएलटी बलदेव रोमाणा जेल में है तो कांट्रेक्ट पर बीटीओ डा. करिश्मा व एलटी रिचा गोयल को सस्पेंड किया जा चुका है। इसमें रिचा गोयल पर पिछले माह बाल सुरक्षा आयोग की सख्ती के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया था। उक्त मामले में 8 से 12 साल के मध्य बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाया गया जिसकी ब्लड बैंक में जांच नहीं हुई थी।


लगातार एचआईवी संक्रमित खून लगने के पीछे साजिश होने की आशंका के बाद विजिलेंस जांच

बठिंडा के सरकारी सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक से एक महिला के अलावा तीन थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी पॉजिटिव डोनरों का बिना जांच खून चढ़ने के मामले में जहां सेहत विभाग चार एलटी को डिसमिस करने की कार्रवाई कर चुका है, वहीं लगातार ब्लड बैंक में ही इस तरह की घटनाएं घटित होने को संयोग नहीं माना जा सकता तथा इसी बात ने सेहत विभाग को बुरी तरह उलझा दिया है। रक्त की जांच नहीं होना तथा उनके थैलेसीमिया मरीजों को चढ़ने के अलावा अन्य कई केस, जिनका अभी रिकार्ड सेहत विभाग को मालूम नहीं है, को लेकर आशंकित सेहत विभाग इसकी विजिलेंस जांच करवा रहा है ताकि इस मामले की तह तक पहुंचा जा सके। इसमें विजिलेंस विभाग की तरफ से ब्लड बैंक का रिकार्ड व अब तक हुई जांच की पूरी रिपोर्ट तलब कर ली है लेकिन इसमें अभी किसी के बयान दर्ज नहीं किए जा सके हैं। अक्टूबर 2020 में पहले केस के सामने आने तथा लोकल टीम द्वारा की गई जांच में ब्लड बैंक के सारे स्टाफ का रोल शक के दायरे में आने तथा अपना काम ईमानदारी से पूरा नहीं करने के चलते ब्लड बैंक के सभी लोकल कर्मियों का नाम सामने आने के बाद भले ही एक्शन हो गया हो, लेकिन सेहत विभाग एक के बाद एक एचआईवी संक्रमित केसों के सामने आने के बाद इसे सामान्य नहीं मान रहा है। सेहत विभाग की मानें तो एक ही ब्लड बैंक से इतने एचआईवी संक्रमण के केस नहीं हो सकते तथा इसमें किसी तरह की शरारत हो सकती है, इसलिए विभाग भविष्य में किसी तरह का कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता, क्योंकि टीम के होते हुए भी संक्रमित खून अगर ब्लड बैंक में पहुंच सकता है तो विभाग इसकी गंभीरता को समझ रहा है। विजिलेंस इंक्वायरी के माध्यम से सेहत विभाग इस मामले में छिपे तथ्यों को सामने लाकर संक्रमण फैलने व फैलाने वालों पर लगाम कसना चाहता है।

पंजाब के गुरदासपुर में फिर घुसे पा‍क ड्रोन, बीएसएफ जवानों ने सीमा पार से आए दो ड्रोन पर की फायरिंग


 

पंजाब के गुरदासपुर जिले में भारत-पााकिस्‍तान बार्डर पर बीती रात दो पाकस्‍तानी ड्रोन घुस आए। इसके बाद बीएसएफ के जवानों ने उन पर फायरिंग की। इसके बाद से पूरे क्षेत्र में सर्च अभियान चलाया जा रहा है। इससे पहले भी बार्डर क्षेत्र में पाकिस्‍तान ड्रोन दिख चुके हैं।

कलानौर (गुरदासपुर)। पंजाब के गुरदासपुर में एक बार फिर पाकिस्‍तानी ड्रोन घुस आया। जिले के कलानौर क्षेत्र में भारत-पाक सरहद पर देर रात दाे ड्रोन घुस आए। एक ड्रोन रोसा बार्डर निगरानी पोस्‍ट (BOP)  पर दिखाई दिया और दूसरा ड्राेन चंदू वडाला बीओपी के पास पाकिस्‍तान की ओर से घुसा। इसके बाद सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवानों ने दोनों पाकिस्तानी ड्रोन पर फायरिंग की। इसके बाद से पूरे क्षेत्र में सर्च अभियान चलाया जा रहा है।


बता दें कि गुरदासपुर के बार्डर क्षेत्र में 19 दिसंबर को भी पाकिस्‍तान की ओर से ड्रोन घुसा था। इस पर बीएसएफ के जवानों ने फा‍यरिंग की थी और इसके बाद ड्रोन से हथियार और हेरोइन के पैकेट गिरे थे। तलाशी अभियान में क्षेत्र से पांच किलो हेरोइन और 11 ग्रेनेड मिले थे। बाद में एक एके-47 राइफल, 30 कारतूस और मैगजीन बरामद की गई।


इसके बाद बीत रात कलानौर क्षेत्र में पाकिस्‍तान की ओर से दो ड्रोन घुस आए। प्राप्त जानकारी अनुसार, बीएसएफ के रोसा बीओपी के पास दर रात करीब 12.35 बजे एक पाकिस्‍तानी ड्रोन दिखाई दिख। इसके बाद बीएसएफ के जवानों ने उस पर फायरिंग की। जवानों की फायरिंग के बाद यह ड्रोन पाकिस्‍तान की ओर भाग गया।

इसके बाद रात करीब  1.07 बजे चंदू वडाला बीओपी पर एक और पाकिस्तानी ड्रोन देखा गया। यहां भी बीएसएफ जवानों ने ड्रोन पर गोलियां चलाईं और ड्रोन वापस पाकिस्तान की ओर  भाग गया। बीएसएफ के डीआइजी का कहना है कि दोनों जगह पर ड्रोन करीब दो मिनट के  लिए दिखे। बीएसएफ के जवानों ने उन पर फायरिंग की। बताया जाता है कि उक्त दोनों पोस्ट के पास कुछ दिन पहले भी पाकिस्तानी ड्राेन देखे गए थे और बीएसएफ जवानों ने गोलियां चलाकर उनको भगा दिया था।

 

मोगा में कार्रवाई : खाद्य आपूर्ति विभाग से माल ढोने का टेंंडर लेते समय ठेकेदार ने ट्रकों की बजाय दे दी स्कूटर, मोटरसाइकिल, कारों व बसों के नंबरों की लिस्ट

 


  • रिपोर्ट तैयार कर चंड़ीगढ़ विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को भेजने पर हुई कार्रवाई, जांच में आरोप साबित होने पर केस दर्ज, आरोपी फरार

    मोगा। खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से गेहूं व धान की फसल की लिफ्टिंग के लिए टेंडर अलाट करते समय ठेकेदार द्वारा जालसाजी करने का मामला सामने आया है। टेंडर भरने वाले ठेकेदार को टेंडरों के साथ-साथ ट्रकों के आरसी की कापी साथ लगाने के लिए विभाग द्वारा कहा गया था। ऐसे में ठेकेदार ने ट्रकों के नंबरों की जगह स्कूटर, मोटरसाइकिल, कारों व बसों के नंबरों की लिस्ट दे दी थी।

    विभाग को मामले की भनक लगते ही ठेकेदार का टेंडर रद करके दूसरे ठेकेदार को दे दिया गया था। साथ ही आरोपी के खिलाफ बनती कानूनी कार्रवाई करने के लिए एसएसपी को सिफारिश की गई थी। इसके चलते पुलिस ने ठेकेदार के खिलाफ केस दर्ज किया है।

    जालसाजी... टेंडर लेने के समय लगाए दस्तावेज फर्जी निकले, आरोपी की तलाश में पुलिस कर रही रेड

    डीएसपी (डी) जंगजीत सिंह ने बताया कि खाद्य आपूर्ति विभाग के जिला कंट्रोलर ने 15 मार्च 2020 को एसएसपी को दी लिखित शिकायत में आरोप लगाया था कि फरीदकोट निवासी संदीप कपूर ने साल 2019-20 के लिए जिला मोगा का टेंडर लेने के लिए गेहूं व धान की लिफ्टिंग व अन्य सरकारी सामान ढोने के लिए टेंडर लगाया था। लेकिन सरकारी नियमों के अनुसार ठेकेदार द्वारा टेंडर के साथ ट्रकों की आरसी व नंबरों की लिस्ट मांगी थी, जबकि संदीप कपूर ने सरकारी नियमों के साथ टेंडर व जो ट्रक माल ढोने के लिए इस्तेमाल होने थे, उनके दस्तावेज साथ लगा दिए थे।

    इसके चलते संदीप कपूर को टेंडर अलाट हो गया था। बाद में विभाग को जानकारी मिली कि संदीप ने जो दस्तावेज टेंडर लेने समय लगाए थे, वह फर्जी है। इस पर विभाग द्वारा गुप्त ढंग से जांच करने के बाद पता चला कि ट्रकों के नंबरों के स्थान पर स्कूटर, मोटरसाइकिल, कारों व बसों के नंबरों की लिस्ट दी गई थी। इसके बाद रिपोर्ट तैयार करके चंड़ीगढ़ विभाग के प्रिंसीपल सेक्रेटरी केईपी सिन्हा को भेजी गई थी। इसके बाद

    संदीप कपूर का टेंडर रद करके अन्य ठेकेदार राम सरूप को अलाट कर दिया गया। बाद में सीनियर अधिकारियों के आदेश पर एसएसपी को शिकायत देते हुए ठेकेदार संदीप कपूर के खिलाफ बनती कार्रवाई करने की सिफारिश की गई थी। एसएसपी ने मामले की जांच डीएसपी (डी) जंगजीत सिंह को सौंप दी थी। जांच अधिकारी द्वारा सात महीने की लंबी जांच के बाद संदीप कपूर निवासी फरीदकोट के खिलाफ धारा 420 व 177 के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस आरोपी की तलाश में रेड कर रही है। लेकिन आरोपी फरार है।


बठिंडा में पीएनजी गैस:आठ महीने में शहर के हर घर तक पहुंचेगी गैस पाइपलाइन

 



ट्रायल सफल रहने के बाद अब शहर के 1500 घरों में इस्तेमाल हो रही पीएनजी गैस

    बठिंडा के निवासियों को जल्द ही गैस सिलेंडर की परेशानी से छुटकारा मिलेगा। न ही सिलेंडर की बुकिंग और न ही सप्लाई के लिए इंतजार करना होगा। शहर के अधिकांश इलाकों के लिए सर्वे मुकम्मल हो चुका है, नगर निगम से गैस पाइपलाइन डालने का मंजूरी लेकर काम जोर-शोर से चल रहा है जिससे उम्मीद


    है कि आगामी 8 महीने तक शहर के तमाम इलाकों में हरेक घर तक गैस पाइपलाइन उपलब्ध होगी। फिलहाल शहर के 1500 से ज्यादा घरों को गैस पाइपलाइन का लाभ मिल रहा है। गेल इंडिया लिमिटेड की ओर से गैस पाइपलाइन सेवा शुरू कर दी गई है।

    सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन प्रोजेक्ट के तहत बठिंडा में काम कर रही जीएसपीएल (गुजरात स्टेट पेट्रो नेट लिमिटेड) की शहर के एक चौथाई हिस्से में गैस पाइप लाइन बिछा दी गई जबकि लोगों की मांग पर गैस कनेक्शन भी दिए जा रहे हैं। नगर निगम की हिदायतों के अनुसार जीपीआर (ग्राउंड पेनेट्रेटिव राडार सिस्टम) का काम शुरू किया गया है, जिसके साथ देखा जा रहा है कि कहां पर सीवरेज की लाइन है और कहां पर पानी की लाइन। आदर्श नगर से शुरू हुए प्रोजेक्ट के तहत शहर में प्रवेश करते हुए माता जीवी नगर, हजूरा कपूरा कॉलोनी, बैंक कॉलोनी, सुच्चा सिंह नगर, बल्लाराम नगर, गुरु गोबिंद सिंह नगर, माहेश्वरी कॉलोनी, माॅडल टाउन फेज 1 के अलावा नई बसी कॉलोनी ग्रीन सिटी, मॉडल टाउन फेज 4-5 व पार्क पनोरमा में भी गैस पाइप लाइन बिछा दी गई है।

    वहीं पश्चिम दिशा की ओर से मुल्तानिया पुल डीडी मित्तल टावर तक पाइप लाइन बिछाई गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसकी कवायद शुरू हो गई है, गोनियाना की तरफ भी पाइप लाइन बिछाने का काम जोरों पर है। हरेक छोटी-बड़ी गली में पाइप लाइन बिछाने के साथ ही घरों में गैस कनेक्शन का प्रावधान रखा जा रहा है, डिमांड के साथ ही घर की रसोई में कनेक्शन दिया जाएगा।

    रुपये 25 प्रति मीटर क्यूब के हिसाब से चुकाना होगा बिल

    उपभोक्ता को पाइपलाइन से घर में दी जाने वाली नेचुरल गैस में ट्रांसपोर्टेशन तथा फिलिंग का काम खत्म होने के बाद सिलेंडर में लिक्विड पैट्रोलियम गैस (एलपीजी) के मुकाबले पाइप्ड नेचुरल गैस लगभग 20 प्रतिशत यानी लगभग 200 रुपए तक सस्ती पड़ेगी। पाइपलाइन पर लगाए मीटर से खपत की रीडिंग के आधार पर 25 रुपये प्रति मीटर क्यूब के हिसाब से मासिक बिल उपभोक्ता को चुकाना होगा और सिलेंडर में गैस कम होने की शिकायत नहीं रहेगी। सबसे बड़ी राहत यह है कि गैस खत्म होने का झंझट नहीं रहेगा, जितना प्रयोग किया, बिल जमा किया जाएगा। वहीं सिलेंडर से अधिक सुरक्षा पीएनजी में हैं। सिलेंडर फटने पर अधिक नुकसान होता है। पीएनजी में आग लगने की संभावना न के बराबर है। रेग्युलेटर से अधिक सुरक्षित वाल्व सिलेंडर में गैस प्रवाह को रोकने के लिए रेग्युलेटर का प्रयोग होता है। जबकि पीएनजी गैस पाइपलाइन में सुरक्षा के लिए तीन वाल्व लगे हैं, जहां से बंद किया जा सकता है।

    सीएनजी स्टेशन से हो रही गैस की सप्लाई

    पेट्रोलियम व नेचुरल गैस रेगुलेटरी बोर्ड ने गुजरात स्टेट पेट्रो नेट लिमिटेड (जीएसपीएल) को पाइपलाइन बिछाने का जिम्मा सौंपा है। पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) सप्लाई करने के लिए केंद्र सरकार के सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन प्रोजेक्ट के तहत रेडक्रास से मेन रोड पर 1 लाख 80 हजार रुपए प्रति वर्ष लीज पर ली गई जगह पर सीएनजी स्टेशन स्थापित किया गया है। सीएनजी स्टेशन से पाइपलाइन के जरिए गैस की सप्लाई दी जा रही है।

लुधियाना-फौज में भर्ती के नाम पर फर्जीवाड़ा:रिटायर अफसरों की मोहरें लगा बनाए जाॅइनिंग लेटर, पूर्व कैप्टन समेत 9 से रुपये 34 लाख ठगे


 

लुधियाना। फौज में भर्ती के नाम फर्जीवाड़े का एक और मामला सामने आया है। इसमें आर्मी से रिटायर्ड जवानों ने गैंग बनाकर रिटायर कैप्टन समेत 9 लोगों से 34 लाख की ठगी मार डाली। शातिर ठगों ने आर्मी के ही अधिकारियों की फर्जी मोहरें बनाकर जाॅइनिंग लेटर तक जारी कर दिए, लेकिन नौकरी की बजाय लोगों को मिला धोखा। थाना सदर रायकोट की पुलिस ने गांव बरमी निवासी सुखदीप सिंह, अवध बिहारी उपाध्याय और बनारस निवासी मनी भूषण पांडे के खिलाफ धोखाधड़ी का पर्चा दर्ज किया है। फिलहाल आरोपियों की तलाश में रेड जारी है। पुलिस को दिए बयान में विसाखा सिंह ने बताया कि वो आर्मी से कैप्टन रिटायर हैं।

उनका एक बेटा है। गांव में एक चाय की दुकान पर आरोपी सुखदीप आया करता था, जोकि पास के ही गांव का है। उसने कहा कि वो बीएसएफ से रिटायर है, लेकिन उसकी वहां अच्छी-खासी पहचान है। अगर किसी को एमईएस (मिल्ट्री इंजीनियर सर्विस) में नौकरी पर लगाना हो तो उसके लिए मिनटों का खेल है। तभी वहीं होशियार सिंह आया जोकि उसी गांव का है।

उसने कहा कि सुखदीप ने उनके बेटा-बेटी को भी भर्ती करवाने का काम करवा दिया है। उसने जाॅइनिंग लेटर भी दिखा दिया। इससे विसाखा को यकीन हो गया। आरोपी ने कहा कि उसका एक साथी अवध बिहारी उपाध्याय है। इसके जरिए वो सारा काम करता है, वो भी बीएसएफ से रिटायर है। इतना बताने के बाद आरोपी ने सभी से 3.50 लाख रुपए कुछ-कुछ दिनों के गैप के बाद लेने लगा। कुछ कैश अवध और मनी भूषण के

अकाउंट में डलवाने लगा। इस तरह से करीब 9 लोगों को आरोपियों ने अपने झांसे में ले लिया। पैसे लेने के एक महीने बाद भी किसी को भी जाॅब नहीं मिली। थाना सदर रायकोट के जांच अधिकारी सईद शकील ने बताया कि आरोपियों के घरों पर रेड की थी, लेकिन वो सभी फरार हैं और उनके नंबर भी बंद आ रहे हैं, लेकिन उन्हें काबू कर लिया जाएगा।

एक-एक से लिए भर्ती के नाम पर 3.50 लाख, फिर 4 बार नासिक ले जाकर होटलों में भी कराया खर्च

आरोपी 2018 में 9 पीड़ितों के बच्चों के अलावा कुछ अन्य को भी ट्रेन से नासिक ले गया। इस दौरान ट्रेन की टिकट का खर्च उनसे लिया। फिर उन्हें होटल में ठहरा दिया, जहां उन्हें एक हफ्ते रखा और कहा कि अभी काम नहीं हो पाएगा। फिर उन्हें भेज दिया। इसी तरह से दो बार और आरोपी उन्हें नासिक ले गया, जहां एक फर्जी लिस्ट निकलवा दिखाई कि अभी लिस्ट में नाम नहीं आया। अगली बार जरूर होगा। अंत में चौथी बार कैप्टन विसाखा सिंह बच्चों के साथ खुद गया। जहां उसने कहा कि अधिकारी एक हफ्ते की छुट्टी पर हैं, लेकिन विसाखा को शक हुआ, वो वहां अधिकारियों के आॅफिस में पहुंच गए और उन्हें सारी बात बता जाॅइनिंग लेटर दिखाया। इसे देखने के बाद उक्त अधिकारी ने कहा कि ये फर्जी है। जिस अफसर की लेटर पर मोहरें लगी हैं, अफसर रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने गांव लौट पुलिस को शिकायत दी। फिर आरोपी सभी के पैसे लौटाने की बात कहने लगा और समझौता हो गया, लेकिन 2 साल तक न पैसे दिए और न ही जाॅब लगवाई।

लाखों की ठगी मामले के साथ लिंक कर रही पुलिस

लाखों की ठगी मामले के साथ लिंक कर रही पुलिस छह माह पहले लाडोवाल में भी आर्मी से निकाले हुए प्रदीप सिंह उर्फ स्वर्ण सिंह ने 100 से ज्यादा लोगों से भर्ती के नाम पर करोड़ों की ठगी मारी थी। फिलहाल रायकोट व लुधियाना दोनों की पुलिस आरोपी का लिंक भी चेक कर रही है कि कहीं उसका इन आरोपियों से कोई लिंक तो नहीं। फिलहाल आरोपी जेल में बंद है।


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