Punjab Ka Sach Newsporten/ NewsPaper: बठिंडा नगर निगम हदबंदी को लेकर कोर्ट ने मांगी वार्डवाइज मैपिंग, 4 जनवरी को होगी विस्तार से सुनवाई

Thursday, December 24, 2020

बठिंडा नगर निगम हदबंदी को लेकर कोर्ट ने मांगी वार्डवाइज मैपिंग, 4 जनवरी को होगी विस्तार से सुनवाई

 


बठिंडा. नगर निगम बठिंडा की कांग्रेस सरकार के दौरान की गई हदबंदी को लेकर हाईकोर्ट ने शहर की अधिकारिक मैपिंग देने के लिए कहा है। यह दस्तावेज तय करेंगा कि नगर निगम बठिंडा के वार्डों को तोड़कर सही बनाया या फिर राजनीतिक लाभ लेने के लिए इसमें जोड़तोड़ किया गया है। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में नगर निगम क्षेत्र की हदबंदी को लेकर अकाली दल की तरफ से दायर की गई याचिका पर सुनवाई चल रही है। पहले जहां अदालत ने सुनवाई के लिए तीन माह का समय डाला था वही इस मामले में अब 10 से 5 दिन के बीच में सुनवाई हो रही है। हाईकोर्ट ने पहले सात दिन का समय 15 दिसंबर को दिया था जबकि इसमें अगली सुनवाई के लिए 22 दिसंबर का समय रख दिया वही अब कोर्ट में ठंड की छुट्टियों के चलते सुनवाई 4 जनवरी को निर्धारित की गई है। खंडपीठ ने कहा कि नगर निगम बठिंडा में हदबंदी को नियमों के विपरित किया गया है तो प्रभावित पक्ष इसमें तथ्य लेकर अगली पेशी में आए जिसमें हंदबदी को दर्शाने वाले मैप के साथ वार्डबंदी की स्थिति को बताते मैपिंग को भी पेश किया जाए।

इसमें कोर्ट उठाए गए सवालों पर विचार करेगी। राज्य में सरकार की तरफ से फरवरी माह के पहले सप्ताह में चुनाव करवाने की संभावना के चलते कोर्ट इस मामले में सभी दस्तावेजों व पक्षों के बयान दर्ज कर फैसला लेना चाहता है ताकि पंजाब में दूसरे निगम व काउंसिलों के साथ बठिंडा में भी चुनाव संभव हो सके। वही दोनों पक्षों के वकीलों का तर्क है कि अगर मामले में कोर्ट को लगता है कि केस में अभी अन्य तथ्य व सबूतों की जरूरत है तो सुनवाई लंबी भी चल सकती है व इस स्थिति में नगर निगम चुनाव अन्य निगमों न काउंसिलों के साथ न करवाकर सरकार को केस की सुनवाई पूरी होने के बाद वार्डबंदी को लेकर अदालत के नए निर्देशों की पालना करते अलग से नोटिफिकेशन जारी करना पड़ेगा।

स्पष्ट नहीं है कि बठिंडा नगर निगम के चुनाव दूसरे निगमों के साथ होगे या फिर बाद में

फिलहाल अभी स्पष्ट नहीं है कि बठिंडा नगर निगम के चुनाव दूसरे निगमों के साथ होगे या फिर बाद में। अदालत में याचिका दायर करने वाले अकाली दल का कहना है कि कांग्रेस ने सत्ता का लाभ हासिल कर अपने स्तर पर वार्डों को तोड़कर नए इलाकों को जोड़ दिया है। कांग्रेस ने इस वार्डबंदी में ऐसे वार्डों की तोड़फोड़ की है जहां वह कमजोर थी व वहां अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जनसंख्या, इलाके की स्थिति, पुलिस थाना, जातिगत समीकरण व अन्य जरुरी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। इसमें अब कई वार्ड ऐसे बना दिए हैं जहां सामान्य वर्ग की अधिकता है है पर वह पिछड़े वर्ग के लिए आरंक्षित कर दिया गया है वही बहुल दलित वर्ग वाले इलाकों को तोड़कर दूसरे वार्डों में जोड़ दिया गया। कांग्रेस ने हदबंदी के बाद वाडों कों इस तरह से डिजाइन किया है कि उसे समझना आसान नहीं है वही इससे वहां रह रहे लोगों को भी दिक्कत होगी व जनप्रतिनिधि भी लोगों के काम करवाने में परेशानी का सामना करेगे।

स्थानीय निकाय विभाग की ओर से सितंबर में शहर की नई हदबंदी जारी की गई

गौरतलब है कि नगर निगम के चुनाव के लिए स्थानीय निकाय विभाग की ओर से सितंबर में शहर की नई हदबंदी जारी की गई थी। इसको लेकर शिरोमणि अकाली दल के शहरी अध्यक्ष और पूर्व पार्षद एडवोकेट राजबिदर सिंह सिद्धू की रिव्यू पिटीशन पर मंगलवार को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इससे पहले इस केस पर 15 दिसंबर को सुनवाई हुई थी, जिसकी तारीख 22 दिसंबर निर्धारित कर दी गई थी। वही अब 4 जनवरी 2021 को अगली सुनवाई होगी।
इससे पहले बठिडा के इस केस के अलावा मोहाली के भी डीलिमिटेशन संबंधी केस की सुनवाई की गई। जस्टिस राज कुमार गुप्ता और जस्टिस कर्म सिंह ने सुनवाई की। अदालत की ओर से मोहाली के केस को डिसमिस कर दिया गया था। इस पर स्थानीय निकाय विभाग के सरकारी वकील ने भी बठिडा के केस डिसमिस करने की मांग की लेकिन याचिकाकर्ता राजबिदर सिंह सिद्धू के वकील केएस डबवाल ने इसका विरोध जताते हुए कहा कि बठिडा का यह केस मोहाली के केस से बिलकुल अलग है। इसलिए इस पर और बहस की जरूरत है। इस पर बैंच ने इस केस को जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस अशोक के बैंच को भेज दिया। एडवोकेट केएस डडवाल ने बताया कि अब नई बैंच की ओर से इस केस की सुनवाई हो रही है।

राजबिदर सिंह सिद्धू ने बीते दिनों यह रिव्यू पिटीशन दायर करते हुए कहा था कि नई वार्डबंदी पूरी तरह से गलत

बता दें कि याचिककर्ता राजबिदर सिंह सिद्धू ने बीते दिनों यह रिव्यू पिटीशन दायर करते हुए कहा था कि नई वार्डबंदी पूरी तरह से गलत है। इससे पहले सितंबर में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सभी एतराज ध्यानपूर्वक सुने जाएं लेकिन निर्देश के बावजूद निकाय विभाग ने उनके एतराजों की सुनवाई नहीं की। वार्डबंदी में अनेक खामियां है। उनके वकील केएस डडवाल का कहना है कि नई वार्डबंदी पंजाब म्यूनिसिपल आर्डिनेंस के क्लाज 95 का उल्लंघन है। नई वार्डबंदी में न तो एकरूपता है और न ही एक-दूसरे से मिलते हैं।
नगर निगम पर काबिज होने को लेकर कांग्रेस की हदबंदी प्लानिंग ने जहां कांग्रेस सहित शिअद व भाजपा को इस स्कीम को समझने के लिए सिर खुजलाने को मजबूर कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दलों के लिए एक नई मुसीबत पैदा हो गई है तथा वह है वार्डबंदी बदले जाने से पुराने उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर नियमानुसार रोक लग जाना। ऐसे में अब जहां राजनीतिक दल वार्डबंदी को सेट करवाने को पूरे जोर लगा रहे हैं, वहीं इन वार्डों के लिए नए चेहरों की तलाश भी शुरू कर दी गई है। हालांकि शिअद कांग्रेस द्वारा करवाई गई इस हदबंदी को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है, लेकिन कांग्रेस नेता, जिनके चुनाव लड़ने के सपने पर ब्रेक लग चुकी है, भी अपने सीनियर्स की इस प्लानिंग से बेहद नाराज व निराश हैं, ऐसे में वह भी अपने एतराज देने को इंतजार कर रहे हैं।
नए एरिया बनने से अब नए चेहरों की तलाश
नगर निगम की नई हदबंदी की तैयारियों के बीच जहां शिअद कांग्रेस से इसकी खुलकर नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं तथा हदबंदी को लेकर कांग्रेस पर उन्होंने बिना चुनाव ही निगम की कुर्सी संभालने की बात तक कह दी है। हदबंदी में सारे ही वार्डों की सीमाएं बदलने के बाद पुराने उम्मीदवार में अधिकतर वार्डों की संरचना ही बदल गई है तथा दूसरे वार्ड में जनाधार नहीं होने के चलते उनके पास चुनाव लड़ने की कोई आप्शन ही बाकी नहीं बच रही है। यह हाल अकेले शिअद या भाजपा में ही नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के भी करीब-करीब ऐसे ही हाल हैं। विशेषकर महिला या जाति आरक्षित वार्ड में सभी दलों को उम्मीदवार तलाशने को बेहद माथा-पच्ची करनी पड़ेगी जिसे सभी दलों के नेता स्वीकार करते हैं। महिला कैडर की बात करें तो करीब-करीब सभी राजनीतिक दलों में महिलाओं को दोयम स्तर का दर्जा हासिल है यानी की किसी भी पार्टी में शहर में एक भी महिला नेता पहली कतार में खड़ी नजर नहीं आती है जिससे गांवों की भांति शहरों में भी पुरुष ही पीछे से सिस्टम को कंट्रोल करेंगे।

कांग्रेस के भीतर नाराजगी, कई विपक्षी उम्मीदवारों में खुशी भी

कांग्रेस ही हदबंदी योजना का पूरा मकसद शिअद को चुनाव से पहले ऐसी बिसात बिछना है ताकि चुनाव से पहले ही उन्हें मात दी जा सके, लेकिन इस टारगेट को हासिल करने को कांग्रेस ने अपने ही घर में कई नेताओं के सपनों को तिलांजलि दे दी है जिससे उनमें निराशा का आलम है, लेकिन दूसरी तरफ शहर में हाल ही में घटित कुछ घटनाक्रमों के बाद कई शिअद नेताओं ने चुनाव से दूर रहने का भी मन बना लिया है तथा वार्डबंदी का ढांचा बदलने से उनके मन की मुराद पूरी हो गई है। हालांकि बाहर वह इस बात को जाहिर करने को तैयार नहीं हैं, लेकिन किसी तरह का पंगा मोल लेने की बजाए हदबंदी के ऊपर सारा दोष डालना उनके लिए आसान हो गया है।

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