बठिंडा: पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा (सीयूपीबी) में भेषज विज्ञान एवं प्राकृतिक उत्पाद विभाग और फार्माकोलॉजी विभाग द्वारा कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण में वैज्ञानिक अनुसंधान में निष्ठा और बायोमेडिकल रिसर्च में नई संभावना के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए वेबिनार श्रृंखला का आयोजन किया गया।
इस वेबिनार श्रृंखला में राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (नाईपर), एस.ए.एस. नगर के वैज्ञानिक प्रो. श्याम.एस. शर्मा और, सी.एस.आई.आर- हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर के वैज्ञानिक डॉ. दमनप्रीत सिंह आमंत्रित वक्ता के रूप में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम के दौरान पहले वक्ता प्रो. एस.एस. शर्मा ने "वैज्ञानिक अनुसंधान में निष्ठा’ के विषय पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने फैब्रिकेशन, साहित्यिक चोरी आदि के बारे में चर्चा करते हुए अनुसंधान लेखों की बिक्री, लेखकीय हेरफेर जैसे अभ्यास से अच्छे अनुसंधान अभ्यास का उल्लंघन के बारे में बात की। उन्होंने अनुसंधान में निष्ठा को बढ़ावा देने हेतु अंतरराष्ट्रीय और भारतीय संस्थाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने युवा शोधकर्ताओं को अनुसंधान नैतिकता सुनिश्चित करने हेतु नियमों का पालन करने और गुणवत्ता अनुसंधान कार्य पर ध्यान केंद्रित के लिए प्रोत्साहित किया।
दूसरे वक्ता डॉ. दमनप्रीत सिंह ने ‘जेब्राफिश (डैनियो रेरियो) : बायोमेडिकल रिसर्च का एक रियल टाइम एक्सपेरिमेंटल मॉडल'’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने दवा खोज प्रक्रिया में प्रायोगिक जानवरों की भूमिका पर चर्चा करते हुए बताया कि पिछले कुछ वर्षों में अनुसंधान में जानवरों के प्रयोगों में विकल्प के रूप में ज़ेब्राफिश के उपयोग में वृद्धि हुई है। उन्होंने फार्माकोलॉजी प्रयोगों में कृंतकों की तुलना में जेब्राफिश का उपयोग करने के फायदे बताए और अनुसंधान के उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु सही जेब्राफिश प्रजातियों का चुनाव एवं उनकी प्रजनन तकनीकों पर चर्चा की। उन्होंने आईएचबीटी, पालमपुर में अपनी लैब में विकसित किए गए विभिन्न ज़ैब्रिफ़िश मॉडल साझा किए। अंत में, डॉ. सिंह ने शोधार्थियों से अनुसंधान में ज़ेब्राफिश के उपयोग के लिए सीपीसीएसईए द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए अनुरोध किया।
कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने प्रो. एस.एस. शर्मा और डॉ. दमनप्रीत सिंह को विद्वतापूर्ण व्याख्यान देने के लिए उनका आभार व्यक्त किया। इन कार्यक्रमों के समन्वयक डॉ. पुनीत बंसल, विभागाध्यक्ष, फार्माकोलॉजी विभाग, सीयूपीबी, थे। विश्वविद्यालय के संकाय, शोधार्थियों और छात्रों ने आभासी पटल के माध्यम से इन कार्यक्रम में भाग लिया।