-मेयर की कारगुजारी को लेकर कांग्रेस में ही उठने लगे विरोधी स्वर, बैठक में हंगामे की संभावना के चलते अंतिम समय में लिया फैसला बठिंडा, 29 जून. नगर निगम बठिंडा में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के अंदर विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए है। इसी का नतीजा है कि बुधवार को आयोजित होने वाली जरनल हाउस की बैठक अंतिम समय में रद्द कर दी गई। इसके बाद कांग्रेस के ही करीब 17 पार्षदों ने बुधवार को कमिश्नर नगर निगम को मिलकर एक मांगपत्र सौंपा। इसमें कहा गया कि शहर में बरसाते शुरू हो रही है व ड्रेन सिस्टम को दुरुस्त करने के साथ शहर की लंबित योजनाओं को फंड जारी करने के लिए बैठक अहम थी। इसमें मेयर की तरफ से अचानक हाउस की बैठक रद्द कर दी गई जिसमें अभी अगली बैठक कब होगी इसके बारे में स्पष्ट नहीं है। इस स्थिति में शहर बरसाती पानी की मार झेलेगा व लोगों को परेशानी होगी। उन्होंने इस बाबत नगर निगम कमिश्नर से सीनियर डिप्टी मेयर की रहनुमाई में हाउस की बैठक बुलाने व लंबित प्रस्तावों को मंजूर करवाने की मांग रखी है। इस दौरान पार्षद बलजिंदर सिंह ठेकेदार, नेहा जिंदल, सिमरन, हरविंदर सिंह, प्रवीण गर्ग, बलराज सिंह पक्का, सुखदेव सिंह, पुष्पा रानी, ममता रानी, जसबीर सिंह जस्सा, सोनिया बांसल, मलकीत गिल, बंत सिंह रंधावा, कमलेश मेहरा, रत्न राही, विवेक गर्ग व उमेश गर्ग शामिल रहे व मांग पत्र में हस्ताक्षर किए।
गौरतलब है कि बुधवार को नगर निगम के जरनल हाउस की होने वाली मीटिंग को मंगलवार देर रात को अचानक रद्द कर दिया गया था। मेयर आफिस से जारी पत्र के अनुसार मेयर रमन गोयल को अचानक घरेलू काम से इमरजेंसी शहर से बाहर जाने का तर्क देकर यह मीटिंग अनिश्चतिकालीन समय के लिए रद्द कर दी गई है। कांग्रेसी सूत्रों की माने तो बुधवार को होने वाली जरनल हाउस की मीटिंग में कांग्रेसी पार्षदों द्वारा मेयर रमन गोयल का विरोध किया जाना था और उन्हें मेयर की कुर्सी से हटाने के लिए बकायदा प्रस्ताव कांग्रेसी पार्षदों की तरफ से रखा जाना था। इस बाबत कांग्रेसी पार्षदों का एक गुट अंदरखाते तैयारी भी कर चुका था। सूत्रों का कहना है निगम में 50 में से 40 पार्षद कांग्रेस के होने के बावजूद भी मेयर रमन गोयल की तरफ से कांग्रेसी पार्षदों के काम तक नहीं करवाएं जा रहे और न हीं पार्षदों की समस्या निगम अधिकारियों से हल करवाई जा रही है। बागी पार्षदों का कहना है कि ऐसे में रमन गोयल को मेयर की कुर्सी पर बने रहने का कोई भी अधिकार नहीं है। ऐसे में निगम की सत्ता पर कांग्रेस का कब्जा जमा रखने के लिए मेयर का बदलान बेहद जरूरी है। बता दें कि विधानसभा चुनाव 2022 के परिणाम में वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल को मिली हार के लिए ज्यादातर पार्षदों ने मेयर रमन गोयल को जिम्मेवार ठहराया था और उसके बाद से ही उसे मेयर की कुर्सी से हटाने के लिए कई पार्षदों ने मांग उठानी भी शुरू कर दी थी, लेकिन ज्यादातर पार्षद खुलकर सामने आकर विरोध नहीं कर रहे थे, लेकिन अब कांग्रेसी पार्षदों की निगम अधिकारियों द्वारा कोई भी सुनवाई नहीं करने और उनके वार्डों के विकास काम नहीं करवाएं जाने से दुखी कांग्रेसी पार्षदों के एक गुट ने अंदरखाते मेयर का विरोध करते हुए उसे हटाने के लिए तैयारी शुरू कर रखी और एक-एक पार्षद से मिलकर उन्हें मेयर के खिलाफ अपने गुट में शामिल करने का प्रयास कर रहे है।
फोटो- नगर निगम बठिंडा के कमिश्नर को मांग पत्र सैंपते पार्षद। इस दौरान मेयर के खिलाफ करीब 17 पार्षद इकट्ठा हुए।