चंडीगढ़। पंजाब के आठ नगर निगमों में जीत के बाद अब इनके लिए मेयर के चयन को लेकर कांग्रेस में माथापच्ची शुरू हो गई है। स्थानीय मंत्री और विधायक अपनी पसंद का मेयर बनाने की कोशिश में जुटे हैं। संवैधानिक तौर पर मेयर का चयन हाउस में जुड़ने वाले पार्षदों को करना है लेकिन असल में मुहर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से ही लगनी है। ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सोच-समझ कर ऐसे लोगों को मेयर बनाएंगे जिससे भविष्य में कोई चुनौती ने पैदा करे और सारा कुछ नियंत्रण में रहे।
सात नगर निगमों में कांग्रेस के मेयर बनना तय, मोगा में भी पार्टी का मेयर बनने की उम्मीद
दरअसल, पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को मिली बड़ी सफलता ने कैप्टन अमरिंदर को और मजबूत कर दिया है। आठ नगर निगमों में से सात निगमों बठिंडा, पठानकोट, बटाला, कपूरथला, होशियारपुर, मोहाली व अबोहर में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है। मोगा में बहुमत नहीं मिला है, लेकिन उम्मीद है कि कांग्रेस का ही मेयर बनेगा। चूंकि अभी इन आठों नगर निगमों में मेयर के पद महिलाओं और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित भी होने हैं इसलिए सारा खेल कैप्टन अमरिंदर के हाथ में ही है।
कैप्टन अमरिंदर मेयर चयन में अगले विधानसभा चुनाव का भी रखेंगे ध्यान
नगर निगमों में मेयर का चयन करने के मामले में मुख्यमंत्री अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव को भी ध्यान में रखेंगे। हालांकि 2017 में उन्होंने कहा था कि वह अपना अंतिम चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन अब उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि वह फिर से चुनाव लड़ना चाहेंगे। कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ ने भी बुधवार को 'कैप्टन फॉर 2022' स्लोगन जारी कर इसको लेकर बात आगे बढ़ा दी है।
साफ है कि इससे कैप्टन के बाद लीडरशिप की उम्मीद करने वाले नेताओं इससे निराश होगी। ऐसे नेता कैप्टन अमरिंदर के लिए कोई परेशानी न पैदा करें इसलिए स्थानीय इकाइयों के प्रधान, निगमों के मेयर, विधायक और जिला प्रधान तक बनवाने में कैप्टन अपने हिसाब से लगवाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
अमृतसर में मेयर बनाने के मामले में कैप्टन ने उस समय स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की भी चलने नहीं दी थी। निकाय मंत्री होने के नाते सिद्धू इस पद अपने नजदीकी को बिठाना चाहते थे, लेकिन कैप्टन ऐसा लाभ सिद्धू को देने के मूड में नहीं थे। यही वजह रही कि कर्मजीत सिंह रिंटू के नाम को सीएम ने हरी झंडी दी और सिद्धू अपने पसंद के नेता काे यह पद नहीं दिला सके।
बठिंडा में जगरूप सिंह गिल मेयर पद के प्रबल दावेदार
अब यह स्थिति इस बार के स्थानीय निकाय चुनाव के बाद भी दिख सकती है। बठिंडा में जगरूप सिंह गिल मेयर पद के प्रबल दावेदार हैं। वह सातवीं बार पार्षद बने हैं और मुख्यमंत्री के करीबी माने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने जिला योजना बाेर्ड की चेयरमैनशिप को भी छोड़ा है। साफ है कि सीएम की ओर से उन्हें ही मेयर बनाए जाने को हरी झंडी है। हालांकि वित्तमंत्री मनप्रीत बादल भी यहां अपना उम्मीवार खड़ा करना चाहेंगे।
मोहाली में स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू के भाई अमरजीत जीती भी दौड़ में आगे हैं। बड़ा सवाल है क्या भाई होने के नाते बलबीर सिंह सिद्धू उन्हें मेयर बनवा पाएंगे या फिर यहां भी कोई नया चेहरा देखने को मिलेगा। बटाला नगर निगम पर कांग्रेस ने 35 सीटे जीतकर कब्जा कर लिया है। यहां कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और उनके प्रतिद्वंद्वी व पूर्व विधायक अश्विनी सेखड़ी के बीच अपने-अपने उम्मीदवार को मेयर बनाने की माथापच्ची होना तय है।
पठानकोट में मेयर की दौड़ में पन्ना लाल भाटिया सबसे आगे हैं, लेकिन अगर यह सीट महिला के लिए आरक्षित हो जाती है तो कोमल के नाम पर मुहर लग सकती है। उनके अलावा अजय कुमार और विक्रम महाजन भी दौड़ में हैं। अबोहर में निश्चित रूप से पार्टी प्रधान अपनी पसंद का मेयर बनाना चाहेंगे। पांचवी बार पार्षद बने विमल ठठई का नाम सबसे आगे माना जा रहा है।