Wednesday, December 23, 2020

दिल्ली के कोटला स्टेडियम में जेटली की मूर्ति पर विवाद, बेदी ने DDCA से दिया इस्तीफा, स्टैंड्स से नाम हटाने की मांग


 

नई दिल्ली. फिरोजशाह कोटला मैदान पर डीडीसीए के दिवंगत अध्यक्ष अरुण जेटली की प्रतिमा लगाने के फैसले से खफा महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने क्रिकेट संघ से उनका नाम दर्शक दीर्घा से हटाने के लिए कहा है। उनके नाम पर दीर्घा 2017 में बनाई गई थी। इसके विरोध में डीडीसीए से भी इस्तीफा भी दे दिया है। एक टीवी चैनल से बातचीत में बेदी ने कहा कि मेरे जमीर ने जो कहा, मैंने कर दिया। एक क्रिकेट ग्राउंड में एक नेता का बुत बनाना शोभा नहीं देता है। यह बात मेरे जेहन में उतर नहीं रही है। मैंने उन्हें बुत लगाने से रोक नहीं रहा हूं। मेरा कहना है कि मेरा नाम बस वहां से हटा दीजिए।


दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) पर बरसते हुए बेदी ने भाई भतीजावाद और ‘क्रिकेटरों से ऊपर प्रशासकों को रखने’ का आरोप लगाते हुए संघ की सदस्यता भी छोड़ दी। उन्होंने डीडीसीए के मौजूदा अध्यक्ष और अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली को लिखे पत्र में कहा , ‘मैं काफी सहनशील इंसान हूं लेकिन अब मेरे सब्र का बांध टूट रहा है । डीडीसीए ने मेरे सब्र की परीक्षा ली है और मुझे यह कठोर कदम उठाने के लिये मजबूर किया।’

बेदी ने कहा ,‘तो अध्यक्ष महोदय मैं आपसे मेरा नाम उस स्टैंड से हटाने का अनुरोध कर रहा हूं जो मेरे नाम पर है और यह तुरंत प्रभाव से किया जाए। मैं डीडीसीए की सदस्यता भी छोड़ रहा हूं।’

जेटली 1999 से 2013 के बीच 14 साल तक डीडीसीए अध्यक्ष रहे। क्रिकेट संघ उनकी याद में कोटला पर छह फुट की प्रतिमा लगाने की सोच रहा है। डीडीसीए ने 2017 में मोहिंदर अमरनाथ और बेदी के नाम पर स्टैंड्स का नामकरण किया था। बेदी ने कहा, ‘मैने काफी सोच समझकर यह फैसला लिया है। मैं सम्मान का अपमान करने इवालों में से नहीं हूं। लेकिन हमें पता है कि सम्मान के साथ जिम्मेदारी भी आती है। मैं यह सुनिश्चित करने के लिए सम्मान वापस कर रहा हूं कि जिन मूल्यों के साथ मैने क्रिकेट खेली है, वे मेरे संन्यास लेने के चार दशक बाद भी जस के तस हैं।’


उन्होंने कहा कि वह कभी जेटली की कार्यशैली के मुरीद नहीं रहे और हमेशा उन फैसलों का विरोध किया जो उन्हें सही नहीं लगे। उन्होंने कहा,‘ डीडीसीए का कामकाज चलाने के लिए जिस तरह से वह लोगों को चुनते थे, उसे लेकर मेरा ऐतराज सभी को पता है। मैं एक बार उनके घर पर हुई एक बैठक से बाहर निकल आया था क्योंकि वह बदतमीजी कर रहे एक शख्स को बाहर का रास्ता नहीं दिखा सके थे।’

बेदी ने कहा, ‘मैं इस मामले में बहुत सख्त हूं। शायद काफी पुराने ख्याल का। लेकिन मैं भारतीय क्रिकेटर होने पर इतना फख्र रखता हूं कि चापलूसों से भरे अरुण जेटली के दरबार में हाजिरी लगाना जरूरी नहीं समझता था।’ उन्होंने कहा,‘फिरोजशाह कोटला मैदान का नाम आनन फानन में दिवंगत अरुण जेटली के नाम पर रख दिया गया जो गलत था लेकिन मुझे लगा कि कभी तो सदबुद्धि आएगी। लेकिन मैं गलत था। अब मैने सुना कि कोटला पर अरुण जेटली की मूर्ति लगा रहे हैं। मैं इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता।’

उन्होंने कहा कि दिवंगत जेटली मूल रूप से नेता थे और संसद को उनकी यादों को संजोना चाहिए। उन्होंने कहा,‘ नाकामी का जश्न स्मृति चिन्हों और पुतलों से नहीं मनाते। उन्हें भूल जाना होता है।’

बेदी ने कहा, ‘आपके आसपास घिरे लोग आपको नहीं बताएंगे कि लॉडर्स पर डब्ल्यू जी ग्रेस, ओवल पर सर जैक हॉब्स, सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर सर डॉन ब्रेडमैन, बारबाडोस में सर गैरी सोबर्स और मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर शेन वॉर्न की प्रतिमाएं लगी हैं।' उन्होंने कहा,‘खेल के मैदान पर खेलों से जुड़े रोल मॉडल रहने चाहिए। प्रशासकों की जगह शीशे के उनके केबिन में ही है। डीडीसीए यह वैश्विक संस्कृति को नहीं समझता तो मैं इससे परे रहना ही ठीक समझता हूं। मैं ऐसे स्टेडियम का हिस्सा नहीं रहना चाहता जिसकी प्राथमिकताएं ही गलत हो। जहां प्रशासकों को क्रिकेटरों से ऊपर रखा जाता हो। कृपया मेरा नाम तुरंत प्रभाव से हटा दें।’

ग्रीन सिटी सुसाइड मामला:अब लुधियाना रेंज के आईजी नौनिहाल सिंह करेंगे दविंदर गर्ग केस की जांच

 


  • आरोपी मनजिंदर सिंह हैप्पी, अशोक कुमार व प्रवीण को मिली जमानत
  • कांग्रेसी नेता संजय जिंदल बॉबी की गिरफ्तारी पर 21 जनवरी तक रोक

    बठिंडा। 22 अक्तूबर को ग्रीन सिटी 2 कालोनी में हुए कारोबारी दविंदर गर्ग फैमिली सुसाइड केस की जांच डीजीपी पंजाब ने लुधियाना रेंज के आईजी आईपीएस नौनिहाल सिंह को सौंप दी है। डीजीपी पंजाब ने मामले में आईजी रेंज को पत्र जारी कर इस केस की कानून अनुसार तथ्यों के आधार पर जांच करने के बाद रिपोर्ट सौंपने के निर्देश जारी किए हैं। इस हाई प्रोफाइल केस की जांच दूसरे जिले के किसी सीनियर अधिकारी से

    करवाने के लिए मृतक दविंदर गर्ग के भाई मुद्दई अश्वनी कुमार के वकील शिंदरपाल सिंह बराड़ ने डीजीपी को शिकायत भेजी थी। उक्त शिकायत पर संज्ञान लेते हुए डीजीपी पंजाब ने 22 दिसंबर को उक्त मामले की पूरी तथ्यों के आधार पर जांच करने के लिए आईजी रेंज लुधियाना नौनिहाल सिंह को सौंप दी है। इस मामले में एसएसपी बठिंडा भूपिंदरजीत सिंह विर्क को भी पत्र लिखकर निर्देश जारी किए गए कि उक्त केस से

    संबंधित रिकार्ड आईजी लुधियाना रेंज को जल्द भेजा जाए।सुसाइड नोट में 9 पर प्रताड़ित करने का था आरोप : 22 अक्तूबर, 2020 को दविंदर गर्ग ने अपनी पत्नी, 14 साल के बेटे व 10 साल की बेटी के सिर में गोली मारने के बाद खुद भी खुदकुशी कर ली थी। दविंदर गर्ग ने सुसाइड नोट में 9 आरोपियों मनजिंदर सिंह धालीवाल, राजू कोहेनूर, अमन कोहेनूर, बब्बू कालड़ा, संजय जिंदल बॉबी, अशोक कुमार रामा मंडी, प्रवीन बंसल, अभिषेक जोहरी दिल्ली व मनी बंसल पर उसे टार्चर करने का आरोप लगाया था। अपने सुसाइड नोट में दविंदर गर्ग ने प्रत्येक आरोपी का नाम और मोबाइल नंबर लिखकर उनके द्वारा की गई प्रताड़ना के बारे में लिखने के अलावा किसी को भी माफ नहीं करने की बात कही थी। इस मामले में उक्त सभी आरोपियों के खिलाफ खुदकुशी के लिए मजबूर करने के तहत थाना कैंट में केस दर्ज किया गया था।

    क्या था पूरा मामला

    ग्रीन सिटी निवासी व ट्रेडिंग व्यापारी दविंदर गर्ग की तरफ से अपनी पत्नी व बच्चो की गोली मारकर खुद भी आत्महत्या करने के 24 घंटे के भीतर पुलिस ने एक यूथ कांग्रेसी नेता समेत चार आरोपित जिसमें बठिंडा निवासी मनजिंदर सिंह धालीवाल, प्रवीन बांसल, मनी बासंल व रामा मंडी निवासी अशोक कुमार को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि मृतक दविंदर के बिजनेस पार्टनर व आरोपित बठिंडा राजू कोहनूर उर्फ जादूगर, उसका भाई बब्बू कालड़ा, पत्नी अमन काहूनर, कांग्रेसी नेता संजय जिंदल उर्फ बाबी के अलावा सेंट्रल दिल्ली निवासी अभिषेक जोहरी की गिरफ्तारी होनी अभी बाकी है। यह सभी आरोपित अभी फरार है, जिनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की विभिन्न टीमें उनके ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। पुलिस का दावा है कि बाकी आरोपित भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिए जाएंगे।

    गौर होकि थाना कैंट पुलिस ने मृतक दविंदर गर्ग के सुसाइड नोट के आधार पर इन नाै आरोपितों के खिलाफ आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज किया था, जबकि मृतक दविंदर पर अपनी पत्नी व बच्चों की गोली मारकर हत्या करने का मामला दर्ज किया था। पुलिस ने घटना के बाद ही सुसाइड नोट में लिखे गए नामाें के आधार पर पुलिस ने आरोपित लोगों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे। वहीं कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की गई थी। इसके आधार पर पुलिस ने 24 घंटे के भीतर चार आराेपितों को गिरफ्तार करने में सफल हो सकी। उधर, शुक्रवार दोपहर बाद चारों शवाें का पोस्टमार्टम करवाने के बाद स्थानीय दाना मंडी वाले रामबाग में एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान मृतक के बड़े भाई अश्वनी गर्ग ने चारों को मुख्यअग्नि दी। वहीं राजनीति पार्टियों के नेताओं के अलावा शहर के व्यापारी वर्ग ने रामबाग पहुंचकर परिवार के साथ शोक व्यक्त किया, वहीं पूरे परिवार को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी।

    बिजनेस पार्टनर की तरफ से धोखा दिए जाने से अहाता था मृतक दविंदर

    कैंट पुलिस को बयान देकर मृतक के बड़े भाई व पंचवटी नगर निवासी अश्वनी गर्ग ने बताया कि करीब ढाई साल पहले उसके भाई दविंदर गर्ग ने आरोपित राजू कोहनूर उर्फ जादूगर के साथ मिलकर करिपटो करंसी बिट क्वाइंन में पार्टनर के तौर पर काम शुरू किया था। इस बिजनेस में और भी लोग हिस्सेदार थे, लेकिन उसका भाई पूर्व छह माह से मानसिक तौर पर काफी परेशान था, चूकिं लाकडाउन के कारण बिट क्वाइंन कंपनी के रेट कम हाे गए थे। आरोपित राजू,उसके भाई बब्बू व पत्नी अमन ने कंपनी में लगाया अपने हिस्से का पैसा निकालकर अपने पास रख लिया, जबकि जो पैसा लोगों का देना था वह दविंदर गर्ग पर डाल दिया। यह राशि कराेड़ों में थी, जिसके चलते कुछ पैसा तो दविंदर ने किसी तरह दे दिया, लेकिन कई लोग उसे पैसे वापस करने के लगातार दबाव बना रहे थे। वहीं उसे लगातार धमकियां भी दे रहे थे, जिसके कारण उसका भाई मानसिक तौर पर परेशान था।

    इसी दौरान मनजिंदर सिंह धालीवाल उर्फ हैप्पी, प्रवीण बांसल, संजय जिंदल उर्फ बाबी, मनी बांसल बठिंडा, अशोक कुमार, अभिषेक जौहरी भी उसके भाई को पैसा जल्दी देने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। वही ऐसा नहीं करने पर उसे राजनीतिक डालकर बर्बाद करने व पुलिस के पास केस दर्ज करवाने की धमकियां देना शुरू कर दी। उक्त लोग राजू से मिलकर उसे सत्तापक्ष में पहचान होने व उसके खिलाफ कानूनी करने की लगातार धमकियां दे रहे थे, जबकि उनके पैसे आरोपित राजू, उसका भाई बब्बू कालड़ा व महिला आरोपित अमन अपने हिस्से में ले चुके थे। बिजनेस पार्टनर की तरफ से दिए गए धोखे से आहात व लेनदारों की तरफ से बार-बार पैसे मांगने से परेशान दविंदर गर्ग ने बीती वीरवार की दोपहर अपने ग्रीन सिटी स्थित किराये की कोठी में पहले पत्नी मीना गर्ग, बेटा अरूष गर्ग, बेटी मुस्कान गर्ग को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया व बाद में स्वयं को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। मरने से पहले आठ पेज का एक सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसके आधार पर पुलिस ने एक महिला समेत 9 लोगों पर थाना कैंट में मामला दर्ज किया था।

किसान आंदोलन का 28वां दिन :सरकार से बातचीत के न्योते पर किसानों में 48 घंटे बाद भी सहमति नहीं, आज फिर मीटिंग करेंगे





 नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 28वां दिन है। सरकार ने बातचीत के न्योते की जो चिट्ठी रविवार रात भेजी थी, उस पर किसान बीते 2 दिन में फैसला नहीं ले पाए। मंगलवार को कुंडली बॉर्डर पर पंजाब के किसान नेताओं की मीटिंग हुई, इसके बाद कहा गया कि संयुक्त मोर्चा के सदस्य बुधवार को तय करेंगे कि सरकार से बात करनी है या नहीं।

राजनाथ बोले- किसानों के लिए सरकार संवेदनशील
आज किसान दिवस है। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किसानों को शुभकामनाएं दी हैं। राजनाथ ने कहा कि किसान देश को खाद्य सुरक्षा देते हैं। कुछ किसान कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। सरकार उनसे पूरी संवेदनशीलता से बात कर रही है। उम्मीद है कि वे जल्द आंदोलन खत्म करेंगे।

अपडेट्स

  • किसानों के समर्थन में कांग्रेस आज उत्तर प्रदेश में भाजपा नेताओं के दफ्तरों और घरों का घेराव करेगी। कांग्रेस कार्यकर्ता ताली और थाली बजाकर प्रदर्शन करेंगे।
  • कांग्रेस ने कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए राष्ट्रपति से दखल की मांग की है। पार्टी का कहना है कि 2 करोड़ किसानों के साइन वाला ज्ञापन राहुल गांधी के नेतृत्व में 24 दिसंबर को राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा।

ब्रिटिश PM को भारत आने से रोकने की अपील करेंगे किसान
किसान नेता कुलवंत संधू ने कहा कि हम ब्रिटेन के सांसदों को लिख रहे हैं कि जब तक केंद्र सरकार किसानों की बात नहीं मानती, तब तक PM बोरिस जॉनसन को भारत आने से रोकें। दूसरी तरफ किसानों की भूख हड़ताल भी जारी है। दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर जहां-जहां प्रदर्शन चल रहा है, वहां रोज 11 किसान 24 घंटे के उपवास पर बैठ रहे हैं।

सरकार का दावा- UP के किसान नेता हमारे साथ
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा, 'उत्तर प्रदेश के कुछ किसान नेता मुझसे मिले। उन्होंने नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार का समर्थन किया है। उनका कहना है कि कानूनों में बदलाव नहीं होने चाहिए।'

8 माह में बठिंडा जिला प्रशासन को कोरोना वायरस की स्थिति से निपटने के लिए मिले तीन करोड़ 6 लाख से अधिक


 

-सर्वाधिक 1 करोड़ 53 लाख 5 हजार 250 रूपये सिविल सर्जन बठिंडा दफ्तर  ने सेहत प्रबंधन पर तो 40 लाख रु पए नगर निगम ने लोगों को राशन वितरण करने में खर्च करे
 

बठिंडा. मार्च माह में कोरोना वायरस ने जिले में दस्तक दी तो जिला प्रशासन ने आपात तैयारियां शुरू की। इस दौरान कोरोना वायरस से संक्रिमत लोगों के लिए कोरनटाइन सेंटर बनाने से लेकर उनके खानपान की व्यवस्था करना, मृतक व्यक्तियों के संस्कार करना व टेस्टिंग के साथ दवाईयों का इंतजाम किया गया। इस काम के लिए प्रशासन 

को जहां सरकार की तरफ से अनुदान मिला वही सामाजिक व धार्मिक संगठनों ने भी खुलकर सहयोग दिया। इसमें सरकार की तरफ से तीन करोड़ 6 लाख रु पए की आर्थिक सहायता दी गई जिसमें सर्वाधिक राशि प्रशासन ने सेहत विभाग को जारी की जिसमें सिविल सर्जन, बठिंडा ने एक करोड़ 53 लाख पांच हजार 250 रु पए खर्च किए। यह राशि एकांतवास सेंटरों/ कोविड केयर सेंटरों में खाना और अन्य जरु री वस्तु देने के साथ मशीनरी की खरीद परोख्त पर लगाए गए। वही दूसरी नंबर पर राशि खर्च करने में नगर निगम बठिंडा आगे रहा जिसने 40 लाख रु पए की राशि विभिन्न वार्डों में जरु रतमंदों को सूखा व बना हुआ खाना देने में खर्च किया गया। यह राशि उक्त राशन से अलग है जो सामाजिक संस्थाओं व लोगों ने नगर निगम को दान के तौर पर दिया था। इसमें प्रशासन ने रेडक्र ास सोसायटी के अलावा जिले में विभिन्न मंडलों के एसडीएम व एडीसी विकास को भी राशि का आबांटन किया। जिले में कोरोना के पीक काल में एक दिन में कोविड सेंटरों में 500 से एक हजार लोग दाखिल रहते थे। इन सभी लोगों को पहले चरण में जिला प्रशासन की तरफ से जहां खानपान दिया गया वही उनकी केयर व रहने की व्यवस्था की गई। इसके बाद प्रशासन ने सेंटरों में दाखिल लोगों की देखभाल का जिम्मा सामाजिक संस्थाओं को सौंप दिया था लेकिन इसमें प्रबंधन व्यवस्था के लिए संस्थाओं को आर्थिक सहयोग भी दिया गया।

 

पांच चरणों में किया गया फंड का आबांटन

 

फिलहाल आर.टी.आई. में मिली सूचना के अनुसार सरकार की तरफ से पांच चरणों में फंडों का आबांटन किया गया। इसमें 23 मार्च 2020 को 1,00,00,000 रूपये, 11 मई को 7,10,937 रूपये, 15 मई को 21,32,813 रूपये, 19 जून को फिर से 1,00,00,000 रूपये और 13अगस्त को 77,82,500 रूपये प्रशासन को जारी किया। इस तरह से राज्य सरकार ने आपातकालिन फंड में से तीन करोड छह लाख 26 हज़ार 250 रूपये जारी किए। इसमें 23 मार्च 2020 को मिले एक करोड रु पयों में से  कमिश्नर, नगर निगम, बठिंडा दफ्तर को लगभग 40 लाख रु पए का गरीब लोगों को राशन उपलब्ध करवाया गया। वही  सचिव रेड क्र ॉस बठिंडा द्वारा लगभग 10 लाख रु पयों की राशि कोविड केयर सेंटरों में बैडिंग मटेरियल, अवेर्नेस कैम्पेन, स्प्रे पम्पस के ऊपर खर्च की गई।

 

विभिन्न मंडलों व सिविल सर्जन के मार्फत मिली राशि खर्च हुई

इसमें उप मंडल मिजस्ट्रेट बठिंडा द्वारा लगभग 13,70,607 रु पयों की राशि कोविड-19 के बचाव के लिये किए गए प्रयासों और एकांतवास सेंटरों व कोविड केयर सेंटरों में खाना और अन्य जरु री वस्तुयों के लिये खर्च किए,  उप मंडल मिजस्ट्रेट रामपुरा फूल की तरफ से लगभग 30,800 रूपये एकांतवास सेंटरों में रखे व्यक्तियों के लिए राशन, खानपान, साजो समान पर खर्च किए गए। उप मंडल मिजस्ट्रेट तलवंडी साबो की तरफ से लगभग 1,31,900  रूपये एकांतवास सेंटरों में राशन,खाना, साजो समान पर, उप मंडल मिजस्ट्रेट मौड की तरफ लगभग 62,000 रूपए एकांतवास सेंटरों में 10 कूलर उपलब्ध करवाए गए। अतिरिक्त उपायुक्त (विकास) बठिंडा की तरफ से लगभग 5 लाख रूपये एकांतवास सेंटरों में ठहराये गये व्यक्तियों के लिए राशन, खाना व अन्य साजो समान पर खर्च किए गए। इसी तरह बी.एंड.आर., पी.डब्ल्यू.डी. बठिंडा के एक्सीईन की तरफ से लगभग 5,04,943 रूपये कोविड-19 के दौरान कंटोनमेंट जोन/ माईक्र ो कंटोनमेंट जोन और अन्य अलग-अलग स्थानों पर की गई बैरीकेडिंग पर खर्च किए गए। सिविल सर्जन बठिंडा द्वारा लगभग 23 लाख 99 हजार 750 रूपए कोविड केयर सेंटरों और आईसोलेशन फेसिलटी  के लिए रखे गये वलंटीयर्ज को मान भत्ता और अन्य खर्चे और पी.ओ.एल. में खर्च किए गए हैं। इस तरह से एक करोड़ की राशि पहले चरण में खर्च कर दी गई। इसी तरह 11 मई को मिले सात लाख दस हज़ार 937 रु पयों में से  7,10,937 रूपये करोना वायरस के कारण लॉकडाउन की स्थिति में पंजाब में फसे लोगों को अपने पैतृक राज्य में रेल से भेजने के लिये किये जरु री प्रबंध करने सम्बन्धी खर्च हुए।

 

कोरोना काल में जिले में फंसे प्रवासी लोगों को घर भेजने पर भी हुई राशि खर्च

 

वही 15 मई 2020 को मिले इक्कीस लाख बत्तीस हज़ार 813 रु पयों में से 17,19, 168 रूपये करोना वायरस के कारण लॉकडाउन की स्थिति में पंजाब में फंसे लोगों को अपने पैतृक राज्य में रेल से भेजने के लिये किये जरु री प्रबंध करने सम्बन्धी खर्च हुए। इसमें करीब 4,13,645 रूपये शेष बचे हैं। 19 जून को मिले एक करोड रु पयों में से  सिविल सर्जन, बठिंडा की तरफ से 60 लाख रु पयों की राशि वलंटीयर्ज की सैलरी, प्रिंटर, अन्या खर्चे और पी.ओ.एल. और बायोमेडिकल के खर्चे आदि पर खर्च की गई। एसडीएम बठिंडा को 25 लाख रु पयों की राशि दी गई वही 10 लाख रूपयों की राशि एकांतवास सेंटरों में खाने, पैकिंग मैटेरियल, एन.आर.आईज को लेकर आने, फायर सेफ्टी रिपेयर और करोना के कारण मरे व्यक्तियों के संस्कार आदि पर खर्च की गई। लगभग 14,82,186/- रु पयों की राशि कोविड-19 के बचाव के लिये किये गये यत्नों और एकांतवास सेंटरों में खाना और अन्य वस्तु उपलब्ध करवाने के लिए खर्च की गई। उप मंडल मिजस्ट्रेट बठिंडा के पास लगभग 57,814 रूपयों की राशि मौजूद है। वही प्रशासन के पास  15 लाख रूपये बचे हुए है। 13 अगस्त को मिले 77,82,500 रु पयों में से  सिविल सर्जन, बठिंडा को फिर से 69,05,500 रु पयों की राशि जारी की गई। सिविल सर्जन, बठिंडा की तरफ से 57,64, 269 रूपयों की राशि वलंटीयर्ज की सैलरी, वाशिंग मशीन, अन्य खर्चे और पी.ओ.एल., बायोमेडिकल के खर्चे और लैब टेस्ट आदि पर खर्च की गई और सिविल सर्जन, बठिंडा के पास लगभग 11,41,221 रूपयों की राशि मौजूद है। वही प्रशासन के पास इस मद में 8,77,000 रूपये बकाया है जो खर्च नहीं हुए है।

 

आरटीआई एिक्टविस्ट व ग्राहक जागो मंच के सचिव संजीव गोयल ने बताया कि प्रशासन की तरफ से मांगी गई जानकारी में करीब एक करोड़ 27 लाख 80 हजार के करीब खर्च हुआ।इस तरह से कोरोना काल में सिविल सर्जन, बठिंडा  ने 1,53,05,250 रूपये, एसडीएम बठिंडा ने 38,70,607 रूपये, कमिश्नर, नगर निगम, बठिंडा ने 40,00,000 रूपये, सचिव रेड क्र ॉस बठिंडा ने 10,00,000 रूपये, बी.एंड आर., पी.डब्ल्यू.डी., बठिंडा ने 5,04,943 रूपये, अतिरिक्त उपायुक्त (विकास) बठिंडा 5,00,000 रूपए, लोगों को पैतृक राज्य में रेल से भेजने के प्रबंधों पर 24,30,105 रूपये खर्च किए गए है।

 

 

लंबे समय से ड्यूटी पर गैरहाजिर चल रहे सेहत विभाग के 88 डाक्टर व स्टाफ नर्स नौकरी से निकाले


 

-बठिंडा में एक डाक्टर सहित छह लोगों को किया सेहत मिशन पंजाब ने बर्खास्त, खाली पदों पर होगी नई भर्ती

 बठिंडा. सेहत व परिवार भलाई विभाग के अधीन चल रहे राष्ट्रीय सेहत मिशन पंजाब में काम करने वाले करीब 88 डाक्टरों, स्टाफ नर्स, एएनएम, फार्मासिस्ट व कलैरिकल स्टाफ की सेवाएं समाप्त कर दी गई है। उक्त कर्मी लंबे समय से सेहत विभाग को सूचित किए बिना ही ड्यूटी से गैरहाजिर रहे थे। इसमें बठिंडा के 6 कर्मी शामिल है जिसमें पांच स्टाफ नर्स व एक बच्चों के माहिर डाक्टर शामिल है। इन सभी लोगों को सेहत विभाग ने 28 सितंबर 2020 को ड्यूटी पर गैरहाजिर रहने के संबंध में कारण बताओं नोटिस जारी किया था व मामले में जबावतलबी की थी लेकिन किसी भी कर्मी ने सेहत विभाग को जबाव नहीं भेजा और न ही ड्यूटी पर हाजिर रहे इसके चलते उन्हें नौकरी से निकालने की प्रक्रि या को शुरू कर दिया गया। बताया जा रहा है कि अधिकतर स्टाफ नर्स व एएनएम है जो पिछले पांच व दस साल से ड्यूटी ज्वाइंन करने के बाद अचानक बिना सूचना के गैरहाजिर रहने लगे। वही बताया जा रहा है कि इसमें ज्यादातर स्टाफ नर्स, एएनएम व फार्मासिस्ट ऐसे हैं जो विदेश में चले गए व वहां नौकरी करने लगे। विदेशों में स्टाफ नर्स व एएनएम की सर्वाधिक मांग रहती है जिसमें टेककेयर के साथ अस्पताल की सेवा में बेहतर पैसा होने के कारण उक्त लोग वापिस नहीं लौटते हैं।

बठिंडा में जिन 6 कर्मियों को नौकरी से निकाला गया है उसमें स्टाफ नर्स जसबीर कौर जो पीएचसी सेंटर कराडवाला में तैनात थी व 22 जून 2018 से नौकरी से गैरहाजिर चल रही थी। इसी तरह सीएचसी सेंटर मिहराज में तैनात स्टाफ नर्स रसप्रीत कौर सात अक्तूबर 2015 से गैरहाजिर रही। सीएचसी सेटर नथाना में तैनात स्टाफ नर्स शीशनदीप कौर 22 फरवरी 2006 से, जिला अस्पताल बठिंडा में तैनात स्टाफ नर्स अनमोलप्रीत कौर जुलाई 2015 से, सीएचसी संगत में तैनात स्टाफ नर्स शिवानी ग्रोवर 29 फरवरी 2013 से गैरहाजिर चल रही थी। इसी तरह बठिंडा में सीएचसी सेंटर नथाना में तैनात बच्चों के माहिर डाक्टर राहुल मदान 11 अक्तूबर 2017 से ड्यूटी में गैरहाजिर चल रहे थे। उक्त सभी लोगों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई।  राष्ट्रीय सेहत मिशन पंजाब की तरफ से जारी पत्र में सर्वाधिक 13 लोगों को जालंधर से, कपूरथला से नौ, रोपड़ से दो, पिटयाला से पांच. नवाशहर से एक, मुक्तसर साहिब से एक, मोहाली से 9, मोगा से पांच, लुधियाना से चार,होशियारपुर से 6, गुरदासपुर से सात, फिरोजपुर से 6, फाजिल्का से पांच, फतेहगढ़ साहिब से दो, बरनाला से एक व अमृतसर से चार लोगों को नौकरी से निकाला गया है। इसमें एक एसएमओ सहित 12 डाक्टर शामिल है जबकि एएनएम, स्टाफ नर्स की तादाद अधिक है वही नौकरी से निकाले लोगों में कंप्यूटर आपरेटर, कैशियर, फार्मासिस्ट भी शामिल है। फिलहाल सरकार की तरफ से उक्त लोगों को नौकरी से बर्खास्त करने के बाद करीब 88 सीटे खाली हो गई है जिसमें अब प्रक्रि या के तहत नई भर्ती संभव हो सकेगी। सेहत विभाग कोरोना काल के बाद सेहत विभाग में पड़ी खाली सिटों को फरवरी तक भरने की योजना बना रहा है व इसी योजना के तहत मात्र खानापूर्ति के लिए कागजों में चढ़े ऐसे सभी कर्मियों को बर्खास्त किया जा रहा है व उनकी जगह पर नई नियुक्ति का रास्ता साफ किया जा रहा है।    

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