चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी ओर से पंजाब में महंगी बिजली को मुद्दा बनाए जाने और 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की ओर से तीन प्राइवेट थर्मल प्लांटों के साथ किए गए समझौते को रद किए जाने के संदर्भ में पंजाब सरकार की ओर से लाया जाने वाला व्हाइट पेपर विवादों में फंस गया है। बिजली विभाग की ओर से जो ड्राफ्ट तैयार किया है उसे लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के आवास पर हई कैबिनेट सब कमेटी की बैठक में दो मंत्रियों ने इस ड्राफ्ट पर असहमति जताई।
सूत्रों के अनुसार बैठक में मुख्यमंत्री के अलावा चार मंत्रियों ने भाग लेना था, लेकिन दो मंत्री श्याम सुंदर अरोड़ा और विजय इंदर सिंगला शामिल नहीं हो सके, जबकि ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने बैठक के दौरान यहां तक कह दिया कि जिस अधिकारी ने पावर परचेज एग्रीमेंट तैयार किए थे अब वही अधिकारी व्हाइट पेपर का ड्राफ्ट ला रहा है।
सूत्रों का कहना है कि सहकारिता मंत्री सुखजिंदर रंधावा भी तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा की इस बात से सहमत थे। उन्होंने कहा कि ड्राफ्ट में पावर परचेज एग्रीमेंट करने के लिए किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया है। ऐसे में इसे विधानसभा में पेश करने का क्या मतलब रह जाता है, जबकि मंत्री रंधावा ने कहा कि कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में वादा किया था कि तीनों निजी थर्मल प्लांटों के साथ किए गए समझौते रद किए जाएंगे।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पिछले साल विधानसभा सेशन के दौरान दावा किया था कि पूर्व अकाली-भाजपा सरकार की ओर से तीन निजी थर्मल प्लांटों के साथ किए गए पावर परचेज एग्रीमेंट सही नहीं थे। जिस कारण उनसे ली जा रही महंगी बिजली का बोझ लोगों पर पड़ रहा है। कैप्टन ने वादा किया था कि वह अगले सेशन में इस संबंधी एक व्हाइट पेपर लाएंगे, जिसमें स्पष्ट हो जाएगा कि किस तरह पूर्व अकाली-भाजपा सरकार ने लोगों पर ऐसे समझौते से अनावश्यक बोझ डाल दिया है।
यह भी बताने योग्य है कि कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने विगत विधानसभा चुनाव से पहले दो-तीन तीन बार मीडिया से बात करते हुए कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो इन समझौतों को रद कर दिया जाएगा। परंतु चार साल बीतने के बावजूद कैप्टन सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। यहां तक कि पिछले सप्ताह मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी कंपनी के साथ समझौता करके उसे रद नहीं किया जा सकता। यदि ऐसा किया गया तो आने वाले समय में कोई भी बड़ा निवेशक पंजाब में निवेश नहीं करेगा।
काबिलेगौर है कि पंजाब में बिजली की दरें बहुत महंगी है। इन प्राइवेट थर्मल प्लांटों से खरीदी जाने वाली बिजली को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं। समझौतों के तहत अगर सरकार थर्मल प्लांटों से बिजली की खरीद नहीं करती है तो भी सरकार को एक निश्चित कीमत (फिक्स कास्ट) थर्मल प्लांटों को अदा करनी पड़ती है।