बठिंडा: कृषि व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध दिल्ली की सरहद पर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ लगातार जारी आंदोलन के चार महीने बीत जाने के बावजूद भी सरकार द्वारा किसानों की कोई उग सुग न लेने के रोष में संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा 26 मार्च के दिए गए भारत बंद के आवाह्न् के चलते जहाँ पंजाब व अन्य सूबों में इस बंद का असर नजर आया।
वहीं बठिंडा में भी किसानों की इस बंद काल को स्थानीय लोगों व व्यापारियों की तरफ से भरपूर समर्थन दिया गया तथा सुबह 6 से शाम 6 बजे तक शहर में पूरी तरह सन्नाटा छाया रहा और केवल जरूरी सेवाओं को छोड़ बाकी सब कुछ बंद नजर आया। इस दौरान किसानों की तरफ से विभिन्न जगह पर जाम लगाया गया और धरना देते हुए सरकार के विरुद्ध नारेबाजी की गई। किसानों द्वारा भाई घनिया चौक, जस्सी चौक, बादल घुद्दा रोड आदि जगह पर प्रदर्शन किया गया, जिसमें कीर्ति किसान यूनियन, भारती किसान यूनियन मानसा, भाकियू डकौंदा, भाकियू कादियां, भाकियू एकता उग्राहां, किसान सभा, किसान मजदूर संगठनों की तरफ से धरना प्रदर्शन जारी रखा गया। इस दौरान कई जगह मुलाजिम व पेंशनर्ज व अन्य संगठन भी शामिल हुए।
शहर के सभी मुख्य स्थान व नगर मॉडल टाउन फेस 1 , 2 व 3 , अजीत रोड, पावर हॉउस रोड, 100 फुट्टी रोड, भागू रोड, माल रोड, अमरीक सिंह रोड, जीटी रोड, सुर्खपीर रोड, मानसा रोड, मलोट रोड, आदि हर जगह सब कुछ बंद नजर आ रहा था और सड़कों व गलियों पर चुप्पी छाई हुई थी एवं ट्रांसपोर्ट सेवा मुकम्मल तौर पर बंद रही जिसमें बस सेवा से लेकर ऑटो रिक्शा तक भी नहीं दिखाई दे रहा था। ट्रैफिक रोजाना के मुकाबले करीब 80 प्रतिशत तक बंद था और लोग केवल आवश्यक कामों के लिए अपने निज्जी वाहनों पर निकल रहे थे। व्यापारियों की तरफ से भी किसानो के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए बंद में शमूलियत की गई और सभी जगह केवल मैडिकल व कुछ अन्य जरूरी सेवाओं को छोड़ कर सभी बाजार, दुकाने माल के दरवाजों पर सुबह से ही ताले लटकते हुए नजर आए। इस सब के चलते बहुत जगह लोगों को दिक्क्तों का सामना भी करना पड़ा जिसमें दूध की सप्लाई ठप्प होने से लेकर फलों का न मिलना शामिल था। इस के बावजूद लोगों ने खुल कर किसानो का समर्थन किया व बंद को सफल बनाया व बठिंडा में किसी भी जगह कोई झड़प होने जा कोई अन्य अप्रिय घटना होने का मामला नहीं देखा गया।
No comments:
Post a Comment