- अतिरिक्त कार्यभार देखने वाले डाक्टर के पास है दूसरी जिम्मेवारी, डीसी ने कहा बीमारी को लेकर सभी प्रबंध पूरे करे
- प्राइवेट अस्पतालों के साथ एम्स में भी विकल्प के तौर पर विशेष वार्ड बनाकर रखे जाने की हिदायतें
बठिंडा. कोरोना वायरस को लेकर एक तरफ जिला प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ काम करने का दावा कर रहा है वही इस दूसरी तरफ स्थिति यह है कि इस बाबत सिविल अस्पताल में नोडल अधिकारी तीन दिन की छुट्टी पर चल रहे हैं। इसमें जिस अधिकारी को विकल्प के तौर पर जिम्मेवारी दी गई है उसके पास भी टीबी की बीमारी को लेकर चार्ज है जिसमें 8 से 23 मार्च तक टीबी निवारण पखवाड़ा मनाना है। इसके चलते टीबी अफसर कोरोना नोडल अफसर की जिम्मेवारी पूरी तरह से निभाने में असमर्थ है।
खासकर इन दिनों देश भर में एक के बाद एक कोरोना से पीड़ित मरीजों की पुष्टी हो रही है। ऐसे में पंजाब खासकर बठिंडा में इससे प्रभावित लोगों की स्कैनिग का जिम्मा नोडल अफसर व उनके अधीन डाक्टरों पर आ पड़ती है। बठिंडा जिले में वैसे भी कनाडा, साउंदी अर्ब व दूसरे देशों में 40 हजार के करीब लोग रहते हैं जिसमें अधिकतर लोग ऐसे हैं जो सर्दियों के दौरान पंजाब में घूमने के लिए पहुंचते हैं। इसमें दिसंबर से जनवरी के पीक दिनों जिसमें कोरोना चाइना में चर्म पर पहुंच रहा था सर्वाधिक लोग बठिंडा पहुंचे हैं। इनकी तादाद पांच हजार के करीब बताई जा रही है लजबकि जिला प्रशासन के पास अभी तक केवल एक लिस्ट ही पहुंची है जिसमें सभी लोगों की स्कैनिंग करने के बाद किसी में भी कोरोना के लक्षण नहीं मिले थे। जानकारी अनुसार सिविल अस्पताल में कोरोना को लेकर नोडल अधिकारी डा. मनु गुप्ता को बनाया गया था जो घरेलु कार्य के चलते तीन दिन की छुट्टी पर चली गई है। वही एक नोडल अधिकारी ऐसे समय में छुट्टी पर गया है जब राज्य सरकार ने एक माह पहले से ही कोरोना से निपटने के चलते सभी डाक्टरों की छुट्टियां अनिश्तकाल के लिए रद्द कर रखी है। फिलहाल डा. मनु गुप्ता के छुट्टी पर जाने के बाद अतिरिक्त चार्ज टीबी विभाग की अधिकारी डा. रोजी अग्रवाल को सौंपा गया है। अब इसमें दिक्कत इस बात को लेकर हैं कि केंद्र सरकार का टीबी निवारण पंद्रवाड़ा 8 मार्च से शुरू होने जा रहा है जिसमें विभिन्न स्कूलों, संस्थाओं व सेमिनारों को लेकर तैयारी करनी है। इस स्थिति में डा. रोजी अग्रवाल की तरफ से कोरोना वायरस को लेकर की जा रही तैयारियों पर पूरा ध्यान नहीं दिया जा सकेगा क्योंकि इसे लेकर लगातार जहां विभिन्न एयरपोर्ट में मोनिट्रिंग की जानी है वही आने वाली लिस्टों की स्कैनिंग से लेकर विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों से तालमेल करना जरूरी है। वही कोरोना के उपचार व अन्य व्यवस्थाओं को लेकर भी सेहत विभाग की तैयारी भी अधूरी है। इसमें अस्पताल में केवल चार एमडी मेडिसन डाक्टर है जबकि कई अन्य विभागों में भी जरूरत के अनुसार डाक्टर नहीं है जो सिविल अस्पताल में प्रतिदिन आने वाले एक हजार के करीब मरीजों की ओपीडी देखने का काम कर रहे हैं।
दूसरी तरफ डिप्टी कमिशनर बी.श्रीनिवासन ने कोरोना वायरस की शिनाख़्त और इस बीमारी के साथ संबंधित कोई मरीज़ बठिंडा में पाया जाता है तो उसके इलाज के लिए उचित प्रबंधों को लेकर सिविल अस्पतालो को हिदायत जारी की है। डिप्टी कमिशनर ने कहा कि जिले में अबी कोरोना का कोई मरीज नहीं मिला है परन्तु सेहत विभाग की टीम इसे लेकर अलर्ट पर है। सहायक सिवल सर्जन डा. अनुपमा शर्मा ने प्राईवेट और विशेष तौर पर एमज़ के डाक्टरों के साथ कोरोना वायरस को लेकर मीटिंग की जिससे कोरोना वायरस बीमारी के साथ लड़ा जा सके। डा. अनुपमा शर्मा ने बताया कि जिले में यदि कोई भी इस बीमारी के साथ पीडित व शकी मरीज की पुष्टि होती है तो सेहत विभाग की तरफ से उसके इलाज के लिए हर तरह के संभव यत्न किए जाएंगे।
डा. अनुपमा शर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस के शकी मरीज की विशेष तौर पर स्क्रीनिंग भी करवाई जा रही है। सेहत विभाग की तरफ से कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है, जिस का समय प्रातःकाल 9 से शाम 5 बजे तक है। यदि किसी भी व्यक्ति को इस छूत की बीमारी के लक्षण पता लगते हैं तो टोल फ्री नं: 104 पर संपर्क कायम किया जा सकता है। कंट्रोल रूम का डा. सुमित जिन्दल को नोडल अफ़सर के तौर पर नियुक्त किया गया। बठिंडा में आज तक इस बीमारी का कोई भी केस सामने नहीं आया।
डा. कुंदन पाल ने बताया कि जिला हस्पताल बठिंडा में 10 बैड का आइसोलेशन वार्ड तैयार किया गया है। जरूरत पड़ने पर कोरोना वायरस वाले शकी मरीज़ों को आइसोलेशन वाले वार्ड में रखा जाएगा। जिला स्तर पर एक रैपिड रिस्पांस टीम भी तैयार की गई है जो जरूरत पड़ने पर इस बीमारी के लक्षण वाले मरीज़ को घर जाकर चैक करेगी और बनती कार्यवाही करेगी।