Friday, February 25, 2022

बठिंडा में गली मुहल्ले में खुली इमीग्रेशन कंपनियों की लूट- विदेश जाने के इच्छुक युवाओं को फर्जी वीजा देकर लाखों रुपए ठगे, अब नहीं हो रही आरोपियों पर पुलिस कारर्वाई


लोगों ने लगाया आरोप-चुनाव से पहले थाना सिविल लाइन में दी थी शिकायत, राजनीतिक संरक्षण व  पुलिस मिलीभगत से नही हो रही कंपनी संचालकों पर कारर्वाई

बठिंडा, 25 फरवरी(जोशी). विदेश जाकर नौकरी करने के इच्छुक युवाओं के साथ बठिंडा की दो इमीग्रेशन कंपनियों ने लाखों रुपए लेकर फर्जी वीजा दे दिए और जब तक लोग वीजा की जांच करवा पाते उससे पहले दोनों इमीग्रेशन कंपनियों के दफ्तर बंद हो गए और मुलाजिमों का नंबर बंद आ रहा है। जिले में बिना किसी लाइसेंस व मंजूरी के चल रहे इमीग्रेशन कंपनियों को राजनीतिक व प्रशासकीय संरक्षण मिले होने के चलते लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। इसी तरह के मामले में बठिंडा में एक कंपनी ने दर्जनों लोगों से लाखों रुपए ठग लिए जिसमें अब पुलिस भी किसी तरह की कारर्वाई नहीं कर रही है। जानकारी के अनुसार चिल्ड्रन पार्क सिंह में एकत्रित हुए दो दर्जन के करीब युवाओं ने पुलिस के खिलाफ रोष जाहिर करते हुए कहा कि शिकायत देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। पीड़ितों सलीम मोहम्मद, लाल चंद, राजवीर सिंह, यासीन मोहम्मद, सिकंदर दीन, सुखचैन सिंह ने बताया कि वो सभी बेराेजगार हैं। उन्होंने सोशल मीडिया में दो इमीग्रेशन कंपनियों की एड देखी थी जिससे संपर्क करने के बाद वो बठिंडा के 100 फीट रोड पर स्थित कोस्मो अस्पताल के सामने स्थित इमीग्रेशन कंपनी के दफ्तर पहुंचे। यहां प्रत्येक से 60 हजार से लेकर 80 हजार रुपए ले गए जब कि 5 हजार रुपए प्रति व्यक्ति मेडिकल का लिया गया जो एमजे अस्पताल से करवाया गया। सभी को पैसे लेकर वीजा दे दिया गया और 10 दिन बुलाया गया, जब वो पिछले दिनों आए तो दोनों इमीग्रेशन कंपनियों के दफ्तर बंद थे। उनकी डीलिंग स्नेहा नामक एक युवती से हुई थी। जिसको सभी ने पैसे जमा करवाए और कई लोगों ने एक बैंक खाते में पैसे जमा करवाए। लेकिन उक्त सभी लोगोंके नंबर बंद आ रहे हैं। उन्होंने 18फरवरी को थाना सिविल लाइन में शिाकयत दी थी तब एसएचओ जसविंदर सिंह थे। उन्होंने कहा था कि चुनाव केबाद ही कार्रवाईहोगी लेकिन अभी तक काेई कार्रवाई नही की।

फोटो सहित- बठिंडा में जालसाजी के शिकार लोग शिकायत देने जाते। 



पंजाब में कुछ अस्पतालों की मनमानी वसूली व सरकार की तरफ से घपलेबाजों पर सख्त कारर्वाई नहीं करने से सेहत बीमा योजना बंद-डा. वितुल कुमार गुप्ता


-देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना के बंद होने के बाद माहिरों ने जताई चिंता, सरकार से खामियों को सुधारने का आग्रह

बठिंडा, 25 फरवरी(जोशी). पंजाब में सबसे बड़ी बीमा योजना आज शुक्रवार से बंद होने जा रही है। प्राइवेट अस्पतालों की तरफ से योजना में फर्जी बिल व बिना कारण के टेस्ट करने जैसे आरोपों के बीच सरकार ने इस योजना को पंजाब में बंद करने का फैसला लिया था व अब इस योजना के विकल्प में नई बीमा योजना प्रस्तावित है। फिलहाल इस योजना के बंद होने के बाद स्वास्थ्य और मानवाधिकार कार्यकर्ता डा. वितुल कुमार गुप्ता ने कड़ा प्रतिक्रम जताया है। वही अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पहले ही दो मुख्य कारणों से ऐसी बीमा योजनाओं की आसन्न विफलता के बारे में चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहली बीमा योजनाएं तर्कहीन चिकित्सा विज्ञान के साथ अधिक मेडिकल जांच को बढ़ावा देती हैं। अस्पताल हमेशा इस कोशिश में रहते हैं कि उपचार की लागत में वृद्धि हो जिससे खर्च होने वाली मूल राशि से प्रीमियम बढ़े। इसका सीधा असर बीमा कंपनी पर पड़ता है व उसे आर्थिक नुकसान होता है। दूसरा, पंजाब में कुछ निजी अस्पतालों की तरफ से आयुष्मान भारत के तहत मनमानी कर सरकार व बीमा कंपनियों से घोखाधड़ी की गई। मरीजों के कार्ड में मनमाने पैसे कंपनियों से वसूले। इसे लेकर बड़े पैमाने पर मीडिया द्वारा बार-बार इस मुद्दे को उजागर करने के बावजूद सरकार की तरफ से इनके खिलाफ किसी तरह की सख्त कारर्वाई नहीं की गई बल्कि कुछ निजी अस्पतालों को बिना किसी कड़ी सजा के डी-लिस्टिंग कर दिया। जबकि सार्वजनिक धन में धोखाधड़ी के लिए उन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई वही वसूले गए करोड़ों रुपए की वसूली के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया गया। इससे सीधे तौर पर कुछ निजी अस्पतालों को धोखाधड़ी में लिप्त होने के लिए प्रोत्साहित किया गया। माहिरों का कहना है कि यही दो महत्वपूर्ण कारण इस प्रतिष्ठित गरीब अनुकूल स्वास्थ्य बीमा योजना के पतन का कारण बनते हैं। डा. वितुल कुमार गुप्ता ने कहा कि इसके अलावा, मुझे दृढ़ता से लगता है कि इन बीमा योजनाओं का उपयोग सरकार द्वारा सार्वजनिक धन को निजी क्षेत्र को सौंपने के लिए एक माध्यम के रूप में किया जा रहा है, जो 'जेब से बाहर' व्यय को कम करने में बुरी तरह विफल रहा है। इसलिए किफायती, न्यायसंगत और सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रदान करने का एकमात्र समाधान सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों को मजबूत बनाने से है जो बाहरी और इनडोर दोनों उपचार प्रदान करते हैं, न कि बीमा योजनाओं द्वारा। भारत को मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत है न कि निजी बीमा योजनाओं की। सरकार को अगली किसी प्रस्तावित बीमा योजना को बनाने व लागू करने के लिए इसकी तरफ ध्यान देने व पहले व्याप्त कमियों को सुधारने की जरूरत है। 




कोविड-19 टीकाकरण शिविरों के प्रभाव को लेकर पहले अध्ययन में से एक को प्रतिष्ठित जर्नल, 'जर्नल ऑफ क्लिनिकल डायग्नोसिस' में प्रकाशन के लिए स्वीकार किया

बठिंडा, 24 फरवरी(जोशी). बीमारियों से बचाव के लिए आवश्यक टीकाकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने में राज्य के प्रयासों को बढ़ाने के लिए सामाजिक तौर पर प्रयास कर लोगों को प्रोत्साहित कर कोविड-19 टीकाकरण शिविरों के प्रभाव को लेकर पहले अध्ययन में से एक को प्रतिष्ठित जर्नल, 'जर्नल ऑफ क्लिनिकल डायग्नोसिस' में प्रकाशन के लिए स्वीकार किया गया है। "बीमारी से बचाव के लिए आवश्यक टीकाकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शिविरों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (मालवा शाखा) की तरफ से एक पहल की गई थी, इसे प्रोफेसर डॉ वितुल कुमार गुप्ता, स्वास्थ्य और मानवाधिकार कार्यकर्ता और अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (मालवा शाखा) व गैर सरकारी संगठन नौजवान वेलफेयर सोसाइटी और जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ मीनाक्षी सिंगला के सहयोग से पूरा किया गया था। 

डा. किशोरी राम अस्पताल और मधुमेह देखभाल केंद्र, बठिंडा में 14 जून 2021 से 22 जून 2021 तक गैर-प्रोत्साहन मुक्त कोविड-19 टीकाकरण कैंप आयोजित किए गए थे। इस दौरान सभी लोगों को केवल जागरूकता और शिक्षा प्रदान की गई और टीकाकरण के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं दिया गया था। गैर-प्रोत्साहन शिविरों के समापन के बाद, 24 जून 2021 से 4 जुलाई 2021 तक प्रोत्साहन टीकाकरण शिविर आयोजित किए गए। जिसमें टीकाकरण कराने वाले सभी लोगों को 'लक्की ड्रा कूपन  की पेशकश की गई थी कि कैंप के समापन पर 1.25 लाख रुपये के 15 पुरस्कारों का वितरण किया जाएगा। अंतिम दिन प्रोत्साहन शिविरों पर लक्की ड्रा विजेताओं को पुरस्कार मिले। गैर-प्रोत्साहन शिविरों के दौरान 1406 टीकाकरण और प्रोत्साहन शिविरों के दौरान 2705 टीकाकरण सहित कुल 4111 टीकाकरण किए गए थे। इसमें गैर-प्रोत्साहन शिविरों की तुलना में प्रोत्साहन शिविरों के दौरान ज्यादा लोगों ने टीकाकरण करवाया। कैंप में 1114 लोगों ने पहली खुराक, 292 लोगों ने दूसरी खुराक का टीका लगवाया वही दूसरे कैंपों में 2334 लोगों ने पहली खुराक, 371 ने दूसरी खुराक के टीकाकरण प्रोत्साहन टीकाकरण शिविरों के करवाया। डॉ. वितुल ने कहा कि वर्तमान अध्ययन  के बाद उन्होंने सुझाव दिया कि लोगों को प्रोत्साहन देने के लिए टीकाकरण अभियानों का विकल्प बनाना चाहिए। वर्तमान अध्ययन के निष्कर्ष नीति निर्माताओं को प्रभावी टीकाकरण नीतियों को विकसित करने, टीकाकरण कार्यक्रमों को लागू करने, टीकों की हिचकिचाहट को दूर करने और टीकाकरण में सार्वजनिक रुचि पैदा करने में मदद करेंगे और टीकाकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। भारत के पहले अध्ययन में सह-लेखक डॉ मेघना गुप्ता, डॉ नवजोत कौर, डॉ प्रणव सिंगला और डॉ मीनाक्षी सिंगला ने अहम भूमिका निभाई।



फर्जी टीचरों की भर्ती कर किया जा रहा था गुमराह, हाईकोर्ट ने आदेश मेडिकल कालेज के खिलाफ दिए जांच के आदेश -डा. वितुल गुप्ता ने दायर की थी जनहित याचिका, मेडिकल छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने के लगाए थे आरोप

 

बठिंडा, 25 फरवरी(जोशी). पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने नेशनल मेडिकल कमिशन और पंजाब स्टेट मेडिकल काउंसिल को आदेश इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंस व रिसर्च सेंटर बठिंडा में जाली अध्यापकों की भर्ती करने के मामले की जांच करवाने व इस बाबत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने की हिदायत दी है। आदेश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, बठिंडा में शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति के खिलाफ बठिंडा के प्रो. डॉ. वितुल कुमार गुप्ता की तरफ से दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति अरुण पल्ली की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिए है। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में आरोप लगाया है कि आदेश संस्थान कम से कम 12 गोस्ट टीचर्स की फर्जी नियुक्त कर रहा था और इस तरह एमबीबीएस के छात्रों के कैरियर के साथ खिलवाड़ किया गया। 

यही नहीं एम.डी. बेसिक के गोस्ट टीचर अपने छात्रों को आदेश संस्थान में पढ़ाने की बजाय अपना पूरा समय और ऊर्जा अपने नीजि अस्पतालों में लगा रहे थे। याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के साथ-साथ पंजाब मेडिकल काउंसिल, मोहाली को विभिन्न दस्तावेज व सबूत इस बाबत प्रस्तुत किए थे। जिसमें उक्त संस्थानों से मामले की जांच करने की अपील की गई थी। उक्त आरोपों के समर्थन में याचिकाकर्ता ने अक्टूबर, 2021 में उनके द्वारा की गई कुछ ऑडियो रिकॉर्डिंग का हवाला भी दिया था, जिसमें विभिन्न विभागों व ओपीडी में कार्यरत कर्मचारी स्पष्ट रूप से उन शिक्षकों के बारे में स्वीकार कर रहे थे कि वह कभी भी संस्थान में नहीं आए। याचिकाकर्ता ने आदेश संस्थान द्वारा अपनाई जा रही कुछ अनैतिक प्रथाओं के बारे में आरोप लगाया था, जिसमें काउंसिल की तरफ से किए जाने वाले निरीक्षण के दौरान किराए के मरीज लाने, डमी फाइलें तैयार करनी, बढ़े हुए इनडोर को दिखाने के लिए प्रतिदिन जाली रिकार्ड तैयार करना, एमआरआई/सीटी स्कैन केंद्र पर खुले तौर पर कटौती और कमीशन का भुगतान, एआईएमएसआर रजिस्टर में गांवों में फर्जी जन्म दर्ज करने, शहर में स्थानीय प्रेस और होर्डिंग्स में बड़े विज्ञापन जारी कर गुमराह करना, मेडिकल छात्रों और फैकल्टी को पंजाब मेडिकल काउंसिल से मान्यता प्राप्त सीएमई में भाग लेने से रोकना जैसी अनियमियतता लंबे समय से की जा रही थी। याचिकाकर्ता के वकील को एचसी अरोड़ा को सुनने के बाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, पंजाब राज्य चिकित्सा परिषद, मोहाली को याचिकाकर्ता द्वारा दायर की गई शिकायत पर गौर करने और उचित कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए उक्त जनहित याचिका का निस्तारण किया। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग,पंजाब राज्य चिकित्सा परिषद को एक और अभ्यावेदन प्रस्तुत करने की अनुमति भी दी है, जिसपर उक्त प्रतिवादियों द्वारा विचार किया जाएगा। गौरतलब है कि इससे पहले आदेश अस्पताल में आयुष्मान भारत जन आरोग्य बीमा योजना का गलत इस्तेमाल कर सरकार से कथित धोखाधड़ी करने के मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मेडिकल इंस्टीच्यूट को नोटिस जारी किया गया था। इसमें प्रसिद्ध डाक्टर वितुल कुमार गुप्ता ने हाइकोर्ट के में एचसी अरोड़ा के माध्यम से याचिका दायर की थी। इसमें आरोप लगाया गया कि सेहत बीमा योजना में फर्जी मरीजों के नाम दर्ज कर फर्जीवाड़ा चलाया जा रहा है व सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाई जा रही है। इस याचिका में हाइकोर्ट ने पंजाब सरकार के साथ पंजाब विजीलेंस ब्यूरो को भी नोटिस जारी कर जबावतलबी की थी।




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