बठिंडा, 24 फरवरी(जोशी). बीमारियों से बचाव के लिए आवश्यक टीकाकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने में राज्य के प्रयासों को बढ़ाने के लिए सामाजिक तौर पर प्रयास कर लोगों को प्रोत्साहित कर कोविड-19 टीकाकरण शिविरों के प्रभाव को लेकर पहले अध्ययन में से एक को प्रतिष्ठित जर्नल, 'जर्नल ऑफ क्लिनिकल डायग्नोसिस' में प्रकाशन के लिए स्वीकार किया गया है। "बीमारी से बचाव के लिए आवश्यक टीकाकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शिविरों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (मालवा शाखा) की तरफ से एक पहल की गई थी, इसे प्रोफेसर डॉ वितुल कुमार गुप्ता, स्वास्थ्य और मानवाधिकार कार्यकर्ता और अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (मालवा शाखा) व गैर सरकारी संगठन नौजवान वेलफेयर सोसाइटी और जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ मीनाक्षी सिंगला के सहयोग से पूरा किया गया था।

डा. किशोरी राम अस्पताल और मधुमेह देखभाल केंद्र, बठिंडा में 14 जून 2021 से 22 जून 2021 तक गैर-प्रोत्साहन मुक्त कोविड-19 टीकाकरण कैंप आयोजित किए गए थे। इस दौरान सभी लोगों को केवल जागरूकता और शिक्षा प्रदान की गई और टीकाकरण के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं दिया गया था। गैर-प्रोत्साहन शिविरों के समापन के बाद, 24 जून 2021 से 4 जुलाई 2021 तक प्रोत्साहन टीकाकरण शिविर आयोजित किए गए। जिसमें टीकाकरण कराने वाले सभी लोगों को 'लक्की ड्रा कूपन की पेशकश की गई थी कि कैंप के समापन पर 1.25 लाख रुपये के 15 पुरस्कारों का वितरण किया जाएगा। अंतिम दिन प्रोत्साहन शिविरों पर लक्की ड्रा विजेताओं को पुरस्कार मिले। गैर-प्रोत्साहन शिविरों के दौरान 1406 टीकाकरण और प्रोत्साहन शिविरों के दौरान 2705 टीकाकरण सहित कुल 4111 टीकाकरण किए गए थे। इसमें गैर-प्रोत्साहन शिविरों की तुलना में प्रोत्साहन शिविरों के दौरान ज्यादा लोगों ने टीकाकरण करवाया। कैंप में 1114 लोगों ने पहली खुराक, 292 लोगों ने दूसरी खुराक का टीका लगवाया वही दूसरे कैंपों में 2334 लोगों ने पहली खुराक, 371 ने दूसरी खुराक के टीकाकरण प्रोत्साहन टीकाकरण शिविरों के करवाया। डॉ. वितुल ने कहा कि वर्तमान अध्ययन के बाद उन्होंने सुझाव दिया कि लोगों को प्रोत्साहन देने के लिए टीकाकरण अभियानों का विकल्प बनाना चाहिए। वर्तमान अध्ययन के निष्कर्ष नीति निर्माताओं को प्रभावी टीकाकरण नीतियों को विकसित करने, टीकाकरण कार्यक्रमों को लागू करने, टीकों की हिचकिचाहट को दूर करने और टीकाकरण में सार्वजनिक रुचि पैदा करने में मदद करेंगे और टीकाकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। भारत के पहले अध्ययन में सह-लेखक डॉ मेघना गुप्ता, डॉ नवजोत कौर, डॉ प्रणव सिंगला और डॉ मीनाक्षी सिंगला ने अहम भूमिका निभाई।

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