शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022

पंजाब में कुछ अस्पतालों की मनमानी वसूली व सरकार की तरफ से घपलेबाजों पर सख्त कारर्वाई नहीं करने से सेहत बीमा योजना बंद-डा. वितुल कुमार गुप्ता


-देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना के बंद होने के बाद माहिरों ने जताई चिंता, सरकार से खामियों को सुधारने का आग्रह

बठिंडा, 25 फरवरी(जोशी). पंजाब में सबसे बड़ी बीमा योजना आज शुक्रवार से बंद होने जा रही है। प्राइवेट अस्पतालों की तरफ से योजना में फर्जी बिल व बिना कारण के टेस्ट करने जैसे आरोपों के बीच सरकार ने इस योजना को पंजाब में बंद करने का फैसला लिया था व अब इस योजना के विकल्प में नई बीमा योजना प्रस्तावित है। फिलहाल इस योजना के बंद होने के बाद स्वास्थ्य और मानवाधिकार कार्यकर्ता डा. वितुल कुमार गुप्ता ने कड़ा प्रतिक्रम जताया है। वही अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पहले ही दो मुख्य कारणों से ऐसी बीमा योजनाओं की आसन्न विफलता के बारे में चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहली बीमा योजनाएं तर्कहीन चिकित्सा विज्ञान के साथ अधिक मेडिकल जांच को बढ़ावा देती हैं। अस्पताल हमेशा इस कोशिश में रहते हैं कि उपचार की लागत में वृद्धि हो जिससे खर्च होने वाली मूल राशि से प्रीमियम बढ़े। इसका सीधा असर बीमा कंपनी पर पड़ता है व उसे आर्थिक नुकसान होता है। दूसरा, पंजाब में कुछ निजी अस्पतालों की तरफ से आयुष्मान भारत के तहत मनमानी कर सरकार व बीमा कंपनियों से घोखाधड़ी की गई। मरीजों के कार्ड में मनमाने पैसे कंपनियों से वसूले। इसे लेकर बड़े पैमाने पर मीडिया द्वारा बार-बार इस मुद्दे को उजागर करने के बावजूद सरकार की तरफ से इनके खिलाफ किसी तरह की सख्त कारर्वाई नहीं की गई बल्कि कुछ निजी अस्पतालों को बिना किसी कड़ी सजा के डी-लिस्टिंग कर दिया। जबकि सार्वजनिक धन में धोखाधड़ी के लिए उन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई वही वसूले गए करोड़ों रुपए की वसूली के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया गया। इससे सीधे तौर पर कुछ निजी अस्पतालों को धोखाधड़ी में लिप्त होने के लिए प्रोत्साहित किया गया। माहिरों का कहना है कि यही दो महत्वपूर्ण कारण इस प्रतिष्ठित गरीब अनुकूल स्वास्थ्य बीमा योजना के पतन का कारण बनते हैं। डा. वितुल कुमार गुप्ता ने कहा कि इसके अलावा, मुझे दृढ़ता से लगता है कि इन बीमा योजनाओं का उपयोग सरकार द्वारा सार्वजनिक धन को निजी क्षेत्र को सौंपने के लिए एक माध्यम के रूप में किया जा रहा है, जो 'जेब से बाहर' व्यय को कम करने में बुरी तरह विफल रहा है। इसलिए किफायती, न्यायसंगत और सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रदान करने का एकमात्र समाधान सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों को मजबूत बनाने से है जो बाहरी और इनडोर दोनों उपचार प्रदान करते हैं, न कि बीमा योजनाओं द्वारा। भारत को मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत है न कि निजी बीमा योजनाओं की। सरकार को अगली किसी प्रस्तावित बीमा योजना को बनाने व लागू करने के लिए इसकी तरफ ध्यान देने व पहले व्याप्त कमियों को सुधारने की जरूरत है। 




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