बठिंडा। भारत के अन्य राज्यों की तरह पंजाब भी
कोविड-19 के मामलों के कारण चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहा है। पंजाब में अब तक
67000 से अधिक सक्रिय मामले हैं और लगभग 13000 मौतें हुई हैं।
इस कठिन समय में भी मेडिकल माफिया एंटी-वायरल दवाओं की कालाबाजारी, अस्पताल,
ऑक्सीजन
शुल्क और असहाय COVID-19 रोगियों से पैसे वसूलने का गौरखधंधा कर रहे
हैं। शवों पर भी धंधा बना हुआ है, इलाज की तो बात ही क्या। यह टिप्पणी
जीएसएचपी, ग्लोबल सोसाइटी ऑफ एचएसई प्रोफेशनल्स के प्रधान डा. कमलजीत सिंह सोई
ने की है। उन्होंने राज्य भर में मेडिकल माफिया की तरफ से मरीजों से हो रही लूट को
लेकर मुख्य़मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को एक पत्र लिखा है। इसमें सरकार ने मेडिकल
माफिया पर सख्ती से नकेल कसने की मांग की है।
"मेडिकल माफिया" रेमेडिसविर इंजेक्शन, ऑक्सीमीटर और अन्य संबंधित उपकरणों और दवाओं की कालाबाजारी में लिप्त
डा. सोई ने कहा कि यह एक "अभूतपूर्व
महामारी संकट" है जो राज्य को जकड़ रहा है और असहाय कोविड रोगियों और
पीड़ितों को निजी अस्पतालों और मेडिकल माफिया द्वारा लूटा जाता है। मामले को बदतर
बनाते हुए, "मेडिकल माफिया" रेमेडिसविर इंजेक्शन,
ऑक्सीमीटर
और अन्य संबंधित उपकरणों और दवाओं की कालाबाजारी में लिप्त है, जिससे
जरूरतमंद COVID-19 रोगियों को भारी पैसा खर्च करने के लिए मजबूर
होना पड़ता है। मीडिया में यह बताया गया था कि पांच दिवसीय पाठ्यक्रम के लिए उच्च
मांग वाली एंटी-वायरल दवा की छह शीशियों के लिए लगभग 2.50 लाख का शुल्क लिया गया था जो वास्तविक
निर्धारित मूल्य से कई गुना अधिक है।
पेशे में लोग इतने बेरहम हो गए हैं कि वे
एम्बुलेंस के लिए भारी पैसा वसूल कर रहे हैं, यहाँ तक कि शवों
को ले जाने के लिए कुछ किलोमीटर के हजारों रुपए की वसूली हो रही है।
एंटी-वायरल दवाएं भी कई गुणा दाम पर दे रहे
“कई COVID-19 रोगी अस्पतालों
में वायरल-रोधी दवाओं और ऑक्सीजन वाले बिस्तरों के लिए दौड़ रहे हैं, जो बदतर
सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट की विफलता को उजागर
करते हैं,” उन्होंने कहा कि वह चाहते थे कि सरकार “मेडिकल
माफिया” गतिविधियों पर तुरंत अंकुश लगाए ताकि असहाय COVID-19
रोगियों की पलायन को समाप्त किया जा सके और सभी जरूरतमंद रोगियों को एंटी-वायरल
दवाएं और उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें। पंजाब के ग्रामीण इलाकों में कोविड-19 के
अधिक मामले पाए जाने के साथ, पंजाब अधिक जोखिम में है। हालांकि
सकारात्मकता दर में गिरावट आई है लेकिन मृत्यु दर 2.4% के साथ चिंता
का विषय बनी हुई है जो देश में सबसे अधिक है। ६७००० से अधिक सक्रिय मामले और लगभग १३००० आधिकारिक
मौतें हो चुकी है। फिलहाल पंजाब को कीमती
मानव जीवन को बचाने के लिए अपनी चिकित्सा सेवाओं को और भी बेहतर बनाने की आवश्यकता
है।
मैं सुझाव देता हूं कि पंजाब में अनमोल मानव जीवन को बचाने और मेडिकल माफिया
द्वारा पलायन को रोकने के लिए तुरंत निम्नलिखित उपाय किए जाएं।
1. निजी अस्पताल कोरोना रोगियों के इलाज के लिए
आयुष्मान भारत कार्ड को मान नहीं रहे हैं, कृपया एक सख्त सलाह जारी करें और
स्वास्थ्य, नागरिक और पुलिस प्रशासन को सभी अस्पतालों में
आयुष्मान भारत कार्ड के आधार पर इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दें।
2. आपने सभी के लिए मुफ्त टीकाकरण का वादा किया था,
जबकि
उद्योग को टीकाकरण के लिए प्रति खुराक 430/- रुपये देने के
लिए क्यों कहा जा रहा है। कृपया नि:शुल्क टीकाकरण के निर्देश जारी करें। एक तरफ हम
संक्रमितों को 1500/- रुपये की फतेह किट दे रहे हैं तो दूसरी तरफ 430
रुपये प्रति डोज की मांग कर रहे हैं। यह किसी भी मायने में जायज नहीं है .
3. कोविड बेड की कालाबाजारी रोकने के लिए सख्त से
सख्त कार्रवाई की जाए।
4. निजी अस्पतालों को अपने दैनिक बिस्तर की
उपलब्धता को सार्वजनिक करना चाहिए और विशिष्ट उपचारों, प्रक्रियाओं और
दवाओं के लिए जारी दर प्रदर्शित करनी चाहिए।
5. कुछ निजी अस्पतालों द्वारा बेड की कालाबाजारी
के लिए जीरो टॉलरेंस” और बेड होने के बावजूद “इनकार” कर बाद में मरीज के
परिजनों की मजबूरी का फायदा उठा अत्यधिक शुल्क ले रहे हैं।
6. कोविड-संक्रमित रोगियों के परिवारों द्वारा
अस्पतालों के नीरस रवैये और महंगे बिस्तर शुल्क का आरोप लगाते हुए शिकायतों की
बाढ़ आ गई है, जबकि पंजाब में मौतें और नए मामले लगातार बढ़
रहे हैं।
7. किसी भी अस्पताल को किसी भी लक्षण वाले रोगी को
परीक्षण से इनकार नहीं करना चाहिए ।
8. कोविड टास्क फोर्स की टीमों द्वारा मरीजों से
अधिक किराया वसूलने और उन्हें भगाने का औचक निरीक्षण किया जाना चाहिए और अधिक
शुल्क वसूलते पाए जाने पर कदाचार करने वाले अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की
जानी चाहिए।
9. एक ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जहां राज्य में
अस्पताल के बिलों का ऑडिट प्रभावी एजेंसी व सरकारी तंत्र की तरफ से किया जाए। कुछ
डॉक्टर अनावश्यक स्कैन और डायग्नोस्टिक टेस्ट की सलाह दे रहे हैं जो अधिकतर मामलों
में नायायज व गैर जरूरी है। सिविल सर्जन के कार्यालय में कोविड रोगियों द्वारा
अनुरोध किए जाने पर इन तमाम मामलों की बिना देरी के ऑडिट भी होना चाहिए।
10. महामारी की आड़ में मरीजों को भगाते पाए गए
अस्पतालों के लाइसेंस रद्द किए जाए।
11. यह पाया गया है कि निजी अस्पताल उन रोगियों से
अत्यधिक राशि वसूल कर रहे हैं जो सरकारी कर्मचारी हैं, विभिन्न बीमा
योजनाओं के अंतर्गत आते हैं और साथ ही जो इन दो श्रेणियों में नहीं आते हैं। कुछ
मामलों में यह पाया जाता है कि बीमा कवर वाले या सरकारी क्षेत्र के उन रोगियों को,
जिनके
बिलों की प्रतिपूर्ति सरकार द्वारा की जाती है, उन्हें "तय
राशि से चार गुणा अधिक" बिल दिए जाते हैं। इसमें तो कई अस्पताल यहां तक कहते
है कि बीमा कंपनी को भी उन्हें हिस्सा देना है जबकि बीमा कंपनी के कर्मचारियों व
अधिकारियों को जब फोन किया जाता है तो वह मामले में यह कहकर पल्लू झाड लेते हैं कि
यह राशि कौन सा उनकी जेब से जा रही है। इस पूरे मामले में सभी मेडिकल क्लेम व बीमा
कंपनी की सहभागिता की भी जांच होनी चाहिए क्योंकि पंजाब ही नहीं पूरे देश में बीमा
कंपनी व मेडिकल माफिया मिलकर काम कर रहा है जिसमें मोटी चपत लगाई जा रही है। इसमें
मरीज का भी नुकसान हो रहा है क्योंकि एक मरीज को करवाए गए बीमा क्लेम में जहां एक
लाख का भुगतान करना था व बि राशि उसे अगली बार मिलनी थी उसमें अस्पताल चार से पांच
गुणा बिल बनाकर उसके क्लेम को समाप्त कर रहे हैं व अपनी जेबे भरने में जुटे हैं।
12. पंजाब के 12000+ गांवों में
टीकाकरण प्रक्रिया को बढ़ाया जाए।
3. इस संबंध में शिकायत मिलने पर जिला स्तरीय
कमेटी का गठन किया जाए ताकि कोरोना पीड़ितों को बचाया जा सके।
हालाँकि यदि कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाता है
तो उसे राज्य द्वारा गोद में लेने की आवश्यकता होती है जो हमेशा एक कल्याणकारी
राज्य होता है और रियायती दरों पर आवश्यक चिकित्सा उपचार प्रदान करता है। पंजाब
अपनी लड़ाई की भावना और परोपकार की प्रकृति के लिए जाना जाता है, हमें
यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी इस महामारी में भाग न जाए और अगर कोई ऐसा करने
की हिम्मत करता है तो उसे तत्काल कानून की गिरफ्त में लिया जाए और एक अभूतपूर्व
सबक सिखाया जाए ताकि कोई भी ऐसा करने की हिम्मत न करे।
डा. सोई ने कहा कि कोविड -19 की
दूसरी लहर के मद्देनजर पूरे भारत में दयनीय स्थिति को देखते हुए, जीवन
के हर सेकंड में पीड़ा और दर्द को महसूस करना स्वाभाविक है। ऐसे कठिन समय में,
हमें
केवल कुछ सकारात्मकता और आशा की आवश्यकता है, इसलिए कीमती
मानव जीवन को बचाने के लिए कृपया मेडिकल माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। हालांकि अगर कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाता है तो उसे राज्य द्वारा
हाथ में लेने की जरूरत होती है
उन्होंने कहा सीएम साहब, हम समझते हैं कि
हमारी लड़ाई एक अज्ञात, अदृश्य दुश्मन के खिलाफ है। अभी तक कोई ज्ञात
इलाज या उपाय नहीं है। इस वायरस से लड़ने के लिए हमारे पास सबसे अच्छा हथियार है
आत्म-जागरूकता, सामाजिक दूरी और सबसे महत्वपूर्ण, बाहर
निकलते समय डबल मास्किंग।
-लेखक-डॉ. कमलजीत एस सोइ
पीएचडी, एमएससी, एमबीए,
एलएलबी,
एमईपी
(आईआईएमए), एमडीपी (आईएसबी), माइट, एमएसीआरएस,
एमसीआईएचटी।
ASSE (सुरक्षा विशेषज्ञ)
अध्यक्ष - जीएसएचपी, ग्लोबल सोसाइटी
ऑफ एचएसई प्रोफेशनल्स
प्रवक्ता – भाजपा
पूर्व उपाध्यक्ष-पीएसआरसी, परिवहन
विभाग, पंजाब सरकार, सदस्य- एनआरएससी
भारत सरकार, सड़क परिवहन और
राजमार्ग मंत्रालय।