बठिंडा: कोविड महामारी की जंग में एकजुट होकर जुटी आशा वर्करों की मांगों को सरकार की तरफ से नहीं मानने पर सिटू ने कड़ा विरोध जताया है। इसमें संगठन के प्रदेश समिति के जनरल सचिव कामरेड चंद्र शेखर और जिला उपप्रधान एडवोकेट एमएम बहल ने सभी पदाधिकारियों व वर्करों के साथ आम लोगों को आशा वर्करों की मांगों को मनवाने के लिए एकजुट हो संघर्ष करने की अपील की है। वही फैसला लिया गया कि आशा वर्करों की मांगे पूरी करवाने के लिए सभी संगठन आशा वर्करों के संघर्ष में साथ देंगे।
एडवोकट एमएम बहल ने बताया कि आशा वर्करों और फैसिलीएटरों की तरफ से 24 मई को की जा रही एक दिवसीय हड़ताल का डटकर समर्थन करेंगे। यह हड़ताल पूरे देश में की जा रही है। सीटू ने पंजाब सरकार से माँग की है कि आशा वर्करों को मरीजों की पलस एकसीमीटर सौंप कर घरों में लोगों की जांच करने के लिए भेजा जा रहा है। इस दौरान उन्हें किसी तरह की सुविधा नहीं जा रही है जिससे वह कोरोना से खुद को बचा सके। इस दौरान अगर यदि किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण मिलते हैं तो आशा वर्कर भी इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं। उन्होंने मांग रखी कि सभी गांव वासियों को महामारी के बारे में जागरूक किया जाए। यह काम अगले कुछ निश्चित दिनों में ही पूरा किया जाए। वही पंजाब सरकार से वर्करों को सैनेटाईजर, मास्क दस्ताने व पीपी कीट उपलब्ध करवाई जाए। वही वर्करों के पुराने भत्ते जारी किए जाए। सीटू ने मांग रखी कि सभी आशा वर्करों और फैसिलीटेटरें को परोटैक्टिव किट मुहैया करवाई जाए, उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पंचायतों और स्थानीय आधिकारियों को दी जाए। वही प्रति मरीज की जांच करने पर उन्हें उचित मेहनताना रेट तय किए जाएं। मरीजों को अस्पतालों में लेकर जाने, टैस्ट करवाने का खर्चा सरकार आप उठाए और आशा वर्करों को अस्पताल में लेकर जाने, ठहराने और वापिस घरों तक पहुँचाने का इंतज़ाम करे। हर आशा वर्कर और फैसिलीटेटर का 50 लाख रुपए का बीमा सरकार की तरफ से करवाया जाना भी ज़रूरी है।
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