Wednesday, February 17, 2021

किसान आंदोलन का 84वां दिन:किसान कल देशभर में 4 घंटे तक रेल रोकेंगे; रेलवे ने अतिरिक्त फोर्स तैनात की, पंजाब-हरियाणा-यूपी पर फोकस


नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में पिछले ढाई महीने से आंदोलन कर रहे किसान गुरुवार को देशभर में 4 घंटे के लिए रेल रोको आंदोलन करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ गुरुवार को दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक देशभर में 'रेल रोको आंदोलन' होगा।

इधर, रेलवे ने भी सुरक्षा के लिहाज से रेलवे प्रोटेक्शन स्पेशल फोर्स की 20 अतिरिक्त कंपनियां तैनाती की हैं। रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के डायरेक्टर जनरल अरुण कुमार ने कहा, 'हम चाहते हैं कि किसान यात्रियों के लिए असुविधा पैदा न करें। हम चाहते हैं कि वे 4 घंटे शांति से बीत जाएं। मुख्य फोकस पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल पर रखा गया है।'

SHO पर हमला करने वाला अरेस्ट
84 दिन से किसान दिल्ली की सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच, सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल एक व्यक्ति ने मंगलवार रात पुलिस अधिकारी पर तलवार से हमला कर दिया था। इसके बाद वह पुलिस अधिकारी की गाड़ी लेकर भाग गया। घायल SHO को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पुलिस ने बुधवार को बताया कि आरोपी का नाम हरप्रीत सिंह है। उसने रात करीब 8 बजे सिंघु बॉर्डर पर यह वारदात की। पुलिस के जवानों ने PCR वैन से उसका पीछा किया। हरप्रीत ने मुकरबा चौक के पास फुटपाथ पर गाड़ी चढ़ा दी। इसके बाद वह एक व्यक्ति से बाइक छीनकर फरार हो गया। पुलिस ने करीब 8.30 बजे उसे पकड़ लिया।

सूत्रों का कहना है कि आरोपी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने इस दावे की पुष्टि नहीं की है। एक सीनियर पुलिस ऑफिसर ने बताया कि आरोपी पर कानूनी कार्रवाई चल रही है।

26 जनवरी हिंसा मामले में 1 और गिरफ्तारी
26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान कथित तौर पर तलवार घुमाते दिखे मनिंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने बुधवार को बताया कि 30 साल का मनिंदर कार मैकेनिक है। उसे मंगलवार शाम करीब 7.45 बजे दिल्ली के पीथमपुरा से पकड़ा गया। उसके घर से 2 तलवारें भी बरामद हुई हैं।

DCP (स्पेशल सेल) प्रमोद सिंह कुशवाह ने बताया कि मनिंदर का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह दोनों हाथों से तलवार घुमाकर भीड़ को उकसा रहा था। मनिंदर स्वरूप नगर में अपने घर के पास खाली प्लॉट में तलवार चलाने की ट्रेनिंग देता है। सोशल मीडिया की पोस्ट से उसके कट्टरपंथी होने का खुलासा हुआ है। वह अक्सर सिंघु बॉर्डर पर आता था और वहां के नेताओं के भाषणों से प्रेरित था।

किसान आंदोलन के राजनीतिक नुकसान से भाजपा चिंतित
किसान आंदोलन राजनीतिक रंग लेता जा रहा है, इससे भाजपा की चिंता बढ़ रही है। उसका मानना है कि इसका जल्द हल नहीं निकला तो उसे चुनावो में जाट बहुल इलाकों में बड़ा नुकसान हो सकता है, खासकर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पार्टी की स्थिति कमजोर हो सकती है।

इन क्षेत्रों के सांसदों और विधायकों के फीडबैक के आधार पर पार्टी अब अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। शीर्ष नेतृत्व ने इसके लिए इन नेताओं को अपने-अपने क्षेत्र खासतौर पर जाट किसानों से लगातार संपर्क में रहने को कहा है।

जाट वोट बैंक पर पकड़ बनाए रखने के लिए रणनीति बनाई
किसान आंदोलन से राजनीतिक नुकसान की आशंका को देखते हुए दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में मंगलवार को बैठक हुई। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव (संगठन) बीएल संतोष शामिल हुए। इन नेताओं ने विधायकों और स्थानीय नेताओं से आग्रह किया कि वे इन क्षेत्रों में स्थानीय खापों, पंचायतों और सामुदायिक समूहों के साथ संपर्क करें ताकि पार्टी और सरकार की स्थिति को समझाया जा सके।

किसान आंदोलन के जारी रहने और पार्टी के जमीनी कैडर से मिले फीडबैक के बाद पार्टी नेतृत्व को यह बैठक करने के लिए मजबूर होना पड़ा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों ने 2014 से ही प्रधानमंत्री मोदी के पक्ष में एकतरफा मतदान किया है। अब विपक्षी पार्टियां खासकर कांग्रेस जाटों को लुभाने का प्रयास कर रही है। प्रियंका गांधी लगातार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान पंचायतों में शामिल हो रही हैं।

पंजाब निकाय चुनाव एनालिसिस:कांग्रेस को सत्ता का लाभ; अकाली दूसरा बड़ा दल बना लेकिन गढ़ बठिंडा खोया; किसान आंदोलन में BJP ने होशियारपुर-पठानकोट गंवाया



  • 6 नगर निगमों व 78 नगर काउंसिल पर कांग्रेस को मिला बहुमत, मोगा में भी सबसे बड़ी पार्टी
  • 5 नगर काउंसिल पर जीत हासिल करने में कामयाब रहा अकाली दल
  • किसानों के विरोध की वजह से होशियारपुर, पठानकोट व बटाला में BJP चंद सीटों पर सिमटी

चंडीगढ़। पंजाब में होने वाले अगले साल विधानसभा चुनाव को सेमीफाइनल माने जा रहे निकाय चुनाव परिणाम बुधवार को आ गए। इसमें कांग्रेस को सत्ता का फायदा मिला। कांग्रेस ने 8 नगर निगमों में से 6 में बहुमत हासिल कर दिया। जबकि 50 वार्ड वाले मोगा 20 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई। वहीं, मोहाली का परिणाम कल आएगा।

नगर काउंसिल और पंचायतों में भी 78 पर जीत हासिल कर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा। इस चुनाव की सबसे बड़ी बात यह रही कि भाजपा से गठजोड़ तोड़ने के बाद भी अकाली दल (SAD) 5 नगर परिषद में जीत हासिल करने वाली दूसरी पार्टी बन गई। हालांकि, अकाली दल ने अपना गढ़ बठिंडा खो दिया, जहां पिछले दो साल से लगातार निगम में उनका ही मेयर था। अब 53 साल बाद यहां कांग्रेस मेयर बनेगा। किसान आंदोलन की वजह से पंजाब में विरोध झेल रही भाजपा पठानकोट, होशियारपुर और बटाला जैसे अपने गढ़ खो दिए।

सबसे बड़ा झटका अगले साल पंजाब में सरकार बनाने का दावा ठोकने वाली AAP को लगा है, जिनके दिल्ली मॉडल को पंजाब के लोगों ने इन चुनावों में पूरी तरह से नकारते हुए कहीं भी बहुमत के काबिल नहीं बनाया।

किसान आंदोलन: भाजपा का विरोध लेकिन किसी एक दल को समर्थन नहीं
पंजाब निकाय चुनावों में किसान आंदोलन राजनीतिक असर को लेकर अब चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसानों ने पूरे पंजाब में BJP का बहिष्कार किया था। इसका बड़ा असर भी दिखा लेकिन भाजपा अपने गढ़ पठानकोट, होशियारपुर व बटाला में कुछ सीटें पाने में जरूर कामयाब रही। कांग्रेस व अकाली दल के साथ AAP ने खुलकर किसानों के संघर्ष का समर्थन किया लेकिन फायदा किसी एक को नहीं मिला। कांग्रेस जरूर ज्यादा सीटें जीती हैं लेकिन इसके लिए उनका पंजाब में सरकार होना अहम कारण माना जा रहा है। अकाली दल ने किसान हित की बात कह केंद्र में मंत्री पद छोड़ने के बाद गठजोड़ तोड़ा व 5 बार CM रहे प्रकाश सिंह बादल ने पद्म विभूषण भी लौटा दिया लेकिन इन चुनावों में उन्हें ज्यादा फायदा नहीं मिला। आप किसानों के साथ दिल्ली के विकास मॉडल को लेकर चुनाव में आई थी लेकिन फिसड्‌डी साबित हुई।

अकाली दल को मिला वापसी का रास्ता
पंजाब निकाय चुनाव में शिराेमणि अकाली दल को बहुत कामयाबी तो नहीं मिली लेकिन पिछले विस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहने व फिर भाजपा से गठजोड़ टूटने के बाद वो राजनीतिक हाशिए पर जाते नजर आ रहे थे। अब निकाय चुनावों में आम आदमी पार्टी की हार से जहां अकाली दल दूसरे नंबर पर आई है। वहीं, कांग्रेस विधायक हरजोत कमल की पत्नी व कैबिनेट मंत्री चरणजीत चन्नी के भाई के हारने से अकाली दल को राजनीतिक तौर पर इसे भुनाने का मौका मिल गया है।

...लेकिन विस चुनाव से अलग निकाय चुनाव
पंजाब निकाय चुनावों को भले ही अगले विस चुनावों का ट्रेलर या सेमीफाइनल कहा जा रहा हो लेकिन इनका मूल अंतर भी समझना होगा। विस चुनाव जहां पार्टी की छवि व नीति पर लड़े जाते हैं वहीं निकाय चुनाव ज्यादातर उम्मीदवार व मतदाता के आपसी संबंध पर निर्भर हो जाते हैं। इन चुनावों में लोग पार्टीबाजी से ऊपर उठकर मतदान करते हैं। जीत के लिहाज से कांग्रेस जरूर इन्हें भुना रही है लेकिन सच्चाई यह भी है कि इन चुनावों में कई उम्मीदवारों ने पार्टी का चुनाव चिन्ह छोड़ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा।

संगरूर में जीत की खुशी मना रहे थे दो आजाद प्रत्याशी, प्रशासन ने पराजित घोषित किया तो घेरा ईवीएम का ट्रक


लहरागागा (संगरूर)।
बुधवार को घोषित हुए नगर कौंसिल चुनाव के परिणाम में पहले पराजित हुए लहरागागा के दो  उम्मीदवारों को बाद में विजेता घोषित करने से लोगों में नाराजगी फैल गई। विरोध में समर्थकों ने ईवीएम लेकर जा रहे ट्रक काे घेर लिया। उन्होंने नहर के पुल पर धरना लगाकर जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि पुनः मतगणना करके पूरे मामले में दूध का दूध और पानी का पानी किया जाए।

बाबा हीरा सिंह भट्ठल काॅलेज में ईवीएम  के जरिए वोट की गिनती की गई थी। ऐसे में विजेता घोषित किए जाने पर वार्ड नंबर दो से लहरागागा विकास मंच के सुरिंदर कौर व वार्ड नंबर आठ के आजाद उम्मीदवार सुरिंदर सिंह अपने समर्थकों के साथ लड्डू बांटते हुए खुशी-खुशी अपने वार्डों में लौट रहे थे। तभी अचानक प्रशासन ने उन्हें पराजित करार दे दिया। कांग्रेस के दो उम्मीदवारों को विजेता घोषित किया गया।
इस पर उम्मीदवारों और उनके समर्थकों ने ईवीएम ले जा रहे ट्रक को काॅलेज के गेट पर ही घेर लिया और प्रशासन व चुनाव अधिकारी के खिलाफ नारेबाजी की। उम्मीदवारों के समर्थकों ने लहरागागा-सूनाम मुख्य मार्ग को जाम कर धरना लगा दिया। मंच के नेता वरिंदर गोयल एडवोकेट, अनिल गर्ग एडवोकेट, भाजपा नेता विनोद सिंगला, आजाद उम्मीदवार संदीप कुमार, गुरी चहल, दविंदर नीटू, आढ़ती एसोसिएशन के जिला प्रधान संजीव सिंगला ने कहा कि चुनाव अधिकारी की मौजूदगी में विजय घोषित हुए उम्मीदवार सुरिंदर कौर व सुरिंदर सिंह को हारा हुआ करार दिया गया है।


चुनाव अधिकारी पर कांग्रेस के दवाब में काम करने का आरोप

स्थानीय चुनाव अधिकारी कांग्रेस के दबाव में आकर कागज भरने तक इसी प्रकार की धांधली करते आ रहे हैं। एसडीएम सरकार की शह पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि चुनाव अधिकारी ने विजेता उम्मीदवारों को विजेता सर्टिफिकेट कार्यालय में जाकर देने की बात कही थी लेकिन बाहर आते ही उन्हें हारा हुआ उम्मीदवार घोषित कर दिया गया।

हमने विजेताओं की लिस्ट जारी नहीं कीः चुनाव अधिकारी


इस संबंध में चुनाव अधिकारी जीवनजोत कौर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी भी विजेता उम्मीदवार की लिस्ट जारी नहीं की थी। जो लिस्ट तैयार है, उसे जिला प्रशासन को भेज दिया गया है।

Punjab Local Body Election: जीत से उत्‍साहित कांग्रेस ने लांच किया कैप्टन फार 2022, जाखड़ बोले- अम‍रिंदर ही होंगे चेहरा


चंडीगढ़।
Punjab Local Body Election Results: पंजाब के स्‍थानीय निकाय चुनावों में भारी जीत से कांग्रेस बेहद उत्‍साहित है। पार्टी को इसके बाद 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भी जोश मिला है। इस जीत से उत्‍साहित पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष सुनील जाखड़ ने 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया। उन्‍होंने 'कैप्‍टन फार 2022' (Captain For 2022) अभियान लांच कर दिया। जाखड़ ने साफ कहा कि 2022 में होनेवाले विधानसभा चुनाव कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्‍व में लड़ा जाएगा।

यहां पत्रकारों से बातचीत में सुनील जाखड़ ने कांग्रेस की जीत का सेहरा पार्टी कार्यकर्ताओं के सिर बांधा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह व पार्टी की नीतियों की जीत हुई है। वहीं, पंजाब को टुकड़ों-टुकड़ों में बांटने की साजिश रचने वाली पार्टियों की हार हुई है। जाखड़ ने सात नगर निगम और 98 नगर काउंसिल व नगर पंचायतों में कांग्रेस की जीत का परचम लहराने के बाद कैप्टन फार 2022 को लांच किया।
 इसके साथ ही जाखड़ ने स्पष्ट कर दिया कि 2022 में कांग्रेस मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी।
जाखड़ ने कहा, पंजाब के लोगों ने इतना बड़ा फतवा देकर पार्टी के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी डाली है। जो लोग निकाय चुनाव को 2022 का सेमीफाइनल बता रहे थे, हकीकत में यह कांग्रेस के लिए लांचिक पैड है। कैप्टन फार 2022 को लेकर उन्होंने कहा लोगों ने कैप्टन सरकार की नीतियों को समर्थन दिया है। कांग्रेस डेवलपमेंट के एजेंडे पर 2022 का चुनाव लड़ेगी।

शिअद और भाजपा का फिर हो सकता है गठबंधन

सुनील जाखड़ ने कहा कि चुनाव में पंजाब के टुकड़े-टुकड़े करने की नीति अपनाने वाली भाजपा और उसका साथ देने वाली शिरोमणि अकाली दल को लोगों ने आइना दिखा दिया है। दोनों ही पार्टियां पंजाब के डिस्टर्ब करना चाहती थीं। जाखड़ ने कहा कि निकाय चुनाव में हार के बाद इस बात की पूरी-पूरी संभावना है कि दोनों ही पार्टियों एक बार फिर से एक साथ हो जाएं।

जाखड़ ने कहा कि दोनों पार्टियों भले ही एक दूसरे से अलग होने का दिखावा कर रही हों लेकिन हकीकत में दोनों एक साथ ही है। चुनाव में हार के बाद अब ये दोनों फिर से एक साथ हो सकती है। बस देखना यह होगा कि क्या शिरोमणि अकाली दल के नेता भाजपा नेता से जाकर माफी मांगते हैं या भाजपा नेता बादल से जाकर माफी मांगते हैं। जाे भी हो, लेकिन होंगे दोनों एक साथ ही। 

सोशल मीडिया से कुछ नहीं होता

उन्‍होंने आम आदमी पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर पंजाब की नकारात्मक छवि बनाने की कोशिश करने वाली पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है। यह दूसरा मौका है जब आप को करारा झटका लगा है। सोशल मीडिया पर तो आम आदमी पार्टी खासी सक्रिय रहती है लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है। यहां तक भी आप के एक मात्र सांसद भगवंत मान के संगरूर में भी आप का सूपड़ा साफ हो गया।

जाखड़ ने कहा कि‍ आप नेता अमन अरोड़ा के सुनाम का भी यही हाल है। आप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान कभी भी पंजाब के हितों की बात नहीं की। उनका पूरा फोकस मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब को बदनाम करने की तरफ रहा। यही कारण है कि लोगों ने आप को सबक दिखाया।

ਬਠਿੰਡਾ ਨਗਰ ਨਿਗਮ ਸਮੇਤ 5 ਨਗਰ ਕੌਂਸਲਾਂ ਅਤੇ 6 ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ’ਤੇ ਕਾਂਗਰਸ ਦਾ ਹੋਇਆ ਕਬਜ਼ਾ 224 ’ਚੋਂ 220 ਵਾਰਡਾਂ ਦੇ ਐਲਾਨੇ ਨਤੀਜ਼ੇ ਜ਼ਿਲੇ ਅੰਦਰ ਭਾਜਪਾ ਦਾ ਨਹੀਂ ਖੁੱਲਿਆ ਖ਼ਾਤਾ


ਨਗਰ ਨਿਗਮ, ਨਗਰ ਕੌਸਲਾਂ ਤੇ ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਚੋਣਾਂ ਦੇ ਐਲਾਨੇ ਨਤੀਜੇ-ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ


ਬਠਿੰਡਾ, 17 ਫ਼ਰਵਰੀ : ਸਥਾਨਕ ਚੋਣਾਂ ਦੇ ਐਲਾਨੇ ਗਏ ਨਤੀਜਿਆਂ ’ਚ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਨੇ ਬਠਿੰਡਾ ਨਗਰ ਨਿਗਮ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ 14 ਨਗਰ ਕੌਂਸਲਾਂ ਤੇ ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ਵਿਚੋਂ 5 ਨਗਰ ਕੌਂਸਲਾਂ ਤੇ 6 ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ’ਤੇ ਭਾਰੀ ਬਹੁਮਤ ਨਾਲ ਕਬਜ਼ਾ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਜਦਕਿ 1 ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਲਹਿਰਾ ਮੁਹੱਬਤ ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰਾਂ ਦੇ ਖ਼ਾਤੇ ਰਹੀ ਹੈ। ਇਹ ਜਾਣਕਾਰੀ ਜ਼ਿਲਾ ਚੋਣ ਅਫ਼ਸਰ-ਕਮ-ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਸ਼੍ਰੀ ਬੀ.ਸ੍ਰੀਨਿਵਾਸਨ ਨੇ ਸਾਂਝੀ ਕੀਤੀ।

          ਬਠਿੰਡਾ ਨਗਰ ਨਿਗਮ, ਨਗਰ ਕੌਂਸਲਾਂ ਅਤੇ ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ਦੇ ਕੁੱਲ 224 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 220 ਵਾਰਡਾਂ ਦੇ ਐਲਾਨੇ ਗਏ ਨਤੀਜਿਆਂ ਅਨੁਸਾਰ 153 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 33 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ, 3 ਉਮੀਦਵਾਰ ਆਮ ਆਦਮੀ ਪਾਰਟੀ, 1 ਉਮੀਦਵਾਰ ਬਹੁਜਨ ਸਮਾਜ ਪਾਰਟੀ ਅਤੇ 30 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ ਹਨ।

          ਐਲਾਨੇ ਗਏ ਨਤੀਜਿਆਂ ਬਾਰੇ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦਿਆਂ ਜ਼ਿਲਾ ਚੋਣਕਾਰ ਅਫ਼ਸਰ-ਕਮ-ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਸ਼੍ਰੀ ਬੀ.ਸ੍ਰੀਨਿਵਾਸਨ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਬਠਿੰਡਾ ਨਗਰ ਨਿਗਮ ਦੇ 50 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 43 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਅਤੇ 7 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਜੇਤੂ ਰਹੇ।

          6 ਨਗਰ ਕੌਂਸਲਾਂ ਦੇ ਐਲਾਨੇ ਗਏ ਨਤੀਜਿਆਂ ਅਨੁਸਾਰ ਮੌੜ ਦੇ 17 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 13 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 1 ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਤੇ 3 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ, ਰਾਮਾਂ ਨਗਰ ਕੌਂਸਲ ਦੇ 15 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 11 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 2 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਤੇ 2 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ। ਇਸੇ ਤਰਾਂ ਗੋਨਿਆਣਾ ਦੇ 13 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚ 7 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਅਤੇ 6 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ, ਕੋਟਫੱਤਾ ਦੇ 11 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚ 9 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਤੇ 2 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ, ਜਦਕਿ ਸੰਗਤ ਨਗਰ ਕੌਂਸਲ ਦੇ 9 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋ 2 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਅਤੇ 7 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਜੇਤੂ ਰਹੇ ਅਤੇ ਨਗਰ ਕੌਂਸਲ ਭੁੱਚੋਂ ਮੰਡੀ ਦੇ 13 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 10 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 2 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਤੇ 1 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਿਹਾ।

          ਇਸੇ ਤਰਾਂ 8 ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ਦੇ ਐਲਾਨੇ ਗਏ ਨਤੀਜਿਆਂ ਅਨੁਸਾਰ ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਕੋਠਾਗੁਰੂ ਦੇ 11 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚ ਸਾਰੇ ਹੀ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ। ਇਸੇ ਤਰਾਂ ਭਗਤਾ ਭਾਈਕਾ ਦੇ 13 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 9 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 3 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਤੇ 1 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਿਹਾ। ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਮਲੂਕਾ ਦੇ 11 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 9 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਅਤੇ 2 ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ। ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਭਾਈਰੂਪਾ ਦੇ 13 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 8 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 4 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਤੇ 1 ਬਹੁਜਨ ਸਮਾਜ ਪਾਰਟੀ ਦਾ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਿਹਾ।

          ਇਸੇ ਤਰਾਂ ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਮਹਿਰਾਜ ਦੇ 13 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 10 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 1 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਤੇ 2 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ। ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਕੋਟਸ਼ਮੀਰ ਦੇ 13 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 10 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 1 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਤੇ 2 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ। ਇਸੇ ਤਰਾਂ ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਨਥਾਣਾ ਦੇ 11 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 1 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਤੇ ਆਮ ਆਦਮੀ ਪਾਰਟੀ ਦੇ 3-3 ਉਮੀਦਵਾਰ ਅਤੇ 4 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ।

          ਇਸੇ ਤਰਾਂ ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਲਹਿਰਾ ਮੁਹੱਬਤ ਦੇ ਕੁੱਲ 11 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 7 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਬਿਨਾਂ ਮੁਕਾਬਲਾ ਜੇਤੂ ਰਹੇ ਜਦਕਿ 4 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚ ਉਮੀਦਵਾਰਾਂ ਦੇ ਕਾਗਜ਼ ਰੱਦ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਹੋਰ ਕੋਈ ਉਮੀਦਵਾਰ ਚੋਣ ਮੈਦਾਨ ’ਚ ਨਾ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਖਾਲੀ ਰਹਿ ਗਏ ਹਨ ਜਿੱਥੇ ਚੋਣ ਕਮਿਸ਼ਨ ਦੀਆਂ ਹਦਾਇਤਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਭਵਿੱਖ ਵਿਚ ਪੋਿਗ ਹੋਵੇਗੀ।

बठिंडा नगर निगम व 14 नगर कौंसिल व पंचायत चुनावों के 224 वार्डों में से 154 पर कांग्रेसी जीते

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मात्र 33 वार्डों में जीत हासिल कर अकाली दल रहा दूसरे नंबर पर, आम आदमी पार्टी ने तीन सीट जीतकर नथाना में खोला खाता 
बठिंडा. बठिंडा जिले में नगर निगम बठिंडा व 14 नगर कौंसिलों व नगर पंचायतों के लिए हुए चुनाव में 224 वार्डों में से कांग्रेस ने 154 सीटों पर जीत हासिल की है। वही दूसरे नंबर पर शिरोमणि अकाली दल ने 33 सीटों पर जीत हासिल की है। जिले में आम आदमी पार्टी के लिए राहत वाली बात है कि उन्होंने नथाना में तीन सीटों पर जीत हासिल की। वही बसपा ने एक व आजाद 29 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। फिलहाल नगर निगम बठिंडा में 50 वार्डों में कांग्रेस ने 43 व अकाली दल ने सात सीटों पर जीत हासिल की। इसी तरह कोठागुरु में 11 सीटों में से 11 में कांग्रेस, भगता में 13 सीटों में 9 कांग्रेस व तीन अकाली दल व एक आजाद उम्मीदवार विजयी हुआ है। मलूका नगर पंचायत में 11 सीटों में 9 पर कांग्रेस व दो पर अकाली दल, भाईरुपा में 13 सीटों में से 8 पर कांग्रेस व 4 पर अकाली दल व एक सीट बसपा के खाते में गई है। महिराज नगर पंचायत की 13 सीटों में से 10 पर कांग्रेस, एक अकाली दल व दो पर आजाद, मौड़ मंडी में 17 सीटों में से 13 पर कांग्रेस, एक पर अकाली दल व तीन आजाद उम्मीदवार जीते। रामा मंडी में 15 वार्डों में से 11 पर कांग्रेस, दो पर अकाली दल व दो आजाद उम्मीदवार, भच्चो मंडी के 13 वार्डों में से 11 पर कांग्रेस व दो पर अकाली दल ने जीत हासिल की है। लहरा मुहब्बत में 11 सीटों में सात पर आजाद उम्मीदवार चुनाव जीते जबकि तीन पर कांग्रेस व अकाली दल, नथाना के 11 वार्डों में से एक पर कांग्रेस, तीन पर अकाली दल, तीन पर आप व चार पर आजाद उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। गोनियाना नगर कौंसिल की 13 सीटों में से सात पर कांग्रेस व 6 पर आजाद उम्मीदवार विजयी हुए है। संगत नगर कौंसिल की 9 सीटों में दो पर कांग्रेस, सात पर अकाली दल ने जीत हासिल की। कोटसमीर की 13 सीटों में से 10 पर कांग्रेस, एक पर अकाली दल व दो पर आजाद उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। इसी तरह कोटफत्ता नगर पंचायत की 11 सीटों में से 9 पर कांग्रेस व दो पर आजाद ने चुनाव जीता है। इस तरह से बठिंडा जिले में हुए चुनावों में 154 सीटों पर कब्जा कर कांग्रेस आगे रही।  

कांग्रेस ने बठिंडा में 85 फीसदी सीटें हासिल कर रचा इतिहास, 50 में से 43 सीटों पर हासिल की जीत-मनप्रीत सिंह बादल


वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने इतिहासिक जीत दिलवाने के लिए वोटरों का जताया अभार

बठिंडा. नगर निगम बठिंडा के चुनाव परिणाम में कांग्रेस ने बठिंडा नगर निगम में 50 सीटों में से 43 सीटें जीतकर एक शानदार जीत दर्ज की है। बठिंडा से भी कांग्रेस को रोमांचित करने वाली खबर आ रही है, जहां नगर निगम में पार्टी पहली बार अपना मेयर बनाने की स्थिति में पहुंच चुकी है।


इसमें शिरोमणि अकाली दल को सात सीटे मिली है। इन चुनावों में आम आदमी पाप्टी और भाजपा को लोगों को पूरी तरह से नकार दिया। 53 साल में यह पहली बार है कि पूर्व में बठिंडा नगर कौंसिल व वर्तमान में नगर निगम में मेयर कांग्रेस पार्टी का बनने जा रहा है। 











वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने इस जीत के लिए जहां लोगों का अभार जताया वही इसे साल 2022 के विधानसभा चुनावों का फतवा भी करार दिया। उन्होंने कहा कि पिछले चार साल में जो विकास कार्य उन्होंने नगर निगम क्षेत्र में करवाएं उसे लेकर ही लोगों ने कांग्रेस को सत्ता की चांबी सौंपी है व अब एक साल बाद होने जा रहे फरवरी 2022 के चुनावों में भी कांग्रेस फिर से सत्ता हासिल करेगी। मनप्रीत सिंह बादल ने जीत के बाद मीडिया से बात करते बताया कि पार्टी ने 85 प्रतिशत सीटें जीती हैं। अकाली दल को केवल सात सीटे मिली और आम आदमी पार्टी (आप) और बीजेपी का खाता तक नहीं खुला है। मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि यह जीत इस बात का भी समर्थन करती है कि लोगों ने खेती कानूनों का पूरी तरह से नकार दिया है। लोग इन तीनों कानूनों को रद्द करवाना चाहते हैं। 





















यही कारण है कि भाजपा की अधिकतर सीटों में जमानते तक जब्त हुई है। वही अकाली दल की नीतियों को भी लोगों ने सिरे से नकारते संकेत दिया है कि एक साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस फिर से सत्ता हासिल करने जा रही है। अब उनका ध्यान बठिंडा शहर के रुके हुए कार्यों को पूरा करवाने की तरफ है। बठिंडा को राज्य में सबसे विकसित शहर बनाया जाएगा। यहां शत प्रतिशत पानी, सीवरेज, सड़कों, स्ट्रीट लाइटों की सुविधा देने की तरफ चल रहे काम को गति प्रदान की जाएगी।  

निकाय चुनाव में सत्ता पक्ष की आंधी में उड़ा विपक्ष, निगम के साथ काउंसिल पर कांग्रेस का कब्जा

स्थानीय निकाय चुनाव में जिला बठिंडा में वैसा ही हुआ, जैसी संभावना थी। सत्ता पक्ष की आँधी में विपक्ष पूरी तरह उड़ गया। ऐसे परिणामों में विपक्ष का विरोध भी लाजमी था। खासकर बठिंडा नगर निगन में कांग्रेस ने 50 में से 43  सीटें जीत विपक्ष को करारा झटका दिया। शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी सहित अन्य छोटे दलों ने सत्ता पक्ष पर धांधली का आरोप भी लगाया। 











पंजाब के निकाय चुनाव नतीजों में कांग्रेस को कृषि कानूनों की पुरजोर मुखालफत का फल मिलता दिखा है. यहां शहरी निकायों में पार्टी शानदार प्रदर्शन करती दिख रही है. वहीं शिअद और आप का प्रदर्शन उनकी उम्मीदों और दावों के मुताबिक नहीं दिख रहा, जबकि बीजेपी को इन कृषि कानूनों का खामियाज़ा होता दिख रहा है. 




इन परिणामों की खास बात यह है कि बठिंडा नगर निगम कांग्रेस के खाते में 53 साल बाद आई है। बठिंडा लोकसभा का प्रतिनिधित्व शिरोमणी अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल करती हैं। राज्य में केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ किसानों के विरोध के बाद उन्होंने खुद को सरकार से अलग कर लिया था। बठिंडा शहर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के मनप्रीत सिंह बादल विधायक हैं। वह राज्य के वित्त मंत्री भी हैं। फिलहाल इन चुनावों में अकाली दल को भाजपा से गठजोड़ तोड़ने का भी नुकसान हुआ है। इससे पहले साल 2015 के नगर निगम चुनाव में आकाली दल-भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था व मेयर की कुर्सी पर काबिज हुए थे। शहर में अग्रवाल वोट अधिक है जिसमें भाजपा का जनाधार भी है। फिलहाल भाजपा ने इन चुनावों में बेशक खाता नहीं खोला है लेकिन वह हर वार्ड में वोट खराब करने की स्थिति में जरूर रहे। वही आम आदमी पार्टी नगर निगम चुनावों में पहली बार उतरी थी लेकिन इनके खाते भी कोई सीट नहीं मिली वही सोशल मीडिया ग्रुप व आजाद उम्मीदवारों को भी इन चुनावों में कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा है। शहर में विकास कार्यों के बलबूते पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस ने 85 प्रतिशत सीटों पर जीत हासिल कर इस बात पर मोहर लगाने का काम किया है। इसमें अकाली दल शुरू से ही कांग्रेस पर हमलावर रही कि वह नींव पत्थरों को विकास बता रही है। अकाली दल के पूर्व विधायक सरुपचंद सिंगला ने तो चुनाव से एक दिन पहले कांग्रेस पार्टी व वित्त मंत्री को सवाल किया था कि वह किस आधार पर लोगों से वोट मांग रहे हैं जबकि उन्होंने शहर में एक भी नया काम नहीं करवाया है। इसमें कांग्रेस ने पलटवार नहीं किया जिससे स्पष्ट हो गया कि वह इन आरोपों को तरजीह नहीं देती है। फिलहाल चुनाव परिणामों ने कांग्रेस की डवल्पमेंट पालटिक्स को समर्थन देते उन्हें भारी बहुमत से जीत दिलवाई है। 

 


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