वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने इतिहासिक जीत दिलवाने के लिए वोटरों का जताया अभार
बठिंडा. नगर निगम बठिंडा के चुनाव परिणाम में कांग्रेस ने बठिंडा नगर निगम में 50 सीटों में से 43 सीटें जीतकर एक शानदार जीत दर्ज की है। बठिंडा से भी कांग्रेस को रोमांचित करने वाली खबर आ रही है, जहां नगर निगम में पार्टी पहली बार अपना मेयर बनाने की स्थिति में पहुंच चुकी है।
इसमें शिरोमणि अकाली दल को सात सीटे मिली है। इन चुनावों में आम आदमी पाप्टी और भाजपा को लोगों को पूरी तरह से नकार दिया। 53 साल में यह पहली बार है कि पूर्व में बठिंडा नगर कौंसिल व वर्तमान में नगर निगम में मेयर कांग्रेस पार्टी का बनने जा रहा है।
वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने इस जीत के लिए जहां लोगों का अभार जताया वही इसे साल 2022 के विधानसभा चुनावों का फतवा भी करार दिया। उन्होंने कहा कि पिछले चार साल में जो विकास कार्य उन्होंने नगर निगम क्षेत्र में करवाएं उसे लेकर ही लोगों ने कांग्रेस को सत्ता की चांबी सौंपी है व अब एक साल बाद होने जा रहे फरवरी 2022 के चुनावों में भी कांग्रेस फिर से सत्ता हासिल करेगी। मनप्रीत सिंह बादल ने जीत के बाद मीडिया से बात करते बताया कि पार्टी ने 85 प्रतिशत सीटें जीती हैं। अकाली दल को केवल सात सीटे मिली और आम आदमी पार्टी (आप) और बीजेपी का खाता तक नहीं खुला है। मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि यह जीत इस बात का भी समर्थन करती है कि लोगों ने खेती कानूनों का पूरी तरह से नकार दिया है। लोग इन तीनों कानूनों को रद्द करवाना चाहते हैं।
यही कारण है कि भाजपा की अधिकतर सीटों में जमानते तक जब्त हुई है। वही अकाली दल की नीतियों को भी लोगों ने सिरे से नकारते संकेत दिया है कि एक साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस फिर से सत्ता हासिल करने जा रही है। अब उनका ध्यान बठिंडा शहर के रुके हुए कार्यों को पूरा करवाने की तरफ है। बठिंडा को राज्य में सबसे विकसित शहर बनाया जाएगा। यहां शत प्रतिशत पानी, सीवरेज, सड़कों, स्ट्रीट लाइटों की सुविधा देने की तरफ चल रहे काम को गति प्रदान की जाएगी।
निकाय चुनाव में सत्ता पक्ष की आंधी में उड़ा विपक्ष, निगम के साथ काउंसिल पर कांग्रेस का कब्जा
स्थानीय निकाय चुनाव में जिला बठिंडा में वैसा ही हुआ, जैसी संभावना थी। सत्ता पक्ष की आँधी में विपक्ष पूरी तरह उड़ गया। ऐसे परिणामों में विपक्ष का विरोध भी लाजमी था। खासकर बठिंडा नगर निगन में कांग्रेस ने 50 में से 43 सीटें जीत विपक्ष को करारा झटका दिया। शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी सहित अन्य छोटे दलों ने सत्ता पक्ष पर धांधली का आरोप भी लगाया।
पंजाब के निकाय चुनाव नतीजों में कांग्रेस को कृषि कानूनों की पुरजोर मुखालफत का फल मिलता दिखा है. यहां शहरी निकायों में पार्टी शानदार प्रदर्शन करती दिख रही है. वहीं शिअद और आप का प्रदर्शन उनकी उम्मीदों और दावों के मुताबिक नहीं दिख रहा, जबकि बीजेपी को इन कृषि कानूनों का खामियाज़ा होता दिख रहा है.
इन परिणामों की खास बात यह है कि बठिंडा नगर निगम कांग्रेस के खाते में 53 साल बाद आई है। बठिंडा लोकसभा का प्रतिनिधित्व शिरोमणी अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल करती हैं। राज्य में केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ किसानों के विरोध के बाद उन्होंने खुद को सरकार से अलग कर लिया था। बठिंडा शहर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के मनप्रीत सिंह बादल विधायक हैं। वह राज्य के वित्त मंत्री भी हैं। फिलहाल इन चुनावों में अकाली दल को भाजपा से गठजोड़ तोड़ने का भी नुकसान हुआ है। इससे पहले साल 2015 के नगर निगम चुनाव में आकाली दल-भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था व मेयर की कुर्सी पर काबिज हुए थे। शहर में अग्रवाल वोट अधिक है जिसमें भाजपा का जनाधार भी है। फिलहाल भाजपा ने इन चुनावों में बेशक खाता नहीं खोला है लेकिन वह हर वार्ड में वोट खराब करने की स्थिति में जरूर रहे। वही आम आदमी पार्टी नगर निगम चुनावों में पहली बार उतरी थी लेकिन इनके खाते भी कोई सीट नहीं मिली वही सोशल मीडिया ग्रुप व आजाद उम्मीदवारों को भी इन चुनावों में कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा है। शहर में विकास कार्यों के बलबूते पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस ने 85 प्रतिशत सीटों पर जीत हासिल कर इस बात पर मोहर लगाने का काम किया है। इसमें अकाली दल शुरू से ही कांग्रेस पर हमलावर रही कि वह नींव पत्थरों को विकास बता रही है। अकाली दल के पूर्व विधायक सरुपचंद सिंगला ने तो चुनाव से एक दिन पहले कांग्रेस पार्टी व वित्त मंत्री को सवाल किया था कि वह किस आधार पर लोगों से वोट मांग रहे हैं जबकि उन्होंने शहर में एक भी नया काम नहीं करवाया है। इसमें कांग्रेस ने पलटवार नहीं किया जिससे स्पष्ट हो गया कि वह इन आरोपों को तरजीह नहीं देती है। फिलहाल चुनाव परिणामों ने कांग्रेस की डवल्पमेंट पालटिक्स को समर्थन देते उन्हें भारी बहुमत से जीत दिलवाई है।
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