चंडीगढ़ । आपरेशन ग्रीन्स गेहूं और धान की जगह वैकल्पिक खेती करने वालों के लिए वरदान साबित हो सकता है। हालांकि, इस साल तो इस योजना का कोई लाभ नहीं होगा, क्योंकि सीजन निकल चुका है, लेकिन आने वाले समय में किन्नू के बड़े बागवान इसका लाभ उठा सकते हैं। केंद्र सरकार ने किन्नू और आलू पैदा करने वालों के लिए भाड़ा सब्सिडी 50 फीसद तक देने के लिए पंजाब एग्रो एक्सपोर्ट कारपोरेशन को नोडल एजेंसी बना दिया है। अब किसानों को भाड़ा सब्सिडी के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
पंजाब एग्रो के एमडी मनजीत सिंह बराड़ ने बताया कि यह योजना किन्नू को देश के दूसरे राज्यों में भेजने के मामले में बड़ी सहायक सिद्ध होगी। आज जब डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं, तो इन राज्यों में अपने उत्पाद भेजना काफी मुश्किल हो गया है। बागबान इससे कतराने लगे हैं, लेकिन यह योजना उनके लिए बड़ी कारगर सिद्ध् होगी। सब्सिडी लेने में कोई अनियमितता न हो इसके लिए टेक्नोलाजी का प्रयोग किया जा रहा है। इसके लिए एक एप्लीकेशन तैयार की गई है, जिसमें किन्नू उत्पादकों को बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई और हैदराबाद आदि बड़े शहरों में अपने उत्पादों को भेजने के लिए ट्रकों को जीओ टैग से जोड़ना होगा।
ट्रक के आगे और पीछे के फोटो खींचकर अपलोड करने होंगेे। यही नहीं, जो ड्राइवर होंगे उनका पूरा रिकार्ड कारपोरेशन को भेजना होगा। जब गाड़ी अपने गंतव्य के लिए चलेगी तो रास्ते में आने वाले सभी टोल प्लाजा की पर्चियां भी उन्हें अपने पास रखनी होंगी। चलने से पहले और गंतव्य पर पहुंचकर इसकी तुलाई की पर्चियां भी देनी होंगी, ताकि यह पता चल सके कि माल उतना ही पहुंचा है जितना यहां से भेजा गया था।
मनजीत बराड़ ने बताया कि ड्राइवर को उसका भाड़ा कैश नहीं दिया जाएगा, बल्कि उसके खाते में जमा करवाना होगा। उन्होंने बताया कि इस योजना का फायदा यह भी है कि अगर किन्नू उत्पादक का माल एक दिन में नहीं बिक पाता है और उसे कुछ दिन स्टोर करना पड़ता है। ऐसे में स्टोरेज का 50 फीसद किराया भी केंद्र सरकार की ओर से दिया जाएगा। किन्नू उत्पादकों को कोल्ड स्टोरेज के किराए की पर्ची देनी होगी।
कारपोरेशन के एमडी ने बताया कि केंद्र सरकार ने किन्नू के अलावा आलू को भी निर्यात करने पर सब्सिडी देनी मंजूर कर ली है। पंजाब एग्रो इसकी भी नोडल एजेंसी होगी। इसके अलावा हमारा चयन मटर और गाजर जैसी सब्जियों के लिए किया गया है। काबिले गौर है कि पंजाब का मटर जम्मू कश्मीर के अलावा दक्षिण के राज्यों में भी बहुत जाता है, लेकिन भाड़ा ज्यादा होने के चलते किसान अब डिस्टेंस मार्केटिंग करने से कतराने लगे हैं।
बठिंडा से अबोहर तक किन्नू के बाग
बठिंडा से लेकर अबोहर तक किन्नू के बड़े बाग हैं। इसके अलावा होशियारपुर में भी काफी मात्रा भी किन्नू की पैदावार होती है। बठिंडा के घुम्मण कलां के किन्नू उत्पादक सुखपाल भुल्लर जो बागबानी में नेशनल अवार्डी भी हैं, उन्होंने बताया कि अगर यह योजना आगे जारी रहती है तो मुझे यकीन है कि किसानों को उनकी पैदावार का 15 फीसद फायदा जरूर होगा।
उन्होंने कहा कि बड़े किसान डिस्टेंस मार्केटिंग में ज्यादा चले जाएं और अपने उत्पाद बेंगलुरु, चेन्नई, गोवा भेजें तो पंजाब में छोटे बागबानों को लाभ होगा, क्योंकि बड़े व्यापारियों के न होने से मार्केट में भरमार नहीं होगी। मेरा तो केवल इतना कहना है कि इस योजना को बाबूगीरी से बचाकर रखें।