बठिंडा. ब्लड बैंक में जुलाई से नवंबर के मध्य थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एड्स संक्रमित खून चढ़ाने के मामले में कानूनी कारर्वाई का सामना कर रहे दो कर्मचारियों की तरफ से पिछले दिनों जिला अदालत में जमानत याचिका दायर की थी जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया है। इसमें पूर्व बीटीओ बलदेव सिंह रोमाणा ने जहां गिरफ्तारी के बाद जमानत के लिए आवेदन किया था वही पुलिस की तरफ से पिछले दिनों एक अन्य पूर्व कर्मी रुचि गोयल के खिलाफ केस दर्ज किया था व उक्त कर्मी ने अग्रीम जमानत के लिए एडीशनल सेशन जज के पास अर्जी दाखिल की थी।
इसमें कोर्ट की तरफ से दोनों की अर्जी पर विचार करते टिप्पणी की कि आप लोगों ने अमानवीय काम किया जिसमें लापरवाही की हद करते पहले से थेलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को एचआईवी पोजटिव बनाने की कोशिश की जो गहन अपराध की श्रेणी में आता है व इसमें वह जमानत नहीं दे सकते हैं। इसके बाद अब दोनों आरोपियों के पास जमानत के लिए ऊपरी अदालत में जाने का विकल्प ही बचा है। गौरतलब है कि सिविल अस्पताल में एक महिला व चार बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाने का काम वहां स्थित ब्लड बैक में किया गया।
इस दौरान दोनों आरोपी बैंक में तैनात थे जबकि उक्त लोगों के साथ एक अन्य कर्मी को भी मामले में आरोपी ठहराते सेहत विभाग के मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने पहली जांच में निलंबित कर दिया था। इसमें तीसरे आरोपी पर अभी पुलिस की तरफ से किसी तरह की कारर्वाई नहीं की गई है। वही अक्तूबर व नवंबर माह में फिर से तीन बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले सामने आए थे जिसमें जांच के बाद सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने बठिंडा ब्लड बैंक में कार्यरत चार कांट्रेक्ट लैब टेक्नीशियनों को जांच के बाद दोषी पाए जाने पर नौकरी से डिसमिस कर दिया था। सेहत विभाग की अक्टूबर माह के बाद यह दूसरी बड़ी कार्रवाई थी जबकि 3 अक्टूबर के केस में जहां एक एमएलटी बलदेव रोमाणा जेल में है तो कांट्रेक्ट पर बीटीओ डा. करिश्मा व एलटी रिचा गोयल को सस्पेंड किया जा चुका है। इसमें रिचा गोयल पर पिछले माह बाल सुरक्षा आयोग की सख्ती के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया था। उक्त मामले में 8 से 12 साल के मध्य बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाया गया जिसकी ब्लड बैंक में जांच नहीं हुई थी।
लगातार एचआईवी संक्रमित खून लगने के पीछे साजिश होने की आशंका के बाद विजिलेंस जांच
बठिंडा के सरकारी सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक से एक महिला के अलावा तीन थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी पॉजिटिव डोनरों का बिना जांच खून चढ़ने के मामले में जहां सेहत विभाग चार एलटी को डिसमिस करने की कार्रवाई कर चुका है, वहीं लगातार ब्लड बैंक में ही इस तरह की घटनाएं घटित होने को संयोग नहीं माना जा सकता तथा इसी बात ने सेहत विभाग को बुरी तरह उलझा दिया है। रक्त की जांच नहीं होना तथा उनके थैलेसीमिया मरीजों को चढ़ने के अलावा अन्य कई केस, जिनका अभी रिकार्ड सेहत विभाग को मालूम नहीं है, को लेकर आशंकित सेहत विभाग इसकी विजिलेंस जांच करवा रहा है ताकि इस मामले की तह तक पहुंचा जा सके। इसमें विजिलेंस विभाग की तरफ से ब्लड बैंक का रिकार्ड व अब तक हुई जांच की पूरी रिपोर्ट तलब कर ली है लेकिन इसमें अभी किसी के बयान दर्ज नहीं किए जा सके हैं। अक्टूबर 2020 में पहले केस के सामने आने तथा लोकल टीम द्वारा की गई जांच में ब्लड बैंक के सारे स्टाफ का रोल शक के दायरे में आने तथा अपना काम ईमानदारी से पूरा नहीं करने के चलते ब्लड बैंक के सभी लोकल कर्मियों का नाम सामने आने के बाद भले ही एक्शन हो गया हो, लेकिन सेहत विभाग एक के बाद एक एचआईवी संक्रमित केसों के सामने आने के बाद इसे सामान्य नहीं मान रहा है। सेहत विभाग की मानें तो एक ही ब्लड बैंक से इतने एचआईवी संक्रमण के केस नहीं हो सकते तथा इसमें किसी तरह की शरारत हो सकती है, इसलिए विभाग भविष्य में किसी तरह का कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता, क्योंकि टीम के होते हुए भी संक्रमित खून अगर ब्लड बैंक में पहुंच सकता है तो विभाग इसकी गंभीरता को समझ रहा है। विजिलेंस इंक्वायरी के माध्यम से सेहत विभाग इस मामले में छिपे तथ्यों को सामने लाकर संक्रमण फैलने व फैलाने वालों पर लगाम कसना चाहता है।
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