बठिंडा। राज्य शिक्षा विभाग की तरफ से स्कूल प्रबंधकों को किताबें खरीदने के लिए बच्चों पर दबाब बनाने की स्थिति पर कारर्वाई की हिदायत दी है वही अब हालात ऐसे पैदा किए जा रहे हैं जिसमें बच्चों के अभिभावकों को न चाहते हुए भी एक ही दुकान से महंगे दाम में किताबों की खरीद करनी पड़ रही है। एक अप्रैल से स्कूलों में नया सेशन शुरू हो जाएगा। बच्चे नए सेशन में नई किताबें व नई ड्रेस की खरीददारी करने की तैयारी कर रहे है, लेकिन इसी दौरान अभिभावकों की चिंता भी बढ़ गई है। एक तरफ सरकार ने दस अप्रैल तक सभी स्कूल व कालेज बंद करने आदेश दिए हैं, ताकि कोरोना का असर विद्यार्थियों पर न पड़े। वहीं दूसरी तरफ बाजार में एनसीईआरटी की किताबें अभिभावकों को मिल नहीं रही है। इस स्थिति में अभिभावकों को शहर में एक ही तय दुकान से मेहंगे दामों पर किताबें खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। कई अभिभावकों को यह किताबें मिल ही नहीं रही है। गौर है कि हर वर्ष निजी स्कूलों की तरफ से कुछ कक्षाओं के विद्यार्थियों को एनसीआरटी की किताबें लगाई जाती है, लेकिन यह किताबे बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होती है क्योंकि अधिकतर दुकानदारों को चिंता रहती है कि स्कूल प्रबंधकों की तरफ से मोटे कमिशन के चक्कर में कुछ दुकानदारों तरफ से बताई पब्लिकेशन की किताबें लिखी जाती है व अपने स्कूल के आसपास ही दुकान खोलकर अभिभावकों को वहां से खरीदारी करने के लिए कहा जाता है। वही एनसीआरटी पब्लिकेशन की तरफ से भी बाजार में जरूरत अनुसार किताबे उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है। इन हालात में किताबे हर दुकान में नहीं मिलने के कारण बच्चों को मेहंगे दामों पर खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है। लेकिन अगर स्कूलों द्वारा एनसीईआरटी की किताबें भी कुछ क्लासेस के लिए लगती हैं तो किताबें उपलब्ध न होना भी एक समस्या बन रहा है।
आज अप्रैल से नया सेशन शुरू
होने वाला है। ऐसे में अभिभावक किताबों के लिए बाजारों के चक्कर काटने के अलावा
स्कूलों में भी जाकर किताबों के बारे में पूछ रहे हैं। लेकिन किताबें पूरी नहीं
मिल पा रही। अभिभावकों द्वारा लंबे समय से मांग की जा रही है कि सरकार को इस ओर ध्यान देते हुए
पर्याप्त नंबर में किताबें उपलब्ध करवानी चाहिए ताकि सेशन शुरू होने से पहले
किताबें ली जा सकें।
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आनलाइन पढ़ाई भी बनी समस्या
एक बार फिर से स्कूल बंद होने
के कारण अभिभावकों को बच्चो को आनलाइन पढ़ाई ही करवानी पड़ रही है। अब आनलाइन
पढ़ाई में अभिभावकों को भी बच्चे को पढ़ाई करवानी पड़ती है, अगर इस बीच किताबें न मिली तो
अभिभावक बच्चों को पढ़ाई कैसे करवा पाएंगे। एक तरफ स्कूल नहीं खुल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अभिभावकों को
किताबें नहीं मिल रही है। जिस कारण आनलाइन पढ़ाई भी अध्यापकों के लिए समस्या बन गई
है।
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किताबें नहीं मिल रही
हर वर्ष अभिभावकों को यह झेलना
पड़ता है। किताबें न मिलने के कारण हमें निजी दुकानों पर किताबे खरीदने के लिए
मजबूर होना पड़ रहा है। अब अभिभावकों को भी यह बात समझ नहीं आ रही है, कि वह करे क्या। नया सेशन शुरू
होते ही बच्चे की पढ़ाई की टेंशन बढ़ जाती है।
संजीव जिंदल, प्रधान पैरेंट्स राइट एसोसिएशन
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किताब बदलने पर नुक्सान उठाना
पड़ता है।
पहले तो एनसीईआरटी की किताबों के लिए
एनसीईआरटी की बहुत सी शर्ते हैं। जिन्हें हर कोई पूरा नहीं कर पाता। वहीं, हर राज्य के मुताबिक एनसीईआरटी
द्वारा किताबें भेजी जाती हैं। अगर साल पहले भी किताबें इकट्ठा करनी शुरु करें तो
भी डिमांड पूरी नहीं हो सकती। वहीं ये भी नहीं मालूम होता कि एनसीईआरटी या सीबीएसई
द्वारा एकदम सिलेबस या किताब ही बदल दी जाए को डीलर को नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे
में सरकार को चाहिए कि एक तो किताबों की सप्लाई बढ़ाए और जो भी सिलेबस हो उसे सेशन
की शुरुआत से काफी पहले की अपडेट किया जाए।
-दीपक कुमार, बुक डीलर
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