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Wednesday, December 23, 2020

ग्रीन सिटी सुसाइड मामला:अब लुधियाना रेंज के आईजी नौनिहाल सिंह करेंगे दविंदर गर्ग केस की जांच

 


  • आरोपी मनजिंदर सिंह हैप्पी, अशोक कुमार व प्रवीण को मिली जमानत
  • कांग्रेसी नेता संजय जिंदल बॉबी की गिरफ्तारी पर 21 जनवरी तक रोक

    बठिंडा। 22 अक्तूबर को ग्रीन सिटी 2 कालोनी में हुए कारोबारी दविंदर गर्ग फैमिली सुसाइड केस की जांच डीजीपी पंजाब ने लुधियाना रेंज के आईजी आईपीएस नौनिहाल सिंह को सौंप दी है। डीजीपी पंजाब ने मामले में आईजी रेंज को पत्र जारी कर इस केस की कानून अनुसार तथ्यों के आधार पर जांच करने के बाद रिपोर्ट सौंपने के निर्देश जारी किए हैं। इस हाई प्रोफाइल केस की जांच दूसरे जिले के किसी सीनियर अधिकारी से

    करवाने के लिए मृतक दविंदर गर्ग के भाई मुद्दई अश्वनी कुमार के वकील शिंदरपाल सिंह बराड़ ने डीजीपी को शिकायत भेजी थी। उक्त शिकायत पर संज्ञान लेते हुए डीजीपी पंजाब ने 22 दिसंबर को उक्त मामले की पूरी तथ्यों के आधार पर जांच करने के लिए आईजी रेंज लुधियाना नौनिहाल सिंह को सौंप दी है। इस मामले में एसएसपी बठिंडा भूपिंदरजीत सिंह विर्क को भी पत्र लिखकर निर्देश जारी किए गए कि उक्त केस से

    संबंधित रिकार्ड आईजी लुधियाना रेंज को जल्द भेजा जाए।सुसाइड नोट में 9 पर प्रताड़ित करने का था आरोप : 22 अक्तूबर, 2020 को दविंदर गर्ग ने अपनी पत्नी, 14 साल के बेटे व 10 साल की बेटी के सिर में गोली मारने के बाद खुद भी खुदकुशी कर ली थी। दविंदर गर्ग ने सुसाइड नोट में 9 आरोपियों मनजिंदर सिंह धालीवाल, राजू कोहेनूर, अमन कोहेनूर, बब्बू कालड़ा, संजय जिंदल बॉबी, अशोक कुमार रामा मंडी, प्रवीन बंसल, अभिषेक जोहरी दिल्ली व मनी बंसल पर उसे टार्चर करने का आरोप लगाया था। अपने सुसाइड नोट में दविंदर गर्ग ने प्रत्येक आरोपी का नाम और मोबाइल नंबर लिखकर उनके द्वारा की गई प्रताड़ना के बारे में लिखने के अलावा किसी को भी माफ नहीं करने की बात कही थी। इस मामले में उक्त सभी आरोपियों के खिलाफ खुदकुशी के लिए मजबूर करने के तहत थाना कैंट में केस दर्ज किया गया था।

    क्या था पूरा मामला

    ग्रीन सिटी निवासी व ट्रेडिंग व्यापारी दविंदर गर्ग की तरफ से अपनी पत्नी व बच्चो की गोली मारकर खुद भी आत्महत्या करने के 24 घंटे के भीतर पुलिस ने एक यूथ कांग्रेसी नेता समेत चार आरोपित जिसमें बठिंडा निवासी मनजिंदर सिंह धालीवाल, प्रवीन बांसल, मनी बासंल व रामा मंडी निवासी अशोक कुमार को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि मृतक दविंदर के बिजनेस पार्टनर व आरोपित बठिंडा राजू कोहनूर उर्फ जादूगर, उसका भाई बब्बू कालड़ा, पत्नी अमन काहूनर, कांग्रेसी नेता संजय जिंदल उर्फ बाबी के अलावा सेंट्रल दिल्ली निवासी अभिषेक जोहरी की गिरफ्तारी होनी अभी बाकी है। यह सभी आरोपित अभी फरार है, जिनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की विभिन्न टीमें उनके ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। पुलिस का दावा है कि बाकी आरोपित भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिए जाएंगे।

    गौर होकि थाना कैंट पुलिस ने मृतक दविंदर गर्ग के सुसाइड नोट के आधार पर इन नाै आरोपितों के खिलाफ आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज किया था, जबकि मृतक दविंदर पर अपनी पत्नी व बच्चों की गोली मारकर हत्या करने का मामला दर्ज किया था। पुलिस ने घटना के बाद ही सुसाइड नोट में लिखे गए नामाें के आधार पर पुलिस ने आरोपित लोगों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे। वहीं कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की गई थी। इसके आधार पर पुलिस ने 24 घंटे के भीतर चार आराेपितों को गिरफ्तार करने में सफल हो सकी। उधर, शुक्रवार दोपहर बाद चारों शवाें का पोस्टमार्टम करवाने के बाद स्थानीय दाना मंडी वाले रामबाग में एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान मृतक के बड़े भाई अश्वनी गर्ग ने चारों को मुख्यअग्नि दी। वहीं राजनीति पार्टियों के नेताओं के अलावा शहर के व्यापारी वर्ग ने रामबाग पहुंचकर परिवार के साथ शोक व्यक्त किया, वहीं पूरे परिवार को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी।

    बिजनेस पार्टनर की तरफ से धोखा दिए जाने से अहाता था मृतक दविंदर

    कैंट पुलिस को बयान देकर मृतक के बड़े भाई व पंचवटी नगर निवासी अश्वनी गर्ग ने बताया कि करीब ढाई साल पहले उसके भाई दविंदर गर्ग ने आरोपित राजू कोहनूर उर्फ जादूगर के साथ मिलकर करिपटो करंसी बिट क्वाइंन में पार्टनर के तौर पर काम शुरू किया था। इस बिजनेस में और भी लोग हिस्सेदार थे, लेकिन उसका भाई पूर्व छह माह से मानसिक तौर पर काफी परेशान था, चूकिं लाकडाउन के कारण बिट क्वाइंन कंपनी के रेट कम हाे गए थे। आरोपित राजू,उसके भाई बब्बू व पत्नी अमन ने कंपनी में लगाया अपने हिस्से का पैसा निकालकर अपने पास रख लिया, जबकि जो पैसा लोगों का देना था वह दविंदर गर्ग पर डाल दिया। यह राशि कराेड़ों में थी, जिसके चलते कुछ पैसा तो दविंदर ने किसी तरह दे दिया, लेकिन कई लोग उसे पैसे वापस करने के लगातार दबाव बना रहे थे। वहीं उसे लगातार धमकियां भी दे रहे थे, जिसके कारण उसका भाई मानसिक तौर पर परेशान था।

    इसी दौरान मनजिंदर सिंह धालीवाल उर्फ हैप्पी, प्रवीण बांसल, संजय जिंदल उर्फ बाबी, मनी बांसल बठिंडा, अशोक कुमार, अभिषेक जौहरी भी उसके भाई को पैसा जल्दी देने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। वही ऐसा नहीं करने पर उसे राजनीतिक डालकर बर्बाद करने व पुलिस के पास केस दर्ज करवाने की धमकियां देना शुरू कर दी। उक्त लोग राजू से मिलकर उसे सत्तापक्ष में पहचान होने व उसके खिलाफ कानूनी करने की लगातार धमकियां दे रहे थे, जबकि उनके पैसे आरोपित राजू, उसका भाई बब्बू कालड़ा व महिला आरोपित अमन अपने हिस्से में ले चुके थे। बिजनेस पार्टनर की तरफ से दिए गए धोखे से आहात व लेनदारों की तरफ से बार-बार पैसे मांगने से परेशान दविंदर गर्ग ने बीती वीरवार की दोपहर अपने ग्रीन सिटी स्थित किराये की कोठी में पहले पत्नी मीना गर्ग, बेटा अरूष गर्ग, बेटी मुस्कान गर्ग को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया व बाद में स्वयं को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। मरने से पहले आठ पेज का एक सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसके आधार पर पुलिस ने एक महिला समेत 9 लोगों पर थाना कैंट में मामला दर्ज किया था।

किसान आंदोलन का 28वां दिन :सरकार से बातचीत के न्योते पर किसानों में 48 घंटे बाद भी सहमति नहीं, आज फिर मीटिंग करेंगे





 नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 28वां दिन है। सरकार ने बातचीत के न्योते की जो चिट्ठी रविवार रात भेजी थी, उस पर किसान बीते 2 दिन में फैसला नहीं ले पाए। मंगलवार को कुंडली बॉर्डर पर पंजाब के किसान नेताओं की मीटिंग हुई, इसके बाद कहा गया कि संयुक्त मोर्चा के सदस्य बुधवार को तय करेंगे कि सरकार से बात करनी है या नहीं।

राजनाथ बोले- किसानों के लिए सरकार संवेदनशील
आज किसान दिवस है। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किसानों को शुभकामनाएं दी हैं। राजनाथ ने कहा कि किसान देश को खाद्य सुरक्षा देते हैं। कुछ किसान कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। सरकार उनसे पूरी संवेदनशीलता से बात कर रही है। उम्मीद है कि वे जल्द आंदोलन खत्म करेंगे।

अपडेट्स

  • किसानों के समर्थन में कांग्रेस आज उत्तर प्रदेश में भाजपा नेताओं के दफ्तरों और घरों का घेराव करेगी। कांग्रेस कार्यकर्ता ताली और थाली बजाकर प्रदर्शन करेंगे।
  • कांग्रेस ने कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए राष्ट्रपति से दखल की मांग की है। पार्टी का कहना है कि 2 करोड़ किसानों के साइन वाला ज्ञापन राहुल गांधी के नेतृत्व में 24 दिसंबर को राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा।

ब्रिटिश PM को भारत आने से रोकने की अपील करेंगे किसान
किसान नेता कुलवंत संधू ने कहा कि हम ब्रिटेन के सांसदों को लिख रहे हैं कि जब तक केंद्र सरकार किसानों की बात नहीं मानती, तब तक PM बोरिस जॉनसन को भारत आने से रोकें। दूसरी तरफ किसानों की भूख हड़ताल भी जारी है। दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर जहां-जहां प्रदर्शन चल रहा है, वहां रोज 11 किसान 24 घंटे के उपवास पर बैठ रहे हैं।

सरकार का दावा- UP के किसान नेता हमारे साथ
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा, 'उत्तर प्रदेश के कुछ किसान नेता मुझसे मिले। उन्होंने नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार का समर्थन किया है। उनका कहना है कि कानूनों में बदलाव नहीं होने चाहिए।'

8 माह में बठिंडा जिला प्रशासन को कोरोना वायरस की स्थिति से निपटने के लिए मिले तीन करोड़ 6 लाख से अधिक


 

-सर्वाधिक 1 करोड़ 53 लाख 5 हजार 250 रूपये सिविल सर्जन बठिंडा दफ्तर  ने सेहत प्रबंधन पर तो 40 लाख रु पए नगर निगम ने लोगों को राशन वितरण करने में खर्च करे
 

बठिंडा. मार्च माह में कोरोना वायरस ने जिले में दस्तक दी तो जिला प्रशासन ने आपात तैयारियां शुरू की। इस दौरान कोरोना वायरस से संक्रिमत लोगों के लिए कोरनटाइन सेंटर बनाने से लेकर उनके खानपान की व्यवस्था करना, मृतक व्यक्तियों के संस्कार करना व टेस्टिंग के साथ दवाईयों का इंतजाम किया गया। इस काम के लिए प्रशासन 

को जहां सरकार की तरफ से अनुदान मिला वही सामाजिक व धार्मिक संगठनों ने भी खुलकर सहयोग दिया। इसमें सरकार की तरफ से तीन करोड़ 6 लाख रु पए की आर्थिक सहायता दी गई जिसमें सर्वाधिक राशि प्रशासन ने सेहत विभाग को जारी की जिसमें सिविल सर्जन, बठिंडा ने एक करोड़ 53 लाख पांच हजार 250 रु पए खर्च किए। यह राशि एकांतवास सेंटरों/ कोविड केयर सेंटरों में खाना और अन्य जरु री वस्तु देने के साथ मशीनरी की खरीद परोख्त पर लगाए गए। वही दूसरी नंबर पर राशि खर्च करने में नगर निगम बठिंडा आगे रहा जिसने 40 लाख रु पए की राशि विभिन्न वार्डों में जरु रतमंदों को सूखा व बना हुआ खाना देने में खर्च किया गया। यह राशि उक्त राशन से अलग है जो सामाजिक संस्थाओं व लोगों ने नगर निगम को दान के तौर पर दिया था। इसमें प्रशासन ने रेडक्र ास सोसायटी के अलावा जिले में विभिन्न मंडलों के एसडीएम व एडीसी विकास को भी राशि का आबांटन किया। जिले में कोरोना के पीक काल में एक दिन में कोविड सेंटरों में 500 से एक हजार लोग दाखिल रहते थे। इन सभी लोगों को पहले चरण में जिला प्रशासन की तरफ से जहां खानपान दिया गया वही उनकी केयर व रहने की व्यवस्था की गई। इसके बाद प्रशासन ने सेंटरों में दाखिल लोगों की देखभाल का जिम्मा सामाजिक संस्थाओं को सौंप दिया था लेकिन इसमें प्रबंधन व्यवस्था के लिए संस्थाओं को आर्थिक सहयोग भी दिया गया।

 

पांच चरणों में किया गया फंड का आबांटन

 

फिलहाल आर.टी.आई. में मिली सूचना के अनुसार सरकार की तरफ से पांच चरणों में फंडों का आबांटन किया गया। इसमें 23 मार्च 2020 को 1,00,00,000 रूपये, 11 मई को 7,10,937 रूपये, 15 मई को 21,32,813 रूपये, 19 जून को फिर से 1,00,00,000 रूपये और 13अगस्त को 77,82,500 रूपये प्रशासन को जारी किया। इस तरह से राज्य सरकार ने आपातकालिन फंड में से तीन करोड छह लाख 26 हज़ार 250 रूपये जारी किए। इसमें 23 मार्च 2020 को मिले एक करोड रु पयों में से  कमिश्नर, नगर निगम, बठिंडा दफ्तर को लगभग 40 लाख रु पए का गरीब लोगों को राशन उपलब्ध करवाया गया। वही  सचिव रेड क्र ॉस बठिंडा द्वारा लगभग 10 लाख रु पयों की राशि कोविड केयर सेंटरों में बैडिंग मटेरियल, अवेर्नेस कैम्पेन, स्प्रे पम्पस के ऊपर खर्च की गई।

 

विभिन्न मंडलों व सिविल सर्जन के मार्फत मिली राशि खर्च हुई

इसमें उप मंडल मिजस्ट्रेट बठिंडा द्वारा लगभग 13,70,607 रु पयों की राशि कोविड-19 के बचाव के लिये किए गए प्रयासों और एकांतवास सेंटरों व कोविड केयर सेंटरों में खाना और अन्य जरु री वस्तुयों के लिये खर्च किए,  उप मंडल मिजस्ट्रेट रामपुरा फूल की तरफ से लगभग 30,800 रूपये एकांतवास सेंटरों में रखे व्यक्तियों के लिए राशन, खानपान, साजो समान पर खर्च किए गए। उप मंडल मिजस्ट्रेट तलवंडी साबो की तरफ से लगभग 1,31,900  रूपये एकांतवास सेंटरों में राशन,खाना, साजो समान पर, उप मंडल मिजस्ट्रेट मौड की तरफ लगभग 62,000 रूपए एकांतवास सेंटरों में 10 कूलर उपलब्ध करवाए गए। अतिरिक्त उपायुक्त (विकास) बठिंडा की तरफ से लगभग 5 लाख रूपये एकांतवास सेंटरों में ठहराये गये व्यक्तियों के लिए राशन, खाना व अन्य साजो समान पर खर्च किए गए। इसी तरह बी.एंड.आर., पी.डब्ल्यू.डी. बठिंडा के एक्सीईन की तरफ से लगभग 5,04,943 रूपये कोविड-19 के दौरान कंटोनमेंट जोन/ माईक्र ो कंटोनमेंट जोन और अन्य अलग-अलग स्थानों पर की गई बैरीकेडिंग पर खर्च किए गए। सिविल सर्जन बठिंडा द्वारा लगभग 23 लाख 99 हजार 750 रूपए कोविड केयर सेंटरों और आईसोलेशन फेसिलटी  के लिए रखे गये वलंटीयर्ज को मान भत्ता और अन्य खर्चे और पी.ओ.एल. में खर्च किए गए हैं। इस तरह से एक करोड़ की राशि पहले चरण में खर्च कर दी गई। इसी तरह 11 मई को मिले सात लाख दस हज़ार 937 रु पयों में से  7,10,937 रूपये करोना वायरस के कारण लॉकडाउन की स्थिति में पंजाब में फसे लोगों को अपने पैतृक राज्य में रेल से भेजने के लिये किये जरु री प्रबंध करने सम्बन्धी खर्च हुए।

 

कोरोना काल में जिले में फंसे प्रवासी लोगों को घर भेजने पर भी हुई राशि खर्च

 

वही 15 मई 2020 को मिले इक्कीस लाख बत्तीस हज़ार 813 रु पयों में से 17,19, 168 रूपये करोना वायरस के कारण लॉकडाउन की स्थिति में पंजाब में फंसे लोगों को अपने पैतृक राज्य में रेल से भेजने के लिये किये जरु री प्रबंध करने सम्बन्धी खर्च हुए। इसमें करीब 4,13,645 रूपये शेष बचे हैं। 19 जून को मिले एक करोड रु पयों में से  सिविल सर्जन, बठिंडा की तरफ से 60 लाख रु पयों की राशि वलंटीयर्ज की सैलरी, प्रिंटर, अन्या खर्चे और पी.ओ.एल. और बायोमेडिकल के खर्चे आदि पर खर्च की गई। एसडीएम बठिंडा को 25 लाख रु पयों की राशि दी गई वही 10 लाख रूपयों की राशि एकांतवास सेंटरों में खाने, पैकिंग मैटेरियल, एन.आर.आईज को लेकर आने, फायर सेफ्टी रिपेयर और करोना के कारण मरे व्यक्तियों के संस्कार आदि पर खर्च की गई। लगभग 14,82,186/- रु पयों की राशि कोविड-19 के बचाव के लिये किये गये यत्नों और एकांतवास सेंटरों में खाना और अन्य वस्तु उपलब्ध करवाने के लिए खर्च की गई। उप मंडल मिजस्ट्रेट बठिंडा के पास लगभग 57,814 रूपयों की राशि मौजूद है। वही प्रशासन के पास  15 लाख रूपये बचे हुए है। 13 अगस्त को मिले 77,82,500 रु पयों में से  सिविल सर्जन, बठिंडा को फिर से 69,05,500 रु पयों की राशि जारी की गई। सिविल सर्जन, बठिंडा की तरफ से 57,64, 269 रूपयों की राशि वलंटीयर्ज की सैलरी, वाशिंग मशीन, अन्य खर्चे और पी.ओ.एल., बायोमेडिकल के खर्चे और लैब टेस्ट आदि पर खर्च की गई और सिविल सर्जन, बठिंडा के पास लगभग 11,41,221 रूपयों की राशि मौजूद है। वही प्रशासन के पास इस मद में 8,77,000 रूपये बकाया है जो खर्च नहीं हुए है।

 

आरटीआई एिक्टविस्ट व ग्राहक जागो मंच के सचिव संजीव गोयल ने बताया कि प्रशासन की तरफ से मांगी गई जानकारी में करीब एक करोड़ 27 लाख 80 हजार के करीब खर्च हुआ।इस तरह से कोरोना काल में सिविल सर्जन, बठिंडा  ने 1,53,05,250 रूपये, एसडीएम बठिंडा ने 38,70,607 रूपये, कमिश्नर, नगर निगम, बठिंडा ने 40,00,000 रूपये, सचिव रेड क्र ॉस बठिंडा ने 10,00,000 रूपये, बी.एंड आर., पी.डब्ल्यू.डी., बठिंडा ने 5,04,943 रूपये, अतिरिक्त उपायुक्त (विकास) बठिंडा 5,00,000 रूपए, लोगों को पैतृक राज्य में रेल से भेजने के प्रबंधों पर 24,30,105 रूपये खर्च किए गए है।

 

 

लंबे समय से ड्यूटी पर गैरहाजिर चल रहे सेहत विभाग के 88 डाक्टर व स्टाफ नर्स नौकरी से निकाले


 

-बठिंडा में एक डाक्टर सहित छह लोगों को किया सेहत मिशन पंजाब ने बर्खास्त, खाली पदों पर होगी नई भर्ती

 बठिंडा. सेहत व परिवार भलाई विभाग के अधीन चल रहे राष्ट्रीय सेहत मिशन पंजाब में काम करने वाले करीब 88 डाक्टरों, स्टाफ नर्स, एएनएम, फार्मासिस्ट व कलैरिकल स्टाफ की सेवाएं समाप्त कर दी गई है। उक्त कर्मी लंबे समय से सेहत विभाग को सूचित किए बिना ही ड्यूटी से गैरहाजिर रहे थे। इसमें बठिंडा के 6 कर्मी शामिल है जिसमें पांच स्टाफ नर्स व एक बच्चों के माहिर डाक्टर शामिल है। इन सभी लोगों को सेहत विभाग ने 28 सितंबर 2020 को ड्यूटी पर गैरहाजिर रहने के संबंध में कारण बताओं नोटिस जारी किया था व मामले में जबावतलबी की थी लेकिन किसी भी कर्मी ने सेहत विभाग को जबाव नहीं भेजा और न ही ड्यूटी पर हाजिर रहे इसके चलते उन्हें नौकरी से निकालने की प्रक्रि या को शुरू कर दिया गया। बताया जा रहा है कि अधिकतर स्टाफ नर्स व एएनएम है जो पिछले पांच व दस साल से ड्यूटी ज्वाइंन करने के बाद अचानक बिना सूचना के गैरहाजिर रहने लगे। वही बताया जा रहा है कि इसमें ज्यादातर स्टाफ नर्स, एएनएम व फार्मासिस्ट ऐसे हैं जो विदेश में चले गए व वहां नौकरी करने लगे। विदेशों में स्टाफ नर्स व एएनएम की सर्वाधिक मांग रहती है जिसमें टेककेयर के साथ अस्पताल की सेवा में बेहतर पैसा होने के कारण उक्त लोग वापिस नहीं लौटते हैं।

बठिंडा में जिन 6 कर्मियों को नौकरी से निकाला गया है उसमें स्टाफ नर्स जसबीर कौर जो पीएचसी सेंटर कराडवाला में तैनात थी व 22 जून 2018 से नौकरी से गैरहाजिर चल रही थी। इसी तरह सीएचसी सेंटर मिहराज में तैनात स्टाफ नर्स रसप्रीत कौर सात अक्तूबर 2015 से गैरहाजिर रही। सीएचसी सेटर नथाना में तैनात स्टाफ नर्स शीशनदीप कौर 22 फरवरी 2006 से, जिला अस्पताल बठिंडा में तैनात स्टाफ नर्स अनमोलप्रीत कौर जुलाई 2015 से, सीएचसी संगत में तैनात स्टाफ नर्स शिवानी ग्रोवर 29 फरवरी 2013 से गैरहाजिर चल रही थी। इसी तरह बठिंडा में सीएचसी सेंटर नथाना में तैनात बच्चों के माहिर डाक्टर राहुल मदान 11 अक्तूबर 2017 से ड्यूटी में गैरहाजिर चल रहे थे। उक्त सभी लोगों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई।  राष्ट्रीय सेहत मिशन पंजाब की तरफ से जारी पत्र में सर्वाधिक 13 लोगों को जालंधर से, कपूरथला से नौ, रोपड़ से दो, पिटयाला से पांच. नवाशहर से एक, मुक्तसर साहिब से एक, मोहाली से 9, मोगा से पांच, लुधियाना से चार,होशियारपुर से 6, गुरदासपुर से सात, फिरोजपुर से 6, फाजिल्का से पांच, फतेहगढ़ साहिब से दो, बरनाला से एक व अमृतसर से चार लोगों को नौकरी से निकाला गया है। इसमें एक एसएमओ सहित 12 डाक्टर शामिल है जबकि एएनएम, स्टाफ नर्स की तादाद अधिक है वही नौकरी से निकाले लोगों में कंप्यूटर आपरेटर, कैशियर, फार्मासिस्ट भी शामिल है। फिलहाल सरकार की तरफ से उक्त लोगों को नौकरी से बर्खास्त करने के बाद करीब 88 सीटे खाली हो गई है जिसमें अब प्रक्रि या के तहत नई भर्ती संभव हो सकेगी। सेहत विभाग कोरोना काल के बाद सेहत विभाग में पड़ी खाली सिटों को फरवरी तक भरने की योजना बना रहा है व इसी योजना के तहत मात्र खानापूर्ति के लिए कागजों में चढ़े ऐसे सभी कर्मियों को बर्खास्त किया जा रहा है व उनकी जगह पर नई नियुक्ति का रास्ता साफ किया जा रहा है।    

Friday, December 18, 2020

BATHINDA में एक और कोरोना पोजटिव मरीज की मौत, सहारा ने किया अंतिम संस्कार



बठिंडा. शुक्रवार को एक ओर कोरोना पाजिटिव मरीज की मौत हो गई। बठिंडा जिले के मौड़ मंडी के रहने वाले 33 वर्षीय व्यक्ति की गत 14 दिसंबर को कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आई थी। इसके बाद उसे उपचार के लिए लुधियाना सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, लेकिन गत 18 दिसंबर को कोरोना कारण मौत हो गई। जिला प्रशासन द्वारा सूचना मिलने पर मृतक का शव पैक करके मौड़ मंडी लाया गया। जहां सहारा जनसेवा की लाइफ सेविंग टीम के सदस्य जग्गा सिंह, सुमीत ढींगरा, संदीप गिल ने मौड़ मंडी पहुंचकर शमशान भूमि पीपीई किटें पहनकर परिजनों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार पूर्ण सम्मान सहित किया गया। वहीं शुक्रवार को फरीदकोट मेडिकल कालेज की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में आठ लोगों  की रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव मिली है। इसमें एक केस सेट्रल यूनिवर्सिटी आफ पंजाब गर्ल्स, एक सुर्खपीर रोड, एक पक्का कलां, एक एमआईजी 707 माडल टाउन फेस वन, एक कोठी नंबर 215 माडल टाउन फेस तीन, एक केस बठिंडा कैंट, एक केस एनएफएल प्लाट बठिंडा व एक रामा मंडी नजदीक बस स्टैंड से मिला है, जबकि 21 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव मिली है। ऐसे में अभी तक 8866 रोगी मिल चुके हैं, जिनमें से 7506 स्वस्थ हो चुके हैं। कोरोना संक्रमण से अब तक 216 मरीजों की इलाज दौरान मौत हो चुकी है। वहीं 17 नए कोरोना संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई, जबकि 44 स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज कर घर भेज दिए गए। फिलहाल जिले में 232 मरीज एक्टिव हैं।


एड्स के साथ ओएसटी सेंटरों में लोगों को जागरुक करने के लिए बठिंडा को मिला तीसरा पुरस्कार


-सेहत मंत्री ने बठिंडा सिविल अस्पताल की टीम को ट्राफी व प्रशंसा पत्र देकर किया सम्मानित 

-सेहत मंत्री ने टीम की प्रशंसा करते कोरोना में होने वाली मौतों को रोकने के लिए दिन रात एक करने का अहवान

बठिंडा. विश्व एड्स जागरुकता दिवस पर पंजाब के विभिन्न जिलों की तरफ से एड्स कंट्रोल के साथ नशा रोकने को लेकर चलाई मुहिम व इसमें मिले सार्थक परिणामों के बाद विभिन्न जिलों को बेहतर कारगुजारी के लिए ट्राफी देकर सम्मानित किया गया। इसमें बठिंडा ने प्रदेश भर में तीसरा स्थान हासिल किया। विश्व एड्स जागरूकता दिवस के उपलक्ष्य में लुधियाना के फिरोजपुर रोड के एक रिसोर्ट में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में बतौर मुख्य मेहमान पहुंचे राज्य के सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने बठिंडा सेहत विभाग की टीम को प्रशंसा पत्र व ट्राफी देकर सम्मानित किया वही जिला टीम की तरफ से पिछले एक साल में नामुराद बीमारी को रोकने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। राज्य भर में एड्स जागरुकता को लेकर तीसरा स्थान हासिल करना इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि बठिंडा जिला इस साल कोरोना वायरस से प्रबावित जिलों में शामिल था व पूरी सेहत विभाग की टीम पहले कोरोना व बाद में मौसमी बीमारी, डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारियों को रोकने में जुटी रही। इसी बीच टीम की तरफ से प्रदेश व केंद्र स्तर पर मिले विभिन्न कार्यक्रमों में भी अहम भूमिका निभाई व राज्य के 22 जिलों में तीसरा स्थान हासिल किया। पंजाब स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की तरफ से करवाए समांगम में सेहत मंत्री ने कहा कि भारत में एड्स के पहले केस का पता लगने के बाद अब 39 साल बीत गए हैं, उस समय कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता था कि यह विश्वव्यापी समस्या बन जाएगी। एक दशक पहले भी एचआइवी और एड्स गंभीर समस्या के तौर पर जाने जाते थे। इस समय एड्स विकास के लिए विपदा बन गई है। स्वास्थ्य और परिवार भलाई विभाग के विशेष सचिव -कम- प्रोजेक्ट डायरेक्टर पंजाब स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी अमित कुमार ने बठिंडा जिले की सेहत टीम को बधाई देते उनके कार्य की सराहना की व उम्मीद जताई कि वह आगे भी इसी तरह अपने कर्तव को पूरा करते लोगों को सेहत के प्रति जागरुक करने के साथ उन्हें बीमारियों से बचाने के लिए दिन रात एक करेंगे। सिविल सर्जन डा. अमरिक सिंह सिद्दू ने टीम को बधाई देते कहा कि युवाओं में नशे के लिए इंजेक्शन के साथ दवाइयों के सेवन की आदत बढ़ रही है। पिछले चार-पांच साल से नशा करने वाले नशीली गोली या फिर इंजेक्शन का इस्तेमाल कर रहे हैं जो चिंता का विषय है। उन्होंने इस तरह तेजी से काम करने की जरूरत पर बल दिया। राज्य में इस दौरान 18 जिलों में 35 ओएसटी केंद्र कार्य कर रहे हैं। कार्यक्रम में एड्स जागरूकता में अहम रोल निभाने वाले डाक्टरों, स्टाफ सदस्यों को भी सम्मानित किया गया। इस दौरान उन्होंने जिला टीम का अहवान किया कि वह कोरोना के एक्टिव केस कम पर मौत के आंकड़ों पर भी काबू पाने के लिए काम करे। सरकारी अस्पतालों में सीमित साधन होते हुए भी कोरोना पर काबू पाया गया है। दिल्ली और हरियाणा के मुकाबले पंजाब में कोरोना की सेकेंड वेव को रोकने में हम काफी सफल हुए हैं। राज्य भर की बात करें तो अब कोरोना के एक्टिव केस कम रह गए हैं और मौत के बढ़ रहे आंकड़ों पर भी काबू पाना बाकी है। उन्होंने कहा कि अब 70 साल से अधिक उम्र के कोरोना संक्रमित आने वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाएगा ताकि मृत्यु दर कम हो सके। 

यहां बताना जरूरी है कि भारत में स्थापित ओएसटी सेंटरों के मुकाबले बठिंडा, जालंधर व लुधियाना सिविल अस्पताल के ओएसटी सेंटर में मरीजों (आइडीयू) की संख्या अधिक है। मतलब सेंटर द्वारा लोगों को अधिक जागरूक किया गया। इसी कारण सेंटर को विशेष तौर पर सम्मानित किया गया। एक ओर तो ओएसटी सेंटर को मरीज ज्यादा होने के कारण सम्मानित किया, वहीं दूसरी और देखा जाए तो पंजाब में नशे का सेवन दूसरे जिलों के मुकाबले अधिक है व प्रतिदिन 60 से 100 लोगों की ओपीडी बठिंडा के सेंटरों में नशा छोड़ने वाले लोगों की है। ओएसटी सेंटर में नशा करने वाले मरीजों की गिनती हर माह  1500 से ऊपर रहती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला अभी भी नशे की चुंगल में है। जानकारों की माने तो सेंटर में मरीज ज्यादातर वह है जो नशा खरीदने में असमर्थ होकर वहां पहुंचते हैं। सेंटर में मरीजों का नशा छुड़ाने के अलावा काला पीलिया, टीबी व एचआइवी का भी इलाज किया जाता है ताकि मरीजों को एक ही जगह में सभी समाधान मिल सके और उनके अंदर नशे को त्यागने की ललक भी बरकरार है।



किसानों को मनाने का नमो मंत्र:पीएम बोले- MSP न बंद होगी, न खत्म होगी; कुछ लोग किसानों को डराकर राजनीति चमका रहे


  •  प्रधानमंत्री ने कहा कि 35 लाख किसानों के खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर किए जा रहे हैं, इसमें किसी बिलौलिए की भूमिका नहीं है।

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे हैं। इधर सरकार, किसी न किसी बहाने नए कानूनों के फायदे गिना रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के किसानों के सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। 53 मिनट के भाषण में मोदी ने किसानों की सबसे बड़ी चिंता न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर एक बार फिर कहा कि MSP न बंद होगी, न खत्म होगी। उन्होंने कहा कि किसान उन लोगों से बचकर रहें, जो कृषि सुधारों पर झूठ का जाल फैला रहे हैं।

MSP पर मोदी की 3 अहम बातें

1. MSP न बंद होगी, न खत्म होगी
एक झूठ बार-बार बोला जा रहा है। मैंने कहा कि स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने का काम हमारी सरकार ने किया। सरकार MSP को लेकर इतनी गंभीर है कि बुआई से पहले इसकी घोषणा करती है। किसानों को पता चल जाता है कि किस फसल पर कितनी MSP मिलने वाली है। ये कानून 6 महीने पहले लागू हो चुके थे। MSP की घोषणा पहले की तरह हुई, खरीद उन्हीं मंडियों में हुई। कानून बनने के बाद MSP की घोषणा हुई, इसी MSP पर फसलों की खरीद हुई। मैं कहना चाहता हूं कि MSP न बंद नहीं होगी, न खत्म होगी।

2. किसानों को गुमराह किया जा रहा
2014 से पहले की सरकार के 5 साल में किसानों से सिर्फ डेढ़ लाख मीट्रिक टन दाल खरीदी गई। हमने किसानों को दाल की पैदावार के लिए प्रोत्साहित किया। हमने 112 लाख मीट्रिक टन दाल खरीदी। उन्होंने दाल पैदा करने वाले किसानों को 650 करोड़, तो हमने 50 हजार करोड़ दिए। आज दाल के किसान को ज्यादा पैसा मिल रहा है। जो लोग न किसानों को ढंग से MSP दे सके, न MSP पर ढंग से खरीदी कर सके, वे किसानों को गुमराह कर रहे हैं।

3. हमने किसानों को लागत का डेढ़ गुना MSP दिया
पहले वालों को लगा कि सरकार को किसानों पर ज्यादा खर्च न करना पड़े, इसलिए स्वामीनाथन रिपोर्ट को 8 साल तक दबाकर रखा। हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है। हमने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट निकाली। किसानों को लागत का डेढ़ गुना MSP दिया। किसानों के साथ धोखाधड़ी का उदाहरण कर्ज माफी का वादा है। मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले कहा गया कि कर्ज माफ कर देंगे, लेकिन हुआ कुछ नहीं। राजस्थान के लाखों किसान आज भी कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं। मैं यही सोचता हूं कि कोई इस हद तक भोले-भाले किसानों के साथ छल-कपट कैसे कर सकता है।

कृषि कानूनों पर 4 अहम बातें

1. नए कानूनों की चर्चा बहुत हो रही है
समय हमारा इंतजार नहीं कर सकता। तेजी से बदलते परिदृश्य में भारत का किसान सुविधाओं के अभाव में पिछड़ता जाए, ये ठीक नहीं है। जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वे अब हो रहे हैं। पिछले 6 साल में सरकार ने किसानों को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए हैं। नए कानूनों की चर्चा बहुत हो रही है। ये कानून रातों-रात नहीं आए। 20-22 साल से देश की और राज्यों की सरकारों, किसान संगठनों ने इस पर विमर्श किया। कृषि अर्थशास्त्री, वैज्ञानिक इस क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं।

2. नए कानून बनने से किसान अपनी मर्जी का मालिक
70 साल से किसान सिर्फ मंडी में अनाज बेच सकता रहा था। नए कानून में सिर्फ इतना कहा है कि जहां फायदा हो वहां अनाज बेचें। चाहे मंडी में उपज बेचें या फिर बाहर जाकर। सब कुछ किसान की मर्जी पर है। नए कानूनों के तहत किसान ने उपज बेचना शुरू भी कर दी है। बीते दशकों में किसानों के साथ जो पाप किया गया है, हम कानून बनाकर सिर्फ इसका प्रायश्चित कर रहे हैं। पता नहीं क्यों झूठ फैलाया जा रहा है।

3. कोई नया फार्मिंग एग्रीमेंट लागू नहीं कर रहे
APMC बंद करने की बात कहां से आ रही है? एक और झूठ चल रहा है- फार्मिंग एग्रीमेंट को लेकर। हम कोई नया फार्मिंग एग्रीमेंट लागू नहीं कर रहे। कई राज्यों में पहले से ऐसे एग्रीमेंट चल रहे हैं। देश में फार्मिंग एग्रीमेंट से जुड़े जो तौर-तरीके थे, उनमें बहुत रिस्क था। हमने तय किया कि फार्मिंग एग्रीमेंट में सबसे बड़ा हित किसान का देखा जाएगा। किसान के साथ जो वादा किया जाएगा, उसे पूरा करना होगा। अगर एग्रीमेंट में कम पैसे थे, पर मुनाफा बढ़ गया तो किसान को इसमें से भी पैसा मिलेगा। नए कानून में सख्ती स्पॉन्सर पर दिखाई गई है, किसान पर नहीं। स्पॉन्सर को एग्रीमेंट खत्म करने का अधिकार नहीं है।

4. कृषि सुधारों पर शक की कोई वजह नहीं
हम अन्नदाता को ऊर्जा दाता बनाने के लिए काम कर रहे हैं। मधुमक्खी, पशु और मछली पालन को महत्व दे रहे हैं। पहले 76 हजार टन शहद का उत्पादन होता था, आज 1.76 लाख टन शहद का उत्पादन हो रहा है। मत्स्य संपदा योजना भी शुरू की गई है। मैं विश्वास से कहता हूं कि कृषि सुधारों पर अविश्वास का कोई कारण ही नहीं है।

विपक्षियों पर 3 वार

1. सारा क्रेडिट ले लीजिए, लेकिन किसानों को आसानी से रहने दीजिए
किसानों को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो लोग अपने घोषणापत्र में सुधारों के वादे तो करते रहे, पर मांगों को टालते रहे, क्योंकि किसान प्राथमिकता में नहीं था। पुराने घोषणापत्र देखे जाएं, पुराने बयान सुने जाएं तो आज जो कृषि सुधार किए गए हैं, वे वैसे ही हैं, जो बातें कही गई थीं। उनको पीड़ा इस बात की है कि जो हमने कहा, वो मोदी ने कैसे कर दिया। मोदी को क्रेडिट कैसे मिला? मैं कहता हूं कि सारा क्रेडिट अपने पास रख लीजिए, लेकिन किसानों को आसानी रहने दीजिए। अब अचानक झूठ का जाल फैलाकर किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर वॉर किए जा रहे हैं।ट

2. कुछ लोग किसानों को डर दिखाकर राजनीति चमका रहे
सरकार बार-बार पूछ रही है कि किस क्लॉज में दिक्कत है, बताइए। इन दलों के पास इसका कोई जवाब नहीं है। किसानों की जमीन चली जाएगी, इसका डर दिखाकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं। जब उन्हें सरकार चलाने का मौका मिला था, तब उन्होंने क्या किया, ये याद रखना जरूरी है। उनका कच्चा चिट्ठा आपके सामने खोलना चाहता हूं। किसानों की बातें करने वाले लोग, झूठे आंसू बहाने वाले लोग कैसे हैं, इसका सबूत स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट है। ये लोग इस रिपोर्ट को 8 साल दबाकर बैठे रहे।

3. किसानों को तबाह करने में कुछ दलों ने कसर नहीं छोड़ी
हमारी सरकार ने गेहूं और धान की खरीद पर किसानों को 8 लाख करोड़ से ज्यादा दिए। पहले की सरकार में दाल विदेश से मंगाई जाती थी। जिस देश में दाल की सबसे ज्यादा खपत है, वहां के किसानों को तबाह करने में इन लोगों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। किसान परेशान थे, ये लोग मौज ले रहे थे। ये सच है कि कभी प्राकृतिक आपदा या संकट आने पर विदेश से मदद ली जा सकती है, लेकिन हमेशा तो ऐसा नहीं कर सकते।

किसानों को मोदी का भरोसा

शंका दूर करने के लिए बातचीत को तैयार, 25 को फिर बात करेंगे
जिन थोड़े से किसानों में नए कानूनों को लेकर जो आशंका बची है, वे समझें और भ्रम फैलाने वालों से सावधान रहें। मेरे कहने के बाद, सरकार के प्रयासों के बाद अगर आपके मन में शंका है, तो हम सिर झुकाकर, विनम्रता से बात करने के लिए तैयार हैं। किसान का हित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। 25 दिसंबर को अटल जी के जयंती के मौके पर फिर इस विषय पर किसानों से बात करूंगा।


खुदकुशी करने वाले किसान परिवारों को मिलने वाले मुआवजे पर कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 13 मीटिग में सिर्फ 42 केस पास, 248 रद



 बठिडा : साढ़े तीन साल बाद भी खुदकुशी करने वाले किसान परिवारों को मिलने वाले मुआवजे के केसों को बड़ी गिनती में रद कर दिया है। बठिडा जिले में प्रशासनिक अधिकारियों ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में अब तक कुल 13 मीटिग की हैं। इसमें 42 खुदकुशी करने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की सिफारिश कर दी गई, मगर 248 किसानों मजदूरों के केसों को रद कर दिया गया। इसमें मजेदार बात यह है कि साल 2019 में पीड़ित किसान परिवारों को मुआवजा देने के लिए बनी कमेटी की एक ही मीटिग फरवरी में हुई तो 2020 में कोरोना के कारण एक भी मीटिग नहीं हुई।

उक्त मीटिगों में जिन केसों को रद किया गया है, उनमें 102 केस तो ऐसे हैं, जिन्होंने परनोट पर कर्ज लिया है और वह संबंधित एसडीएम से मार्क नहीं हुए। वहीं 72 केस ऐसे हैं, जिनमें पूरे सुबूत नहीं है। यहां तक कि ज्यादातर केसों को पोस्टमार्टम की रिपोर्ट न होने के कारण रद किया गया। इस कारण इनको मुआवजा देने की पालिसी के अधीन कवर नहीं किया जाता। इसके अलावा बीमारी के कारण मरने वाले सात किसानों के केस रद किए गए, जिसमें तीन किसानों की मौत तो कैंसर के कारण हुई। इसी प्रकार सात केसों को रद करने पर सिर्फ यही तर्क दिया कि यह पालिसी के अधीन कवर नहीं होते। इसके अलावा एक केस को सिर्फ एग्रीकल्चर विभाग द्वारा रिपोर्ट देने, तीन केसों को न किसान न मजदूर होने, 11 केसों को किसानों पर कर्ज न होने, 3 केसों को जहरीली चीज खाने, 1 केस को पहले सरकारी नौकरी करने, 1 केस को आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या करने पर रद कर दिया गया।दूसरी तरफ कांग्रेस सरकार बनने के साढ़े तीन साल के दौरान जिले में 179 किसानों व मजदूरों ने कर्ज व आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर ली थी।

तीन सालों में ऐसे किए केस रिजेक्ट

खुदकुशी करने वाले किसानों व मजदूरों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए डीसी की प्रधानगी में बनी कमेटी द्वारा जांच के बाद मुआवजा देने के लिए पंजाब सरकार को सिफारिश की जाती है। इसके तहत साल 2017 में इस कमेटी की 4 मीटिग हुई। जिसमें 9 खुदकुशी पीड़ित किसान परिवारों को मुआवजा देने की सिफारिश की गई। वहीं 89 किसान मजदूर परिवारों को मुआवजा देने से इंकार कर दिया। इसी प्रकार साल 2018 में कमेटी की छह मीटिग हुई, जिसमें 32 किसानों मजदूरों के परिवारों को मुआवजा देने की सिफारिश की तो 119 पीड़ित परिवारों के आवेदनों को कोई न कोई बहाना लगाकर रिजेक्ट कर दिया। इसके अलावा 2019 में कमेटी की एक ही मीटिग हुई, जिसमें एक परिवार को मुआवजा देने की सिफारिश की तो बाकी के केस रिजेक्ट कर दिए। वहीं 2020 में कोई मीटिग नहीं हुई।

मुआवजा देने पर सरकार की नाकामियां

कमेटी की हैरान करने वाली बात यह है कि साल 2018 के दौरान खुदकुशी पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की सिफारिश करने वाली कमेटी की दो मीटिग तो ऐसी हुई, जिसमें किसी भी किसान परिवार को मुआवजा देने की सिफारिश नहीं की गई। इन दोनों मीटिग के दौरान 32 पीड़ित परिवारों के आवेदनों को रद्द कर दिया। इसके तहत दो अगस्त 2018 को हुई मीटिग में किसान परिवारों के पांच तो दो नवंबर 2018 की मीटिग में 27 आवेदक रद किए गए।


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