-सेहत मंत्री ने बठिंडा सिविल अस्पताल की टीम को ट्राफी व प्रशंसा पत्र देकर किया सम्मानित
-सेहत मंत्री ने टीम की प्रशंसा करते कोरोना में होने वाली मौतों को रोकने के लिए दिन रात एक करने का अहवान
बठिंडा. विश्व एड्स जागरुकता दिवस पर पंजाब के विभिन्न जिलों की तरफ से एड्स कंट्रोल के साथ नशा रोकने को लेकर चलाई मुहिम व इसमें मिले सार्थक परिणामों के बाद विभिन्न जिलों को बेहतर कारगुजारी के लिए ट्राफी देकर सम्मानित किया गया। इसमें बठिंडा ने प्रदेश भर में तीसरा स्थान हासिल किया। विश्व एड्स जागरूकता दिवस के उपलक्ष्य में लुधियाना के फिरोजपुर रोड के एक रिसोर्ट में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में बतौर मुख्य मेहमान पहुंचे राज्य के सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने बठिंडा सेहत विभाग की टीम को प्रशंसा पत्र व ट्राफी देकर सम्मानित किया वही जिला टीम की तरफ से पिछले एक साल में नामुराद बीमारी को रोकने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। राज्य भर में एड्स जागरुकता को लेकर तीसरा स्थान हासिल करना इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि बठिंडा जिला इस साल कोरोना वायरस से प्रबावित जिलों में शामिल था व पूरी सेहत विभाग की टीम पहले कोरोना व बाद में मौसमी बीमारी, डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारियों को रोकने में जुटी रही। इसी बीच टीम की तरफ से प्रदेश व केंद्र स्तर पर मिले विभिन्न कार्यक्रमों में भी अहम भूमिका निभाई व राज्य के 22 जिलों में तीसरा स्थान हासिल किया। पंजाब स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की तरफ से करवाए समांगम में सेहत मंत्री ने कहा कि भारत में एड्स के पहले केस का पता लगने के बाद अब 39 साल बीत गए हैं, उस समय कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता था कि यह विश्वव्यापी समस्या बन जाएगी। एक दशक पहले भी एचआइवी और एड्स गंभीर समस्या के तौर पर जाने जाते थे। इस समय एड्स विकास के लिए विपदा बन गई है। स्वास्थ्य और परिवार भलाई विभाग के विशेष सचिव -कम- प्रोजेक्ट डायरेक्टर पंजाब स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी अमित कुमार ने बठिंडा जिले की सेहत टीम को बधाई देते उनके कार्य की सराहना की व उम्मीद जताई कि वह आगे भी इसी तरह अपने कर्तव को पूरा करते लोगों को सेहत के प्रति जागरुक करने के साथ उन्हें बीमारियों से बचाने के लिए दिन रात एक करेंगे। सिविल सर्जन डा. अमरिक सिंह सिद्दू ने टीम को बधाई देते कहा कि युवाओं में नशे के लिए इंजेक्शन के साथ दवाइयों के सेवन की आदत बढ़ रही है। पिछले चार-पांच साल से नशा करने वाले नशीली गोली या फिर इंजेक्शन का इस्तेमाल कर रहे हैं जो चिंता का विषय है। उन्होंने इस तरह तेजी से काम करने की जरूरत पर बल दिया। राज्य में इस दौरान 18 जिलों में 35 ओएसटी केंद्र कार्य कर रहे हैं। कार्यक्रम में एड्स जागरूकता में अहम रोल निभाने वाले डाक्टरों, स्टाफ सदस्यों को भी सम्मानित किया गया। इस दौरान उन्होंने जिला टीम का अहवान किया कि वह कोरोना के एक्टिव केस कम पर मौत के आंकड़ों पर भी काबू पाने के लिए काम करे। सरकारी अस्पतालों में सीमित साधन होते हुए भी कोरोना पर काबू पाया गया है। दिल्ली और हरियाणा के मुकाबले पंजाब में कोरोना की सेकेंड वेव को रोकने में हम काफी सफल हुए हैं। राज्य भर की बात करें तो अब कोरोना के एक्टिव केस कम रह गए हैं और मौत के बढ़ रहे आंकड़ों पर भी काबू पाना बाकी है। उन्होंने कहा कि अब 70 साल से अधिक उम्र के कोरोना संक्रमित आने वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाएगा ताकि मृत्यु दर कम हो सके।
यहां बताना जरूरी है कि भारत में स्थापित ओएसटी सेंटरों के मुकाबले बठिंडा, जालंधर व लुधियाना सिविल अस्पताल के ओएसटी सेंटर में मरीजों (आइडीयू) की संख्या अधिक है। मतलब सेंटर द्वारा लोगों को अधिक जागरूक किया गया। इसी कारण सेंटर को विशेष तौर पर सम्मानित किया गया। एक ओर तो ओएसटी सेंटर को मरीज ज्यादा होने के कारण सम्मानित किया, वहीं दूसरी और देखा जाए तो पंजाब में नशे का सेवन दूसरे जिलों के मुकाबले अधिक है व प्रतिदिन 60 से 100 लोगों की ओपीडी बठिंडा के सेंटरों में नशा छोड़ने वाले लोगों की है। ओएसटी सेंटर में नशा करने वाले मरीजों की गिनती हर माह 1500 से ऊपर रहती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला अभी भी नशे की चुंगल में है। जानकारों की माने तो सेंटर में मरीज ज्यादातर वह है जो नशा खरीदने में असमर्थ होकर वहां पहुंचते हैं। सेंटर में मरीजों का नशा छुड़ाने के अलावा काला पीलिया, टीबी व एचआइवी का भी इलाज किया जाता है ताकि मरीजों को एक ही जगह में सभी समाधान मिल सके और उनके अंदर नशे को त्यागने की ललक भी बरकरार है।
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