Punjab Ka Sach Newsporten/ NewsPaper: विजिलेंस विभाग ने ब्लड बैंक में गलत रक्त चढ़ाने के मामले में तलब किया रिकार्ड, तीन सदस्यों की टीम जांच में हुई शामिल

Friday, December 18, 2020

विजिलेंस विभाग ने ब्लड बैंक में गलत रक्त चढ़ाने के मामले में तलब किया रिकार्ड, तीन सदस्यों की टीम जांच में हुई शामिल

 


सिविल अस्पताल में चार थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों के साथ एक महिला को चढ़ाया गया है संक्रमित रक्त 

-राज्य सेहत विभाग के आदेश पर विभिन्न सवालों के जबाव तलाशने के लिए चल रही है आधा दर्जन जांच 

बठिंडा. बठिंडा के शहीद भाई मनी सिंह सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक में थेलेसीमिया पीड़ित मरीजों को संक्रमित एचआईवी पोजटिव रक्त चढ़ाने के मामले में विजिलेंस विभाग की तरफ से 10 दिन पहले जांच शुरू करने के बाद अब मामले की तह तक जाने के लिए डाक्टरों के बयान लामबंद किए। शुक्रवार को सिविल अस्पताल की तरफ से गठित की गई जांच टीम के एक सदस्य व दो डाक्टरों की टीम ने विजिलेंस अधिकारियों के सामने पेश होकर पूरे मामले की जानकारी दी व मामले में अब तक सेहत विभाग की तरफ से की गई कारर्वाई व जांच के विभिन्न तथ्यों के बारे में जानकारी दी। इस मामले में राज्य सेहत विभाग ने विभागीय व सरकारी एजेंसी के मार्फत पूरे मामले की जांच करवाने की हिदायत दी थी। वही राज्य के बाल सुरक्षा कमिशन की तरफ से भी सरकार को पत्र लिखकर मामले की गहराई से जांच करवाने व इसमें शामिल दोषियों के खिलाफ बनती कानूनी कारर्वाई करने के निर्देश दिए थे व 17 दिसंबर तक पूरी जांच रिपोर्ट आयोग को सौंपने के लिए कहा था। आयोग की हिदायत के अनुसार सिविल अस्पताल प्रबंधन व सरकार की तरफ से मामले की जांच आयोग को 17 दिसंबर को सौंपनी थी लेकिन इसमें 14 दिसंबर को जांच टीम का गठन किया गया था जिसमें संभावना जताई जा रही है कि आयोग के पास पूरी रिपोर्ट 26 दिसंबर तक ही जमा हो सकेगी। इससे पहले ड्रग कंट्रोल आथार्टी की तरफ से ब्लड़ बैक स्टाफ, उनके अनुभव व तैनाती को लेकर 7 दिसंबर को मांगी रिपोर्ट भी पेश नहीं हो सकी थी व इसमें भी सेहत विभाग ने आथार्टी से सात से 10 दिन का समय और देने के लिए कहा था। फिलहाल सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में पूर्व में तैनात रहे अधिकारियों व कर्मियों की लापरवाही को लेकर सेहत विभाग के अधिकारियों की तरफ से जांच को धीमी गति से चलाने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं व बाल सुरक्षा आयोग भी इसमें कड़ी टिप्पणी कर सेहत विभाग को फटकार लगा चुका है लेकिन जमीनी स्तर पर इस फटकार का विभाग के अफसरों पर कोई असर होता नहीं दिखाई दे रहा है। 

कर्मचारियों द्वारा एक महिला और चार थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित ब्लड इश्यू करने का तीन अक्टूबर 2020 से लेकर सात नवंबर 2020 के मध्य खुलासा होने के बाद अब जहां विजिलेंस ने मामले की जांच आगे बढ़ाई है वही पिछले पांच साल में ब्लड बैंक में कितने लोगों को रक्त चढ़ाया गयाव किन लोगों ने रक्त दान किया की विस्तृत रिपोर्ट भी पांच सदस्यों की टीम बना रही है। उक्त टीम को हिदायत दी गई है कि रक्तदान करने व रक्त लेने वाले लोगों लोगों के ब्लड सैंपल लेकर एचआईवी टेस्ट करने के साथ बैंक में बरती गई किसी तरह की अनियमियतता की विस्तर से जांच करने की हिदायत है। इसमें जांच की जरुरत इसलिए भी पड़ी कि ब्लड बैंक कर्मचारियों द्वारा उक्त संक्रमित ब्लड मरीजों को जानबूझकर इश्यू किया गया या फिर यह लापरवाही के चलते हुआ, इन सब सवालों के जवाब विजिलेंस के साथ पांच सदस्यों की टीम करेगी। सेहत विभाग के सेक्रेटरी हेल्थ हुस्न लाल द्वारा उक्त मामले की जांच विजिलेंस से करवाए जाने के एलान के बाद अब विभाग इसकी बारीकी से जांच करेगा जिसके बाद पूरे मामले के पटाक्षेप होने की उम्मीद बढ़ गई है। विजिलेंस जांच मामले में एचआईवी किट मुद्दे को शामिल किया गया है जिसमें अस्पताल कमेटी की ओर से अपनी आरंभिक जांच के दौरान शक जताया गया था कि लॉकडाउन के दौरान ब्लड बैंक कर्मचारियों द्वारा ब्लड इश्यू करते समय एचआईवी किट का प्रयोग ही नहीं किया गया। वही कीटों को बाहर किसी व्यक्ति व संस्था को देने के आरोप भी लगाए गए। इसमें पहले चरण की जांच में तत्कालीन ब्लड बैंक कर्मियों की तरफ से 600 टेस्ट कीटों को बाहर से मंगवाने का खुलासा हुआ था। मामले की जांच कर रहे विजिलेंस विभाग ने सिविल अस्पताल प्रबंधन से ब्लड बैंक का पूरा रिकार्ड तलब किया है। वहीं अब तक की जांच रिपोर्ट भी विभाग को जमा करवाने के लिए कहा गया है। इस जांच में राज्य बाल सुरक्षा आयोग की तरफ से सेहत विभाग की तरफ से की गई जांच में उठाए सवालों की बारीकी से तलाश की जाएगी। अस्पताल टीम की जांच में पूर्व बीटीओ बलदेव सिंह रोमाणा की तरफ से कथित तौर पर 600 एचआईवी टेस्ट किट जोकि बाहर से मंगवाकर बैंक के स्टाक रूम में रखी गई थी, उसकी भी जांच विजिलेंस करेगी। इस जांच में यह पता लगाया जाएगा कि उक्त किट कहां से लाई गई थीं व सेहत विभाग के पास जो स्टाक था, वह कहां गया क्योंकि अभी तक इस सवाल का कोई जवाब नहीं मिल पाया है। इस जांच के बाद ब्लड बैंक में चल रहे बड़े घपले की आशंका से भी पर्दा पूरी तरह हट जाएगा। फिलहाल विजिलेंस विभाग को ब्लड बैंक बठिंडा में पिछले पांच साल के रिकार्ड को देखने व इसमें किसी तरह की अनियमितता की जांच के लिए भी कहा है। सिविल अस्पताल प्रबंधन पर भी इस मामले को दबाने व असली आरोपियों को बचाने के आरोप थैलेसीमिया एसोसिएशन व अन्य एनजीओ लगाते रहे हैं।

ढाई माह में थैलेसीमिया पीड़ित चार बच्चों सहित पांच लोगों को चढ़ाया गया था एचआईवी संक्रमित खून

तीन अक्टूबर 2020 से लेकर अब तक करीब ढाई माह में बठिंडा के सिविल अस्पताल स्थित ब्लड बैंक से जारी हुए संक्रमित खून से पांच लोग एचआईवी संक्रमित हो चुके हैं। इसमें सबसे चिंताजनक व अमानवीय पहलू यह है कि एचआईवी पॉजिटिव रक्त चार थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को भी चढ़ाया गया है। इस मामले के सामने आने के बाद स्टेट कमेटी के साथ एड्स कंट्रोल सोसायटी के पदाधिकारियों द्वारा भी जांच की गई थी। इसमें अक्टूबर माह में ब्लड बैंक में तैनात तीन कर्मियों को निलंबित कर दिया गया था व उनके खिलाफ पुलिस के पास आपराधिक मामला दर्ज करने की सिफारिश की गई थी। इसमें एक रेगुलर कर्मी बलदेव सिंह रोमाणा को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वहीं हाल ही में बाल आयोग की सिफारिश पर बठिंडा पुलिस ने महिला लैब टेक्नीशियन रिचा गोयल को भी मामले में आरोपी बनाया है, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई है। वहीं पूर्व बीटीओ करिश्मा गोयल पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं 7 नवंबर, 2020 को सेहत विभाग सेहत मंत्री के आदेश पर चार लैब टेक्नीशियनों को इसी केस में डिसमिस किया जा चुका है।


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