Punjab Ka Sach Newsporten/ NewsPaper: खुदकुशी करने वाले किसान परिवारों को मिलने वाले मुआवजे पर कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 13 मीटिग में सिर्फ 42 केस पास, 248 रद

Friday, December 18, 2020

खुदकुशी करने वाले किसान परिवारों को मिलने वाले मुआवजे पर कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 13 मीटिग में सिर्फ 42 केस पास, 248 रद



 बठिडा : साढ़े तीन साल बाद भी खुदकुशी करने वाले किसान परिवारों को मिलने वाले मुआवजे के केसों को बड़ी गिनती में रद कर दिया है। बठिडा जिले में प्रशासनिक अधिकारियों ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में अब तक कुल 13 मीटिग की हैं। इसमें 42 खुदकुशी करने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की सिफारिश कर दी गई, मगर 248 किसानों मजदूरों के केसों को रद कर दिया गया। इसमें मजेदार बात यह है कि साल 2019 में पीड़ित किसान परिवारों को मुआवजा देने के लिए बनी कमेटी की एक ही मीटिग फरवरी में हुई तो 2020 में कोरोना के कारण एक भी मीटिग नहीं हुई।

उक्त मीटिगों में जिन केसों को रद किया गया है, उनमें 102 केस तो ऐसे हैं, जिन्होंने परनोट पर कर्ज लिया है और वह संबंधित एसडीएम से मार्क नहीं हुए। वहीं 72 केस ऐसे हैं, जिनमें पूरे सुबूत नहीं है। यहां तक कि ज्यादातर केसों को पोस्टमार्टम की रिपोर्ट न होने के कारण रद किया गया। इस कारण इनको मुआवजा देने की पालिसी के अधीन कवर नहीं किया जाता। इसके अलावा बीमारी के कारण मरने वाले सात किसानों के केस रद किए गए, जिसमें तीन किसानों की मौत तो कैंसर के कारण हुई। इसी प्रकार सात केसों को रद करने पर सिर्फ यही तर्क दिया कि यह पालिसी के अधीन कवर नहीं होते। इसके अलावा एक केस को सिर्फ एग्रीकल्चर विभाग द्वारा रिपोर्ट देने, तीन केसों को न किसान न मजदूर होने, 11 केसों को किसानों पर कर्ज न होने, 3 केसों को जहरीली चीज खाने, 1 केस को पहले सरकारी नौकरी करने, 1 केस को आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या करने पर रद कर दिया गया।दूसरी तरफ कांग्रेस सरकार बनने के साढ़े तीन साल के दौरान जिले में 179 किसानों व मजदूरों ने कर्ज व आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर ली थी।

तीन सालों में ऐसे किए केस रिजेक्ट

खुदकुशी करने वाले किसानों व मजदूरों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए डीसी की प्रधानगी में बनी कमेटी द्वारा जांच के बाद मुआवजा देने के लिए पंजाब सरकार को सिफारिश की जाती है। इसके तहत साल 2017 में इस कमेटी की 4 मीटिग हुई। जिसमें 9 खुदकुशी पीड़ित किसान परिवारों को मुआवजा देने की सिफारिश की गई। वहीं 89 किसान मजदूर परिवारों को मुआवजा देने से इंकार कर दिया। इसी प्रकार साल 2018 में कमेटी की छह मीटिग हुई, जिसमें 32 किसानों मजदूरों के परिवारों को मुआवजा देने की सिफारिश की तो 119 पीड़ित परिवारों के आवेदनों को कोई न कोई बहाना लगाकर रिजेक्ट कर दिया। इसके अलावा 2019 में कमेटी की एक ही मीटिग हुई, जिसमें एक परिवार को मुआवजा देने की सिफारिश की तो बाकी के केस रिजेक्ट कर दिए। वहीं 2020 में कोई मीटिग नहीं हुई।

मुआवजा देने पर सरकार की नाकामियां

कमेटी की हैरान करने वाली बात यह है कि साल 2018 के दौरान खुदकुशी पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की सिफारिश करने वाली कमेटी की दो मीटिग तो ऐसी हुई, जिसमें किसी भी किसान परिवार को मुआवजा देने की सिफारिश नहीं की गई। इन दोनों मीटिग के दौरान 32 पीड़ित परिवारों के आवेदनों को रद्द कर दिया। इसके तहत दो अगस्त 2018 को हुई मीटिग में किसान परिवारों के पांच तो दो नवंबर 2018 की मीटिग में 27 आवेदक रद किए गए।


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