-सिविल अस्पताल प्रबंधन ने कहा शिकायत मिलेगी तो करेंगे जांच, मौके पर पकड़े लोगों के बारे में साधी चुप्पी
बठिंडा, 22 जून(जोशी). राज्य सरकार लोगों को बेहतर सेहत सुविधा देने का दावा कर रही है। वही दावा किया जा रहा है कि सिविल अस्पतालों में मरीजों की लूट रुकी है लेकिन दूसरी तरफ सिविल अस्पताल में मरीजों को सुविधा देने के नाम पर कुछ प्राइवेट अस्पताल दलाली का गौरखधंधा कर रहे हैं। इसमें सिविल अस्पताल में दी जाने वाली सुविधा के बारे में मरीजों को गुमराह कर प्राइवेट अस्पतालों में लेकर जा रहे हैं। यह धंधा सिविल अस्पताल के अधिकारियों व कर्मचारियों के सामने हो रहा है लेकिन कमिशन के नाम पर होने वाली काली कमाई के सामने सभी चुप्पी साधकर बैठे हैं। बुधवार को सिविल अस्पताल में एक मामला सामने आया है। इसमें सिविल अस्पताल के अंदर ही सुप्रीम डायग्नो सेंटर के कर्मचारी मरीजों को गुमराह कर प्राइवेट सेंटर में लेकर जाते पकड़े गए। सेंटर का एक कर्मी ओपीडी स्लिप काउंटर में बैठकर वहां आने वाले मरीजों की जानकारी जुटा रहा था व जो व्यक्ति स्कैन व किसी तरह के टेस्ट के लिए वहां पहुंच रहा था उसे रोककर कहा जा रहा था कि सिविल अस्पताल में होने वाली किसी भी जांच के लिए मशीन नहीं है वही जो टेस्ट व जांच की जा रही है वह गलत है जिससे मरीज का सही इलाज नहीं हो सकेंगा। इसके बाद वह मरीज को सुप्रीम डायग्नो सेटर के बारे में जानकारी देकर कहता है कि मरीज को सिविल अस्पताल से सेंटर तक निशुल्क लेकर जाने की सुविधा है व बाजार में टेस्ट के नाम पर ली जाने वाले चार्ज से कम रेट पर उनका टेस्ट किया जाएगा। इसके बाद उक्त व्यक्ति मरीज व उनके परिजनों को वहां से लेकर जाता है व बाहर खड़ी आल्टो गाड़ी की तरफ छोड़कर फिर से वहां आकर बैठ जाता है। उक्त हरकत को वहां तैनात सुरक्षा कर्मी देख रहा था। शक होने पर सुरक्षा कर्मी ने उक्त व्यक्ति को रोककर उसके बारे में जानकारी मांगी तो उसने बताया कि वह सिविल अस्पताल का कर्मी है व एंटी लारवा सैल में तैनात है। आज उसकी ओपीडी में ड्यटी लगी है। सुरक्षा कर्मी ने उसकी बात की जांच के लिए जब एंटी मलेरिया व लारवा सैल में संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उक्त व्यक्ति उनके पास तैनात नहीं है। मामला अला अधिकारियों के सामने लाया गया तो पता चला कि उस व्यक्ति का सिविल अस्पताल से कोई संबंध नहीं है। पोल खुलती देख व्यक्ति ने माना कि वह शहर के सुप्रीम डायग्नो सेंटर में तैनात है व सिविल अस्पताल से प्रतिदिन मरीज लेकर सेंटर में जाता है। वही उसने बताया कि बाहर एक आल्टो गाड़ी खड़ी है व इसी गाड़ी में मरीज को सेंटर में लेकर जाते हैं। जब सुरक्षा कर्मी वहां पहुंचा तो गाड़ी में एक ड्राइवर जग्गा सिंह बैठा था। उसने कहा कि उसकी सिविल अस्पताल में सेंटर के मालिक ने ड्यूटी लगा रखी है व उनके कहने पर ही प्रतिदिन मरीजों को यहां लेकर लेकर जाता है। इसके इलावा उसे किसी तरह की जानकारी नहीं है। इसके बाद मामले की जानकारी सिविल अस्पताल में स्थित पुलिस चौकी के पास दी गई। इसमें पुलिस चौकी के कर्मचारियों ने दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। दूसरी तरफ बताया जा रहा है कि सिविल अस्पताल में पिछले लंबे समय से उक्त खेल चल रहा है जिसमें शहर के प्राइवेट अस्पतालों की दर्जनों गाड़ियां अस्पताल में आकर खड़ी होती है व उनके करिंदे मरीजों को गुमराह कर प्राइवेट अस्पतालों में सुविधा देने के नाम पर लेकर जाते हैं व मोटी राशि वसूल की जाती है। सिविल अस्पताल में हर तरह के टेस्ट व जांच की सुविध दोने के बावजूद मरीजों की लूटपाट के लिए उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में लेकर जाने के इस गौरखधंधे के संबंध में सिविल अस्पताल प्रबंधन व जिम्मेवार लोगों ने आंखे मूंद रखी है। वही सहायक सिविल सर्जन अनुपमा शर्मा हर बार की तरह इस मामले में भी कह रही है कि उनके पास लिखित में अगर शिकायत आएगी तो वह बनती कारर्वाई करेंगी। वही सिविल अस्पताल के स्टाफ व सुरक्षा कर्मियों की तरफ से सरेआम एजेंटों को पकड़ने व मरीजों को गुमराह करने के मामले में किसी तरह की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
फोटो -सिविल अस्पताल परिसर में मरीजों को गुमराह कर प्राइवेट अस्पताल में लेकर जाने वाली गाड़ी जिसे सुरक्षा कर्मियों ने पकड़कर पुलिस चौकी को सौंपा।