बठिंडा। सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक की ओर से एक महिला और एक 7 साल के थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को एचआईवी पॉजिटिव ब्लड चढ़ाने के मामले में सोमवार को करीब 8 घंटे तक चली जांच के बाद जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सेहत विभाग के उच्चाधिकारियों को कार्रवाई के लिए भेज दी है। तीन सदस्यीय कमेटी एसएमओ डा. मनिंदरपाल सिंह, डा. गुरमेल सिंह व डा. सीमा गुप्ता की रिपोर्ट में ब्लड बैंक की बीटीओ, एक महिला एमएलटी व एक पुरुष एमएलटी की लापरवाही सामने आ रही है। आरजी फारिग कर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए रिपोर्ट हेल्थ सेक्रेटरी को भेज दी गई है।
डॉ. मयंक को अब बीटीओ का चार्ज दिया गया है। बीटीओ डा. करिश्मा को गोनियाना मंडी के सरकारी अस्पताल में, एमएलटी रिचा को सरकारी अस्पताल घुद्दा व सीनियर एमएलटी बलदेव रोमाणा को तलवंडी साबो अस्पताल में आरजी तौर पर लगा दिया गया है। उधर देर शाम जांच कमेटी की रिपोर्ट सोशल मीडिया में लीक होने के बाद वायरल हो गई, जिसके बारे में अधिकारियों को मीडिया से ही पता चला। बता दें कि बच्चे और महिला मरीज को एचआईवी ब्लड चढ़ाने के मामले का खुलासा भास्कर ने सोमवार के अंक में प्रमुखता से किया था।
जिसके बाद एसएमओ ने जांच कमेटी का गठन किया। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि ब्लड बैंक में एचआईवी किट के प्रयोग में गड़बड़ मिली है। उधर श्री गणेश वेलफेयर सोसायटी के प्रधान आशीष बांसल ने ईमेल के जरिए सेहतमंत्री पंजाब को शिकायत भेजी है। वहीं डीसी बठिंडा व सीएमओ बठिंडा को भी शिकायत भेजी है। नौजवान सोसायटी के प्रधान सोनू माहेश्वरी व खूनदानी बीरबल बांसल ने भी आरोपी पाए जाने वालों पर कार्रवाई की मांग उठाई।
ये है रिपोर्ट : मामला छिपाने की कोशिश की, अधिकारियों को अंधेरे में रखा
कमेटी ने जांच के बाद जो रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी है, उसके मुताबिक एचआईवी पॉजिटिव डोनर ने दो बार अपना ब्लड सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में दान किया। सबसे पहले छह मई 2020 को ब्लड बैग नंबर 2765 के जरिए एमएलटी रिचा गोयल ने एक महिला मरीज को एचआईवी पॉजिटिव का ब्लड जारी किया। जबकि दूसरी बार उसी एचआईवी ब्लड डोनर का ब्लड सात साल की थैलेसीमिया पीड़ित बच्ची को तीन अक्टूबर को जारी किया गया।
इस बार भी एमएलटी रिचा गोयल ने यह ब्लड जारी किया। जांच में सामने आया कि ब्लड बैंक की इंचार्ज बीटीओ डा. करिश्मा गोयल ने भी अपनी ड्यूटी में घोर लापरवाही दिखाई है। उन्होंने उच्च अधिकारियों को भी मामले में अंधेरे में रखा। कमेटी के मुताबिक बीटीओ डॉ. करिश्मा को मई 2020 में ब्लड डोनर के एचआईवी पॉजिटिव के बारे में पता चल गया था और उसे यह भी पता चल गया था कि उसका ब्लड एक महिला मरीज को चढ़ा दिया गया है, लेकिन उसने मामले को छिपाने की कोशिश की, जबकि उसने ब्लड डोनर को भी एचआईवी होने के बारे में जानकारी नहीं दी।। इसके अलावा एमएलटी रिचा गोयल के काम की भी कोई जरूरी पड़ताल नहीं की।
सीनियर एमएलटी की भूमिका भी संदेह के घेरे में
जांच कमेटी ने ब्लड बैंक के सीनियर एमएलटी बलदेव राेमाणा की भूमिका पर भी संदेह जताया है। जांच कमेटी के मुताबिक सीनियर एमएलटी ने निजी रंजिश निकालने के लिए एक अक्टूबर 2020 की सुबह ब्लड डोनर को ब्लड देने के लिए सिविल अस्पताल बुलाया था और सब कुछ जानते हुए उसने किसी कुछ भी नहीं बताया और उसका ब्लड सात वर्षीय थैलेसीमिया पीड़ित बच्ची को जारी होने दिया।
इतना ही नहीं उसने बच्ची को ब्लड लगने के बाद अचानक चिल्ड्रन अस्पताल में जाकर स्टाफ नर्स से कहा कि बच्ची को एचआईवी पॉजिटिव मरीज का ब्लड लग गया है और उसने बिना किसी जिम्मेवार अधिकारी के आदेशाें के वहां से ब्लड बैग हासिल किया और खुद ही चिल्ड्रन अस्पताल की लैब में एचआईवी के लिए रेपिड टेस्ट लगवाया, जोकि पॉजिटिव आया। इसके बाद उसने एसएमओ दफ्तर आकर मामले की जानकारी दी। कमेटी का मानना है कि सीनियर एलटी ने एक बच्ची की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया।
एचआईवी किट के प्रयोग नहीं करने पर उठे सवाल
पड़ताल में यह भी सामने आया है कि सिविल अस्पताल बठिंडा के ब्लड बैंक में एचआईवी किट का प्रयोग में गड़बड़ी हो रही है, जोकि अलग से जांच का एक विषय हैं। कमेटी ने किट रखने वाली अलमारी खुलवाने के लिए एसएमओ ने ताला तोड़ने के आदेश दिए, तो सीनियर एमएलटी ने 600 एचआईवी टेस्ट करने के लिए किट बाहर से लाई गई ताकि स्टॉक पूरा किया जा सके। इस दौरान बीटीओ ने बताया कि इस कर्मचारी की तरफ से कभी भी किट का स्टाक चेक करने के लिए परमिशन नहीं दी गई।