Wednesday, January 6, 2021

पंजाब में 7 जनवरी से स्कूल खुलने की घोषणा से पहले शिक्षा विभाग के सचिव कृष्ण कुमार ने बठिंडा के स्कूलों का अचानक किया निरीक्षण


-स्कूलों में प्रबंधन व्यवस्था के साथ कोविड को लेकर की गई तैयारियों का भी लिया जायजा  

बठिंडा. राज्य सरकार ने 7 जनवरी से पांचवी कक्षा से लेकर 12वीं तक की कक्षाओं को शुरू करने की घोषणा की है। इसी बीच सरकारी स्कूलों में कोविड बीमारी से लड़ने की तैयारियों का जायजा लेने के लिए राज्य के शिक्षा सचिव स्कूल कृष्ण कुमार ने बठिंडा व मुक्तसर के स्कूलों का अचानक दौरा किया। इस दौरान शिक्षा विभाग पंजाब के सचिव शिक्षा स्कूल पंजाब कृष्ण कुमार की तरफ से बुधवार को अचानक से बठिंडा के कुछ स्कूलों का दौरा कर वहां दी जा रही शिक्षा व संसाधनों की जांच की। शिक्षा सचिव पंजाब की तरफ से स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से भी बात की व उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल करने के साथ कोविड के दौरान दी गई शिक्षा के बारे में भी विस्तार से जानकारी ली। इस अचानक चैकिंग के दौरान जिला शिक्षा अफसर बठिंडा के किसी भी स्टाफ को पता नहीं लगा। सचिव ने बुधवार प्रातःकाल 9:50 बजे के करीब सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल गहरी बुट्टर में अचानक चैकिंग की। स्कूल प्रिंसिपल जसपाल सिंह ने बताया कि सचिव कृष्ण कुमार ने स्टाफ के साथ विद्यार्थियों की पढ़ाई की कारगुज़ारी के बारे में सभी क्लास इंचार्ज के साथ बातचीत की और स्कूल की कक्षाओं में दी जा रही बच्चों की पढ़ाई के बारे बच्चों के साथ बातचीत की। स्कूल में विद्यार्थी कोविड 19 की हिदायतें अनुसार कक्षा लगा रहे हैं या नहीं इसके बारे में भी स्टाफ के साथ बातचीत करते कहा कि शिक्षा स्तर को बेहतर बनाने के लिए शत प्रतिशत लक्ष्य पूरा किया जाये। 



इसके बाद सचिव शिक्षा ने पौने ग्यारह बजे सरकारी सेकेंडरी स्कूल पथरला में स्कूल की चैकिंग की। इस मौके उपस्थित प्रिंसिपल महेश कुमार ने बताया कि कृष्ण कुमार ने ग्यारहवी बारहवीं की कक्षाओं में बच्चों के साथ बातचीत करते स्कूल की कारगुजारी से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने स्कूल में आ रही समस्या के बारे प्रिंसिपल महेश कुमार के साथ बातचीत करते कहा कि स्कूल की इमारत बनाने के लिए जल्दी अनुदान देने का भरोसा दिया। इसके बाद उन्होंने जिला मुक्तसर साहिब के हलका गिद्दड़बाह के स्कूलों में में भी अचानक चैकिंग की। इस सम्बन्धित जब उप जिला शिक्षा अफसर इकबाल सिंह बुट्टर के साथ बातचीत की तो उन्होंने बताया कि शिक्षा सचिव के अचानक चैकिंग के बारे उनको कोई भी जानकारी नहीं थी। 

फोटो - बठिंडा के सरकारी सेकेंडरी स्कूलों में स्टाफ और विद्यार्थियों के साथ बातचीत करते शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ।


बठिंडा में मार्किट कमेटी के चेयरमैन मोहन लाल झुंबा की सुरक्षा वापिस लेने के बाद सियासी हलचल शुरू



बठिंडा. नगर निगम चुनावों के नजदीक आते ही जहां राजनीतिक उठापटक तेज हो रही है वही टिकट नहीं मिलने से नाराज बागी सोशल मीडिया की तरफ रुख कर रहे हैं। इसी बीच अब शहर में नए राजनीतिक समीकरण व घटनाक्रम चर्चा का विषय बन रहे हैं। इन दिनों सर्वाधिक राजनीतिक सर्गमी कांग्रेस के अंदर चल रही है। कांग्रेस नगर निगम चुनावों में सत्तारुढ होने के चलते अना मेयर बनाने की स्थिति में है व राजनीतिक तौर पर हमेशा से ही सत्ताधारी दल ही नगर निगम व नगर काउंसिल में अपना कब्जा जमाती रही है। इसके पीछे एक कारण लोग निकायों में सत्ताधारी दलों को जीताकर शहर के विकास की उम्मीद करते हैं जबकि विरोधी को जिताने पर उन्हें शहर के विकास के लिए फंड हासिल करने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शहर में कांग्रेस की मजबूती का लाभ मिलेगा यही सोचकर हर कोई उसकी टिकट हासिल करने की दावेदारी भी कर रहा है। वर्तमान में कांग्रेस ही अब तक अधिकतर वार्डों में अपने उम्मीदवार घोषित करने में सफल रही है। इस स्थिति मेें जिन लोगों को उम्मीदवारी की टिकट नहीं मिली उन्हें निराशा होना भी संभाविक है। कई सब्र का घूट पीकर पार्टी के कर्मठ वर्कर बन काम में जुट गए तो कई अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा पूरी करने के लिए दूसरे दलों की तरफ रुख कर रहे हैं। इस स्थिति में बगावती तेवर ज्यादा न हो इसके लिए हर दल अपने स्तर पर प्रयास भी कर रहा है। जब प्रयास होंगे तो  नए घटनाक्र भी ाए दिन घटित होंगे। 

इसी क्रम में बुधवार को पहला घटनाक्र उस समय चर्चा का कारण बना जब मार्किट कमेटी के चेयरमैन मोहन लाल झुंबा को मिली सरकारी सुरक्षा वापिस ले ली गई। इसे लेकर पुलिस प्रशासन ने तर्क दिया कि जब चेयरमैन झुंबा को सरकारी तौर पर सुरक्षा मिली ही नहीं तो वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है। वही मोहन लाल झुंबा ने कहा कि उनकी सुरक्षा वापिस लेने के बाद अगर किसी तरह की अनहोनी होती है तो उसके लिए जिला पुलिस जिम्मेवार होगी। फिलहाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व में शहरी प्रधान व वर्तमान में कांग्रेस के ही कोटे से मार्किट कमेटी के चेयरमैन बनने वाले मोहन लाल झुंबा को लंबे समय से सुरक्षा मिली हुई थी। इसमें कांग्रेस प्रधान रहते उनकी तरफ से सिस्टम के खिलाफ आवाज बुलंद करने व उन्हें कुछ लोगों की तरफ से धमकिया मिलने के बाद उनकी जान को खतरा बताया जा रहा था व इसी कारण से उन्हें सुरक्षा उपलब्ध करवाई गई थी। पहले चार व बाद में दो व अब एक सुरक्षा कर्मी उनकी सुरक्षा में तैनात था लेकिन उसे भी बुधवार को वापिस बुला लिया गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व वर्तमान चेयरमैन की सुरक्षा वापिस लेना वह भी नगर निगम चुनाव के नजदीक कई तरह से सवालों को जन्म दे रहा है। इसमें सूत्र खुलासा करते हैं कि कांग्रेस में अपने करीबियों को टिकट दिलवाने की कोशिश कई नेता कर रहे हैं। इसमें कुछ लोगों को टिकट मिल रही है जबकि कई लोगों को टिकट नहीं मिलने के बाद नेता हाईकमान या फिर उच्च स्तर पर शिकायते भी कर रहे हैं। पिछले दिनों तो रातों रात पूर्व विधायक हरमंदर सिंह जस्सी के समर्थकों ने अपना गुस्सा दिखाते शहर में उनके बैनर व बोर्ड लगा दिए। इसे लेकर भी कांग्रेस में काफी गहमा गहमी रही कि आखिर यह सब कौन कर रहा है क्योंकि हरमंदर सिंह जस्सी बठिंडा से विधायक रहे हैं व काफी समय से शहर की राजनीति से दूर होकर तलवंडी साबों में राजनीति जमीन तैयार कर रहे हैं। 

वही इसमें कई नेता तो कांग्रेस का दामन छोड़ सोशल मीडिया ग्रुप में शामिल होकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर रहे हैं। पिछले दिनों बठिडा सोशल ग्रुप ने नगर निगम चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। इसके बाद कांग्रेस छोड़ने वाले चार नेता इस ग्रुप में शामिल हो गए व अब अपने वार्डों से सोशल ग्रुप की तरफ से आजाद चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। ग्रुप में शामिल होने वाले नेताओं में हरमेश कुमार बासंल पक्का, पूर्व पार्षद राजा सिंह, राजिदर कुमार गोल्डी व हरविदर सिंह चहल शामिल थे। इनमें हरमेश कुमार बांसल पक्का को बुधवार को पुलिस ने साल 2014 के एक मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पिछले छह साल से उक्त मामला लंबित चल रहा था व चुनाव से पहले उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। इन नेताओं ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के प्रति गत दिनों आयोजित प्रेसवार्ता में गुस्सा प्रकट किया था। फिलहाल बुधवार को घटित दो घटनाक्रमों ने संकेत दे दिए है कि आने वाले दिनों में नगर निगम के चुनाव कांग्रेस ही नहीं बल्कि सभी दलों के लिए काफी हेरफेर वाले होंगे। इसमें आए दिन नए घटनाक्रम भी घटित होंगे क्योंकि कोई भी दल नहीं चाहता है कि बागी चुनाव के दौरान उनका खेल बिगाड़े। 


Bathinda- तीन साल से नीले कार्ड नहीं बनाने के विरोध में फूटा लोगों का गुस्सा, डीसी को मांग पत्र देने के बाद किया प्रदर्शन



-राजनीतिक कारणों से राशन कार्ड काटने व मामले में किसी तरह की सुनवाई नहीं करने का लगाया आरोप 

बठिंडा. जिले के गांव अकलिया कला में रहने वाले सैकड़ों लोगों ने नीले कार्ड काटने व तीन साल से किसी तरह की सुविधा नहीं देने का आरोप लगाया है। इस बाबत स्थानीय लोगों ने ग्राम पंचायत के साथ मिलकर मांगपत्र डीसी बठिंडा को सौंपा। इसमें कुलविंदर सिंह, गुरमेल सिंह, दर्सन सिंह ने बताया कि वर्तमान में 785 के करीब परिवार ऐसे हैं जिनके तीन साल पहले हुई वैरिफिकेशन में नीले कार्ड काट दिए गए थे। इसके बाद उन्होंने कई बार फूड सप्लाई विभाग के पास नीले कार्ड शुरू करवाने के लिए आवेदन दिया लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की व आज तक कार्ड फिर से नहीं बन सके हैं। इसमें राजनीतिक कारणों से कार्ड काटने का आरोप भी उक्त लोगों ने लगाया। वही चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने मामले मे दखल देकर जल्द उनकी समस्या का हल नहीं निकाला तो वह आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।


 उन्होंने आरोप लगाया कि वह जब भी राशन व कार्ड संबंधी इलाके के डिपो होल्डरों के पास जाते हैं तो उनके साथ पक्षपात किया जाता है व अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। इस दौरान प्रभावित लोगों ने मांग पत्र देने के बाद धरना प्रदर्शन भी किया व प्रशासन के साथ सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर उनकी समस्या हल कर काटे गए नीले राशन कार्ड फिर से शुरू करने की मांग रखी। गौरतलब है कि राज्य में अकाली-भाजपा सरकार के समय में हजारों लोगों के बने नीले कार्डों की कांग्रेस सरकार ने फिर से जांच करवाई थी। इसमें तय नियमों से उलट बने कार्डों को वैरिफिकेशन के बाद काट दिया गया था। इसी दौरान अकलिया गांव में भी सैकड़ों लोगों को संदिग्ध मानते उनके नीले कार्ड काट दिए गए थे व विभाग ने इस बाबत संदिग्ध लोगों को फिर से दावेदारी करने के लिए कहा था। इस गांव के लोगों की तरफ से प्रशासन के पास फिर से नीले कार्ड शुरू करवाने के लिए आवेदन किए थे लेकिन इसमें आज तक किसी तरह की सुनवाई नहीं हो सकी है जिसके चलते इलाके के सैकड़ों लोगों में प्रशासन व सरकार के खिलाफ गुस्सा है। 

फोटो -नीले कार्ड काटे जाने के विरोध में प्रदर्शन करते गांव अकलिया व आसपास के गांवों के लोग। 

 

 


Bathinda-जनवरी में शुरु होने वाले पहले चरण में 4359 गवर्नमैंट और 4798 प्राईवेट कर्मियों को लगेगी कोरोना वैक्सीन


 

-सिविल सर्जन व डीसी की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक में तैयारियों का लिया गया जायजा

बठिंडा . जिले में कोरोना वायरस के खातमे के लिए सभी विभागों के प्रशासकीय अधिकारियों व कर्मचारियों ने कमर कस ली है। सेहत विभाग जनवरी में शुरु होने वाले पहले चरण में 4359 गवर्नमैंट और 4798 प्राईवेट कर्मियों को वैक्सीन लगाकर मुहिम में शामिल करेगा। सेहत विभाग बठिंडा की तरफ से सिविल सर्जन डा.तेजवंत सिंह के नेतृत्व में नेशनल पल्स पोलियो राउंड और कोविड-19 के टीकाकरण को लेकर दफ़्तर डिप्टी कमिशनर बठिंडा में जिला टास्क फोर्स की मीटिंग बुधवार को आयोजित की गई। इस मीटिंग की अध्यक्षता डिप्टी कमिशनर बठिंडा बी. श्रीनिवासन की तरफ से गई। इस मीटिंग में समूह सीनियर मैडीकल अफ़सर, शिक्षा विभाग, स्त्री और बाल विकास विभाग, पुलिस विभाग, बिजली बोर्ड बठिंडा, फूड सप्लाई विभाग, जी.एन.एम. ट्रेनिंग स्कूल, नगर निगम बठिंडा, रेलवे विभाग, एम्ज, मैक्स अस्पताल, आदेश हस्पताल और मैडीकल कालेज भु्च्चो, आर्मी हस्पताल बठिंडा, आई.एम.ए, आई.पी.ए. और समाज सेवीं संस्थायों के प्रतिनिधियों और अन्य विभागों के मुखिया की तरफ से शिरक्त की गई। इस मौके सिविल सर्जन बठिंडा डा. तेजवंत सिंह ढिल्लों ने जानकारी देते बताया कि कोविड-19  के टीकाकरण के लिए सेहत विभाग की तरफ से मुकम्मल तैयारियाँ कर ली गई हैं। टीकाकरण के साथ सम्बन्धित समूह आधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि डीं.सी.जी.आई.( ड्रग कंट्रोलर आफ इंडिया) की तरफ से दो वैक्सीन को एमरजैंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी प्रदान की गई है। आने वाले दिनों में जो भी गाईड लाइन सरकार की तरफ से प्राप्त होंगी उन हिदायतों की पालना करते हुए यह टीकाकरण मुहिम शुरू कर दी जाएगी। जिला टीकाकरन अफसर डा. मीनाक्षी सिंगला ने जानकारी देते बताया कि पहले चरण में 4359 गवर्नमैंट और 4798 प्राईवेट लोगों का टीकाकरण किया जाएगा। दूसरे चरण में फरंट लाईन वर्कर और तीसरे कृपा में 50 साल की उम्र से ऊपर के व्यक्तियों का टीकाकरन किया जायेगा और चौथे चरण में 50 साल से कम उम्र के जो (पहले किसी रोग से पीडित हैं) जिसमें शुगर, टी.बी., दिल के रोग, हाईपरटैनशन आदि बीमारियों से पीड़ित लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। डिप्टी कमिशनर बठिंडा बी.श्रीनिवासन की तरफ से मीटिंग में उपस्थित समूह विभागों के मुखियों को हिदायत की गई कि इस मिशन में सेहत विभाग की माँग अनुसार पूर्ण सहयोग दिया जाए और सरकार की हिदायतें की पालना सख्ती से की जाए। इस मौके डिप्टी मैडीकल कमिश्नर डा: रमनदीप सिंगला, अर्बन नोडल अफ़सर डें पामिल बांसल, डिप्टी एम.ई.आई.ओ. कुलवंत सिंह, प्रोजैक्सनिस्ट केवल कृष्ण शर्मा, ज़िला बी.सी.सी. कोआर्डीनेटर नरिन्दर कुमार, एस.आई. नरदेव सिंह और वीरपाल सिंह उपस्थित थे।



वही बैठक में बताया गया कि नेशनल पल्स पोलियो मुहिम 17 से 19 जनवरी तक चलाई जा रही है। जिस में 0 से 5 साल के तक की उम्र 153055 बच्चों को यह बूंदें पिलाईं जाएंगी। इस राउंड दौरान बच्चों को कवर करने के लिए जिले के अंदर 699 बूथ, 32 ट्रांजिट टीमें, 29 मोबाइल टीमें, 1247 घर से घर जाने वाली टीमों का गठन किया गया है। सिविल सर्जन बठिंडा ने अपील की कि अपने 0 से 5 साल तक के बच्चों को पोलियो बूँदें ज़रूर पिलाए। चाहे बच्चा बीमार हो, चाहे दस्त लगे हो या फिर चाहे रुटीन की खुराक कोई ले रखी हो तो भी इस मुहिम के दौरान बच्चे को यह पोलियो की बूँदें ज़रूर पिलाईं जाएं। डिप्टी कमिश्नर बठिंडा बी श्रीनिवासन ने समूह विभागों के मुखिया को हिदायत की गई कि इस मुहिम के दौरान सेहत विभाग को पूर्ण सहयोग दिया जाए ताकि 0 से 5 साल की उम्र के बच्चों को यह पोलियो बूँदें पिलाईं जा सकें। इस मौके डिप्टी मेडीकल कमिशनर डा. रमनदीप सिंगला, अर्बन नोडल अफ़सर डें पामिल बांसल, डिप्टी एम.ई.आई.ओ. कुलवंत सिंह, प्रोजैक्सनिस्ट केवल कृष्ण शर्मा, ज़िला बी.सी.सी. कोआर्डीनेटर नरिन्दर कुमार, एस.आई. नरदेव सिंह और वीरपाल सिंह उपस्थित थे। 

फोटो सहित-बीटीडी-11,12- कोरोना वैक्सीन व पल्स पोलियो अभियान को लेकर बैठक करते डीसी बी श्रीनिवासन व सिविल सर्जन तेजवंत सिंह। 







संघ प्रमुख मोहन भागवत पर आपत्तिजनक टिप्पणी से भड़के स्वयंसेवक, जालंधर में डीसी तक पहुंचा मामला


जालंधर।
 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की इंटरनेट मीडिया पर आपत्तिजनक तस्वीर लगाकर अभद्र टिप्पणी करने से जालंधर में स्वयंसेवक गुस्से में हैं। मंगलवार को यह मामला डिप्टी कमिश्नर तक पहुंच गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की महानगर शाखा ने यूथ अकाली दल नेता अयूब दुग्गल के खिलाफ शिकायत दी है। उनका आरोप है कि दुग्गल ने इंटरनेट मीडिया पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। 

डीसी को मेमोरेंडम देते समय संघ के महानगर संघचालक डा. सतीश शर्मा, सह कार्यवाह अश्विनी कुमार, सुशील सैनी, महेश गुप्ता, सुशील दत्ता, सुमेश लूथर, पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया, पूर्व विधायक केडी भंडारी, भाजपा प्रवक्ता मोहिंदर भगत समेत कई भाजपा नेता भी मौजूद रहे।


खुशखबरीः कल से पंजाब में खुलेंगे 5वीं से 12वीं तक के सभी स्कूल


 

चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने प्रदेश के सभी स्कूल खोलने के आदेश जारी कर दिए हैं। 7 जनवरी से स्कूल खुल जाएंगे और 5वीं से 12वीं तक के विद्यार्थी ही आएंगे। प्रदेश के शिक्षामंत्री विजयइंदर सिंगला ने प्रेस नोट जारी करके यह जानकारी दी। बता दें कि कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से सूबे में शैक्षिक संस्थान बंद हैं। हालांकि, बीच में स्कूल खोलने की पहल की गई थी, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते स्कूल खोले नहीं गए।

अब फिर से पहल करते हुए पंजाब सरकार स्कूल खोलने जा रही है। स्कूलों का समय सुबह 10 से दोपहर 3 तक रहेगा। शिक्षामंत्री के इस फैसले पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने भी अपनी सहमति जता दी है। लेकिन, उन्होंने कोरोना नियमों का पालन करने और एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं। सभी स्कूल प्रबंधकों को सेहत विभाग की तरफ से जारी की हिदायतों का सख़्ती से पालना करने के लिए कहा गया है।

जानकारी अनुसार कोरोना काल में बंद पड़े स्कूल अब पूरी तरह से खुलने जा रहे हैं। पंजाब शिक्षा मंत्री विजयइंद्र सिंगला ने ऐलान कर दिया है कि 7 जनवरी से पंजाब में सभी स्कूल खुलेगें। मंत्री के अनुसार, सरकारी, अर्ध सरकारी और निजी स्कूल  5वीं से लेकर 12वीं तक सभी स्कूल खुलेंगे और अब फिर से विद्यार्थी स्कूल जा सकेंगे।पंजाब सरकार ने यह ऐलान करते हुए कहा है कि अब पंजाब में फिर से सारे स्कूल खुलेंगें और करीब 10 महीने बाद फिर से विद्यार्थी स्कूल जाकर अपनी पढ़ाई जारी रख सकेंगें। पंजाब में सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक स्कूल खुलेंगे और स्कूल खुलने के बाद बच्चों को पूरी एहतियात बरतनी जरुरी होगी।
गौरतलब है कि कुछ महीने पहले ही पंजाब में 9वीं और 12वीं तक के विद्यार्थियों को स्कूल जाने की अनुमति दी गई थी, हालांकि स्कूल पूरी तरह से खुले नहीं थे। कुछ महीने पहले छोटी कक्षाओं के लिए स्कूलों को नहीं खोला गया था। बच्चे सिर्फ स्कूल मे जाकर काम ले सकते थे और सिर्फ 10वीं 12वीं के बच्चे ही स्कूल में आ सकते थे, वो भी बच्चों के परिवारों की सहमति से ही। अगर परिवार उन्हें भेजे तभी बच्चे स्कूल जा सकते थे. लेकिन पिछले साल कोरोना काल में बंद पड़े स्कूलों में अब फिर से रौनक लौट आएगी। 
 
स्कूल आना बच्चों की इच्छा पर निर्भर
शिक्षा मंत्री विजयइंद्र सिंगला ने कहा कि अगर बच्चे स्कूल आना चाहता है तो आ सकता है और अगर बच्चा स्कूल नहीं आना चाहता वो ना आए। इससे बच्चे की रिपोर्ट पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
 
स्कूलों को पूरी तरह किया जाएगा सैनिटाइज
मंत्री ने कहा कि स्कूल खुलने के बाद स्कूलों को पूरी तरह से सैनिटाइज किया जाएगा और बच्चों को स्कूल में मास्क पहन कर आना जरुरी होगा और बच्चों को सैनिटाइज बी इस्तेमाल करना जरुरी होगा.वहीं मंत्री ने कहा कि इम्तिहानों को देखते हुए ही स्कूलों को खोलने का फैसला लिया गया है।

बठिंडा -मास्टर हरपाल सिंह की आत्मिक शांति के लिए पाठ का भोग 10 जनवरी को

 


बठिंडा. नरवाणा रोड बठिंडा में रहने वाले मास्टर हरपाल सिंह का गत दिनों देहांत हो गया था। सामाजिक कार्यों में अग्रणी व धार्मिक प्रवृति को मास्टर हरपाल सिंह के देहांत पर कभी पूरा नहीं होने वाला नुकसान समाज को हुआ है। मास्टर हरपाल के पुत्र अमनदीप सिंह ने बताया कि उनके पाठ का भोग व अरदास 10 जनवरी रविवार को दोपहर 12 से एक बजे तक गुरुद्वारा सत्संग सभा रेलवे कालोनी ठंडी सड़क में रखा गया है। जिंदगी भर बच्चों को शिक्षित करने के साथ नैतिक शिक्षा व तंदरुस्तु का पाठ पठाने वाले मास्टर जी के सैकड़ों शागिर्द आज विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम कमा रहे हैं। सेवा से निवृत होने के बाद भी उनका बच्चों से खासा लगाव रहा व समय-समय पर विभिन्न खेल समागमों में हाजिर होकर अपनी जिंदगी के अनुभव व खेल के गुरों के बारे में लोगों को जागरुक करने का काम करते थे।


बठिंडा शहर की स्वच्छता के नाम पर लाखों की बर्बादी : पांच साल में शहर में तीसरी बार डस्टबिन लगाए जा रहे, करीब 55 लाख रुपए खर्च


 

बठिंडा. नगर निगम शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर पूरी तरह गंभीर है तथा स्वच्छता अभियान में तीन बार हैट्रिक कर पंजाब के अलावा देश में भी अहम स्थान हासिल कर चुका है। लोगों के सहयोग व सफाई कर्मियों के दम पर शहर को साफ सुथरा रख रहे नगर निगम के लिए यह बहुत खुशी की बात है, लेकिन दूसरी ही तरफ नगर निगम डस्टबिनों पर ही पैसा पानी की तरह बहा रहा है जिसका आंकलन इस बात से किया जा सकता है कि 2015-16 से लेकर अभी तक पांच साल में तीसरी बार करीब 15 से 20 लाख रुपए के लोहे के डस्टबिन शहर में विभिन्न जगहों पर लगाए जा रहे हैं ताकि शहर को कचरे से बचाया जा सके, लेकिन इस प्रक्रिया में डस्टबिन को रिपेयर करने की बजाए सीधे उखाड़ नए इंस्टाल किए जा रहे हैं जो रखरखाव के अभाव में बेवजह साल दो साल में ही टूट रहे हैं तथा जनता का कीमती पैसा डस्टबिनों पर ही बहता दिख रहा है। स्टील के करीब 25 लाख के डस्टबिन जहां थोड़े समय में ही चोरी हो गए, लेकिन निगम इसकी कोई एफआईआर नहीं करवा पाया। इसी तरह 2018 में इंस्टाल किए डस्टबिन फिर टूट गए जो अब नए लगवाने की पुन नौबत आ गई है। ऐसे में 50 लाख से अधिक रुपये डस्टबिनों पर ही खर्च हो गए हैं।

न डस्टबिन के रखराखव की कोई योजना, न चोरी होने से बचाने का उचित प्रबंध

रखरखाव के अभाव में पब्लिक संपत्ति की हो रही है बर्बादी
बठिंडा नगर निगम जितनी शिद्दत से शहर को साफ रखने का काम करता है, अगर उसका आधा भी शहर को साफ रखने में अहम रोल देते डस्टबिन के रखरखाव पर लगा दे तो शायद यह सालों ही खराब नहीं हों। लगातार कचरे से अटे रहने के अलावा इंस्टालेशन के बाद ना तो इनमें पुन कभी प्राइमर किया जाता है तथा ना ही इन्हें फिर रंग-रोगन किया जाता है। वहीं क्वालिटी को लेकर एफएंडसीसी के सदस्य ही सवाल उठा रहे हैं। पूर्व एफएंडसीसी मैंबर निर्मल संधू कहते हैं कि निगम का कीमती पैसा डस्टबिन पर बार-बार खर्च करना सही नहीं है। अगर शहर में अच्छी क्वालिटी के डस्टबिन लगाकर उनका सही रखरखाव किया जाए तो यह खराब ही नहीं हों।मोहाली की तर्ज पर पूर्व निगम कमिश्नर अनिल गर्ग ने स्टील के 150 से अधिक डस्टबिन लगवाए थे।

इस पर करीब निगम ने करीब 22 से 25 लाख रुपए खर्च किए थे, लेकिन धीरे-धीरे इनके टूटने के अलावा यह चोरी भी होते गए जिसमें जिम्मेदार निगम अधिकारियों द्वारा इनकी पैरवी के अभाव में पुलिस में भी कोई शिकायत नहीं दी गई। इसके बाद निगम ने शहर मंे 2018 में 200 से अधिक लोहे के डस्टबिन लगवाए, लेकिन उनके रखरखाव व रिपेयर के अभाव में वह भी कचरा-कचरा होने शुरू हो गए तथा हालत यह है कि निगम की यह संपत्ति आपको शहर के अलग-अलग कोनों में उखड़ी मिल जाएगी जिसे या तो तोड़ दिया गया या फिर आसपास के लोगों द्वारा रेगुलर सफाई नहीं होने से कचरा इकट्ठा होने के चलते उखाड़कर फेंक दिया गया, लेकिन जो सही हैं या हलके खराब हैं, उन्हें रिपेयर की जाए सीधे उखाड़कर नए लगाए जा रहे हैं। अब तीसरी बार करीब 120 से 150 लोहे के डस्टबिन पर 10 से 15 लाख रुपये खर्च कर रहे हैं।

हमारी बात अनसुनी की
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दूसरी बार जब डस्टबिन लगाए जाने थे तो बतौर एफएंडसीसी मैंने व सीनियर डिप्टी मेयर तरसेम गोयल ने मीटिंग में कहा था कि डस्टबिन अच्छी क्वालिटी का लगाना चाहिए, लेकिन हमारी बात अनसुनी कर दी गई। बार-बार पैसा लगाने की बजाए अच्छी क्वालिटी के डस्टबिन लगें।
गुरिंदरपाल कौर मांगट, पूर्व डिप्टी मेयर, नगर निगम, बठिंडा

 

स्वच्छ सर्वेक्षण के तहत लगाए थे डस्टबिन

नगर निगम की ओर से स्वच्छ सर्वेक्षण-2018 के तहत शहर में सार्वजनिक स्थानों पर जनवरी 2018 में 237 लगाए गए थे। ताकि इसके प्रतियोगिता में अंक हासिल किए जा सकें। आखिर निगम को इसका लाभ भी मिला। प्रतियोगिता में इसके अच्छे अंक मिले और बठिंडा को राज्य में प्रथम स्थान हासिल हुआ। इन डस्टबिनों पर करीब 24 लाख रुपये खर्च हुए थे। लेकिन सर्वेक्षण संपन्न होने के बाद निगम ने इनके रखरखाव एवं सफाई के प्रति कोई ध्यान नहीं दिया। लोगों ने भी इनका सदुपयोग नहीं किया। आखिरकार यह डस्टबिन कबाड़ में तब्दील होने लगे। धीरे-धीरे कूडे के डंप ही बन गए। कई पूरे के पूरे डस्टबिन चोरों ने चोरी कर लिए। जबकि बड़ी गिनती में डस्टबिनों के अंदर से प्लास्टिक के डिब्बे (डस्टबिन) चोरी कर लिए गए। पहले जब यह डस्टबिन तोड़े या चोरी हुए थे तो नगर निगम की ओर से तुरंत पुलिस के पास शिकायतें भी दर्ज कराई गईं, लेकिन उसके बाद शिकायतें दी जानी भी बंद हो गई।

सफाई को भी नहीं रखे 27 कर्मचारी

बीती 12 मार्च को हुई नगर निगम के जनरल हाउस की बैठक में इन डस्टबिनों की सफाई के लिए 25 कर्मचारी रखने का प्रस्ताव भी रखा गया था। लेकिन कर्मचारी रखने से पहले बैठक में इसकी गिनती की पड़ताल करने के लिए सब कमेटी के गठन की घोषणा कर दी गई। सब कमेटी ने पड़ताल तो क्या करनी थी, अभी तक एक बैठक भी नहीं की। सफाई कर्मी रखना तो दूर की बात रही। स्थिति यह है कि सफाई के अभाव में यह डस्टबिन बदबू का जरिया बन हुए हैं। जिनकी अब स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 की प्रतियोगिता के लिए मरम्मत की तैयारियां की जा रही हैं।

इलेट्रो होम्योपेथी के जनक काउंट सीजर मैटी: इस डॉक्टर के पास होती थी इतनी भीड़ कि सेना संभालती थी मोर्चा



-11 जनवरी इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा के जनक डॉक्टर काउंट सीजर मैटी के 212 वें जनमदिवस पर विशेष* 

आज से 160 साल पहले इटली के डॉक्टर ने पौधों से ऐसी दवाइयां तैयार करने की पद्धति प्रचलित की जो दुनियाभर में इलेट्रो होम्योपेथी नाम से मशहूर हो गई। यह अपने वजूद के किए लड़ रही है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी फाउंडेशन के पंजाब प्रमुख डॉक्टर हरविंदर सिंह,  कहते हैं कि 11 जनवरी को केंद्र सरकार ने इस बाबत दिल्ली में मीटिंग बुलाई है, जिस पर देश भर में काम कर रहे तक़रीबन पांच लाख ईएच डॉक्टर्स में उम्मीद की किरण जगी है।  इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को एलोपैथी, आयुर्वेद, होमियोपैथी, यूनानी के बाद पांचवीं पद्धति के रूप में  मान्यता देने बाबत दिल्ली में ज्वाइंट बॉडी इलेक्ट्रो होम्योपैथी प्रपोजलिस्ट कमेटी ऑफ़ इंडिया के साथ  मीटिंग पर सब की नज़रे हैं। 

चंडीगढ़. दुनियाभर में अल्टरनेटिव मेडिसिन सिस्टम की मांग बढ़ रही है। जानकर आश्चर्य होगा कि आज से 160 साल पहले इटली के डॉक्टर ने पौधों से ऐसी दवाइयां तैयार करने की पद्धति प्रचलित की जो इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा के नाम से दुनियाभर में मशहूर हो गई और आज भी कई देशों में लोगों के लिए वरदान बनी हुई है। चिकित्सा जगत में पांचवीं पद्धति आज अपने वजूद के किए लड़ रही है। 

 11 जनवरी को केंद्र सरकार ने इस बाबत दिल्ली में मीटिंग बुलाई है, जिस पर देश भर में काम कर रहे तकरीबन पांच लाख ईएच डॉक्टर्स में उम्मीद की किरण जगी है। ज्वाइंट बॉडी इलेक्ट्रो होम्योपैथी प्रपोजलिस्ट कमेटी ऑफ़ इंडिया के वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर दिनेश चंद्र श्रीवास्तव कहते है की भारत सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय स्वास्थ्य और अनुसंधान विभाग के सचिव डीआर मीणा की ओर से इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को एलोपैथी, आयुर्वेद, होमियोपैथी, यूनानी के बाद पांचवीं पद्धति के रूप में  मान्यता देने बाबत दिल्ली में ज्वाइंट बॉडी इलेक्ट्रो होम्योपैथी प्रपोजलिस्ट कमेटी ऑफ़ इंडिया के साथ  मीटिंग बुलाई गई है। ज्वाइंट बॉडी ईएच के संयोजक डॉक्टर के.डी तिवारी को लेटर भी जारी किया गया है

शिक्षा पर सरकार कर रही करोड़ों का खर्च पर एक साल के बाद भी मेरिटोरियस स्कूलों में कोचिंग की इंस्टीट्यूशंस को नहीं दी फीस, बच्चों की पढ़ाई पर पड़ने लगा असर

 


कोचिंग का निर्धारित अवधि में बिल भी जमा करवाने के बावजूद शिक्षा विभाग में कोई सुनवाई नहीं

चंडीगढ़ /बठिंडा.  पंजाब सरकार एक तरफ शिक्षा पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा कर रही है वही स्कूलों को अपग्रेडशन करने व इमारतों की मियार में सुधार के लिए भारी भरकम फंड खर्च करने का दावा किया जा रहा है। वही छात्रों को बेहतर साइंस एजुकेशन देने के लिए शुरू किए विभिन्न प्रोजेक्टों पर फंड देने में आनाकानी की जा रही है। इस नीति से राज्य में बेहतर इंजीनियर, डाक्टर व साइटिस्ट बनाने के लिए बेहतर कोचिंग व शिक्षा देने की योजना पर विराम लगने का अंदेशा बन रहा है।

 पंजाब प्रदेश के मेरिटोरियस स्कूल के बच्चों को कांपीटेटिव एग्जाम की तैयारी करवाने वाले इंस्टीट्यूशंस को एक साल बाद भी अदायगी नहीं हुई है। एक मेरिटोरियस स्कूल के बच्चों को पढ़ाने की एवज में 10 से 15 लाख रुपए तिमाही फीस के अलावा टेंडर राशि की सिक्योरिटी की एवज में भी 10 लाख रुपए की रकम की अदायगी अटक गई है। लगभग 25 लाख रुपए की अदायगी करवाने के लिए इंस्टीट्यूशंस वेंडर चंडीगढ़ मुख्यालय में 1 साल से चक्कर लगाकर 20 से 25 हजार रुपए खर्च चुके हैं लेकिन इन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा। टेंडर के नियमानुसार कोचिंग का निर्धारित अवधि में बिल भी जमा करवाया, इसके बावजूद शिक्षा विभाग में कोई सुनवाई नहीं हो रही। वहीं दो साल की टेंडरिंग में कोरोना काल का अवरोध लगने की वजह से अगले सेशन के लिए रिलेक्सेशन का भी असमंजस बना हुआ है।

हर इंस्टीट्यूट की कोचिंग फीस व सिक्योरिटी का 25 लाख रुपया विभाग के पास अटका

शिक्षा विभाग की ओर से सोसायटी के अधीन प्रदेश के 10 मेरिटोरियस स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों काे मेडिकल व इंजीनियरिंग एंट्रेस एग्जाम की तैयारी करवाई जा रही है। प्रदेश में विभिन्न प्राइवेट इंस्टीट्यूट को टेंडर के जरिए मेरिटोरियस स्कूलों में कांपीटेटिव एग्जाम की कोचिंग का जिम्मा सौंपा गया। टेंडर की शर्त के मुताबिक 2019-20 2020-21 के लिए संबंधित इंस्टीट्यूट वेंडर को कोचिंग का काम अलॉट हुआ। मार्च में सेशन मुकम्मल होने तक प्राइवेट इंस्टीट्यूट की ओर से कोचिंग दी गई जबकि 22 मार्च 2020 में लॉकडाउन लगने से काम रुका, तब तक सिलेबस कवर कर लिया गया था। इंस्टीट्यूशंस की ओर से हर तिमाही पर अपने बिल संबंधित स्कूल प्रिंसिपल के रेफरेंस से भिजवाए गए, लेकिन दो तिमाही की लाखों रुपए की रकम इंस्टीट्यूट को अदा नहीं हुई। इंस्टीट्यूशंस की ओर से शिक्षा विभाग के खिलाफ खुलकर बोलने पर किरकिरी से बचने को हाल ही में सितंबर से दिसंबर 2020 तक की रकम रिलीज की और उसमें भी 10 से 20 प्रतिशत की कटौती की गई है जबकि जनवरी से मार्च तक की तीन महीने की रकम जारी ही नहीं की।

संचालकों का दूसरे साल के टेंडर के रेगुलर रहने का असमंजस
इंस्टीट्यूट की ओर से 2019-20 सेशन में 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों को कोचिंग दी जबकि इनका कांट्रेक्ट अगले सेशन 2020-21 के लिए इन्हें अलॉट हुआ था। नियमानुसार दो साल कोचिंग दी जानी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से अभी तक मेरिटोरियस स्कूल नहीं खुले और यह सेशन कोचिंग दिए बिना ही निकल गया। इससे इंस्टीट्यूट वेंडर असमंजस में हैं कि उन्हें टेंडर के नियमानुसार दो साल की अलॉटमेंट में कोरोना काल में 1 साल नुकसान का हर्जाना की एवज में अगले सेशन 2021-22 की कोचिंग का जिम्मा मिलेगा अथवा नहीं। उनके अनुसार प्रोजेक्ट डायरेक्टर और डीजीएसई से कई बार व्यक्तिगत तौर पर मिलकर संपर्क किया, लेकिन कोई भी अधिकारी उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे।

इस मामले में राज्य के वित्त मंंत्री मनप्रीत सिंह बादल का कहना है कि मामला उनके ध्यान में नहीं था। इस बाबत विभाग से बात की जाएगी। सरकार के पास फंड की कोई कमी नहीं है। एजुकेशन पर सरकार पूरा ध्यान लगा रही है व जरूरत अनुसार फंड उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। वित्त विभाग की तरफ से फंड को लेकर किसी तरह की दिक्कत नहीं है। वह इस मामले का जल्द हल निकालेंगे। 

 

Tuesday, January 5, 2021

Bathinda / पतंग लूटते हाईवोल्टज तार की चपेट में आया बच्चा झुलसा



बठिडा: मंगलवार शाम पतंग लूटते समय सात साल का बच्चा बिजली की हाईवोल्टज तारों की चपेट में आने से बुरी तरह से झुलस गया। बच्चे के दोनों पैर व हाथ पूरी तरह से झुलसने के कारण स्वजन उसे सिविल अस्पताल से निजी अस्पताल में ले गए। बच्चे की पहचान अंशु कुमार पुत्र अनिल कुमार निवासी किला रोड के तौर पर हुई।


बताया जा रहा है कि अंशु कुमार लोहे की पाईप लेकर पतंग लूट रहा था। पतंग किला रोड पर स्थित हाईवोल्टेज तारों में अटक गई, जिसे वह लोहे की पाईप से उतारने की कोशिश करने लगा। इसी दौरानव करंट का झटका लगा और वह नीचे गिर गया। लोगों ने उसे तुरंत सिविल अस्पताल पहुंचाया। डाक्टरों के मुताबिक बच्चे के दोनों पैर व हाथ पूरी तरह झुलस चुके हैं, जिसके चलते स्वजन उसे निजी अस्पताल ले गए। वहां उसका इलाज चल रहा है। 

दो सड़क हादसों में तीन लोग जख्मी

शहर में विभिन्न हादसों के दौरान जख्मी हुए तीन लोगों को सहारा जनसेवा को सदस्यों ने अस्पताल पहुंचाया। झील नंबर तीन के पास एक मोटरसाइकिल सवार कार से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। सूचना मिलने पर सहारा की लाइफ सेविग टीम के सदस्य मनी कर्ण मौके पर पहुंचे और जख्मी हुए बाइक सवार गांव भोखड़ा के सुखपाल सिंह को अस्पताल पहुंचाया। इसके अलावा बठिडा-मानसा रोड पर स्थित ओवरब्रिज के पास एक मोटरसाइकिल सवार महिला से टकरा गया, जिस कारण दोनों जख्मी हो गए। सहारा टीम के मनी कर्ण व हरबंस सिंह ने मोटरसाइकिल सवार अमरपुरा बस्ती के नसीब चंद व यशोदा रानी पत्नी प्रकाश सिंह को अस्पताल पहुंचाया।

डा. नीलम ग्रेवाल ने संभाला गुरुकाशी यूनिवर्सिटी के उपकुलपति का पदभार

 


तलवंडी साबो: डा. नीलम ग्रेवाल ने गुरुकाशी यूनिवर्सिटी (जीकेयू) में उपकुलपति के तौर पर पदभार संभाल लिया है।डा. ग्रेवाल पंजाब पब्लिक सर्विस कमिशन की पूर्व मेंबर हैं। उन्होंने कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना में बतौर डीन भी काम किया है। खेतीबाड़ी और प्रबंधकीय क्षेत्र में 40 साल से अधिक का तजुर्बा रखने वालीं डा. ग्रेवाल के दिशा-निर्देश में भारत सरकार के कई प्रोजेक्टों को लीड किया गया है। खेतीबाड़ी में महिलाओं के योगदान के अलावा 70 खोज पत्र और आठ किताबें भी लिख चुकी हैं। इस मौके पर चेयरमैन गुरलाभ सिंह सिद्धू ने कहा कि डा. ग्रेवाल के आने से गुरुकाशी यूनिवर्सिटी विद्या के क्षेत्र में नए प्रतिमान स्थापित करेगी। यहां एमडी सुखराज सिंह सिद्धू, डा. हरजिदर सिंह रोज, डा. पुशपिदर सिंह और समूह कालेजों के डीन विशेष तौर पर हाजिर हुए। उन्होंने कहा कि डा. ग्रेवाल के पदभार संभालने से विवि का विकास होगा।

सरहदी इलाके फाजिल्का में बड़ी कार्रवाई:पाकिस्तान से साढ़े 46 किलो हेरेाइन मंगवाकर आगे सप्लाई की, 28 लाख की ड्रगमनी के साथ स्टेट ऑपरेशनल सेल ने दो को धरा



फाजिल्का। पंजाब के सरहदी इलाके फाजिल्का में मंगलवार देर शाम पुलिस ने नशा तस्करी से जुड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस कार्रवाई में स्टेट ऑपरेशन सेल ने दो लोगों को गिरफ्तार करने के साथ ही 28 लाख की ड्रगमनी भी बरामद की है। पता चला है कि बीते दिनों पाकिस्तान से आई साढ़े 46 किलो हेरोइन को अमृतसर के तस्करों तक पहुंचाने के बदले इन्हें 28 लाख मिले थे। आरोपियों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करके आगे की जांच का क्रम फिलहाल जारी है।


मुख्य आरोपी की पहचान जिले के गांव मुहार खीवा मनसा के संदीप सिंह के रूप में हुई है। उसके साथ ढाब खुशाल जोईयां का कृपाल सिंह नामक एक व्यक्ति और मिला हुआ था, जिसे धर लिया गया। इस बारे में AIG अजय मलूजा ने बताया कि 2013 में फिरोजपुर में CIA की तरफ से कृपाल सिंह को 8 किलो हेरोइन के साथ पकड़ा गया था। उस मामले में 15 साल की सजा भी हुई थी और इन दिनों आरोपी पैरोल पर आया हुआ है।


पूछताछ में खुलासा हुआ कि संदीप सिंह के खेत सीमा के करीब स्थित हैं। इसी बात का फायदा उठाकर वह 3 साथियों के साथ मिलकर तस्करी के धंधे से जुड़ा था। ये लोग रात के समय तस्करी की वारदातों को अंजाम देते थे। आधी रात में बार्डर के समीप जाकर पाकिस्तान से आई हेरोइन की खेप लाते थे और इस बार इन चार लोगों ने मिलकर पाकिस्तान से साढे 46 किलो हेरोइन मंगवाई थी।


संदीप सिंह ने पूछताछ के दौरान बताया कि अमृतसर साइड से कुछ बड़े तस्कर आते थे। उनके साथ गुरचरण सिंह उर्फ चन्ना व सुरजीत सिंह उर्फ लभ्भू सिंह, दो अन्य व्यक्ति भी शामिल हैं, जो आगे अमृतसर के तस्करों के संपंर्क में रहते थे। उन्हें आगे सप्लाई करते थे और सुरजीत सिंह उर्फ लभ्भू फोन पर सारी बातचीत कर दिशा-निर्देश देता था कि कौन सा तस्कर इस समय कहां आएगा।


10 दिन के दौरान यह चौथी राष्ट्रविरोधी घटना

बता दें कि कोहरे के सीजन के दौरान फाजिल्का जिले से संबंधित पिछले 10 दिन के दौरान यह चौथी राष्ट्रविरोधी घटना है। इससे पूर्व फाजिल्का सैक्टर के गांव पक्का चिश्ती में पाकिस्तान की ओर से रात के समय घुसपैठ की कोशिश की गई जबकि रविवार की रात को जलालाबाद सेक्टर में BSF ने एक पाक घुसपैठिए को गिरफ्तार किया है। इससे पहले CIA स्टाफ ने गांव संतोख सिंह वाला में दो सगे भाइयों में से एक को काबू किया था, जबकि दूसरा फरार हो गया था। पकड़े गए व्यक्ति की निशानदेही पर पुलिस ने चार किलो हेरोइन, एक पिस्टल व कुछ कारतूस बरामद किए थे।

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