Punjab Ka Sach Newsporten/ NewsPaper

Monday, June 21, 2010

बरसाती पानी की निकासी योजना पर भ्रष्टाचार का साया

-पहले भी पक्का करने की बन चुकी योजना
-लाखों का हुआ था मामले में घपला
बठिंडा। जून-जुलाई में संभावित मानसून के चलते जिला प्रशासन बरसाती पानी से निपटने के लिए बैठकों का सिलसिला शुरूञ् कर रहा है। दूसरी तरफ जमीनी स्तर पर बरसाती पानी की निकासी को लेकर नगर निगम, कौंसिले व नगर पंचायते चुप्पी साधकर बैठे हैं। यही नहीं सरकार की तरफ से करोड़ों रुपया नहरों, रजवाहों व सीवरेज सफाई के लिए जारी किया जाता है लेकिन इस फंड का समुचित इस्तेमाल नहीं होने से बरसातों में लोगों के लिए आफत बनी रहती है। प्रशासन की लापरवाही का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जिले की सरहिंद कनाल की खस्ता हालत को सुधारने के लिए डेढ़ दशक से कोई काम नहीं किया जा सका है। इसके लिए करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने वाले नहरी विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते इसकी सफलता पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। इससे पहले कैञ्प्टन सरकार के कार्यकाल में नहरों की दशा सुधारने के लिए 60 करोड़ रुपये का बजट पारित किया गया था। इसमें जिले में 25 करोड़ रुपये खर्च कर नहरों को पक्का करने और खस्ता हालत को सुधारने की योजना भी शुरू कर दी गई, लेकिन बरसात में विभिन्न स्थानों में नहरों के साथ पक्के किए रजबाहों के टूटने के सिलसिले ने उक्त योजना में व्याप्त खामियों को उजागर करके रख दिया। मामले की जांच भी की गई लेकिन राजनीतिक प्रभाव में दबा दिया गया। इसमें जिले भर में छह नहरी विभाग के अधिकारियों पर गाज गिरी और उनका तबादला कर इतिश्री कर दिया गया। गौरतलब है कि जिले की सरहिंद नहर को पक्का करने और इसकी सफाई कर पानी के बहाव को तेज करने की योजना पिछले डेढ़ दशक से कागजों में सिमटी पड़ी है। कागजों में तो हर साल पक्का करने के साथ उनकी सफाई करवाई जाती है। इसमें लाखों रुपया खर्च भी दिखा दिया जाता है लेकिन जमीनी स्तर पर ठेकेदार और विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से कोई भी काम नहीं हो पाता। विभाग नहरों के आसपास बनने वाली दीवार को पांच ड्डुञ्ट तक बनाता है। इसमें नियमानुसार टूटे हिस्से की बरसात से पहले मरम्मत करवाई जाती है। लेकिन बठिंडा सरहिंद नहर में ही पिछले 15 साल से टूटी दीवारों को पूर्व की तरह छोड़ दिया गया है। दरार पडऩे की स्थिति में स्थानीय लोग ही इसमें मिट्टी डालने का काम करते हैं। इसी तरह की स्थिति नगर निगम व कौंसिल क्षेत्रों की है जहां अभी तक सीवरेज सफाई का काम शुरू नहीं किया जा सका है। महानगर में बिना बरसात के ही कई क्षेत्रों में सीवरेज का गंदा पानी सड़कों में इकट्ठा होकर लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता है। इसमें प्रताप नगर मुチय सड़क, अमरपुरा बस्ती, लाल सिंह बस्ती, संगुआना बस्ती, सिरकी बाजार, माल रोड़ का मध्य हिस्सा, हाजीरत्न चौक, पावर हाऊस रोड, गुरु नानकपुरा क्षेत्र ऐसे हैं जहां बरसात के दौरान चार से पांच फुट तक पानी भर जाता है। नगर निगम कमिश्नर रवि भगत का कहना है कि नगर निगम क्षेत्र में सीवरेज सफाई का काम शुरूञ् करने की हिदायते जारी कर दी गई है, इसमें बरसात शुरू होने से पहले काम पूरा कर लिया जाएगा। जिलाधीश गुरकिरत कृपाल सिंह ने बताया कि बठिंडा शहर को बरसातों व बाढ़ से बचाने के लिए 12 सेंटरों में बांटा गया है जिसके तहत प्रत्येक क्षेत्र का इंचार्ज एक सेंटर अफसर लगाया गया है ताकि सेंटरों में आने वाली समस्याओं का पहले से ही प्रबंध किया जा सके। संबंधित क्षेत्र में संबंधित सेंटर अफसर व ड्यूटी अधिकारी से संपर्कञ् करके उन्हें क्षेत्र से संबंधित समस्याओं बारे अवगत करवाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि नहरी विभाग के अधिकारियों को टूटी नहरों की मरम्मत करने के साथ संवेदनशील क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए पुख्ता प्रबंध पहले से करने की हिदायतें जारी की गई है।

विशाल रक्तदान शिविर...आंकड़ों की दौड़

"आप रक्तदान न करें, तो बेहतर होगा" एक चौबी पच्चीस साल का युवक एक दम्पति को निवेदन कर रहा था, जिसके चेहरे पर चिंता स्पष्ट नजर आ रही थी, क्योंकि वो जिस रक्तदाता के साथ आया था, वो एक कुर्सी पर बैठा निरंतर उल्टियाँ कर रहा था, जिसको बार बार एक व्यक्ति जमीन पर लेट के लिए निवेदन कर रहा था। युवक की बात सुनते ही महिला के साथ आया उसका पति छपाक से बोला, यह तो बड़े उत्साह के साथ खून दान करने के लिए आई है। महिला के चेहरे पर उत्साह देखने लायक था, उस उत्साह को बरकरार रखने के लिए मैंने तुरंत कहा, अगर आप निश्चय कर घर से निकले हो तो रक्तदान जरूर करो, लेकिन यहाँ का कु-प्रबंधन देखने के बाद मैं आप से एक बात कहना चाहता हूँ, अगर पहली बार रक्तदान करने पहुंचे हैं तो कृप्या रक्तदान की पूरी प्रक्रिया समझकर ही खूनदान के लिए बाजू आगे बढ़ाना, वरना किसी छोटे कैंप से शुरूआत करें। वो रजिस्ट्रेशन फॉर्म के बारे में पूछते हुए आगे निकल गए, लेकिन मेरे कानों में अभी भी एक आवाज निरंतर घुस रही थी, वो आवाज थी एक सरदार जी की, जो निरंतर उल्टी कर रहे व्यक्ति को लेट के लिए निवेदन किए जा रहा था, लेकिन कुर्सी पर बैठा आदमी आर्मी पर्सन था, वो अपनी जिद्द से पिछे हटने को तैयार नहीं था। यह दृश्य पटियाला के माल रोड स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी के भीतर आयोजित पंजाब युवक चेतना मंच के विशाल रक्तदान शिविर का था। इस विशाल रक्तदान शिविर में जाने का मौका बठिंडा की एक प्रसिद्ध रक्तदानी संस्था के कारण नसीब हुआ, लेकिन विशाल रक्तदान शिविर के कु-प्रबंधन को देखने के बाद, मेरी आँखों के सामने उन अभिभावकों की छवि उभरकर आ गई, जो अंकों की दौड़ में बच्चों को लगाकर उनको मानसिक तौर से बीमार कर देते हैं, और उनको पढ़ाई बोझ सी लगने लगती है। इस शिविर में अंकों की नहीं, शायद आंकड़ों की दौड़ थी, दौड़ कोई भी हो, दौड़ तो आखिर दौड़ है। दौड़ में आँख लक्ष्य पर होती है, शरीर के कष्ट को रौंद दिया जाता है जीत के जश्न तले। इस शिविर में रक्तदाताओं के लिए उचित प्रबंध नहीं था, शिविर को जल्द खत्म करने के चक्कर में रक्तदातों को पूरी प्रक्रिया से वंचित रखा जा रहा था, जिसका नतीजा वहाँ उल्टियाँ कर रहे रक्तदाताओं की स्थिति देखकर लगाया जा सकता था। बाहरी गर्मी को देखते हुए भले ही रक्तदान शिविर का आयोजन एसी हाल में किया गया था, जो देखने में किसी सिनेमा हाल जैसा ही था, पुराने समय में जो स्थिति टिकट खुलते वक्त बाहर देखने को नसीब होती थी, कल वो मुझे इस एसी हाल के भीतर रिफ्रेशमेंट वितरण के मौके देखने को मिली, रक्तदाता रिफ्रेशमेंट के लिए एक दूसरे को धक्के मार रहे थे, यह विशाल शिविर के कु-प्रबंधन का एक हिस्सा था। विशाल शिविरों का आयोजन रक्तदान लहर को आगे बढ़ाने के मकसद से किया जाता है, लेकिन कल वाला रक्तदान शिविर तो रक्तदान की लहर को झट्का देने वाला ज्यादा लग रहा था, एक सौ फीसदी विकलांग रक्तदाता वहाँ की स्थिति देखकर रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने के बाद जमा करवाने का हौसला नहीं कर सका, जो इससे पहले दर्जनों बार खूनदान कर चुका है। ऐसे विशाल शिविर रक्तदान की लहर को प्रोत्साहन देने की बजाय ठेस पहुंचाते हैं। छोटा परिवार सुखी परिवार की तर्ज पर चलते हुए ऐसे विशाल शिविरों से तो बेहतर है कि छोटे शिविर लगाओ, ताकि रक्तदान की लहर को कभी वैसाखियों के सहारे न चलना पड़े, जो आज अपने कदमों पर निरंतर दौड़ लगा रही है। चलते चलते एक और बात जो रक्तदाताओं के लिए अहम है, "रक्तदान शिविरों में रक्तदान करने वाले व्यक्तियों को रक्तदान करने की पूरी प्रक्रिया से अवगत होना चाहिए, ताकि उक्त विशाल शिविर में हुई अस्त व्यस्तता से बचा जा सके।"

कुलवंत हैप्पी- 76967-13601

Saturday, June 19, 2010

राहुल गांधी का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया

मनीष कार्की
बठिंडा : जिला कांग्रेस कमेटी बठिंडा शहरी की ओर युवा नेता राहुल गांधी जी का 40 वां जन्म दिवस बडी धूमधाम केसाथ मनाया गया। उनकी लंबी आयु की कामना के लिए गुरूद्वारा साहिब किला मुबारक में सभी कांग्रेसी वर्करों द्वारा अरदास की गई। इस मौके पर जिला शहरी प्रधान अशोक कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि राहुल गांधी भारत के आने वाला भविष्य हैं। देश के करोड़ों लोगों को राहुल गांधी से बड़ी आशा है कि वह भारत के लोगों की इससे भी ज्यादा प्रधान मंत्री के रूप में सेवा करें। इसके उपरान्त नंद लाल सिंगला, अवतार निटू, प्रीत मोहन एवं प्रेस सचिव रतन राही ने कहा कि राहुल गांधी ने थोड़े ही समय में कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने के लिए बहुत से कार्य किये है जो बाके में ही काफी सराहनीय योग है। उन्होंने कहा कि उन्होंने  बहुत थोड़े समय में पार्टी की छवी को गरीब लोगों एवं जनता में उभारने के लिए गरीब के साथ मिलकर उनकी दुख दर्दों को भी बांटा है। इन्हीं कारणों से  राहुल गांधी जी को गरीब लोग ही नहीं बल्कि सभी लोग काफी पसंद करते है। उन्होंने कहा कि उनकी लोगों के प्रति इस लोक भावना के चलते पार्टी को और मजबूती मिलने में काफी सहयोग मिला है। इसके बाद कांग्रेस पार्टी के जुगराज सिंह, दुल्ली चंद कलानियां, डा. मुकेश, जगदीश मित्तल, रजिन्द्र गोल्ड़ी , गुरमीत सिंह, जसवंत गोल्ड़ी, भुपिन्द्र सिंह शर्मा, चरणजीत सिंह, गोरा नगा वाला, बलविन्द्र सिंह, भगवान दास भारती , बलवीर सिंह, मनजीत कौर, रजिन्द्र गोल्डी आदि ने भी आये हुए लोगों को धन्यवाद किया। 

कनाडेनियन यूनिवर्सिटी से मालवा कालेज ने मिलाया हाथ 
बठिंडा। मालवा कालेज बठिंडा ने सफलता की ओर एक और कदम बढ़ाते हुए यूनिवर्सिटी कनाडा वैस्ट के साथ हाथ मिलाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी दस्तक दी हैं। कालेज व यूनिवर्सिटी  के बीच हुए समझौते के बाद मालवा कालेज से बीए, बीकॉम, बीबीए और बीसीए की डिग्री प्राप्त छात्र, जो एमबीए में दाखिला लेगें उनको उक्त यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त डिग्री मिलेगी। इस मौके पर दिवाकर गांधी डायरेक्टर साऊथ एशियन एंड मिडल ईस्त आँफ कनाडा यूनिवर्सिटी वेस्ट ने सयुक्त शिक्षा प्रोग्राम के तहत एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।  मालवा कालेज प्रबंधनञ् कमेटी ने कहा कि  उक्तञ् यूनिवर्सिटी  जिसके वैनकु वर, विक्टोरिया, वेस्ट कंलोबिया में कैंपस हैं, ने कालेज में पढाए जा रहे एमबीए पहला पाठ्यक्रम को स्वीकृति दे दी हैं। श्री गांधी ने बताया कि कालेज से बीकॉम व बीबीए किए छात्र दो साल की एमबीए फास्ट ट्रक के तहत एक साल में पूरी कर सकते हैं। डा.पी सुब्रामनियम प्रिंसिपल मालवा कालेज ने बताया कि यूनीवर्सिटी के मैंबर ग्लोब एजूकेशन कल्सटंट साल में मालवा कालेज में दो सेमिनार का आयोजन किया जायेगा, जिसके तहत छात्राओं को बैंकलोन,वीजा जैसी सुविधायें कालेज की तरफ से निशुल्क दी जायेगी। 

मोटरसाईकिल व मोबाईल फोन चोरी, केस दायर

बठिंडा। वाहन चोर गिरोह ने अपना कहर बपरते हुए विगत दिवस की रात को स्थानीय माल रोड़ से हाजरों रुपये की कीमत वाला मोटरसाईकिल चोरी कर लिया हैं। पुलिस ने शिकायतकर्ता के बयान के आधार पर अज्ञात व्यक्ति पर आईपीसी की धारा 379 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी हैं। कोतवाली पुलिस को दी शिकायत में रोशन लाल पुत्र सुंदर लाल वासी कपूर का अहाता ने बताया कि गत दिवस की रात को वह किसी कार्य के लिए स्थानीय माल रोड़ पर गया था। इस दौरान उसने अपना मोटरसाईकिल नंबर पीबी 03-3987 माल रोड़ पर पार्क कर दिया। जिसे कोई अज्ञात व्यक्ति चोरी कर फरार हो गया। मोटरसाईकिल की कुल कीमत तीस हजार के करीब हैं। वहीं नहियांवाला पुलिस के पास दर्ज करवाई शिकायत में सुरिंद्र सिंह पुत्र कर्म सिंह वासी महिमा सरजा ने बताया कि विगत दिवस की रात को आरोपी रविंद्र सिंह पुत्र सुखमंदर सिंह, जगतार सिंह पुत्र जरनैल सिंह वासी महिमा सरजा ने उसके घर में दाखिल होकर घर में पड़े एक मोबाईल फोन चोरी कर लिया। जिसकी कुल कीमत पांच हजार रुपये हैं। पुलिस ने दोनों व्यक्तियों पर मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी हैं। 

बस स्टेंड के साथ बने होटल, रेस्ट्रोरेंट बने देह व्यापार के अड्डे

राकेश राही/संजय शर्मा
बठिंडा। बस स्टेंड के नजदीक बने रेस्टोरेंट व होटल इन दिनों युवाओं के लिए आशकी के सेंटर बन चुके हैं। हालत यह है कि इनमें एक होटल तो देह व्यापार का अड्डा बना हुआ है जहां दूर दराज से लड़कियों को बुलाकर इस गौरख धंधे में धकेला जाता है। इसमें होटल मालिकों के साथ काला धंधा करने वाले लोग जमकर चांदी कूट रहे हैं। पंजाब का सच अखबार की तरफ से एकत्रित की गई जानकारी में खुलासा हुआ कि इन स्थानों में ग्रामीण क्षेत्रों से पढ़ने के लिए आने वाले लड़के लड़कियों की सर्वाधिक तदाद होती है जो किसी संस्थान में पढ़ने की बजाय कई घंटे इन सेफ स्थानों में बैठे रहते हैं। इसमें एक नियत समय तक बैठने के साथ कमरा बुक करवाने की एवज में मोटी राशि वसूल की जाती है। जानकार खुलासा करते हैं कि इस तरह के धंधे की जानकारी पुलिस के पास होती है लेकिन होटल प्रबंधकों की तरफ से एक मुश्त राशि का भुगतान करने के कारण इनके खिलाफ किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती है। जिला प्रशासन के दफ्तरों वाले मिनी सचिवालय के सामने बने इन रेस्टोरेंटों में आम लोगों की बजाय लड़के व लड़कियों की सर्वाधिक तदाद सुबह नौ से सांय चार बजे तक सामान्य तौर पर देखने को मिल जाती है। उक्त जोड़ों के लिए विशेष तौर पर कमरे बने होने के साथ उनके ठहरने के लिए कमरों तक की व्यवस्था की गई है। इसमें बठिंडा जिले के इलावा मलोट, पटियाला, चंडीगढ़ जैसे शहरों से भी मांग पर लड़कियां पहुंचती है जो एक मुस्त राशि हासिल कर इन होटलों में रात को ठहरती है। सामान्य तौर पर बडे़ होटलों में बिना परिचयपत्र व दाखिला रजिस्टर के ठहरने की मनाही रहती है लेकिन इन होटलों के लिए प्रशासन की तरफ से पारित किसी भी नियम की जरूरत नहीं पड़ती है। प्रशासन ने असामाजिक तत्वों पर लगाम कसने के साथ किसी तरह की आतंकी घटना को रोकने के लिए विभिन्न होटलों में ठहरने वाले लोगों का नाम, पता व पूरा विवरण रजिस्टर में लिखने के साथ उनके पहचान पत्र की फोटो कापी रखने का आदेश जारी कर रखा है। लेकिन उक्त होटल व रजिस्ट्रोरेंट संचालक इन तमाम नियमों को ताक पर रखकर लोगों को ठहरने की सुविधा प्रदान करते हैं। फिलहाल उक्त लापरवाही किसी भी तरह की अनहोनी घटना को अंजाम दे सकते हैं। इससे पहले भी कुछ होटल संचालकों की लापरवाही के चलते पाकिस्तान के जासूस कई दिनों तक होटलों में ठहरने के साथ देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते रहे हैं। फिलहाल जिला प्रशासन को इन होटलों, रेस्ट्रोरेंटों के साथ आशकी के सेंटरों पर रोक लगाने के लिए पुख्ता कदम उठाने चाहिए ताकि समाज के साथ देश के लिए खतरा बनने वाली किसी तरह की अनहोनी को टाला जा सके।   

पंजाब को इमानदारी से उठानी होगी पानी पर रियालटी की मांग

राज्य में पानी के साधन तो है लेकिन इसका समुचित लाभ नहीं मिल रहा
राज्य में पिछले डेढ़ दशक से पानी का मुद्दा अहम रहा है। सतलुज यमुना लिंक नहर के मुद्दों को पंजाब के साथ हरियाणा के सियासतदान पिछले तीन चुनावों से जोर शोर से उठा रहे हैं इसमें विभिन्न राजनीतिक दलों को लाभ भी मिलता रहे हैं। इसी गनीमत ही कहेंगे कि किसी भी राजनीतिक दल ने सत्ता संभालने के बाद इस गंभीर मसले पर जमीनी स्तर पर काम नहीं किया है। पूर्व कैञ्प्टन सरकार से इस मुद्दे को लेकर थोड़ा प्रयास जरूञ्र किए लेकिन वह भी केंञ्द्र में बनी उनकी कांग्रेस सरकार ने ही सफल नहीं होने दिया बल्कि उन पर दबाब बनाकर इसे ठंडे बस्ते में डलवा दिया। वर्तमान में राज्य में अगर कोई बड़ी समस्या है तो वह पानी है। किसान पानी के बिना परेशान है। मानसून के थोडे़ लेट होते ही खेतों में फसले सूखने लगती है। लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिलता है। गर्मियों के दिनों में तो शहरों के साथ गांवों में हाहाकार की स्थिति पैदा हो जाती है। राज्य में पानी के साधन है लेकिन उनका लाभ उसे नहीं मिल रहा है। फिलहाल काफी लंबे समय से पिटारे  में बंद पानी का मुद्दा एक बार फिर से पिटारे से बाहर है। डेढ़ साल बाद राज्य में संभावित विधानसभा चुनावों के चलते भी इस मुददे्‌ को अकाली एक बार फिर से जोरशोर से उठाना चाहते हैं। इसी के चलते पंजाब सरकार ने अब अन्य राज्यों को दिए जा रहे पानी पर रायल्टी लेने का मन बनाया है। अगर इसके दूरगामी पहलुओं पर गौर किया जाए तो इसे पूरी तरह गलत भी नहीं कहा जा सकता है। अगर राज्य सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता के साथ इमानदारी से काम करती है तो इसका फायदा मिलेगा व राज्य के लाखों किसानों को इसका लाभ मिलेगा।  सभी राज्यों में कोई न कोई प्राकृञ्तिक संपदा होती है जिसकी उसे रायल्टी मिलती है तो फिर पंजाब के  साथ ही भेदभाव क्यों हो। गत दिवस मुख्यमंत्री ने इस संबंध में शीर्ष स्तर पर एक बैठक की, जिसमें वरिष्ठ वकीलों, कई मंत्रियों के अतिरिक्त नदी जल विशेषज्ञ तथा सिंचाई विभाग के  प्रमुखों ने हिस्सा लिया। बैठक में इस संबंध में कानूनी लडाई लडने की रूञ्परेखा पर विचार किया गया। जाहिर है कि इस प्रकार की कोई मांग अथवा लडाई उन प्रदेशों को तो रास नहीं आएगी जो पंजाब का पानी मुफ्त में इस्तेमाल कर रहे हैं, किंतु इस मामले में पंजाब सरकार में शामिल शिरोमणि अकाली दल की सहयोगी भारतीय जनता पार्टी का सरकार का साथ देना यह साबित करता है इस मुद्दे पर पंजाब के  सभी दल दलीय भावना से ऊपर उठ कर एक स्वर में बात करेंगे। इस मामले में हालांकि कांग्रेस की तरफ से किसी तरह की प्रतिक्रञ्या नहीं आई है लेकिन शिअद को चाहिए कि वह इस लडाई में कांग्रेस की भी मदद ले क्योंकि केंद्र और पडोस के  दोनों राज्य हरियाणा तथा राजस्थान में कांग्रेस की ही सरकार है। यह संकेत जाना आवश्यक है कि यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है बल्कि प्रदेश के  हितों से जुडा हुआ है। जब भी किसानों के  लिए किसी प्रकार की केंञ्द्रीय राहत की घोषणा की जाती है तो प्राय पंजाब की इस आधार पर अनदेखी कर दी जाती है कि इसके पास पर्याप्त पानी है और यह राज्य प्रथम हरित क्रञंति का अगुआ रहा है, किंतु जब पंजाब के  संसाधनों की बात होती है तो उसमें हिस्सा बांट दिया जाता है। पंजाब यदि अपना पानी अन्य राज्यों को दे रहा है तो क्या अन्य राज्यों का यह दायित्व नहीं बनता है कि वह इसके लिए कुछ अदा करें? पंजाब में कृषि बुरे दौर से गुजर रही है और राज्य में किसान आत्महत्या तक कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में राज्य को अपनी जायज मांग को उठाने का पूरा हक है और केंद्र को भी चाहिए कि वह पंजाब की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करे और अन्य राज्यों पर पानी की रायल्टी देने के  लिए दबाव बनाए।

बेटे ने परिजनों के साथ मिलकर मां को उतारा मौत के घाट

-जमीनी विवाद को लेकर हुई थी मामूली तकरार, पेट में लात मार किया बेहोश 
-पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ केञ्स दायर कर शुरू की जांच  
बठिंडा। प्रताप नगर गली नंबर पांच डी में एक महिला को उसके ही बेटे ने बेरहमी से पीटकर मौत के घाट उतार दिया। हालांकि मामले में परिजन किसी तरह का मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं। पुलिस का कहना है कि आरंभिक जांच में महिला की हत्या की गई है, इस बाबत चार आरोपियों के खिलाफ हत्या का केस दायर कर जांच शुरूञ् कर दी है। जानकारी अनुसार प्रताप नगर गली नंबर पांच डी में रहने वाली महिला हरवंश कौर रेलवे में चपरासी का काम करती थी।  शुक्रवार की देर रात हरवंश कौर का अपने लड़के भुपिंदर सिंह उर्फ गोरा से किसी बात को लेकर थोड़ी सी तकरार हो गई। इसी दौरान उसकी पत्नी कुलविंदर कौर, बहन बलविंदर कौर और उसकी सास बिल्ला कौर भी घर में मौजूद थे। उक्त लोगों के बीच मकान की दीवार को लेकर झगड़ा हो गया। इसमें हरवंश कौर को उसके लड़के भुपिंदर सिंह ने पीटना शुरू कर दिया। जमीन में गिरी महिला के पेट में लात मारकर बेहोश कर दिया। बताया जा रहा है कि भुपिंदर सिंह का उसकी पत्नी, बहन व सास ने भी पूरा साथ दिया। बेहोश पड़ी महिला को उक्त लोगों ने बचाने का प्रयास भी नहीं किया। इससे उसकी हालत गंभीर हो गई। शोर सुनकर आसपास के लोग भी इकट्ठा हो गए। उन्होंने महिला को अस्पताल पहुंचाया लेकिन कुछ समय बाद उसकी मौत हो गई। घटना के बाद परिजनों ने मामले को दबाने का प्रयास किया। सहारा जन सेवा के कार्यकर्ताओं ने महिला का शव पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल में पहुंचाया। इसमें पुलिस ने सूचना पाकर पूरे मामले की जांच शुरू कर दी। जांच के दौरान पुलिस ने मृतक महिला के बेटे भुपिंदर सिंह सहित चार लोगों के खिलाफ हत्या और हत्या की साजिश में शामिल होने का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। घटना के बाद सभी मौके से फरार है। पुलिस उक्त लोगों की गिरफ्तारी के लिए छापामारी कर रही है। 

Friday, June 18, 2010

किसानों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा

-ऋण का मामला
-केंद्र को भेजे प्रस्ताव को मंजूरी नहीं
-पंजाब सरकार ने केंद्र से जताया रोष
बठिंडा। आम तौर पर बेहतर काम करने वालों को पुरस्कृञ्त तो किया जाता है, लेकिन सहकारी क्षेत्र में अच्छा काम के  लिए एक तरह से सजा भुगतनी पड़ रही है। पंजाब के  सहकारी बैंकों व सोसायटियों के  ऋञ्ण की वापसी देश के अन्य राज्यों के मुकाबले काफी ज्यादा है। इसी के  चलते राज्य को केंञ्द्र सरकार से मिलने वाले पैसों में बड़ा कट लगाया जा रहा है और पंजाब सरकार के ऋञ्ण माफी के  लिए केंद्र को भेजे प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल पा रही है। पंजाब सरकार ने इस नीति के खिलाफ केंद्र से कई बार रोष भी जताया है। नीति के अनुसार जिस राज्य में सहकारी ऋण के जितने ज्यादा डिफाल्टर होंगे उस राज्य को केंद्र से उतनी ही ज्यादा सहायता मिलती है। इसका मूल कारण ऋण में डूबे किसानों को राहत देना है। पंजाब के किसानों को ऋण माफी के मामले में राहत इसलिए नहीं मिल पा रही है क्योंकि यहां सहकारी व कामर्शियल बैंकों का डिफाल्टर रेट अन्य राज्यों से काफी कम है। राजस्व विभाग की वित्तायुक्त रोमिला दूबे ने को बताया कि राज्य सरकार ऋण में राहत के  लिए कई बार प्रस्ताव केंद्र को भेज चुकी है, लेकिन राहत नहीं मिल पा रही है, क्योंकि तर्क यह दिया जाता है कि किसानों की ऋण वापस करने की क्षमता के कारण फिलहाल विदर्भ जैसी स्थिति नहीं आई है। 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि  पंजाब सरकार ने किसानों के  सिर पर 24,500 करोड़ रुपये के  बोझ का प्रस्ताव भेजा था। इसमें 12 हजार करोड़ रुपये के  करीब आढ़तियों व अन्य बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं का है। राज्य सरकार ने वनटाइम सेटलमेंट और आढ़तियों के  ऋण से निकालने के  लिए आर्थिक  सहायता की मांग की थी लेकिन कुञ्छ नहीं मिला। आंध्रप्रदेश व महाराष्ट्र को डिफाल्टर किसानों के कारण तीन-तीन हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं, जबकि  पंजाब को केवल 80 करोड़ मिला है। कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हालांकि पंजाब के किसानों की ऋण वापस करने की योग्यता आमदनी के कारण नहीं है बल्कि उत्पादन लागत बढऩे के कारण पंजाब सरकार की ओर से प्रत्येक वर्ष पांच सौ से एक  हजार रुपये तक बढ़ाई जाने वाली ऋण की लिमिट के कारण ऐसा हो रहा है। किसानों से पैसा भरवाकर अगले ही दिन बढ़ी लिमिट के हिसाब से उसे ऋण दे दिया जाता है। एक  तरह से यह नए-पुराने ही किए जाते हैं। यही तरीका किसानों के गले की फांस बन गया है।

स्थानीय निकायों और पंचायतों की वित्तीय स्थिति खराब

-प्रशासनिक  कामकाज पर लगा सवालिया निशान
-स्थानीय निकायों को प्रति वर्ष हो रहा है 30 करोड़ का घाटा
बठिंडा। पंजाब में स्थानीय निकायों व पंचायती राज्य संस्थाओं की वित्तीय स्थिति पर सरकारी फैसलों ने उलटा असर किया है। इन संस्थाओं की आमदनी व खर्च का अंतर लगातार बढ़ रहा है, जिसके  चलते प्रशासनिक  कामकाज व विकास कार्यों पर सवालिया निशान लग गया है। वर्तमान में कई निगमों व कौंसिलों की स्थिति यह है कि केंद्र सरकार की तरफ से चलाई जा रही स्कीमों के अलावा वहां पर अन्य विकास योजनाए पिछले लंबे समय से नहीं शुरू हो सकी है। यह विश्लेषण हाल में वित्त आयोग की रिपोर्ट में भी किया गया है। आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि  विकास कार्यों की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों व पंचायती राज संस्थाओं पर है, लेकिन इनके आमदनी के स्रोतों को पंजाब सरकार अपने फैसलों से खत्म कर रही है। स्थानीय निकायों को चुंगी से राज्य भर में करीब 550 करोड़ रुपये मिलते थे।

राज्य सरकार ने चुंगी खत्म करने का फैसला करके स्थानीय निकायों को राज्य सरकार पर निर्भर बना दिया है। इसी तरह सीवरेज व पेयजल के यूजर चार्जेज माड्ड  करके  व अन्य फैसलों के  चलते इन संस्थाओं को प्रशासनिक  ढांचा चलाने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। आयोग ने सिफारिश की है कि  वित्तीय संसाधनों का बंटवारा इस तरीके  से होना चाहिए कि  स्थानीय निकाय व पंचायती राज संस्थाएं खुद अपने टैक्सों से कामकाज चला पाएं। इसके  लिए राज्य के टैक्सों  के हिस्से में स्थानीय निकायों व पंचायती राज संस्थाओं का हिस्सा बढ़ाने की जरूरत है। इसके  अलावा जो ड्डैञ्सले राज्य सरकार ने चुंगी माफी सहित अन्य माफी के लिए हैं उनके बदले में लगातार ग्रांटें स्थानीय निकायों को मिलनी चाहिए। रिपोर्ट में दिए तथ्यों के  अनुसार स्थानीय निकायों को प्रति वर्ष औसतन 20 करोड़ रुपये का घाटा है। इसी तरह पंचायती राज संस्थान में आय व व्यय में प्रति वर्ष औसतन अंतर पंचायतों का 280 करोड़, पंचायत समितियां 37 करोड़ व जिला परिषदों का 10 करोड़ है। इस तरह कुञ्ल अंतर 327 करोड़ रुपये का है। दूसरी तरफ राज्य में डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव की संभावित है। ऐसे में अकाली-भाजपा सरकार केञ् लिए चुनाव से पहले विकास कार्य करवाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। फिलहाल सरकार इस मामले में आय केञ् साधन जुटाने केञ् प्रयास में जुटी है लेकिन उसे सफलता हाथ नहीं लग रही है।

आयोग ने राज्य सरकार के  साथ-साथ स्थानीय निकायों व पंचायती राज संस्थाओं को भी कहा था कि  उन्हें अपनी आय बढ़ाने का प्रबंध करना चाहिए। इसके  लिए स्थानीय निकायें स्थानीय क्षेत्र कर, संपत्ति कर, उपभोक्ता कर व म्यूनिसपल एरिया में टर्न ओवर टैक्स लगाए तो उसकी आय में बढ़ोतरी संभव हो सकती है। टर्न ओवर टैक्स को भले ही स्थानीय निकायें वसूल करे या कराधान एवं आबकारी विभाग, लेकिन यह पैसा सीधे ही स्थानीय निकायों के खाते में जाना चाहिए। इसके अलावा ग्रांटों को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने का प्रबंध करके भी अंतर को कम किया जा सकता है। फिलहाल सरकार का दावा है कि इन तमाम समस्याओं को हल करने के लिए उन्होंने सुखवीर-कालिया कमेटी का गठन किया था इसमें की गई सिफारिशों को आपसी सहमती से लागू किया जा रहा है। इसमें कई मदों से करों की वसूली भी हो रही है।

अपराध समाचार 18 जून

नितिन सिंगला

सड़क हादसे में एक की मौत, केस दर्ज 
बठिण्डा : निकटवर्ती गाँव भूंदड़ में कल बाद दोपहर बस के नीचे आने से एक बच्चे मौत हो गई। इस मामले में बालिया वाली पुलिस ने बस चालक के विरुद्ध मामला दर्ज करते हुए आगे की कार्यवाई शुरू कर दी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह हादसा कल बाद दोपहर उस समय हुआ, जब बाघ सिंह अपनी पत्नि एवं बच्चे के समेत बस से उतरकर अपने घर की तरफ जा रहा था, और बस चालक ने अचानक बस को बड़ी तेजी के साथ पीछे किया। इस दौरान रेशम कौर को काफी चोटें आई जबकि उनके बच्चे जसमेल की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने शिकायतकर्ता बाघ सिंह के बयानों के आधार पर बस चालक के विरुद्ध धारा 304 ए, 279, 337 के तहत केस दर्ज कर लिया।

जमीनी विवाद, चार के विरुद्ध केस
बठिंडा : थाना मौड़ के अधीन पड़ते गाँव मौड़ खुर्द में जमीन के कब्जे को लेकर हुए विवाद में पुलिस ने चार लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रूप सिंह निवासी मौड़ खुर्द ने पुलिस स्टेशन मौड़ में शिकायत दर्ज करवाई कि उसकी सवा दो एकड़ जमीन धान की फसल के लिए खाली पड़ी हुई थी, जिस पर आरोपियों बलवीर सिंह, धर्म सिंह, हरजोत सिंह, प्रकट सिंह पुत्र दारा सिंह निवासी मौड़ खुर्द ने धक्के से ट्रैक्टर चला दिया एवं उसे और उसके रिश्तेदार नाहर सिंह को जान से मारने की धमकी दी। गौरतलब है कि रूप सिंह ने अपने छोटे भाई मुख्तयार सिंह की सवा दो एकड़ जमीन अपने नाम करवा ली है, जो अभी तक कुंवारा है। पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत मुकद्दमा दर्ज करते हुए आगे की कारवाई शुरू कर दी है।

अपनों के खून से सने हाथ

अपनों के खून से सने हाथ, आदम से इंसान तक का सफर अभी अधूरा है को दर्शाते हैं। झूठे सम्मान की खातिर अपनों को ही मौत के घाट उतार देता है आज का आदमी। पैसे एवं झूठे सम्मान की दौड़ में उलझे व्यक्तियों ने दिल में पनपने वाले भावनाओं एवं जज्बातों के अमृत को जहर बनाकर रख दिया है, और वो जहर कई जिन्दगियों को एक साथ खत्म कर देता है।

पाकिस्तान की तरह हिन्दुस्तान में भी ऑनर किलिंग के मामले निरंतर सामने आ रहे हैं, ऐसा नहीं कि भारत में ऑनर किलिंग का रुझान आज के दौर का है, ऑनर किलिंग हो तो सालों से रही है, लेकिन सुर्खियों में अब आने लगी है, शायद अब पाकिस्तान की तरह हिन्दुस्तानी हुक्मरानों को भी चाहिए कि वो भी मर्दों के लिए ऐसे कानून बनाए, जो उनको ऐसे शर्मनाक कृत्य करने की आजादी मुहैया करवाए। पाकिस्तानी मर्दों की तरह हिन्दुस्तानी मर्द भी औरतों को बड़ी आसानी से मौत की नींद सुला सके, वो अपना पुरुष एकाधिकार कायम कर सकें।

वोट का चारा खाने में मशगूल सरकारें मूक हैं और खाप पंचायतें अपनी दादागिरी कर रही हैं। इन्हीं पंचायतों के दबाव में आकर माँ बाप अपने बच्चों को मौत की नींद सुला देते हैं, जिनको जन्म देने एवं पालने के लिए हजारों सितम झेले होते हैं।

इसको एक सभ्य समाज कैसे कहा जा सकता है, जहाँ खुद पेड़ लगाकर खुद उखड़ा फेंकने का प्रचलन हो। जब मानव ऐसे शर्मनाक कृत्य करता है तो क्या फर्क रह जाता है आदम और पशु में। जब जब ऐसे ऑनर किलिंग के मामले सामने आते हैं तो सच में एक बात तो समझ में आने लगती है कि हमारी शिक्षा प्रणाली एवं हमारी धार्मिकता कितनी कमजोर है।

हमारे धार्मिक गुरू, ग्रंथ हमको अहिंसक होने का पाठ पढ़ाते हैं, प्रेम करने का पाठ पढ़ाते हैं, हमारी शिक्षा प्रणाली हमको गंवार से पढ़ा लिखा बनाती है ताकि हम अच्छे बुरे की पहचान कर सके, लेकिन हम इन चीजों को त्याग मूड़ लोगों की भीड़ खुद को खड़ा कर लेते हैं, जो वो भीड़ कर रही है, उसको ही सही मान रहे हैं।

भीड़ में सब अनजान होते हैं एक दूसरे से, किसी को कुछ अंदाजा नहीं होता वो क्या कर रहे हैं, वो सब सोच रहे होते हैं, बस जो कर रहे हैं अच्छा ही होगा, लेकिन जब कोई खुद को भीड़ से अलग कर एकांत में सोचता है तो उसकी हिम्मत नहीं पड़ती कि वो खुद से सामना भी कर सके, वो भीतर ही भीतर टूटकर बिखर जाता है। जब तलक मानव सोच शैतानी बचपने से उभरेगी नहीं, तब तक फगवाड़ा के गांव महेड़ू में हुए प्रवासी दम्पति की हत्या (ऑनर किलिंग) जैसे शर्मनाक कृत्य घटित होते रहेंगे।

कुलवंत हैप्पी-76967-13601

Thursday, June 17, 2010

क्या देखते हैं वो फिल्में.....

मंगलवार को एक काम से चंडीगढ़ जाना हुआ, बठिंडा से चंडीगढ़ तक का सफर बेहद सुखद रहा, क्योंकि बठिंडा से चंडीगढ़ तक एसी कोच बसों की शुरूआत जो हो चुकी है, बसें भी ऐसी जो रेलवे विभाग के चेयर कार अपार्टमेंट को मात देती हैं। इन बसों में सुखद सीटों के अलावा फिल्म देखने की भी अद्भुत व्यवस्था है।

इसी व्यवस्था के चलते सफर के दौरान कुछ समय पहले रिलीज हुई पंजाबी फिल्म मिट्टी देखने का मौका मिल गया, जिसके कारण तीन चार घंटे का लम्बा सफर बिल्कुल पकाऊ नहीं लगा।

पिछले कुछ सालों से पुन:जीवित हुए पंजाबी फिल्म जगत प्रतिभाओं की कमी नहीं, इस फिल्म को देखकर लगा। फिल्म सरकार द्वारा किसानों की जमीनों को अपने हितों के लिए सस्ते दामों पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हवाले करने जैसी करतूतों से रूबरू करवाते हुए किसानों की टूटती चुप्पी के बाद होने वाले साईड अफेक्टों से अवगत करवाती है।

फिल्म की कहानी चार बिगड़े हुए दोस्तों से शुरू होती है, जो नेताओं के लिए गुंदागर्दी करते हैं, और एक दिन उनको अहसास होता है कि वो सही अर्थों में गुंडे नहीं, बल्कि सरदार के कुत्ते हैं, जो उसके इशारे पर दुम हिलाते हैं।

वो इस जिन्दगी से निजात पाने के लिए अपने अपने घरों को लौट जाते हैं, लेकिन वक्त उनके हाथों में फिर हथियार थमा देता है, अब वो जंग किसानों के लिए लड़ते हैं, अपनों के लिए लड़ते हैं, सरकार के विरुद्ध संघर्ष अभियान चलाते हैं, और सरकार के खिलाफ चलाई इस मुहिम में तीन दोस्त एक एक कर अपनी जान गंवा बैठते हैं, लेकिन अंत तक आते आते फिल्म अपनी शिखर पर पहुंच जाती है। फिल्म का अंतिम सीन आम आदमी के भीतर जोश भरता है। इस दृश्य में किसान सति श्री अकाल और इंकलाब के नारे लगाते हुए पुलिस का सुरक्षा चक्र तोड़ते हुए नेता एवं फैक्ट्री मालक को मौत के घाट उतार देते हैं, और अपनी जमीन को दूसरे हाथों में जाने से रोक लेते हैं।

यह पिछले दिनों देखी गई पंजाबी फिल्मों में से दूसरी पंजाबी फिल्म थी, जो किसान हित की बात करते हुए सरकार के विरुद्ध आवाज बुलंद करने के लिए अपील करती है, आह्वान करती है। इससे कुछ दिन पहले पंजाबी गायक से अभिनेता बने बब्बू मान की फिल्म एकम - सन ऑफ सॉइल देखी। इस फिल्म में भी नायक एकम किसान वर्ग की अगुवाई करते हुए सरकार के विरुद्ध एक लड़ाई लड़ता है। इस फिल्म में बब्बू मान को देखकर पुरानी फिल्मों के अमिताभ बच्चन के उन दमदार किरदारों की याद आ गई, जो गरीब वर्ग की अगुवाई करते हुए गरीबों को उनके हक दिलाता था।

जैसे ही मिट्टी फिल्म खत्म हुई, तो एक के बाद एक सवाल दिमाग में आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने लगे, क्या इन फिल्मों को उन्होंने देखा, जिन लोगों की स्थिति को पर्दे पर उभरा गया है, जिनके सवालों को बड़े पर्दे पर उठाया गया है। क्या सरकार के प्रतिनिधियों के पास सिनेमा देखने की फुर्सत है, वो भी ऐसी फिल्में, जो वास्तिवकता से रूबरू करवाती हों?

दिमाग को सवाल मुक्त करते हुए बस के भीतर बैठी सवारियों को एक नजर देखा, और पाया कि सब लोग नौकरी पेशा हैं, जिनके पास शायद चैन से बैठकर साँस लेने की फुर्सत भी न होगी, वो सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए लामबंद कैसे हो सकते हैं, शायद उनके लिए तो बस में चल रही फिल्म भी कोई मतलब न रख रही होगी।

जिनको सरकार के विरुद्ध लामबंद करने के लिए फिल्म बनाई गई, वो तो बेचारे रोड़्वेज की उन बसों में भी बामुशिक्ल चढ़ते होंगे, जिन बसों में पुर्जों के खटकने की आवाजें कानों को पका देती हैं, सीटें माँस में चूंटी काट लेती हैं, और सफर खत्म होने तक जान मुट्ठी में रहती है, कहीं ब्रेक फेल न हो जाएं, वगैरह वगैरह।

Monday, June 14, 2010

अब शोले फिल्म के वीरू बने बेरोजगार फार्मासिस्ट और लाईनमैन


पानी की टैंकी में चढ़कर नीचे छलाग लगाने की दे रहे हैं धमकी
सरकार से रोजगार देने की मांग कर रहे हैं हजारों बेरोजगार 

बठिंडा। मांगों को पूरा करवाने और प्रशासन पर दबाब बनाने का जरिया बनी पानी की टैंकियां प्रशासन के लिए गले की फांस साबित हो रही है। हाल ही में बेरोजगार अध्यापकों ने पानी की टैंकी में चढ़कर हो हल्ला मचाया तो आज सोमवार को उन्हीं के पद्चिन्हों पदचिन्हों पर चलते हुए बेरोजगार बैटनरी फार्मसिस्ट एसोसिएशन केञ् साथ बेरोजगार लाईनमैन कार्यकर्ता सुभाष मार्किट में बनी दो पानी की टैंकी पर चढ़ गए। उक्त लोग सरकार से रोजगार देने की मांग कर रहे हैं। बेरोजगार बैटनरी फार्मासिस्टों व बेरोजगार लाईनमैन यूनियन का आरोप है कि बादल सरकार उन्हें दो बार नौकरी देने का वायदा करके मुकर चुकी है। इसमें अब आरपार की जंग लडऩे केञ् सिवा उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। बेरोजगार बैटनरी फार्मासिस्टों ने आरोप लगाया कि छह माह पहले बठिंडा मिनी सचिवालय के बाहर जब वह अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे तो राज्य सरकार ने यह कहकर उनकी हड़ताल को समाप्त करवाया था कि उन्हें जल्द ही रोजगार प्रदान किया जाएगा। इसके बाद सरकार और मंत्री अपने किए वायदे से मुकर गए और बेरोजगारों को आज तक रोजगार नहीं मिल सका है। फिलहाल बेरोजगारों के टैंकी पर चढ़कर शुरू किए प्रदर्शन के बाद पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने सुभाष मार्किट की बड़ी टैंकी पर चढ़े बेरोजगार बैटनरी फार्मासिस्टों से बात करने का प्रयास शुरू किया था कि कुछ बेरोजगार लाईन मैन पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में साथ लगती छोटी पानी की टैंकी में चढ़ गए। बड़ी टैंकी में जहां सात बेरोजगार चढ़े वही छोटी टैंकी में भी छह बेरोजगार लाईनमैन ने कब्जा जमा लिया। इस दौरान उन्होंने पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उनकी मांगे पूरी करने को कहा वहीं चेतावनी दी कि अगर सरकार व प्रशासन ने उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो वह पानी की टैंकी से कूञ्दकर आत्महत्या कर लेंगे। इस दौरान उक्त बेरोजगारों के हाथ में कैरोसीन तेल की बोतलें भी रखी हुई है। जो हाथ में लहरा कर वह स्वयं को आग लगाने की चेतावनी भी दे रहे थे।

टैंकी में चढऩे के लिए लाए थे साथ में सीढ़ी
बठिंडा। दो साल पहले जब पानी की टैंकी में चढ़कर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरूञ् हुआ था तो जिला प्रशासन ने सभी पानी की टैंकियों की सीढि़यों को उंची दीवार बनाकर बंद कर दिया था वही एक प्रवेश दरवाजा बनाकर ताले जड़ दिए गए थे। इसके बावजूद आज सोमवार को बेरोजगार बैटनरी फार्मासिस्ट और बेरोजगार लाईनमैन पानी की टैंकी में चढ़ गए। बेरोजगारों को पता था कि पानी की टैंकी में चढ़ना आसान नहीं होगा, सो उन्होंने पहले से ही योजना बनाकर प्रदर्शन को अंजाम दिया। वह अपने साथ सीढि़यां लेकर आए थे। पहले सीढ़ी लगाकर उन्होंने अंदर प्रवेश किया व बाद में सीढ़ी को अंदर खींचकर अपने साथ ले गए। ऐसे में पुलिस कर्मचारी देखते रह गए और उन्हें अंदर जाने का रास्ता तक नहीं मिला। देर सांय तक दोनों यूनियनों के कार्यकर्ता टैंकी पर चढे़ प्रदर्शन कर रहे थे। 

क्या हैं मांगे
बठिंडा। बेरोजगार लाईन मैन यूनियन केञ् प्रदेश प्रधान त्रिलोचन सिंह का कहना है कि वह पंजाब सरकार से पंजाब राज्य पावर कारपोरेशन में आईटीआई होल्डर समूह बेरोजगार लाईनमैन की बिना टेस्ट भर्ती की मांग कर रहे हैं। वही भर्ती की आयु 45 साल करने की मांग कर रहे हैं। बेरोजगार वैटनरी फार्मासिस्ट यूनियन के प्रदेश प्रधान रविंदर फेरुमान का कहना है कि सरकार ने लोकसभा चुनाव के दौरान नौकरी देने का वायदा किया था लेकिन उसे आज तक पूरा नहीं किया गया है। उक्त मांगों को लेकर बेरोजगारों ने पहले शहर में रैली निकाली। 

सख्ती से निपटा जाएगा ऐसे प्रदर्शनों सेः प्रशासन
बठिंडा। एसएसपी डा. सुखचैन सिंह का कहना है कि प्रशासन की रोक के बावजूद कुछ लोग नियम कायदों को तोड़कर इस तरह के प्रदर्शन कर रहे हैं। आत्महत्या की धमकी देने वाले लोगों पर सख्ती बरती जाएगी व इनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया जाएगा।     


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