Punjab Ka Sach Newsporten/ NewsPaper: स्थानीय निकायों और पंचायतों की वित्तीय स्थिति खराब

Friday, June 18, 2010

स्थानीय निकायों और पंचायतों की वित्तीय स्थिति खराब

-प्रशासनिक  कामकाज पर लगा सवालिया निशान
-स्थानीय निकायों को प्रति वर्ष हो रहा है 30 करोड़ का घाटा
बठिंडा। पंजाब में स्थानीय निकायों व पंचायती राज्य संस्थाओं की वित्तीय स्थिति पर सरकारी फैसलों ने उलटा असर किया है। इन संस्थाओं की आमदनी व खर्च का अंतर लगातार बढ़ रहा है, जिसके  चलते प्रशासनिक  कामकाज व विकास कार्यों पर सवालिया निशान लग गया है। वर्तमान में कई निगमों व कौंसिलों की स्थिति यह है कि केंद्र सरकार की तरफ से चलाई जा रही स्कीमों के अलावा वहां पर अन्य विकास योजनाए पिछले लंबे समय से नहीं शुरू हो सकी है। यह विश्लेषण हाल में वित्त आयोग की रिपोर्ट में भी किया गया है। आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि  विकास कार्यों की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों व पंचायती राज संस्थाओं पर है, लेकिन इनके आमदनी के स्रोतों को पंजाब सरकार अपने फैसलों से खत्म कर रही है। स्थानीय निकायों को चुंगी से राज्य भर में करीब 550 करोड़ रुपये मिलते थे।

राज्य सरकार ने चुंगी खत्म करने का फैसला करके स्थानीय निकायों को राज्य सरकार पर निर्भर बना दिया है। इसी तरह सीवरेज व पेयजल के यूजर चार्जेज माड्ड  करके  व अन्य फैसलों के  चलते इन संस्थाओं को प्रशासनिक  ढांचा चलाने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। आयोग ने सिफारिश की है कि  वित्तीय संसाधनों का बंटवारा इस तरीके  से होना चाहिए कि  स्थानीय निकाय व पंचायती राज संस्थाएं खुद अपने टैक्सों से कामकाज चला पाएं। इसके  लिए राज्य के टैक्सों  के हिस्से में स्थानीय निकायों व पंचायती राज संस्थाओं का हिस्सा बढ़ाने की जरूरत है। इसके  अलावा जो ड्डैञ्सले राज्य सरकार ने चुंगी माफी सहित अन्य माफी के लिए हैं उनके बदले में लगातार ग्रांटें स्थानीय निकायों को मिलनी चाहिए। रिपोर्ट में दिए तथ्यों के  अनुसार स्थानीय निकायों को प्रति वर्ष औसतन 20 करोड़ रुपये का घाटा है। इसी तरह पंचायती राज संस्थान में आय व व्यय में प्रति वर्ष औसतन अंतर पंचायतों का 280 करोड़, पंचायत समितियां 37 करोड़ व जिला परिषदों का 10 करोड़ है। इस तरह कुञ्ल अंतर 327 करोड़ रुपये का है। दूसरी तरफ राज्य में डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव की संभावित है। ऐसे में अकाली-भाजपा सरकार केञ् लिए चुनाव से पहले विकास कार्य करवाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। फिलहाल सरकार इस मामले में आय केञ् साधन जुटाने केञ् प्रयास में जुटी है लेकिन उसे सफलता हाथ नहीं लग रही है।

आयोग ने राज्य सरकार के  साथ-साथ स्थानीय निकायों व पंचायती राज संस्थाओं को भी कहा था कि  उन्हें अपनी आय बढ़ाने का प्रबंध करना चाहिए। इसके  लिए स्थानीय निकायें स्थानीय क्षेत्र कर, संपत्ति कर, उपभोक्ता कर व म्यूनिसपल एरिया में टर्न ओवर टैक्स लगाए तो उसकी आय में बढ़ोतरी संभव हो सकती है। टर्न ओवर टैक्स को भले ही स्थानीय निकायें वसूल करे या कराधान एवं आबकारी विभाग, लेकिन यह पैसा सीधे ही स्थानीय निकायों के खाते में जाना चाहिए। इसके अलावा ग्रांटों को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने का प्रबंध करके भी अंतर को कम किया जा सकता है। फिलहाल सरकार का दावा है कि इन तमाम समस्याओं को हल करने के लिए उन्होंने सुखवीर-कालिया कमेटी का गठन किया था इसमें की गई सिफारिशों को आपसी सहमती से लागू किया जा रहा है। इसमें कई मदों से करों की वसूली भी हो रही है।

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