जालंधर। बाहुबली से विधायक का सफर तय करने वाले यूपी के मऊ से पांच बार विधायक रहे मुख्यार अंसारी कि मोहाली कोर्ट में पेशी के लिए इस्तेमाल की जा रही बुलेट प्रूफ एंबुलेंस चंडीगढ़ में नहीं बल्कि पंजाब में बनाई गई थी। एंबुलेंस को लेकर पंजाब सरकार व पुलिस बचाव का रुख अख्तियार करने में लगी हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने इसकी जानकारी जुटा ली है कि एंबुलेंस को 2013 में पंजाब में बुलेट प्रूफ किया गया था। एंबुलेंस को बुलेट प्रूफ तैयार करने के लिए मुख्यार के खासमखास उद्योगपति ने अहम भूमिका निभाई थी। उक्त उद्योगपति का फैब्रीकेशन का बड़ा कारोबार है।चंडीगढ़ में नहीं पंजाब में एंबुलेंस को बनाया गया था बुलेट प्रूफ
मुख्तार को लेकर बुलेट प्रूफ एंबुलेंस पर मचे बवाल के बाद उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के सदर थाने की पुलिस ने भाजपा की नेता डॉ. अलका राय के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। यह केस बाराबंकी एआरटीओ की शिकायत पर दर्ज किया गया है। यूपी 41 एटी 7171 नंबर की यह एंबुलेंस साल 2013 में बाराबंकी से रजिस्टर की गई थी। इस एंबुलेंस को मऊ के संजीवनी अस्पताल के नाम पर रजिस्टर किया गया था। इस पर संजीवनी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डा एसएन राय के साइन भी है।
मुख्तार के गांव के पास ही है डॉक्टर का गांव
एंबुलेंस को लेकर मचे घमासान के बीच जिस डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज किया गया है वह मऊ जिले के चांदपुर गांव की रहने वाली हैं यह चांदपुर गांव मुख्तार अंसारी के गांव यूसुफपुर से महज सात किलोमीटर की दूरी पर है। अपने बयानों में बीजेपी के नेता डॉ अलका राय ने मुख्तार अंसारी से किसी भी प्रकार का संबंध होने से इनकार किया है।
मोहाली में एंबुलेंस को बनाया गया था बुलेट प्रूफ
सूत्रों की माने तो मुख्तार की एंबुलेंस चंडीगढ़ नहीं बल्कि मोहाली में बुलेट प्रूफ की गई थी। जिसे साल 2013 मैं मोहाली की एक फैक्ट्री में बुलेट प्रूफ किया गया था। फिलहाल यूपी पुलिस इस एंगल पर भी जांच कर रही है कि इस एंबुलेंस को कहां बुलेट प्रूफ किया गया था। वहीं यूपी सरकार के प्रवक्ता और मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि मुख्तार की एंबुलेंस मामूली एंबुलेंस नहीं बल्कि उसका चलता फिरता है किला थी।
यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल का कहना है कि यह एंबुलेंस पूरी तरह से बुलेट प्रूफ थी। जिसमें मुख्तार के गुर्गे हथियारों के साथ हर समय मौजूद रहते थे जिस एंबुलेंस में सारी सुख सुविधाओं के साथ सेटेलाइट फोन की भी व्यवस्था थी जिसे मऊ के मोहम्मदाबाद का रहने वाला सलीम चलाता था। सलीम के एक भाई प्रिंस का पुलिस ने पहले ही एनकाउंटर कर दिया था
डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ बड़ा एक्शन
मुख्तार अंसारी को मुहैया कराई गई एंबुलेंस मामले में कार्रवाई शुरू हो चुकी है। इस संबंध में बाराबंकी की नगर कोतवाली में एआरटीओ की तहरीर पर धोखाधड़ी समेत दूसरी धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने बताया कि मामले में परिवहन कार्यालय और बाकी विभागों से एंबुलेंस के विषय में सूचना इकट्ठे की गई। इसमें सामने आया कि वाहन को रजिस्टर कराने के लिए जिन कागजातों का इस्तेमाल किया गया था वह सभी फर्जी हैं। यह डॉक्यूमेंट जिस पते के थे वह पता भी पुलिस को नहीं मिला। इसके बाद पुलिस ने बाराबंकी आरटीओ की शिकायत पर डॉ अलका राय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
मुख्तार ने दिया था गाड़ी का पैसा
मोहाली कोर्ट में पेशी के दौरान जिस एंबुलेंस का इस्तेमाल किया गया। उस एंबुलेंस को साल 2013 से ही मुख्तार इस्तेमाल में ला रहा था। इस एंबुलेंस को बीजेपी नेता डॉ अलका राय के अस्पताल के नाम से ही साल 2013 में रजिस्टर्ड किया गया था। इस दौरान बाद में कागजातों को ट्रांसफर करने की बात भी कही गई थी लेकिन किन्हीं कारणों से यह कागजात ट्रांसफर नहीं हो पाया।
जेल और मुख्तार के बंगले के बाहर खड़ी रहती थी एंबुलेंस
यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने इस मामले में खुलासा करते हुए कहा कि मुख्तार के यूपी के जेल में रहने के दौरान एंबुलेंस जेल के बाहर खड़ी रहती थी। इसमें मुख्तार के गुर्गे भी रहते थे। इस एंबुलेंस का ड्राइवर सलीम खान मुख्तार का बेहद करीबी बताया जाता है। सलीम का बड़ा भाई प्रिंस खान पूर्वांचल के कुख्यात अपराधियों में से एक था और उसका पुलिस एनकाउंटर कर दिया था। आखरी बार एंबुलेंस यूपी कि लखनऊ में डालीगंज स्थित मुख्तार अंसारी के बंगले के बाहर देखी गई थी। उस दौरान मुख्तार अंसारी लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में भर्ती थे।
सिर्फ एंबुलेंस ही नहीं मुख्तार के पास है बुलेट प्रूफ गाड़ियों का काफिला
यूपी के बाहुबली मुख्तार अंसारी के पास सिर्फ यह बुलेट प्रूफ एंबुलेंस ही नही बल्कि मुख्तार के काफिले में चलने वाली कई गाड़ियां बुलेट प्रूफ है। सूत्रों की मानें तो साल 2008 और 2009 के बीच मुख्तार ने एक टाटा सफारी और एक पजेरो स्पोर्ट गाड़ी को भी बुलेट प्रूफ बनवाया था।
पुलिस की कहानी में हैं कई पेंच
एंबुलेंस को लेकर शुरू हुए विवाद के बीच पुलिस अब तक यह पता नहीं कर पाई है की इस एंबुलेंस को कहां और किस कंपनी में बुलेट प्रूफ कराया गया था। लेकिन, इस कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो जो भी कंपनी गाड़ियों को बुलेट प्रूफ बनाती है वह इन गाड़ियों के शीशे पर अपना मार्क लगाती है। अब मुख्तार के पेशी के दौरान मचे इस बवाल में यह भी जांच का विषय है कि इस एंबुलेंस के शीशे पर किसी कंपनी का हॉल मार्क है या नहीं।