बठिंडा, 3 फरवरी(जोशी). बठिंडा में कई स्थानों पर गाय और भैंसों का दूध बढ़ाने के लिए आक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल धडल्ले से किया जा रहा है। अधिक मुनाफे के फेर में डेयरी संचालक लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। शिकायतों के बाद ड्रग डिपार्टमेंट ने इस बाबत बड़ी कारर्वाई करते रेलवे पार्सल के मार्फत दूसरे प्रदेशों से आक्सीटोसिन का टीका मंगवाकर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। इसमें पुलिस ने रेलवे पार्सल से भेजे गई करीब 15 पेटियों को जब्त किया है जिसमें करीब 3240 शीशी प्रतिबंधित टीके की बरामद की गई है। इस मामले में रेलवे के मार्फत टीके मंगवाने वाले लोगों की जांच करने के साथ टीके की जांच के लिए सैंपल लैब को भेजे गए है। जानकारी अनुसार ड्रग इंस्पेक्टर रमनदीप गुप्ता, गुणदीप बांसल, ज्वाइंट लाइसेंस आथार्टी ड्रग अमनदीप वर्मा, एंटी नार्कों कंट्रोल ब्यूरो संदीप सोहाग, बजिंदर सिंह चौधरी ने गुप्त सूचना के आधार पर मामले की जानकारी रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स बठिंडा को दी। इसके बाद पार्सल से बठिंडा पहुंचे टीकों की पेटियों को पार्सल आफिस में जब्त कर जांच शुरू कर दी गई है। अधिकारियों के अनुसार मालवा के कई जिलों में दूध बिक्री व उत्पादन में जमकर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। गाय, भैंस का दूध बढ़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन नामक इंजेक्शन धड़ल्ले से लगाया जा रहा है। इससे दूध गाढ़ा तो होता है लेकिन यह मनुष्य के लिए भी हानिकारक है। सूबे के अधिकांश जिलों में पशुपालक एवं डेयरी व्यवसायी इस इंजेक्शन का इस्तेमाल कर पशुओं पर अत्याचार कर रहे हैं। डेयरियों में या उनके आसपास इंजेक्शन की खाली शीशी स्पष्ट तौर पर नजर आती है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूध में वृद्धि करने के लिए व्यवसायी क्या-क्या कर रहे हैं।
गौरतलब है कि साल 2018 में बठिंडा के प्रताप नगर की गली नंबर 23 में एक कोठी से पंजाब पुलिस की ऑर्गेनाइज्ड क्राइम कंट्रोल यूनिट ओकू की टीम ने दूध देने के के लिए पशुओं को लगाए जाने वाले प्रतिबंतिध ऑक्सीटोसिन के 4.60 लाख इंजेक्शन पकड़े थे। पशुओं को ये इंजेक्शन लगाने के बाद वे दूध तो दे देते हैं लेकिन वह दूध सेहत के लिए हानिकारक हो जाता है। ऐसा दूध एक धीमे जहर के समान बन जाता है। इस मामले में मध्य प्रदेश के रहने वाले राज कुमार उर्फ राजू को पुलिस ने गिरफ्तार किया था जो बठिंडा में खुद जरनल स्टोर चलाता था। प्रताप नगर में उसने किराये पर एक कोठी लेकर उसमें गोदाम बना रखा था। ऑक्सीटोसिन टीके के लगाने से हार्मोनल तवाजन बिगड़ जाता है। पशु भी बीमार हो जाते हैं। ऐसे पशु का दूध लगातार पीने से पुरुष नंपुस्क हो सकते हैं। ऐसा दूध एक धीमे जहर के समान होता है। सरकार ने इस इंजेक्शन को प्रतिबंध लगा दिया गया था।
जांच के दौरान खुलासा हुआ कि सरकार की ओर से प्रतिबंधित ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन दूध का उत्पादन बढ़ाने और सब्जियों का आकार बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाने के अलावा युवाओं की ओर से सिंथेटिक नशे के तौर पर भी प्रयोग किया जाने लगा। नशेड़ी 200 एमएल के उक्त इंजेक्शन को तब तक उबालते हैं जब तक उसकी मात्रा चौथा हिस्सा नहीं रह जाता। बचे हुए तरल हिस्से को धूप में सुखाने के लिए रख दिया जाता था और उसके बाद वह तरल पदार्थ पाउडर में तबदील हो जाता है। जो नशा करने वाले युवक स्मैक और हेरोइन की तरह प्रयोग करते हैं।