Friday, July 2, 2010

नई किताब 'होटलों में अनिवार्य ज्ञान'रीलिज की

नई किताब 'होटलों में अनिवार्य ज्ञान'रीलिज की
बठिंडा। हिन्दी, संस्कृत  व गढ़वाल भाषा में करीबन दस किताबें लिख चुके पंडित बीडी भास्कर की नई किताब 'होटलों में अनिवार्य ज्ञान' का विमोचन समारोह शुक्रवर को शहर के एक निजी होटल में किया गया। समारोह में होटल एशोसिएशन बठिंडा के अध्यक्ष सतीश अरोड़ा मुख्यातिथि के तौर पर शामिल रहे। अरोड़ा ने लेखक वीडी भास्कर द्वारा लिखी गई नई किताब को रीलिज किया व किताब की विशेषता के बारे में लोगों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस होटल जैसे कार्य में जहां आम व्यक्ति सोचना बंद कर देता है, वहीं से लेखक वीडी भास्कर ने इस कार्य को शुरु किया है। उन्होने बताया कि वीडी भास्कर द्वारा लिखी गई उनकी नई पुस्तक 'होटलों में अनिवार्य ज्ञान' होटलों में काम करने वाले लोगों के  अलावा इस क्षेत्र में दिलचस्पी रखने वालों के  लिए भी एक अद्भुत पुस्तक साबित होगी। समारोह के अंत में होटल एशोसिएशन द्वारा वीडी भास्कर को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। समागम में प्रमुख तौर पर विक्रमजीत सिंह बाहीया के अलावा एशोसिएशन के कार्यकर्ता रमेश सरदाना, अनिल ठाकुर, चमन सिंह, डा. नवदीप सिंह, आई.एस. घुमन रिटा, एम.एस. सजवान, रूपन कटारिया, बीएस सन्धू आदि विशेष तौर पर शामिल हुए।
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बाबा फरीद ग्रुप ने डेमीनोज पीजा कंपनी का पेलेसमेंट ड्राईव करवाया 
बठिंडा। बाबा फरीद गु्प आँफ इंस्टीट्यूशन में फास्ट ड्डूड क्षेत्र की प्रसिद्ध कंपनी डेमीनोज पीजा की तरफ से पेलस्टमेंट ड्राईव की गई। इस बाबत जानकारी देते हुए संस्था के एमडी गुरमीत सिंह धालीवाल ने बताया कि नए शैक्षाणिक से संस्थान में इस प्रकार कोर्स, बी.एस.सी, बीएससी,एटीएचएम, पीजी जैसे आदि नए कोर्स शुरु किए जा रहे है। इन्हे कोर्स की आज के युग में बड़ी मांग है। श्री धालीवाल ने बताया कि डेमीनोज कंपनी ने वी एटीएचएम ने प्लेसमैंट का आधार बनाया हुआ है। इन प्रकार की कंपनियों के साथ संस्था के संबंध बने पर भविष्य में यह कंञ्पनियां संस्थान में आती रहेगी व एटीएचएम वर्ग कोर्स संस्था से पास करने वाले छात्राओं को रोजगार उपलब्ध करवाने में मदद करेगी।  इस  पेलस्टमेंट ड्राईव में पंजाब के अलावा शिमला, अंबाला, कैथल, हशियारपुर, कांगड़ा मंडी, दिल्ली, हिसार, हनुमानगढ़, बीकनेर आदि क्षेत्रों से भारी संख्या में उम्मीदवार पहुंचे। इस दौरान २५ उम्मीदवारों को  आफर लैटर भी दिए गए। संस्था के पेलस्टमैंट अफसर गौरव ने बताया कि यह कोर्स पास करने वाले छात्रो को उक्त मैनजमैंट की तरफ से ट्रेनिंग दी जायेगी व इनकी सालान वेतन दो लाख के करीब होगा।
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भाखड़ा नहर से मिले तीन शव व भ्रूण
बठिंडा : बठिंडा-सरदूलगढ़ रोड़ स्थित गांव कुसला से होकर गुजरने वाली भाखड़ा नहर से एक छह सात माह के नर भ्रूण के अलावा तीन अज्ञात लोगों की गली सड़ी लाशें बरामद हुई हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय समाज सेवी संस्था नौजवान वेलफेयर सोसायटी को सूचना मिली कि बठिंडा-सरदूलगढ़ रोड़ स्थित भाखड़ा नहर में तीन लाशें व एक भ्रूण फंसा हुआ है। सूचना मिलने के बाद संस्था के कार्यकर्ता तरसेम सिंह, विक्की, कमल वर्मा, शिवम शर्मा आदि घटनास्थल गांव कुसला पहुंचे, और उन्होंने जोड़कियां थाना प्रभारी कर्मजीत सिंह की देखरेख में नहर से तीन लाशें व एक नर भ्रूण को बाहर निकाला और लाशों व भ्रूण को पोस्टमार्टम के लिए सरदूलगढ़ के सिविल अस्पताल में भेज दिया। संस्था प्रमुख सोनू महेश्वरी ने बताया कि लाशें करीबन 15-20 दिन पुरानी थी, जिनकी शिनाख्त हो पाना बेहद मुश्किल है। उन्होंने बताया कि एक लाश की बाजू पर इंग्लिश में जेओटीई व शेयर लिखा हुआ था।

नहर से मिली नवजात बच्चे की लाश :
निकटवर्ती गांव तिओना में उस समय हतप्रभ की स्थिति पैदा हो गई, जब गांव से होकर गुजरने वाली नहर में जा रही एक नवजात बच्चे की लाश पर कुछ गांवों वासियों की निगाह पड़ी। उन्होंने तुरंत एक समाज सेवी संस्था को मोबाइल फोन द्वारा सूचित किया। संस्था के कार्यकर्ता ने मौके पर पहुंचकर नवजात बच्चे को नहर से बाहर निकाला, लेकिन वो मरा हुआ था।

एकत्र की जानकारी के अनुसार वक्त था सुबह दस बजे का, जब स्थानीय समाज सेवी संस्था सहारा जन सेवा को सूचना मिली कि गांव तिओना की नहर में एक नवजात शिशु का शव जा रहा है। संस्था ने सूचना मिलते ही अपने कार्यकर्ता जग्गा सिंह की नेतृत्व में अपनी टीम को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया। मौके पर पहुंच कर संस्था वर्करों ने बच्चे को बाहर निकाला, जो मृत था। संस्था के कार्यकर्ता बच्चे को पोस्टमार्टम के लिए बठिंडा के सिविल अस्पताल ले आए। ज्ञात रहे कि उक्त शव नवजात लड़के का है।

माहौल भड़काऊ गीतों पर लगे पाबंदी

गीत संगीत के लिए बने सेंसर बोर्ड 
बठिंडा : पंजाबी गीत संगीत वारिस हीर की बदौलत अश्लीलता से बाहर निकालकर साफ सुधरे माहौल में पहुंचा ही था कि पंजाबी गायक बब्बू मान के गीतों ने उसका रुख क्रांतिकारी गीतों की तरफ मोड़ दिया। इसका इतना बुरा प्रभाव पड़ा कि अच्छी सोच क्रिएट करने की बजाय गीत विवादों को क्रिएट करने लगे हैं। लोगों के मनों में मोहब्बत का बीज बोने की बजाय नरफत के खार बोए जा रहे हैं, जिससे स्थिति किसी भी समय विस्फोटक साबित हो सकती है।

गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से बब्बू मान द्वारा लाला लाजपत राय को लेकर गाया गीत आलोचनाओं का निरंतर शिकार हो रहा है। अभी बब्बू मान का मामला सिमटा नहीं था कि कुछ हिन्दु सामाजिक संगठनों ने म्यूजिक चैनलों पर प्रसारित होने वाले गीत असीं तां यारों फैन हां बाबे भिंडरांवाले दे' को लेकर एतराज जता दिया। कुछ संगठन तो इस गीत को पूरी तरह बैन करवाने की मांग भी उठा रहे हैं।

लोगों को सचेत करने की बात तो कोई बुरी बात नहीं, लेकिन पुराने जख्मों को कुरेदना व किसी हिंसक भावनाओं को फिर से उत्पन्न करना के बेहद बुरी बात है, क्योंकि विवादित बातें समाज को टुकड़ों में बांटकर रख देती हैं। अब पंजाब के कई गायक ऐसे गीत गा रहे हैं, जो किसी न किसी वर्ग को निशाना बनाकर गाए जा रहे हैं। जैसे कि पिछले दिनों रिलीज हुई राज कांकड़ा की एलबम का गीत 'तुसीं उन्हां दे गलां विच्च हार पाउंदे रहे' आदि गीत। इस गीत में भगत सिंह की सराहना की गई तो दूसरी तरफ देश के राष्ट्रपिता की खुलकर धज्जियां उड़ाई गई हैं।

आज ऐसे तमाम गीत टेलीविजनों पर बज रहे हैं, जो सामाजिक भाईचारे को ठेस पहुंचा रहे हैं। इस बाबत जब विश्व हिन्दु परिषद के शीर्ष नेता सुखपाल सिंह सरां का कहना है कि आज के युवा गायक घटिया मानसिकता की उपज गीत गाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को नफरत फैलाने वाले गीतों पर रोक लगानी चाहिए। एक अन्य बुद्धजीवि का मानना है कि पंजाबी संगीत के लिए हिन्दी फिल्मों की तरह एक सेंसर बोर्ड होना चाहिए, जो गीत कंटेंट को देखकर ही रिलीज करे।

Thursday, July 1, 2010

बाजारवाद में ढलता सदी का महानायक

इसमें कोई शक नहीं कि रुपहले पर्दे पर अपने रौबदार एवं दमदार किरदारों के लिए हमेशा ही वाहवाही बटोरने वाला सदी का महानायक अमिताभ बच्चन अब बाजारवाद में ढलता जा रहा है, या कहूं वो पूरी तरह इसमें रमा चुका है। ऐसा लगता है कि या तो बाजार को अमिताभ की लत लग गई या फिर अमिताभ को बाजार की।

एक समय था जब अमिताभ की जुबां से निकले हुए शब्द लोगों के दिल-ओ-दिमाग में सीधे उतर जाते थे, उस वक्त के उतरे हुए शब्द आज भी उनकी जुबां पर बिल्कुल पहले की तरह तारोताजा हैं। उस समय कि दी यंग एंग्री मैन की छवि को आज का बिग बी टक्कर नहीं दे सकता। सत्य तो ये है कि आज का बिग बी तो उसके सामने बिल्कुल बौना नजर आता है।

सदी के इस महानायक का हाल एक शराबी जैसा हो गया है, जिसको देखकर कभी समझ नहीं आती कि शराब को वो पी रहा है या फिर शराब उसको पी रही है। आज बाजार अमिताभ को खा रहा है या अमिताभ बाजार को समझ नहीं आ रहा है, बस सिलसिला दिन प्रति दिन चल रहा है। असल बात तो यह है कि बीस तीस साल पुराना लम्बू और आज के बिग बी या अमिताभ बच्चन में बहुत बड़ा अंतर आ चुका है।

जहां बीस तीस साल पहले लम्बू बड़े पर्दे पर गरीबों दबे कुचले लोगों की आवाज बनता या उनका प्रतिनिधित्व करता हुआ एक दी यंग एंग्री मैन बन गया था, वहीं आज का अमिताभ बच्चन एक पूंजीवादी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हुए बाजार के लिए वस्तु बनकर रह गया या फिर टैग बनकर रह गया।

आज का बिग बी किसी को याद नहीं, अगर याद है तो सब को बीस तीस साल पुराना वो ऊर्जावान और शक्तिशाली अमिताभ बच्चन या फिर विजय दीना नाथ चौहान। जिसकी आवाज लोगों के कानों में आज भी गूंजती है, जिसके होने का आज भी अहसास होता है। वो कई साल पुराना हो चुका है, लेकिन आज भी तारोताजा है खेतों में लगी हुई सब्जियों की भांति। इस बात की पुष्टि तो पिछ्ले दिनों बिग बॉस के पहले दिन ही हो गई थी, जब बिग बी के सामने आने वाले बिग बॉस के मेहमान कल वाले अमित जी को याद कर रहे थे, जब अमिताभ उनकी उम्र का हुआ करता था। इन प्रतियोगियों को आज का अमित तो दिखाई ही नहीं देता। आज का बिग बी तो दी यंग एग्री मैन के कारण दौड़ रहा है।

अमिताभ बच्चन के 'दी यंग एंग्री मैन' से 'बिग बी' बनने के पीछे शायद '90 के दशक दौरान हुआ घाटा ही है, इसके बाद जब अमिताभ फिर से उदय हुआ तो उसका नया रूप था बिग बी। उसने विजय दीना नाथ चौहान का पल्लू छोड़ दिया, और खुद को बिग बी में ढाल लिया। जो अब पैसे की कीमत को समझने लगा था, उसको समझ आ गया था कि अब उसको बाजारवाद में ढलना होगा, नहीं तो वो खत्म हो जाएगा। किसी ने सत्य ही कहा है कि पैसा कुछ नहीं, अगर समझो तो खुदा से कम नहीं।

बीपीएल के विज्ञापन से विज्ञापन जगत में कदम रखने के बाद अमिताभ ने कई उत्पादों की बिक्री को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया, जिसके साथ अमिताभ का नाम जुड़ गया, उसका नसीबा खुल गया। इस दौर में अमिताभ पैसा खींच रहा है खुद के लिए और कुछ कारोबारी कंपनियों के लिए। शायद इस लिए लोगों के जेहन में दी यंग एंग्री मैन का नया रूप नहीं उतर रहा, बिग बी भा रहा है तो उसके पिछले युग के कारण, वैसे भी भारत में एक धारणा तो है कि आदमी अपने पिछले जन्मों का किया हुआ इस जन्म में खाता है, वैसे भी अमिताभ बच्चन का बिग बी दूसरा जन्म ही है।

कुलवंत हैप्पी
76967-13601

जेल गार्द एसो. ने किया रोष प्रदर्शन

जेल गार्द एसो. ने किया रोष प्रदर्शन
बठिंडा : पिछले छह माह से जेल गार्द के लांगरियों को वेतन न मिलने, पिछले दो सालों से वर्दी न मिलने व कर्मचारियों की अवैध बदली करने को लेकर विभाग से खफा पंजाब जेल गार्द एसोसिएशन ने स्थानीय केंद्रीय जेल में रोष प्रदर्शन किया। गौर तलब है कि विगत 18 जून को एसोसिएशन की ओर से फिरोजपुर सर्कल में धरना देकर चेतावनी दी गई थी, अगर सरकार व विभाग ने उनकी मांगों पर गौर न किया तो फिर से एक जुलाई को रोष प्रदर्शन किया जाएगा। अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे अपने साथियों को संबोधित करते हुए एसोसिएशन के वक्ताओं ने कहा कि अगर सरकार व विभाग उनकी मांगों को नहीं मानता तो संघर्ष को तेज किया जाए। वक्ताओं ने अपने हकों की रक्षा के लिए अपने साथियों को प्रेरित किया। इस मौके पर जानकारी देते हुए एसोसिएशन के प्रधान लखवीर सिंह ने बताया कि उनकी मांगों में जेल गार्द की भर्ती की योग्यता 12वीं की जाए, जो आठवीं है, जेल गार्द को पंजाब पुलिस की तरह गजटिड छुट्टियों की एवज में 13वां वेतन दिया जाए। इसके अलावा जेल गार्द के लांगरियों को पिछले छह माह से जो वेतन नहीं दिया गया, वो दिया जाए व पिछले दो साल से नहीं दी गई वर्दियां दी जाएं। इस मौके पर बलदेव सिंह मेहराज, कर्म सिंह व गुरनैब सिंह आदि साथी उपस्थित थे।

तीन दिवसीय भूख हड़ताल शुरू
बठिंडा : आज स्थानीय मिनी सचिवालय के बाहर जंगलात विभाग फील्ड वर्कर्स यूनियन बठिंडा की ओर से अपनी मांगों को लेकर तीन दिवसीय भूख हड़ताल की शुरूआत की गई। इस मौके पर जानकारी देते हुए जिलाध्यक्ष ने बताया कि वन विभाग बठिंडा की ओर से कर्मचारियों को पिछले चार माह से वेतन नहीं दिया गया, जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति बेहद पतली होती जा रही है। यूनियन नेताओं ने वन विभाग बठिंडा के आला अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग के उक्त अधिकारी दिन के उजाले में लूट रहे हैं और सरकार को आए दिन लाखों का चूना लगा रहे हैं। यूनियन के राज्याध्यक्ष जसवीर सिंह जंगीराणा ने बताया कि यहाँ हो रही लूटमार के बाबत विजिलेंस को भी जानकारी है, लेकिन अभी तक आरोपियों के विरुद्ध कोई ठोस कारवाई नहीं हुई, जिसके कारण अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं।

माइक्रोटेक की डीलर मीट
बठिंडा : स्थानीय बरनाला रोड़ स्थित एक रिजोर्ट में बिजली यंत्र बनाने वाली कंपनी माइक्रोटेक की ओर से एक डीलर मीट का आयोजन किया गया, जिसमें बठिंडा व आस पास के क्षेत्र से संबंधित डीलरों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर कुबेर का खजाना स्कीम के तहत लक्की ड्रा निकाले गए। मीट डीलरों का मनोरंजन करने के लिए रंगारंग प्रोग्राम का आयोजन भी किया गया, जिसमें पंजाबी हासरास कलाकार भजना अमली व उसकी साथी कलाकार ने खूब रंग बांधा। इस मौके पर बठिंडा के राजेंद्र कोहली व दवेंद्र कोहली को विशेष तौर पर सम्मानित किया गया।


सड़क हादसे में चार घायल
बठिंडा : पिछले 24 घंटों के दौरान शहर के विभिन्न क्षेत्रों में हुए सड़क हादसों में करीबन चार लोगों के घायल होने की सूचना मिली है, जिनको उपचार के लिए सहारा जन सेवा द्वारा स्थानीय सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जानकारी के अनुसार संस्था को सूचना मिली कि स्थानीय थर्मल फाटक के समीप एक नौजवान घायल अवस्था में पड़ा हुआ है। सूचना मिलते ही संस्था के कार्यकर्ताओं ने घायल युवक आजाद सिंह को स्थानीय सिविल अस्पताल में भरती करवाया। वहीं स्थानीय चंदसर बस्ती में एक मोटर साइकिल की टक्कर से रिक्षा चालक सुखदेव सिंह घायल हो गया, जिसको उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इसके अलावा बीवी वाला चौंक के समीप एक स्कूटर चालक को बचाने के चक्कर में कार सड़क डिवाईडर के साथ टकरा गई, जिसके कारण कार चालक सुखदेव सिंह सिद्धू बुरी तरह घायल हो गया। उधर, स्थानीय बादल रोड़ पर दो मोटर साइकिलों की आपसी भिंड़त में एक मोटर साइकिल चालक गिरधारी लाल बुरी तरह घायल हो गया, जिसको इलाज हेतु अस्पताल में दाखिल करवाया गया।

आसरा को दान किया शव सुरक्षा फ्रिज
बठिंडा : बठिंडा शहर की समाज सेवी संस्था आसरा वेलफेयर सोसायटी बठिंडा की सेवा भावना को देखते हुए बठिंडा के समाज सेवक बनवारी लाल बांसल ने संस्था को समाज सेवा हेतु शव सुरक्षा फ्रिज भेंट किया। संस्था प्रमुख रमेश मेहता ने बताया कि उक्त शव सुरक्षा फ्रिज को स्थानीय बीवी वाला रोड़ स्थित रामबाग में रख दिया गया। इस मौके पर संस्था के देवराज बांसल, विनोद गोयल, गोरा बांसल, हनीष मेहता, बसंत भट्ट, संदीप उपस्थित थे।

Wednesday, June 30, 2010

वीडी भास्कर की नई किताब शीघ्र

बठिंडा : हिन्दी, संस्कृत व गढ़वाल भाषा में करीबन दस किताबें लिख चुके पंडित वीडी भास्कर की नई किताब 'होटलों में अनिवार्य ज्ञान' का विमोचन शुक्रवार को होने जा रहा है। इस समारोह में शिरकत करने के लिए बठिंडा पधारे श्री भास्कर ने संध्या दैनिक 'पंजाब का सच' के  साथ चर्चा करते हुए बताया कि उनको लेखन का शौक बचपन से ही था। उन्हें लिखने का शौक बाल सभाओं में मंच संलाचन करते करते पड़ा। आगे श्री भास्कर बताते हैं कि 1980 में उनकी पहली हिन्दी किताब नाटक 'पापी पेट का सवाल' आई, जिसको पाठकों ने बेहद स्नेह दिया। उन्होंने अपने उपरोक्त नाटक का मंचन देश भर के कई राज्यों में गढ़वाल भाषा नाटक व संगीत परिषद के बैनर तले 1985 से 2000 तक किया। एक सवाल का जवाब देते हुए उत्तरांचल साहित्य सभा के भास्कर पुरस्कार से सम्मानित श्री भास्कर बताते हैं कि आजकल वो नए नए होटलों में अतिथि प्रवक्ता के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जिसके कारण वो नाटक मंचन से दूर हो गए, अगर ईश्वर ने चाहा तो वो जल्द से फिर 
रंगमंच की ओर लौटेंगे। नरसिंह रहस्य, आपकी सफलता का महामंत्र, चमत्कार को नमस्कार व कब क्यों और कैसे (संस्कृत) जैसी तमाम पुस्तकें लिख चुके श्री भास्कर कहते हैं कि उनकी नई पुस्तक 'होटलों में अनिवार्य ज्ञान' होटलों में काम करने वाले लोगों के अलावा इस क्षेत्र में दिलचस्पी रखने वालों के लिए भी एक अद्भुत पुस्तक है, जो शीघ्र ही बाजार में होगी।

मंहगाई को लेकर भाजपा का थाली खटकाओ प्रदर्शन

-केंद्र सरकार पर गरीबों को खत्म करने का आरोप लगाया
-बढे़ तेल के दामों को तत्काल वापिस लेने की मांग 
बठिंडा। भारतीय जनता पार्टी ने मंहगाई को लेकर जिला स्तर पर मिनी सचिवालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इसमें केंद्र सरकार की तरफ से रसोई गैस, डीजल व पैट्रोल की कीमतों में की गई बढ़ोतरी की अलोचना कर इसे तत्काल वापिस लेने की मांग की गई। इस दौरान थालियां लेकर मंहगाई के खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजाने को कहा गया। विरोध प्रदर्शन में भाजपा की तरफ से भीड़ जुटाने के लिए बाहरी बस्तियों से लोगों को इकट्ठा किया गया था जिसमें सभी को नई थालियां खरीदकर दी गई थी। इन थालियों को लेने के लिए भी रैली के दौरान जमकर घमसान हुआ। भाजपा के प्रधान श्याम लाल बांसल ने कहा कि कांग्रेस की यूपीए सरकार मंहगाई पर लगाम कसने में पूरी तरह से नाकाम रही है, जिससे गरीब लोगों की कमर टूट गई है। वही हाल में सरकार ने तेल की कीमतों केञ् साथ रसोई गैस की कीमते बढ़ाकर लोगों पर अतिरिक्त बोझ डालने का काम किया है। भाजपा केंद्र सरकार की इस विफलता को अजागर करने के लिए राज्य भर में विरोध प्रदर्शन कर रही है। भाजपा के नगर निगम डिप्टी मेयर तरसेम गोयल, मंडल प्रधान अशोक बालियांवाली ने कहा कि केंद्र की कांग्रेस सरकार गरीबी खत्म करने का दावा कर रही है लेकिन उसकी नीतियों से गरीबी तो खत्म नहीं हो रही है बल्कि गरीब खत्म हो गया है। जिले में थाली खटकाओ प्रदर्शन में वह केंद्र की सो रही सरकार को जगाने का प्रयास कर रहे हैं। इस तरह के प्रदर्शन राज्य भर में किए जा रहे हैं। रैली में प्रमुख तौर पर नेशनल कौंसिल मैंबर एडवोकेट मोहन लाल गर्ग, गुलशन बंधावा, पंकज अरोड़ा व सुमन गुप्ता ने भी संबोधित किया। 

मौज मस्ती के शौक ने बना दिया लूटपाट गिरोह का सरगना

-इंजीनियरिंग के दो छात्रों सहित पांच सदस्य पुलिस की हिरासत में 
- पुलिस ने बरामद किया तीन लाख रुपए का सामान 
बठिंडा। बचपने में एक कपडे़ की दुकान में खरीदे सामान की कीमत अदा करने के लिए की गई चोरी ने दो नौजवानों को लूटपाट गिरोह का सरगना बना दिया। इसके बाद उक्त नौजवान इस कदर बेखौफ हो गए कि उन्होंने सड़क पर जाने वाले लोगों को लूटने का काम शुरू कर दिया। वर्तमान में इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ रहे दोनों छात्रों को देखकर कोई कह नहीं सकता था कि उक्त लोग महानगर में हुई दर्जनों बड़ी लूटपाट की घटनाओं में शामिल है। महानगर में लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देने वाले इस गिरोह का कैञ्नाल पुलिस ने पर्दाफाश किया है। पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है जिसमें दो युवक बठिंडा के एक प्राइवेट पॉलोटैक्निक कालेज में इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्र है। पुलिस ने उक्त गिरोह के सदस्यों से तीन लाख के करीब सामान बरामद किया है। एसएसपी डा. सुखचैन सिंह ने बताया कि महानगर में पिछले लंबे समय से सड़क में जाती महिलाओं के गहने व मोबाइल छीनने की घटनाएं घटित हो रही थी। इसमें पुलिस पुलिस ने छानबीन शुरू की तो खुलासा हुआ कि कुछ नौजवानों ने एक गिरोह बना रखा है जो इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। जांच पड़ताल में पता चला कि एक प्राइवेट पॉलोटैक्निक कालेज के दो छात्र कुलजीत सिंह और लखवीर सिंह ने एक गिरोह बना रखा है जो आगे चार अन्य लोगों के साथ मिलकर इस तरह की लूटपाट अपने मंहगे शौक पूरे करने के लिए करते हैं। उक्त लोग नशा करने के साथ मंहगे कपडे़ पहनने व बडे़ शहरों में घूमने के शौकिन है। इसी शोक के लिए वह आए दिन लूटपाट कर रहे हैं। गिरोह में कुलजीत सिंह पुत्र जगतार सिंह  वासी आर्दश नगर, लखवीर सिंह पुत्र हरबंस सिंह वासी गिलपत्ती, मिथेलेश कुमार पुत्र कांशी राम वासी सुखपीर रोड, संदीप कुमार पुत्र विजय कुञ्मार वासी हंसनगर, गौरवदीप सिंह पुत्र प्रवीण कुमार के साथ मिलकर एक गिरोह का गठन कर रखा था। गिरोह के सरगना कुलजीत सिंह और लखवीर सिंह ने बताया कि बचपन में पहले बार उन्होंने एक दुकान से कपडे़ खरीदे व इन कपड़ों के लिए उनके पास पैसे कम हो गए। इसके लिए उन्होंने सड़क पर जा रही एक महिला का पर्स छीना व फरार हो गए। इसके बाद उनके हौसले बुलंद हो गए व उन्होंने आए दिन इस तरह की लूटपाट करनी शुरू कर दी। इसकी भनक उनके अभिभावकों को भी नहीं लग सकी। इसकेञ् बाद उन्होंने बकायदा अपने साथ चार अन्य लोगों को जोड़ लिया व लूटपाट केञ् सामान को आपस में बांट मौज मस्ती करते थे। यह गिरोह बठिंडा शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में लूटपाट की वारदातों को अंजाम देता था। पुलिस को गुप्त सूचना मिली की उक्त गिरोह विगत दिवस हथियारों से लेंस होकर बहिमण दीवाना रोड़ पर किसी घर में डाका मारने की योजना बना रहे थे। पुलिस टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर गिरोह के छह सदस्यों को मौके पर काबू कर लिया। पुलिस ने गिरोह के सभी सदस्यों से पूछताछ करने पर 114 ग्राम 330 मिलीग्राम सोना, 18 मोबाईल फोन व 18 हजार रुपये, तीन मोटरसाइकिल बरामद किए हैं। उक्त गिरोह से बरामद किए गए लूटपाट के सामान की कुल कीमत तीन लाख के करीब हैं। कैनाल पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए गिरोह के सभी सदस्यों पर आईपीसी की धारा 399,402 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।

Tuesday, June 29, 2010

पंजाबी भाषा और कुछ बातें

अपने ही राज्य में बेगानी सी होती जा रही है पंजाबी भाषा, केवल बोलचाल की भाषा बनकर रह गई पंजाबी, कुछ ऐसा ही महसूस होता है, जब सरकारी स्कूलों के बाहर लिखे 'पंजाबी पढ़ो, पंजाबी लिखो, पंजाबी बोलो' संदेश को देखता हूँ। आजकल पंजाब के ज्यादातर सरकारी स्कूलों के बाहर दीवार पर उक्त संदेश लिखा आम मिल जाएगा, जो अपने ही राज्य में कम होती पंजाबी की लोकप्रियता को उजागर कर रहा है, वरना किसी को प्रेरित करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।

पंजाबी भाषा केवल बोलचाल की भाषा बनती जा रही है, हो सकता है कि कुछ लोगों को मेरे तर्क पर विश्वास न हो, लेकिन सत्य तो आखिर सत्य है, जिस से मुँह फेर कर खड़े हो जाना मूर्खता होगी, या फिर निरी मूढ़ता होगी। पिछले दिनों पटिआला के बस स्टॉप पर बस का इंतजार करते हुए मेरी निगाह वहाँ लगे कुछ बोर्डों पर पड़ी, जो पंजाबी भाषा की धज्जियाँ उड़ा रहे थे, उनको पढ़ने के बाद लग रहा था कि पंजाबी को धक्के से लागू करने से बेहतर है कि न किया जाए, जो चल रहा है उसको चलने दिया जाए।

अभी पिछले दिनों की ही तो बात है, जब एक समारोह में संबोधित कर रहे राज्य के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को अचानक अहसास हुआ कि पाकिस्तान व हिन्दुस्तान में संपर्क भाषा पंजाबी भी है, जिसके बाद उन्होंने अपना भाषण पंजाबी में दिया, चलो एक अच्छी बात है। लेकिन ऐसा भी तो हो सकता है कि किसी ने पीछे से कह दिया हो, साहेब! आप तीसरे देश की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। दोष बादल साहेब का नहीं, दोष तो हमारा है, जो खुद की भाषा में बात करने को अपनी बे-इज्जती समझते हैं। हमारे राज्य की तो छोड़ो देश के नेता भी हिन्दी में शपथ लेने से कतराते हैं, और कहते हैं कि हिन्दुस्तान की संपर्क भाषा हिन्दी बने। इससे कुछ दिन पहले ही, राज्य के एक पंजाबी समाचार पत्र में लेखिका डा.हरशिंदर कौर का लेख प्रकाशित हुआ था, जिसमें लेखिका ने अपने साथ हुई घटना का उल्लेख करते हुए पंजाबी सेवक का पट्टा पहनकर घूमने वालों पर जोरदार कटाक्ष किया था।

पंजाबी भाषा को अगर कायम रखना है, तो सरकार को कानून बनाने की नहीं बल्कि भाषा को लोकप्रिया बनाने की जरूरत है। पंजाबी गीत संगीत ने पंजाबी को विश्वव्यापी तो बना दिया, लेकिन केवल बोलचाल में, लेखन में नहीं। अगर लेखन में भी इसको लोकप्रियता दिलानी है तो सरकार को साहित्यकारों की तरफ ध्यान देना होगा। पंजाबी फिल्मों के साथ साथ फिर से पंजाबी रंगमंच को जिन्दा करना होगा, ताकि लोगों को एक बार फिर से पंजाबी लेखन की तरफ खिंचा जा सके।

पंजाबी फिल्म एकम में जब नायिका नायक को अपने शौक के बारे में बताते हुए कुछ विदेशी लेखकों का नाम लेती है, जिन्हें वे रूटीन में पढ़ती है, तो नायक उसकी इस बात पर कटाक्ष करते हुए कहता है कि कभी पंजाबी लेखकों को भी पढ़ लिया करो। स्टेट्स सिम्बल के चक्कर में पंजाबी अपने ही राज्य में हाशिए पर खड़ी नजर आ रही है। कॉलेजों से निकलते ही विद्यार्थी भूल जाते हैं कि उन्होंने कॉलेज में किन किन पंजाबी लेखकों को पढ़ा, और आगे किन किन को पढ़ना है, क्योंकि उनके लिए पढ़ाई का मतलब डिग्री हासिल करना, और उस डिग्री के बलबूते पर नौकरी हासिल करना। ऐसे में भाषा व संस्कृति को बचा पाना बेहद मुश्किल ही नहीं, असंभव भी है।

कुलवंत हैप्पी
76967 13601

पानी की टैकियों पर लगा रहा पुलसिया पहरा

-बेरोजगार बीएड़ अध्यापकों ने निकाली महानगर में रैली
-ईटीटी अध्यापकों ने दिया यूनियन पदाधिकारियों को इस्तीफा
बठिंडा। बेरोजगार बीएड अध्यापक फ्रंट और ईटीटी अध्यापक यूनियन ने मंगलवार को पूरा दिन जिला प्रशासन को छकाकर रखा। सोमवार की रात से ही स्थानीय टीचर्स होम में बीएड बेरोजगार अध्यापक फ्रंट के राज्य भर से कार्यकर्ता इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। इसके चलते जिला प्रशासन ने जिले भर की सभी पानी की टैकियों की नाकाबंदी कर दी व पूरी फोर्स इन टैकियों के आसपास तैनात कर दी गई। इस दौरान प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर भी सुरक्षा के कडे़ इंतजाम करने पडे़। प्रशासन की सख्ती के चलते बेरोजगार बीएड अध्यापकों ने दोपहर बाद शहर में रैली निकालकर मांगपत्र सौंपा। दूसरी तरफ ईटीटी अध्यापक यूनियन के सैकड़ों अध्यापकों ने सरकार की नीतियों से खफा होकर अपनी नौकरी से इस्तीफे देने की घोषणा कर दी। इस बाबत सभी अध्यापकों ने यूनियन पदाधिकारियों को अपने इस्तीफे सौंपकर आगे सरकार व शिक्षा विभाग तक इन्हें भेजने का अधिकार दिया। वहीं कहा कि वह आगे से शिक्षा विभाग की तरफ से जारी किसी भी आदेश की पालना करने के लिए बाध्य नहीं रहेंगे बल्कि बीडीपीओ के प्रति उनकी जबावदेही रहेगी। बोरोजगार बीएड अध्यापक फ्रंट की तरफ से राज्य स्तरीय रैली में प्रमुख हरजीत सिंह जींदा ने बताया कि सरकार उन्हें नौकरी देने का झूठा वायदा कर रही है लेकिन आज तक रोजगार प्रदान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि उनकी यूनियन ने सर्वसम्मति से फैस्ला लिया है कि टैंकियों पर चढक़र वह जान देने की बजाय सरकार की नाक में दम करने के लिए विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री की हर रैली में विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी। दूसरी तरफ ईटीटी अध्यापक यूनियन के जिला प्रधान जगमेल सिंह ने कहा कि चुनाव से पहले अकाली दल ने उन्हें सर्व शिक्षा अभियान व पढ़ो पंजाब प्रोजेक्ट के अधीन जिला परिषदों से शिक्षा विभाग में तैनात करने का वायदा किया था लेकिन इसमें आज तक ईटीटी अध्यापकों को शिक्षा विभाग में शामिल नहीं किया गया है। इसी से खफा अध्यापकों ने अपने पदों से इस्तीफे देने का फैसला लिया है। यह इस्तीफे प्रत्यक्ष तौर पर शिक्षा विभाग को नहीं दिए जा रहे हैं क़्योंकि शिक्षा विभाग उन्हें अपना हिस्सा मानने को तैयार नहीं है, ऐसे में उन्होंने यूनियन पदाधिकारियों को इस्तिफा देने का फैसला लिया है।

महिला से किया दुष्कर्म, एक व्यक्ति पर मामला दर्ज

बठिंडा। महिला को घर में अकेयल देख उसके ही पड़ोसी ने बलात्कार कर दिया। पुलिस ने महिला की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोपी पुलिस की ग्रिफ्त से बाहर है। जानकारी अनुसार पीडि़त महिला ने तलवंडी साबो पुलिस के पास दर्ज करवाई शिकायत में बताया कि गुरुसर जगा में उसके परिजन किसी काम से बाहर गए हुए थे। इसका फायदा उठाकर सोनवार की रात्रि अमनदीप सिंह दीवार उर्फ चांद कर उसके घर में दाखिल हुआ। उसने तेजधार हथियार से उसे डरा धमकाकर उसके साथ दुष्कर्म कर घटनास्थल से फरार हो गया। परिजनों के घर वापिस लौटने पर इसकी जानकारी दे पुलिस के पास केस दायर करवाया गया। पुलिस ने महिला का मेडिकल करवाने के बाद आरोपी के खिलाफ केस दायर कर लिया। इसमें आरोपी घटना को अंजाम देने के बाद फरार है। 

महिला का अश्लील एमएमएस बनाकर कर रहे थे ब्लैकमेल
बठिंडा। महिला को नशीली दवा पिलाकर अश्लील एमएमएस बना ब्लैकमेल करने वाली दो महिला सहित तीन लोगों के खिलाफ केस दायर किया है। दयालपुरा पुलिस के पास दर्ज करवाई शिकायत में महिला ने बताया कि उसकी जानपहचान वाली महिला मनजीत कौर वासी भगता भाई, रमन कौर पत्नी जसकरण सिंह व फूलां पंडित पुत्र बलविंद्र शर्मा ने धोखे से उसे पानी के गिलास में नशीली दवाई पीलाकर बेहोश कर दिया। बहोशी की हालत में उक्त आरोपियों ने उसकी अश्लील फिल्म तैयार कर उसे ब्लैकमेल करना शुरु कर दिया। महिला ने बताया कि उक्त आरोपी उसे फोन कर धमकी दे रहे है कि उन्होंने उसका अश्लील एमएमएस बनाया है अगर उसने उन्हें बीस हजार रुपये नहीं दिए तो वह इसे सार्वजनिक कर देंगे। पुलिस ने दो महिला सहित तीन लोगों पर मामला दर्ज कर रमन व फूलां पंडित को गिरफ्तार कर लिया है। 

पूहली में लगाया रक्तदान शिविर

बठिंडा- यूनाईटेड वेलफेयर सोसायटी की ओर से चलाए जा रहे अभियान गांव गांव रक्तदान शिविर के तहत निकटवर्ती गांव पूहली में बाबा जीवन सिंह हैल्पर वेलफेयर क्लब की ओर से स्वेच्छा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें एक महिला रक्तदानी गुरजीत कौर के समेत 19 लोगों ने स्वेच्छा से रक्तदान किया।

गांव की धर्मशाला में क्लब प्रधान जसमीत सिंह, उप प्रधान चमकौर सिंह व गुरसेवक सिंह के यत्नों से आयोजित रक्तदान शिविर का शुभारंभ डा. हरजिंदर कौर बीटीओ बरनाला ने रक्तदानियों के बैच लगाकर किया।

इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए डा.कौर ने लोगों को रक्तदान की लहर में बढ़ चढ़कर योगदान देने के लिए प्रेरित किया और उनके मनों में रक्तदान को लेकर पैदा हुई गलत फहमियों को दूर किया। रक्तदान शिविर में विशेष तौर पर पहुंचे संस्था प्रधान विजय भट्ट ने आए हुए रक्तदानियों का आभार प्रकट किया व उनको रक्तदान के प्रति अन्य लोगों को प्रेरित किया। कैंप के दौरान राजकुमार और कृष्ण कोटशमीर ने अपनी अपनी जिम्मेदारियां बाखूबी निभाई।

कैंप के दौरान सबसे दिलचस्प बात थी बरनाला ब्लड बैंक की चुस्त दुरुस्त टीम, जो रक्तदानियों के साथ बड़े ही सलीके से पेश आ रही थी और मौके पर ही रक्तदान प्रमाण पत्र तैयार कर दे रही थी। इसके अलावा टीम का हर वर्कर हर रक्तदानी के साथ वार्तालाप करते हुए उसको रक्तदान के प्रति जागरूक कर रहा था।

सर्टिफिकेट वितरण समारोह 
बठिंडा : स्थानीय इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट की ओर से अवार्ड ऑफ सर्टिफिकेट समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यातिथि के तौर पर गुरकृत कृपाल सिंह डिप्टी कमिश्नर बठिंडा पहुंचे।

इस मौके पर बोलते हुए श्री सिंह ने कहा कि आने वाले समय में होटल प्रबंधन कारोबार में रोजगार की बेहद संभावनाएं हैं। उन्होंने इस मौके पर सर्टिफिकेट हासिल करने वाले विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।

समारोह के अतिरिक्त बातचीत में इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल श्री पियूश ने बताया कि जल्द से जल्द विद्यार्थियों की सुविधा के अनुसार उनको नौकरियां मुहैया करवाई जाएंगी और इसके लिए बड़े बड़े होटलों रेस्टोरेंटों से बातचीत चल रही है।

इस समारोह में अन्य लोगों के अलावा इंस्टीट्यूट प्रिंसिपल कमल पियूश, नगर निगम मेयर बलजीत बीड़ बह्मण, अशोक धुन्नीके, नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन अशोक भारती आदि उपस्थित थे।

रहा आकर्षण का केंद्र भुच्चो का जसवंत : सबेसियाह को दिन में बदल नहीं सकते, जो दीपक तेज हवाओं में जल नहीं सकते मशहूर शायर अजीज अंसारी की उक्त पंक्ति उस समय एकाएक जुबान पर आ गई, जब विद्यार्थी जसवंत सिंह निवासी भुच्चो खुर्द अपना डिप्लोमा सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए अपनी एक वैसाखी के साथ स्टेज की तरफ बढ़ा। उसके चेहरे पर गर्व का जोश साफ झलक रहा था, वो भले ही जिन्दगी भर एक वैसाखी के सहारे से चले, लेकिन आजीविका के लिए वो किसी और के सहारे का इंतजार नहीं करेगा।

Monday, June 28, 2010

बरसात से पहले दूषित खानपान से फैली गंभीर बीमारियां

बठिंडा। जून माह में मानसून से पहले हो रही बरसात के बाद बेशक सेहत विभाग संभावित बीमारियों की रोकथाम के लिए पुख्ता प्रबंध करने का दावा कर रहा है लेकिन जिले में बिक रहे दूषित खानपान के कारण लोग कई गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। इन दिनों पेट दर्द, चमड़ी रोग के साथ उलट-दस्त जैसी बीमारियों की भरमार हो रही है। सिविल अस्पताल में ही प्रतिदिन डेढ़ सौ मरीज इस तरह की बीमारी के उपचार के लिए पहुंच रहे हैं जो सामान्य दिनों के मुकाबले तीन गुणा अधिक है। प्राइवेट अस्पतालों में तो यह तादाद कही ज्यादा है। सेहत विभाग की लापरवाही के चलते दूषित और सड़े-गले खाद्य पदार्थों की बिक्री जिले भर में धड़ल्ले से हो रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकार को सख्त हिदायत दे रखी है कि दूषित खाद्य पदार्थो की बिक्री पर निगरानी रखने के लिए लाइसेंस जारी करे, लेकिन इस पर राजनीतिक दबाब या फिर प्रशासनीय स्तर पर लापरवाही के चलते अमल नहीं हो रहा। आदेशों को आरंभिक चरण में औपचारिकता स्वरूप लागू कर दिया गया लेकिन राजनीतिक दबाव में योजना पूरी नहीं हो सकी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सात साल पहले 7 मार्च 2003 को सभी राज्य सरकारों को पत्र जारी कर निर्देश दिया था कि खाद्य पदार्थ बेचने वालों से एकमुश्त राशि वसूल कर लाइसेंस जारी किया जाए। इसमें सुनिश्चित किया जाना लाजमी है कि इन दुकानों की बकायदा समय-समय पर चेकिंग हो और दूषित खाद्य पदार्थ बेचने पर सख्त कार्रवाई की जाए। इस आदेश के बाद जिला सेहत विभाग ने जिले भर में सर्वे का काम शुरू  किया था। इसमें जिले में 153 राइस मिल, 39 स्लाटर हाउस, 228 ढाबा और रेस्टोरेंट, 28 होटल, 353 मिल्क डेयरी, 225 मीट शॉप, 390 जूस आइसक्रीम फैक्ट्री, 680 आटा चक्की, 25 कोल्ड स्टोर, 2,886 चाय की दुकानें, 2900 रीटेलर दुकान, 208 शराब ठेके, 2,170 खुले खाद्य पदार्थ विक्रेञ्ताओं की पहचान की गई थी। इनको जिला सेहत विभाग ने नोटिस जारी कर लाइसेंस बनाने के निर्देश जारी किये थे। शैलर मालिकों को ग्रामीण क्षेत्रों में तीन हजार व शहरी क्षेत्रों में पांच हजार रुपये की राशि भरने के लिए कहा था। सेहत विभाग ने दावा जताया था कि लाइसेंस प्रक्रिया के कारण जहां दूषित खाद्य पदार्थ की बिक्री पर रोक लगेगी वही सेहत विभाग को लाइसेंस फीस की एवज में प्रतिवर्ष लाखों रुपये की अतिरिक्त आय भी होगी। लेकिन वर्तमान में विभाग की नाकारा कारगुजारी के कारण जिले में दूषित खाद्य पदार्थ की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। इसके चलते लोग डायरिया जैसी बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। सब्जियों व फलों में जहां रसायनिक तत्वों की अधिकता के कारण पेट संबंधी विकारों में बढ़ोतरी हुई है। दाल, अनाज व तरल पदार्थ में मिलावट होने के कारण कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। उधर, जिला सेहत विभाग के अधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि सेहत विभाग इस योजना पर काम कर रहा है और जल्द ही इस बाबत लाइसेंस प्रक्रिञ्या को लागू किया जाएगा। सिविल सर्जन का कहना है कि दूषित खाद्य पदार्थों की सैपलिंग का काम जारी है। सैंपल ड्डेञ्ल होने पर सख्त कार्रवाई की जाती है।

रेगिस्तान में बदल जाएगा जिला!

बठिंडा। जल ही जीवन है लेकिन इन दिनों एक बार फिर से धान की खेती के लिए पानी का अंधाधुंध इस्तेमाल शुरू हो गया है, जिससे जमीनी पानी का स्तर दो से तीन फुट तक नीचे गिर रहा है। सितंबर माह तक जिले के कई हिस्सों में यह स्तर पांच फुट तक पहुंचने की आशंका है। पिछले सात साल में जिले का जमीनी पानी इसी रफ्तार से निरंतर नीचे गिर रहा है। वर्तमान में स्थिति यह है कि जहां पिछले साल जमीनी पानी की स्तर 40 से 45 फुट तक था वहीं यह 45 से 50 फुट तक चला गया है। पर्यावरण विशेषज्ञ डा. उमेंद्र दत्त शर्मा इस स्थिति को गंभीर मानते हुए खुलासा करते हैं कि अगर चार से पांच फुट तक पानी हर साल इसी तरह नीचे गिरता रहा तो आने वाले कुछ वर्षों में जिले में रेगिस्तान जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। पानी का स्तर नीचे गिरने का सबसे बड़ा कारण खेती में विशेषकर धान की बिजाई के दौरान होने वाली अत्यधिक दोहन है। दूसरी तरफ पिछले कुछ साल से औसत से कम बरसात हो रही है जिससे पानी का स्तर बरकरार रखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिले में बेशक जमीनी पानी को क्लोराइड व रासायनिक तत्वों की अधिक मात्रा से प्रदूषित करार दिया जा चुका है, लेकिन इसके बावजूद जिले की 60 फीसदी आबादी नहरी पानी के अभाव में नलकूपों व ट्यूबवेलों पर निर्भर है। वर्तमान में जिले भर में डेढ़ लाख घर ऐसे हैं जहां नलकूपों से लोग पीने का पानी हासिल करते हैं। निगम व नगर कौंसिल मात्र 70 हजार घरों को पाइपों से स्वच्छ नहरी पानी दिलाती है। कृषि विभाग के एक अनुमान के अनुसार सामान्य तौर पर पांच फुट तक पानी का नीचे की तरफ जाना चिंताजनक पहलु है, इससे जहां किसानों को नए ट्यूबवेल पर हर साल लाखों रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ते हैं वही शहरी क्षेत्र में हैडपंपों को नए सिरे से खुदवाने के लिए एक व्यक्ति को पांच से दस हजार रुपये का अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ रहा है। वर्तमान में हर साल 15 से 20 हजार हैंडपंप जमीनी पानी नीचे जाने से पानी छोड़ देते हैं। इससे उसे फिर से खुदवाने की जरूरत पड़ती है। यही नहीं कई स्थान तो ऐसे हैं जहां पानी का स्तर दस फुट तक नीचे चला गया है, ऐसे में हैंडपंप की नए सिरे से खुदाई करने व पाइपें डालने में 15 से 20 हजार रुपये प्रति खर्च आ रहा है। कृषि विभाग के अधिकारी एसएस गिल का कहना है कि उन्होंने किसानों को धान की अग्रीम खेती करने से मना कर रखा है जिसमें एक समय सीमा निर्धारित होने से ट्यूबवेलों से पानी का दोहन कम हुआ है। दूसरी तरफ वर्तमान में शहरी क्षेत्रों में लोग नगर निगम व नगर कौंसिल के भेजे जाने वाली पानी के टैंकरों पर निर्भर है, जो कई बार बिजली कट से मोटर न चलने या फिर तकनीकी खराबी से लोगों तक पहुंचने में असफल रहते हैं। ऐसे में लोगों के पास जमीन का दूषित पानी पीना ही एकमात्र हल होता है। इसमें भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पानी के लिए लोगों की लंबी कतारें लगना सामान्य घटना बन रही है।  इस मामले में नगर निगम कमिश्नर रवि भगत का कहना है कि पानी की सप्लाई आम लोगों तक बिना रुकावट पहुंचे इसके लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। पानी की सप्लाई पूरी करने के लिए कई योजनाओं पर काम चल रहा है। इससे लोगों को काफी हद तक राहत मिलेगी। 

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