-बेरोजगार बीएड़ अध्यापकों ने निकाली महानगर में रैली
-ईटीटी अध्यापकों ने दिया यूनियन पदाधिकारियों को इस्तीफा
बठिंडा। बेरोजगार बीएड अध्यापक फ्रंट और ईटीटी अध्यापक यूनियन ने मंगलवार को पूरा दिन जिला प्रशासन को छकाकर रखा। सोमवार की रात से ही स्थानीय टीचर्स होम में बीएड बेरोजगार अध्यापक फ्रंट के राज्य भर से कार्यकर्ता इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। इसके चलते जिला प्रशासन ने जिले भर की सभी पानी की टैकियों की नाकाबंदी कर दी व पूरी फोर्स इन टैकियों के आसपास तैनात कर दी गई। इस दौरान प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर भी सुरक्षा के कडे़ इंतजाम करने पडे़। प्रशासन की सख्ती के चलते बेरोजगार बीएड अध्यापकों ने दोपहर बाद शहर में रैली निकालकर मांगपत्र सौंपा। दूसरी तरफ ईटीटी अध्यापक यूनियन के सैकड़ों अध्यापकों ने सरकार की नीतियों से खफा होकर अपनी नौकरी से इस्तीफे देने की घोषणा कर दी। इस बाबत सभी अध्यापकों ने यूनियन पदाधिकारियों को अपने इस्तीफे सौंपकर आगे सरकार व शिक्षा विभाग तक इन्हें भेजने का अधिकार दिया। वहीं कहा कि वह आगे से शिक्षा विभाग की तरफ से जारी किसी भी आदेश की पालना करने के लिए बाध्य नहीं रहेंगे बल्कि बीडीपीओ के प्रति उनकी जबावदेही रहेगी। बोरोजगार बीएड अध्यापक फ्रंट की तरफ से राज्य स्तरीय रैली में प्रमुख हरजीत सिंह जींदा ने बताया कि सरकार उन्हें नौकरी देने का झूठा वायदा कर रही है लेकिन आज तक रोजगार प्रदान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि उनकी यूनियन ने सर्वसम्मति से फैस्ला लिया है कि टैंकियों पर चढक़र वह जान देने की बजाय सरकार की नाक में दम करने के लिए विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री की हर रैली में विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी। दूसरी तरफ ईटीटी अध्यापक यूनियन के जिला प्रधान जगमेल सिंह ने कहा कि चुनाव से पहले अकाली दल ने उन्हें सर्व शिक्षा अभियान व पढ़ो पंजाब प्रोजेक्ट के अधीन जिला परिषदों से शिक्षा विभाग में तैनात करने का वायदा किया था लेकिन इसमें आज तक ईटीटी अध्यापकों को शिक्षा विभाग में शामिल नहीं किया गया है। इसी से खफा अध्यापकों ने अपने पदों से इस्तीफे देने का फैसला लिया है। यह इस्तीफे प्रत्यक्ष तौर पर शिक्षा विभाग को नहीं दिए जा रहे हैं क़्योंकि शिक्षा विभाग उन्हें अपना हिस्सा मानने को तैयार नहीं है, ऐसे में उन्होंने यूनियन पदाधिकारियों को इस्तिफा देने का फैसला लिया है।
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