सोमवार, 28 जून 2010

बरसात से पहले दूषित खानपान से फैली गंभीर बीमारियां

बठिंडा। जून माह में मानसून से पहले हो रही बरसात के बाद बेशक सेहत विभाग संभावित बीमारियों की रोकथाम के लिए पुख्ता प्रबंध करने का दावा कर रहा है लेकिन जिले में बिक रहे दूषित खानपान के कारण लोग कई गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। इन दिनों पेट दर्द, चमड़ी रोग के साथ उलट-दस्त जैसी बीमारियों की भरमार हो रही है। सिविल अस्पताल में ही प्रतिदिन डेढ़ सौ मरीज इस तरह की बीमारी के उपचार के लिए पहुंच रहे हैं जो सामान्य दिनों के मुकाबले तीन गुणा अधिक है। प्राइवेट अस्पतालों में तो यह तादाद कही ज्यादा है। सेहत विभाग की लापरवाही के चलते दूषित और सड़े-गले खाद्य पदार्थों की बिक्री जिले भर में धड़ल्ले से हो रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकार को सख्त हिदायत दे रखी है कि दूषित खाद्य पदार्थो की बिक्री पर निगरानी रखने के लिए लाइसेंस जारी करे, लेकिन इस पर राजनीतिक दबाब या फिर प्रशासनीय स्तर पर लापरवाही के चलते अमल नहीं हो रहा। आदेशों को आरंभिक चरण में औपचारिकता स्वरूप लागू कर दिया गया लेकिन राजनीतिक दबाव में योजना पूरी नहीं हो सकी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सात साल पहले 7 मार्च 2003 को सभी राज्य सरकारों को पत्र जारी कर निर्देश दिया था कि खाद्य पदार्थ बेचने वालों से एकमुश्त राशि वसूल कर लाइसेंस जारी किया जाए। इसमें सुनिश्चित किया जाना लाजमी है कि इन दुकानों की बकायदा समय-समय पर चेकिंग हो और दूषित खाद्य पदार्थ बेचने पर सख्त कार्रवाई की जाए। इस आदेश के बाद जिला सेहत विभाग ने जिले भर में सर्वे का काम शुरू  किया था। इसमें जिले में 153 राइस मिल, 39 स्लाटर हाउस, 228 ढाबा और रेस्टोरेंट, 28 होटल, 353 मिल्क डेयरी, 225 मीट शॉप, 390 जूस आइसक्रीम फैक्ट्री, 680 आटा चक्की, 25 कोल्ड स्टोर, 2,886 चाय की दुकानें, 2900 रीटेलर दुकान, 208 शराब ठेके, 2,170 खुले खाद्य पदार्थ विक्रेञ्ताओं की पहचान की गई थी। इनको जिला सेहत विभाग ने नोटिस जारी कर लाइसेंस बनाने के निर्देश जारी किये थे। शैलर मालिकों को ग्रामीण क्षेत्रों में तीन हजार व शहरी क्षेत्रों में पांच हजार रुपये की राशि भरने के लिए कहा था। सेहत विभाग ने दावा जताया था कि लाइसेंस प्रक्रिया के कारण जहां दूषित खाद्य पदार्थ की बिक्री पर रोक लगेगी वही सेहत विभाग को लाइसेंस फीस की एवज में प्रतिवर्ष लाखों रुपये की अतिरिक्त आय भी होगी। लेकिन वर्तमान में विभाग की नाकारा कारगुजारी के कारण जिले में दूषित खाद्य पदार्थ की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। इसके चलते लोग डायरिया जैसी बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। सब्जियों व फलों में जहां रसायनिक तत्वों की अधिकता के कारण पेट संबंधी विकारों में बढ़ोतरी हुई है। दाल, अनाज व तरल पदार्थ में मिलावट होने के कारण कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। उधर, जिला सेहत विभाग के अधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि सेहत विभाग इस योजना पर काम कर रहा है और जल्द ही इस बाबत लाइसेंस प्रक्रिञ्या को लागू किया जाएगा। सिविल सर्जन का कहना है कि दूषित खाद्य पदार्थों की सैपलिंग का काम जारी है। सैंपल ड्डेञ्ल होने पर सख्त कार्रवाई की जाती है।

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