बठिंडा. शहर के कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल खुले में अस्पताली कचरा फेंक लोगों को बीमारी बांट रहे हैं। बठिंडा शहर में सर्वाधिक आवाजाई वाले गोनियाना रोड पर नहर के पास क्विंटलों के हिसाब से हॉस्पिटल से निकलने वाली सिरिंज, दवाइयां, ब्लड, काटन, एवं गंदे व खून से सनी पट्टी फैंकी जा रही है। पहले से कोरोना की मार झेल रहे लोगों के लिए इस तरह की लापरवाही किसी खतरे से कम नहीं है बल्कि खुली जगह पर डले मेडिकल वेस्ट से संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता हैँ। वीरवार की सुबह वहां से गुजरने वाले लोगों ने नहर के पास भारी तादाद में फैके गए इस मेडिकल वेस्टेंज को लेकर अपना विरोध जताया व इस बाबत सेहत विभाग व जिला प्रशासन से मामले की जांच कर इस तरह की घोर लापरवाही करने वाले अस्पताल के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कारर्वाई करने की मांग की है। वही दोपहर बाद जिला प्रदूषण बोर्ड की टीम ने मौके पर पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी है। इसमें प्रदूषण बोर्ड की जांच टीम ने खुलासा किया है कि मौके पर दो तरह की वाइनेशन मिली है जिसमें पहली कोविड-19 के मरीजों का उपचार करने के बाद इस्तेमाल होने वाली मेडिकल साजों सामान को खुले में फैंका गया जिससे दूसरे लोगों को संक्रमण होने का खतरा बना वही दूसरी वाइलेशन मेडिकल सामान को तय प्लाट में देने की बजाय सार्वजनिक स्थानों में फैंका गया। इसमेें सैंपल लेकर सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है व मामले में लापरवाही करने वाले अस्पतालों के खिलाफ कानूनी कारर्वाई करवाई जाएगी। इस बाबत पुलिस के पास लिखित में शिकायत भी दी जा रही है।
उक्त मेडिकल वेस्ट किस अस्पताल की तरफ से फैंका गया है इसका खुलासा नहीं हो सकी है लेकिन माना जा रहा है कि उक्त काम गोनियाना रोड में स्थित अस्पताल या फिर वहां से कचना बिनने वाले किसी कर्मी का हो सकता है। इस बाबत आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर असल आरोपी के बारे में खुलासा हो सकता है। फिलहाल हवा चलने या फिर किसी जानवर की तरफ से उक्त वेस्टेंज को उठाने से नहर का पानी भी दूषित हो रहा है। नहर की तरफ रास्ते पर बनी पुलिया व आसपास मेडिकल वेस्ट डला रहता है। गोनियाना रोड, नामदेव रोड व भट्टी रोड पर ही करीब 30 से अधिक नर्सिंग होम और मेडिकल की दुकानें हैं। इन अस्पतालों और दवाइयों की दुकानों से निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट मटेरियल इस क्षेत्र में बिना किसी रोक-टोक के फेंका जा रहा है कई बार इसे जलाते हुए भी देखा जा सकता है। अस्पतालों से निकल रहे मेडिकल वेस्ट के नष्ट करने के लिए तय मापदंडों का पालन नहीं हो रहा है, निगरानी में कमी इसकी वजह है। अस्पताल संचालक यह मानने को तैयार नहीं हैं कि वेस्ट उनके अस्पताल का है, लेकिन यह तो तय है कि मेडिकल वेस्ट नर्सिंग होम्स से ही निकल रहा है।
नियम का पालन नहीं
अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट के निष्पादन के लिए नियम तय है, जिनका पालन नहीं हो रहा है। ब्लड, मवाद की पट्टियां, सीरिंज, ग्लूकोज की बोतलें, रक्त और यूरीन की थैलियां, हाथों के दस्ताने आदि के लिए डस्टबिन रखने का प्रावधान है। बायो मेडिकल वेस्ट को इंसिनेटर तक पहुंचाने का भी नियम है ताकि इसे तय मापदंडों के अनुरूप निष्पादित किया जा सके। राजधानी के कुछ अस्पतालों ने भोपाल इंसिनेटर से अनुबंध किया है, लेकिन संतनगर के अस्पताल संचालक शुल्क बचाने के चक्कर में कचरे को खुले में डलवा रहे हैं।
संक्रमण का खतरा, अस्पताल संचालक मानने को तैयार नहीं
आसपास बायो मेडिकल वेस्ट फैंकने से आसपास के रहवासियों और सडक़ से गुजरने वालों में बीमारियां फैलने का डर बना हुआ है। दरअसल लोग यहां सुबह शाम टहलने भी आते है। मेडिकल वेस्ट से उठने वाली दुर्गंध के कारण लोगों का यहां से निकलना तक मुश्किल हो रहा है। नर्सिंग होम्स संचालक यह मानने को तैयार नहीं है कि उनके द्वारा मेडिकल वेस्ट खुले फेंका जा रहा है। उनका कहना है सेंटर के वाहन मेडिकल वेस्ट उठाने रोजाना आते है और अस्पताल का नॉन मेडिकल वेस्ट कंटेनरों में डाला जाता है। पर सच्चाई खुले में पड़ा मेडिकल वेस्ट बयां कर रहा है।
बॉयोमेडिकल वेस्ट के नियम
- ब्लड और मानव अंग जैसी चीजों को लाल डिब्बे में डालना होता है।
- काटन, सिरिंज और दवाइयों को पीले डिब्बे में डाला जाता है।
- मरीजों के खाने की बची चीजों को हरे डिब्बे में डाला जाता है। इन डिब्बों में लगी पॉलीथीन आधी भरने के बाद इसे पैक कर अलग रख दिया जाता है। जिसे मेडिकल वेस्ट नष्ट करने वाली एजेंसियां ले जाती हैं।