बठिंडा. सेहत विभाग कोरोना काल में जहां कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है व लोगों को सेहत सुविधा लेने के लिए मारो मारी करनी पड़ रही है वही एमडी मेडिसन दो डॉक्टरों ने बठिंडा सिविल अस्पताल से पिछले चार दिनों के भीतर अपना इस्तीफा दे दिया है। कोविद -19 की दूसरी लहर के बीच डाक्टरों की तरफ से नौकरी छोड़ने के रुझान ने सेहत विभाग की चिंता को बढ़ा दिया है।
कोरोना मरामारी में सबसे महत्वपूर्ण काम एमडी मेडिसन डाक्टरों का होता है। वर्तमान में सिविल अपताल की ओपीडी में चार डाक्टर काम कर रहे थे जिसमें दो डॉक्टरों के छोड़ने के बाद मरीजों को परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। वायरस को रोकने के लिए सबसे आगे अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे इन डाक्टरों की भूमिका अहम थी। जिले में कोविड-19 रोगियों का पता लगाने और उनका उपचार करने की जिम्मेवारी जिला नोडल अधिकारी को सौंपी गई थी। फिलहाल इन दोनों डाक्टरों के रिजाइन डालने से न केवल मौजूदा कर्मचारियों पर अतिरिक्त बोझ डाला है, बल्कि रोगियों को दिए जा रहे उपचार के भी प्रभावित होने की संभावना है। फिलहाल डा.जयंत अग्रवाल और डा. रमनदीप गोयल ने अपना इस्तीफा सेहत प्रशासन को सौंप दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया है कि कई अन्य डॉक्टर और कर्मचारी नौकरी छोड़ने की योजना बना रहे थे। इस्तीफा देने के व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए डा. रमनदीप गोयल ने कहा कि “इसका कोविड-19 से कोई लेना-देना नहीं है। मैंने छह महीने पहले भी इस्तीफे के लिए आवेदन किया था।”
सूत्रों ने कहा कि बड़े पैमाने पर काम के बोझ के बीच कई अन्य दूसरे कारण डॉक्टर नौकरी छोड़ने के कारण बता रहे है। कुछ इसे निजी अस्पतालों में अधिक पैसा कमाने के लिए बुला रहे थे, क्योंकि सरकार की तरफ से भुगतान किए गए निश्चित वेतन की तुलना में यह कही ज्यादा है।
इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए सिविल सर्जन डा.तेजवंत सिंह ढिल्लों ने कहा कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि डॉक्टर ऐसे समय में छोड़ रहे हैं जब उनकी सेवाओं की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। उन्हें सरकारी अस्पतालों में प्रशिक्षित किया जाता है और जब सेवा करने का समय होता है, तो वे अपनी सुविधा के अनुसार नौकरी छोड़कर जाते हैं। अभी के लिए, हमने तलवंडी साबो अस्पताल से एक डॉक्टर को स्थानांतरित कर दिया है।
No comments:
Post a Comment