Thursday, June 17, 2010

क्या देखते हैं वो फिल्में.....

मंगलवार को एक काम से चंडीगढ़ जाना हुआ, बठिंडा से चंडीगढ़ तक का सफर बेहद सुखद रहा, क्योंकि बठिंडा से चंडीगढ़ तक एसी कोच बसों की शुरूआत जो हो चुकी है, बसें भी ऐसी जो रेलवे विभाग के चेयर कार अपार्टमेंट को मात देती हैं। इन बसों में सुखद सीटों के अलावा फिल्म देखने की भी अद्भुत व्यवस्था है।

इसी व्यवस्था के चलते सफर के दौरान कुछ समय पहले रिलीज हुई पंजाबी फिल्म मिट्टी देखने का मौका मिल गया, जिसके कारण तीन चार घंटे का लम्बा सफर बिल्कुल पकाऊ नहीं लगा।

पिछले कुछ सालों से पुन:जीवित हुए पंजाबी फिल्म जगत प्रतिभाओं की कमी नहीं, इस फिल्म को देखकर लगा। फिल्म सरकार द्वारा किसानों की जमीनों को अपने हितों के लिए सस्ते दामों पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हवाले करने जैसी करतूतों से रूबरू करवाते हुए किसानों की टूटती चुप्पी के बाद होने वाले साईड अफेक्टों से अवगत करवाती है।

फिल्म की कहानी चार बिगड़े हुए दोस्तों से शुरू होती है, जो नेताओं के लिए गुंदागर्दी करते हैं, और एक दिन उनको अहसास होता है कि वो सही अर्थों में गुंडे नहीं, बल्कि सरदार के कुत्ते हैं, जो उसके इशारे पर दुम हिलाते हैं।

वो इस जिन्दगी से निजात पाने के लिए अपने अपने घरों को लौट जाते हैं, लेकिन वक्त उनके हाथों में फिर हथियार थमा देता है, अब वो जंग किसानों के लिए लड़ते हैं, अपनों के लिए लड़ते हैं, सरकार के विरुद्ध संघर्ष अभियान चलाते हैं, और सरकार के खिलाफ चलाई इस मुहिम में तीन दोस्त एक एक कर अपनी जान गंवा बैठते हैं, लेकिन अंत तक आते आते फिल्म अपनी शिखर पर पहुंच जाती है। फिल्म का अंतिम सीन आम आदमी के भीतर जोश भरता है। इस दृश्य में किसान सति श्री अकाल और इंकलाब के नारे लगाते हुए पुलिस का सुरक्षा चक्र तोड़ते हुए नेता एवं फैक्ट्री मालक को मौत के घाट उतार देते हैं, और अपनी जमीन को दूसरे हाथों में जाने से रोक लेते हैं।

यह पिछले दिनों देखी गई पंजाबी फिल्मों में से दूसरी पंजाबी फिल्म थी, जो किसान हित की बात करते हुए सरकार के विरुद्ध आवाज बुलंद करने के लिए अपील करती है, आह्वान करती है। इससे कुछ दिन पहले पंजाबी गायक से अभिनेता बने बब्बू मान की फिल्म एकम - सन ऑफ सॉइल देखी। इस फिल्म में भी नायक एकम किसान वर्ग की अगुवाई करते हुए सरकार के विरुद्ध एक लड़ाई लड़ता है। इस फिल्म में बब्बू मान को देखकर पुरानी फिल्मों के अमिताभ बच्चन के उन दमदार किरदारों की याद आ गई, जो गरीब वर्ग की अगुवाई करते हुए गरीबों को उनके हक दिलाता था।

जैसे ही मिट्टी फिल्म खत्म हुई, तो एक के बाद एक सवाल दिमाग में आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने लगे, क्या इन फिल्मों को उन्होंने देखा, जिन लोगों की स्थिति को पर्दे पर उभरा गया है, जिनके सवालों को बड़े पर्दे पर उठाया गया है। क्या सरकार के प्रतिनिधियों के पास सिनेमा देखने की फुर्सत है, वो भी ऐसी फिल्में, जो वास्तिवकता से रूबरू करवाती हों?

दिमाग को सवाल मुक्त करते हुए बस के भीतर बैठी सवारियों को एक नजर देखा, और पाया कि सब लोग नौकरी पेशा हैं, जिनके पास शायद चैन से बैठकर साँस लेने की फुर्सत भी न होगी, वो सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए लामबंद कैसे हो सकते हैं, शायद उनके लिए तो बस में चल रही फिल्म भी कोई मतलब न रख रही होगी।

जिनको सरकार के विरुद्ध लामबंद करने के लिए फिल्म बनाई गई, वो तो बेचारे रोड़्वेज की उन बसों में भी बामुशिक्ल चढ़ते होंगे, जिन बसों में पुर्जों के खटकने की आवाजें कानों को पका देती हैं, सीटें माँस में चूंटी काट लेती हैं, और सफर खत्म होने तक जान मुट्ठी में रहती है, कहीं ब्रेक फेल न हो जाएं, वगैरह वगैरह।

Monday, June 14, 2010

अब शोले फिल्म के वीरू बने बेरोजगार फार्मासिस्ट और लाईनमैन


पानी की टैंकी में चढ़कर नीचे छलाग लगाने की दे रहे हैं धमकी
सरकार से रोजगार देने की मांग कर रहे हैं हजारों बेरोजगार 

बठिंडा। मांगों को पूरा करवाने और प्रशासन पर दबाब बनाने का जरिया बनी पानी की टैंकियां प्रशासन के लिए गले की फांस साबित हो रही है। हाल ही में बेरोजगार अध्यापकों ने पानी की टैंकी में चढ़कर हो हल्ला मचाया तो आज सोमवार को उन्हीं के पद्चिन्हों पदचिन्हों पर चलते हुए बेरोजगार बैटनरी फार्मसिस्ट एसोसिएशन केञ् साथ बेरोजगार लाईनमैन कार्यकर्ता सुभाष मार्किट में बनी दो पानी की टैंकी पर चढ़ गए। उक्त लोग सरकार से रोजगार देने की मांग कर रहे हैं। बेरोजगार बैटनरी फार्मासिस्टों व बेरोजगार लाईनमैन यूनियन का आरोप है कि बादल सरकार उन्हें दो बार नौकरी देने का वायदा करके मुकर चुकी है। इसमें अब आरपार की जंग लडऩे केञ् सिवा उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। बेरोजगार बैटनरी फार्मासिस्टों ने आरोप लगाया कि छह माह पहले बठिंडा मिनी सचिवालय के बाहर जब वह अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे तो राज्य सरकार ने यह कहकर उनकी हड़ताल को समाप्त करवाया था कि उन्हें जल्द ही रोजगार प्रदान किया जाएगा। इसके बाद सरकार और मंत्री अपने किए वायदे से मुकर गए और बेरोजगारों को आज तक रोजगार नहीं मिल सका है। फिलहाल बेरोजगारों के टैंकी पर चढ़कर शुरू किए प्रदर्शन के बाद पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने सुभाष मार्किट की बड़ी टैंकी पर चढ़े बेरोजगार बैटनरी फार्मासिस्टों से बात करने का प्रयास शुरू किया था कि कुछ बेरोजगार लाईन मैन पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में साथ लगती छोटी पानी की टैंकी में चढ़ गए। बड़ी टैंकी में जहां सात बेरोजगार चढ़े वही छोटी टैंकी में भी छह बेरोजगार लाईनमैन ने कब्जा जमा लिया। इस दौरान उन्होंने पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उनकी मांगे पूरी करने को कहा वहीं चेतावनी दी कि अगर सरकार व प्रशासन ने उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो वह पानी की टैंकी से कूञ्दकर आत्महत्या कर लेंगे। इस दौरान उक्त बेरोजगारों के हाथ में कैरोसीन तेल की बोतलें भी रखी हुई है। जो हाथ में लहरा कर वह स्वयं को आग लगाने की चेतावनी भी दे रहे थे।

टैंकी में चढऩे के लिए लाए थे साथ में सीढ़ी
बठिंडा। दो साल पहले जब पानी की टैंकी में चढ़कर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरूञ् हुआ था तो जिला प्रशासन ने सभी पानी की टैंकियों की सीढि़यों को उंची दीवार बनाकर बंद कर दिया था वही एक प्रवेश दरवाजा बनाकर ताले जड़ दिए गए थे। इसके बावजूद आज सोमवार को बेरोजगार बैटनरी फार्मासिस्ट और बेरोजगार लाईनमैन पानी की टैंकी में चढ़ गए। बेरोजगारों को पता था कि पानी की टैंकी में चढ़ना आसान नहीं होगा, सो उन्होंने पहले से ही योजना बनाकर प्रदर्शन को अंजाम दिया। वह अपने साथ सीढि़यां लेकर आए थे। पहले सीढ़ी लगाकर उन्होंने अंदर प्रवेश किया व बाद में सीढ़ी को अंदर खींचकर अपने साथ ले गए। ऐसे में पुलिस कर्मचारी देखते रह गए और उन्हें अंदर जाने का रास्ता तक नहीं मिला। देर सांय तक दोनों यूनियनों के कार्यकर्ता टैंकी पर चढे़ प्रदर्शन कर रहे थे। 

क्या हैं मांगे
बठिंडा। बेरोजगार लाईन मैन यूनियन केञ् प्रदेश प्रधान त्रिलोचन सिंह का कहना है कि वह पंजाब सरकार से पंजाब राज्य पावर कारपोरेशन में आईटीआई होल्डर समूह बेरोजगार लाईनमैन की बिना टेस्ट भर्ती की मांग कर रहे हैं। वही भर्ती की आयु 45 साल करने की मांग कर रहे हैं। बेरोजगार वैटनरी फार्मासिस्ट यूनियन के प्रदेश प्रधान रविंदर फेरुमान का कहना है कि सरकार ने लोकसभा चुनाव के दौरान नौकरी देने का वायदा किया था लेकिन उसे आज तक पूरा नहीं किया गया है। उक्त मांगों को लेकर बेरोजगारों ने पहले शहर में रैली निकाली। 

सख्ती से निपटा जाएगा ऐसे प्रदर्शनों सेः प्रशासन
बठिंडा। एसएसपी डा. सुखचैन सिंह का कहना है कि प्रशासन की रोक के बावजूद कुछ लोग नियम कायदों को तोड़कर इस तरह के प्रदर्शन कर रहे हैं। आत्महत्या की धमकी देने वाले लोगों पर सख्ती बरती जाएगी व इनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया जाएगा।     


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