बठिंडा. ग्रीन सिटी बठिंडा में दो बच्चों व पत्नी की गोली मारकर हत्या करने व बाद में खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने वाले व्यापारी व ट्रैडर दविंदर गर्ग के मामले में कैंट पुलिस ने नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन इसमें फोरन बिटकॉइन और ऐसी ही क्रिप्टोकरैंसी के मक्कडजाल को भेंदने के लिए पुलिस को काफी मत्थापेंची करनी पड़ रही है। आरंभिक जांच में पुलिस के पास जानकारी मिली है कि रातों-रात करोड़पति बनने चले बठिंडा के हजारों लोग देश में गैरकानूनी बिटकॉइन और ऐसी ही क्रिप्टोकरैंसी (आभासी मुद्रा) के चक्रव्यूह में फंसकर करोड़ों रुपए अटकाए बैठे हैं। कोरोना काल में मार्च से लेकर अब तक इस करंसी के रेट में बेहताशा कमी आने के बाद लोगों के अंदर पैसे की वसूली को लेकर कश्माकश चल रही है मेहनत की गाढ़ी कमाई डूबने की आशंका से अब लोग एजेंटों से रुपए का तकादा कर रहे हैं, वे उन्हें इंतजार की सलाह दे रहे हैं। वही लोग इस मामले में एजेंटों पर लगातार दबाव बना रहे हैं कि वह उनके पैसे दिलवाएं। बठिंडा में टैंडर्स दविंदर गर्ग की तरफ से परिवार की हत्या करने व स्वयं आत्महत्या करने की घटना भी इसी चक्रव्यूह का हिस्सा है। वर्तमान में बिटकॉइन और ऐसी ही क्रिप्टोकरैंसी में बठिंडा जिले में ही लोगों ने 500 करोड़ से अधिक की राशि इन्वेस्ट कर रखी है।
बिटकॉइन में रुपए लगाने वालों में आमजन से लेकर नेता, व्यापारी, कर्मचारी, पुलिस, वकील, डॉक्टर हर तबका शामिल है। गैरकानूनी काम कर रहे एजेंटों ने लोगों को इस आभासी मार्केट में अच्छे कमिशन का भरोसा देकर निवेश करवाया। किसी ने जमा पूंजी लगा दी तो किसी ने जमीन बेची, किसी ने पर्सनल लोन लिया तो किसी ने एफडी तुड़वाकर इस हवाई कारोबार में पैसा फंसा दिया। कुछ लोग इस धंधे में मालामाल हो गए, जिनके पास शौचालय बनवाने के रुपए नहीं थे, वे फाइव स्टार होटल्स में स्विमिंग पुल का आनंद उठाने लगे। बठिंडा में बिटकॉइन का गोरखधंधा दो साल पहले परवान चढ़ा। बिटकॉइन मार्केट में बठिंडा के कई चर्चित चेहरे हैं। चेन शहर से गांवों तक फैल गई। शुरू-शुरू में लोगों के पास पैसा आया भी, पर फिर ब्रेक लग गए। कितने लोग इस गोरखधंधे से जुड़े हैं और उनका कितना पैसा अटका हुआ है, इसके आंकड़े पुलिस-प्रशासन के पास नहीं, पर इस धंधे से जुड़े लोगों के मुताबिक 5 से 7 हजार लोग इससे जुड़े हैं, जिनका 500 करोड़ों रुपया फंस गया है। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार की पाबंदियों के बाद बिटकॉइन के भाव जमीन पर आ गए। बिटकॉइन बाई-सैल कर डॉलर को रुपयों में बदलने वाला एक्सचेंजर जेब-पे एप पर पाबंदी लगा दी गई है। लोगों का पैसा अटक गया। साल 2018 के अक्टूबर-नवंबर में एक बिटकॉइन की कीमत 14.50 लाख रुपए पहुंच गई थी, लाकडाउन से पहले इसकी 5.20 लाख रुपए कीमत बताई जा रही थी।
भारतीय रिजर्व बैंक बठिंडा की मेन शाखा के एक अधिकारी के मुताबिक बठिंडा में बिटकॉइन के नाम पर दूसरा ही खेल चल रहा है। बूंदी में बिटकॉइन के नाम से बीटीसी एडप्रो जैसी अनधिकृत एमएलएम कंपनी चल रही है। बिटकॉइन में इन्वेस्ट के नाम से लोगों से पैसा वसूला जा रहा है। रिजर्व बैंक ने क्रिप्टोकरैंसी के सेटलमेंट को बैन कर दिया है। पीड़ितों को क्रिप्टोकरैंसी बेचकर इससे बाहर आने के लिए तीन महीने का वक्त साल 2018 में दिया । बिटकॉइन को लेकर रिजर्व बैंक चार-पांच साल में सात-आठ बार एडवाइजरी भी जारी कर चुका है। फर्जी कंपनियोंं में पैसा लगाने से बचने की सलाह देने के लिए रिजर्व बैंक जगह-जगह वर्कशॉप लगाई। ग्रामीण इलाकों में भी फर्जी कंपनियां अनधिकृत चिटफंड, चैन सिस्टम, एमएलएम जैसी पॉजी स्कीम चला रही हैं।
क्या है क्रिप्टोकरेंसी और कैसे काम करती है, कंप्यूटरों से ट्रांजेक्शन
क्रिप्टोकरेंसी नेट पर चलने वाली वर्चुअल करेंसी है। इसकी शुरुआत जनवरी 2009 में बिटकॉइन के नाम से हुई। अब बिटकॉइन के अलावा लिटकॉइन, इथर, लिटकॉइन कैस, रिपल जैसी 950 क्रिप्टोकरैंसी मार्केट में है। ऐसी बहुत सी कंपनियां हैं, जो बिटकॉइन की माइनिंग करती हैं। इस वर्चुअल करेंसी का इस्तेमाल कर दुनिया के किसी कोने में किसी व्यक्ति को पेमेंट किया जा सकता है। खास बात यह है कि इस भुगतान के लिए किसी बैंक को माध्यम बनाने की भी जरूरत नहीं पड़ती। बिटकॉइन का इस्तेमाल पीयर टू पीयर टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसका मतलब कि बिटकॉइन से ट्रांजेक्शन दो कंप्यूटरों के बीच होता है। इसके लिए किसी गार्जियन अथवा बैंक की जरूरत नहीं पड़ती। बिटकॉइन से जुड़े लोगों ने बताया कि शुरुआत में इस तरह का प्रलोभन दिया जाता है कि कोई भी व्यक्ति चक्कर में आ सकता है। लाखों कमाने के फिराक में लोग फंसते हैं। इसके बाद अब पछताने के सिवा कुछ नहीं बचा है।
रकम कई गुना करने का वादा किया था, लेकिन अटक गई पूंजी
बीटीसी एड प्रो कंपनी से जुड़े एक शख्स ने बताया कि उसकी जमा पूंजी फंस गई है। इस कंपनी ने आईडी लगाने के बदले रकम का ढाई गुना रुपए देने का लालच दिया। अगर 15 दिन में दो आईडी और लगवाने पर 5 गुना देने की बात कही गई। दो महीने बाद पहले तो 10 परसेंट टैक्स काट कर पेमेंट किया गया, फिर डॉलर की रेट भी कम बताकर आईडी खोलने के भी अतिरिक्त 10 परसेंट लेने लगी। 6 महीने बाद शॉपिंग मॉल चलाने की बात कही गई। उसमें आईडी का 10 परसेंट पैसा काटा जाने लगा। एक महीने बाद कहा गया कि माल बंद कर दिया गया। फिर आईडी भी खुलना बंद हो गई। डॉलर भी बंद। फिर कहा गया जिसकी आईडी जितने की है, उसका डेढ़ गुना कंपनी वापस देगी। बाकी नई आईडी लगाओ। 1.40 लाख की आईडी पर बैंकॉक टूर कराने की बात कही गई। जिसने भी आईडी लगाई, तारीख पर तारीख देते गए और अब जाकर टूर पर लेकर गए। वो भी एजेंट अपने खर्च पर, ताकि लोगों का विश्वास बना रहे और नई आईडी लगती रहे। पुरानी आईडी ना तो खुल रही है और ना ही अटका पैसा आ रहा है।
फिलहाल रिजर्व बैंक के मुताबिक आपके पास बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी है तो इसकी जानकारी रखे कि आरबीआई ने वर्चुअल करेंसी पर प्रतिबंध लगा रखा है। नए फैसले के तहत अब आप बैंक या ई वॉलेट के जरिए बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी नहीं खरीद पाएंगे। यह फैसला रिजर्व बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी के चलते ग्राहकों के हित में उठाया है।