भक्तों में है दर्शनों की चाह
बठिंडा : स्थानीय अमरपुरा बस्ती में अपने नाना के घर पहुंचे नवीपुरा के मानव रूपी श्री बालाजी को देखने के लिए श्री हनुमान भक्तों में काफी उत्साह पाया जा रहा है। शहर में जैसे जैसे उनके बारे में श्री हनुमान जी के भक्तों को सूचना मिल रही है, वो उनके दर्शनों के लिए वैसे वैसे उनके ननिहाल की तरफ रुख कर रहे हैं, कुछ भक्त तो उनको अपने निवास स्थान पर अमंत्रित कर रहे हैं, ताकि और ज्यादा लोग भी इस कुदरत के करिश्मे का दीदार कर सकें।
पैसा टका लेने से साफ इंकार करने वाले आठ वर्षीय श्री बालाजी का जन्म फतेहगढ़ साहिब से कुछ दूर स्थित गांव नवीपुरा में हुआ। संयोग देखो, गांव का नाम नबीपुरा, नबी का अर्थ ईश्वरीय दूत, हो सकता है कि श्री बाला जी के रूप में शायद ईश्वर ने कोई दूत ही भेजा हो।
श्री बालाजी की शारीरिक वेशभूषा बिल्कुल श्री हनुमान जैसी है, पीछे एक पूंछ, डौले पर भी एक अद्भुत निशान है, जिसको देखकर कोई भी चकित रहे जाए, टांगें व पांव कुदरती रूप से चौकड़ी मारने की अवस्था में हैं।
अमरपुरा निवासी उनके नाना संगीत विशेषज्ञ बाबू इकबाल कुरैशी बताते हैं कि श्री बाला जी डेढ़ साल की आयु में ही ऐसे भविष्यवाणियां करने लग गए थे कि देखकर हर कोई हैरत में पड़ जाता था। मामला इतना बढ़ गया था कि चंड़ीगढ़ में बड़े धर्म गुरूओं की बैठक बुलाई गई, जिसमें श्री बाला जी को बुलाया गया। श्री बाला जी को पैसे से कोई ज्यादा मोह नहीं, आज भी उनके जन्म स्थान पर साधारण सा मंदिर है, वो विशाल मंदिर बनाने की बात पर कहते हैं, साधारण सी बात है, मंदिर का अर्थ होता है मन अंदर।
बठिंडा की युविका बनी यूनि.टॉपर
स्थानीय वीर कालोनी की डा.युविका राजकुमार ने अपने व माता पिता के सपने को साकार करते हुए पंडित बीडी शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस रोहतक, हरियाणा में एमडीएस की परीक्षा में टॉप किया है, जो आजकल फिरोजपुर स्थित जेंट्स डेंटल कॉलेज में सीनियर रेजीडेंट एमडीएस के पद पर अपनी सेवाएं दे रही हैं।
डा.युविका ने बताया कि उनके कॉलेज डीएवी डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के 18 विद्यार्थियों के अलावा अन्य दो कॉलेजों से भी दर्जनों विद्यार्थी थे, जिनको पीछे छोड़ते हुए उसने इस उपलब्धि को हासिल किया। इसके अलावा उनको कॉलेज प्रबंधन की ओर से बेस्ट पीजी स्टूडेंट का एवार्ड भी दिया गया है।
ज्ञात रहे कि डा.युविका के पिता डा. राजकुमार बाल रोगों के विशेषज्ञ हैं, जिनके आदर्शों पर चलते हुए डा.युविका ने अपने व अपने माता पिता के सपनों को हकीकत में बदलकर रख दिया। बेटी की इस उपलब्धि को लेकर उत्साहित श्रीमति अनिता राजकुमार कहती हैं कि डा.युविका का हमेशा ध्यान अपने लक्ष्य पर होता था, वो हर समय अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रयास करती थी। यही कारण है कि वो अपने लक्ष्य को पाने में सफल हुई है। वो इसको रिटर्न गिफ्ट मानती हैं, क्योंकि 15 जुलाई यानि आज डा.युविका जन्मदिन है।
1 comment:
ऐसी खबरें पढ़ कर हैरानी होती है....
हम कौन से युग में रह रहें हैं....
मुझे अपने भारत नाज़ है और उस से भी ज्यादा पंजाब पर...क्योंकि पंजाब मेरी जन्म भूमि है।
पर हम क्या कर रहें हैं....
अगर एक बच्चे के शरीर पर ज़ीनज़ में बदलाव के कारण कोई हड्डी ज्यादा बन गई हम उसे भगवान का नाम दे रहे हैं ।
भला एक आठ वर्ष के बच्चे को पैसे का क्या लोभ हो सकता है...हाँ अगर हम बड़े उसे सिखला दें कि बेटा जो भी तुम को मिलने आए उसे दान-दक्षिणा के लिए कहना...तो ढेर चड़ावा भी हो जाएगा।
हरदीप
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