Punjab Ka Sach Newsporten/ NewsPaper: बुजुर्गों के साथ युवा भी हो रहे ब्रेन स्ट्रोक के शिकार, बचाव के लिए दिनचर्या में लाएं सुधार- डा. विवेक गुप्ता

Wednesday, December 8, 2021

बुजुर्गों के साथ युवा भी हो रहे ब्रेन स्ट्रोक के शिकार, बचाव के लिए दिनचर्या में लाएं सुधार- डा. विवेक गुप्ता

 ब्रेन स्ट्रोक उपचार में आए क्रांतिकारी बदलाव से गंभीर से गंभीर मरीज हो रहे स्वस्थ


बठिंडा
, 8 दिसंबर (जसप्रीत): कैंसर व हृदय रोग के बाद ब्रेन स्ट्रोक भारत ही नहीं बल्कि विश्व में सर्वाधिक खतरनाक बिमारी है तथा रिपोर्ट बताती है कि हर 4 में से 1 व्यक्ति इसका शिकार है। इस लिए इस बिमारी का भी लोगों को विशेष ध्यान रखना चाहिए परन्तु जानकारी के अभाव के चलते सही से केयर नहीं मिल पाती। यह जानकारी बठिंडा में आयोजित एक प्रेसवार्ता के दौरान इंटरवेंशनल न्यूरोरेडयोलॉजिस्ट डा. प्रोफेसर विवेेक गुप्ता ने साझा की। उन्होंने आगे बताया कि हर कोई स्वस्थ रहना चाहता है, पर दिनचर्या का बिगडऩा, वसायुक्त खानपान, धूम्रपान-शराब का सेवन व व्यायाम से दूरी से हम कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में ब्रेन स्ट्रोकयानि दिगामी दौरा पडऩे की संभावना भी ज्यादा बढ़ जाती है। फोर्टिस अस्पताल में इंटरवेंशनल न्यूरोरेडयोलॉजी विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डा. विवेक गुप्ता ने बताया कि बड़े-बुजुर्ग ही नहीं, अब युवा भी इसके निशाने पर हैं। ब्रेन स्ट्रोक- दिमाग की नाड़ी में रूकावट आना या उम्र भर के लिए अपंगता का एक बड़ा कारण है। यह मानवीय स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है।

उन्होंने बताया कि असंतुलित खानपान व बढ़ता वजन युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते केसों का कारण बन रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि कोई भी लक्षण नजर आए तो तुरंत ही न्यूरोलॉजिस्ट व न्यूरो सर्जन से मिले व अपनी दिनचर्या व आहार में डाक्टर द्वारा दी गई सलाह से सेहत में सुधार लाया जा सकता है। हर दिन कम से कम 20-30 मिनट के लिए चलना या साइकिल चलाना न केवल आपको फिट रहने में मदद करेगा, बल्कि कई बीमारियों को दूर रखेगा।

डा. गुप्ता ने बताया कि उनके पास हाल ही में एक 87 वर्षीय मरीज ब्रेन स्ट्रोक के करीब 10 घंटे बाद पहुंचा था, जिसको कि दाहिने हिस्से में पूरी लकवा मार गया था। जांच में पता चला कि उसके मस्तिष्क में दाहिने हिस्से में रक्त की आपूर्ति रूक गई थी। मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी तकनीक से उसकी उक्त धमनी से ब्लड कलॉट को हटा दिया गया तथा आज वह पूरी तरह से स्वस्थ है।

उन्होंने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक आने पर या शरीर को लकवा मारने पर दुखी या चिंतित होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि यदि मरीज को तुरंत ऐसे अस्पताल जहां अनुभवी न्यूरोलॉजिस्ट व न्यूरो सर्जन हों, तक पहुंचाया जा सकता है, तो मरीज की जल्दी रिकवरी संभव हो सकती है। उन्होंने बताया कि फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली उत्तर भारत का एकमात्र स्ट्रोक-रेडी हॉस्पिटलहै, जो मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी की पेशकश करता है, और 24 घंटे टीम से लैस है जिसमें अत्यधिक अनुभवी डॉक्टर शामिल हैं।

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