शुक्रवार, 16 जुलाई 2010

आमदन अठन्नी, खर्च रुपया

आमदन अठन्नी, खर्च रुपया के कारण नगर निगम की आर्थिक स्थिति बेहद बुरी होती जा रही है। नौबत यहां तक आ गई है कि जमीन बेचकर शहर में विकास कार्य करने की योजना बनाई जा रही है। आखिर ऐसे सरकारी जमीन बेचकर कब तक नगर निगम अपनी आर्थिक स्थिति को जग जाहिर होने से बचा रहेगा। अगर निगम निगम आर्थिक मंदी से उभरना चाहता है तो उसको कारगार योजनाएं बनानी होंगी, जो फाइलों की परतों में दबकर न बैठी रहें। कल जनरल हाऊस की मीटिंग के दौरान सॉलिड वेस्ट विकास का मुद्दा सिर्फ इसलिए दबकर रह गया, क्योंकि निगम इसको मुकम्मल करने के लिए जमीन बेचकर धन जुटाने की बात कर रहा था, जिसका कुछ पार्षदों ने विरोध कर दिया। विरोध पूरी तरह जायजा भी है, जायादाद बेचकर घर चलाने से बेहतर है कि आमदनी के रिसोर्स पैदा किए जाएं। अगर नगर निगम के पास कोई अर्थ शास्त्री नहीं तो शहर में से किसी भी अर्थ शास्त्री से आमदन बढ़ाने के लिए कोई भी ठोस मंत्र लिए जा सकते हैं। इतना ही नहीं, अन्य विकासशील निगमों से प्रेरणा ली जा सकती है। जैसे कल जनरल हाउस की मीटिंग के दौरान कुछ पार्षदों ने कहा कि लुधियाना के पार्षद बड़े गर्व से कहते हैं कि उनके वार्डों में चार करोड़ रुपए लगे हैं, तीन करोड़ लगे हैं। लेकिन शायद बठिंडा के नगर निगम में ऐसा कोई पार्षद नहीं जो सीना ठोक कर कह सके कि उसने विकास कार्यों के लिए लाखों रुपए खर्च किए हैं। नगर निगम को अन्य विकासशील निगमों का अध्यन करना चाहिए। जब खुद को कुछ समझ न पड़ रहा हो तो पड़ोसी को देखकर कुछ बेहतर करने का विचार किया जा सकता है। अभी कल ही कोलकाता नगर निगम ने शहर में पातलू कुत्ते रखने के लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया है, जिससे नगर निगम की आदमनी में इजाफा होगा। यहां बठिंडा नगर निगम कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण विकास कार्य न करने में असमर्थता जता रहा था, वहीं कोलकाता लावारिस कुत्तों की बढ़ रही जनसंख्या को रोकने के लिए व अपनी आमदनी में इजाफा करने पर विचार कर रहा था। शहर के पॉश इलाकों में ऐसा कोई घर नहीं होगा, यहां महंगे महंगे पालतू कुत्ते न हो, जिनकी खुराक पर हजारों रुपए महीने भर में खर्च कर दिए जाते हैं। वो लोग अपने इन पालतू जानवरों को सुरक्षित रखने के लिए लाइसेंस व्यवस्था जैसी व्यवस्था को कभी भी नहीं गंवाएंगे, लेकिन इसके लिए नगर निगम को पहले जागरूकता अभियान चलाना होगा। आर्थिक मंदी से उभरने का एक बढ़िया तरीका पार्षदों ने भी तो पेश किया था कि सरकार से आर्थिक सहायता मांगी जाए, लेकिन सवाल उठता है बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन? सोचने वाली बात है कि सत्ता में कौन है? और नगर निगम के शीर्षपदों पर कौन हैं? स्थानीय किसी भी नेता में दम नहीं कि अपनी ही सरकार के विरुद्ध दो शब्द कह सके, क्योंकि सब कुछ तो उनके रहमोकर्म से चल रहा है। हालांकि कोई भी सरकार इन लोगों के बिना अधूरी है, अधूरी ही नहीं बल्कि सरकार का अस्तित्व नहीं। जनता, उनके प्रतिनिधियों ने अपने दायित्व को समझ लिया, तब सत्ता के नशे में चूर लोगों को हकीकत का आईना नजर आ जाएगा, लेकिन जब तक जनता व उसके प्रतिनिधि सोए हुए हैं, तब तक सत्ता में बैठे लोग चम्म की जूतियां चलाएंगे, और आम आमदनी सिर्फ नगर निगम व नगर पालिकाओं द्वारा रोए जाने वाले आर्थिक मंदी के रोने को सुनकर फिर से अपने कार्य में मस्त हो जाएगा, जो उसकी आजीविका से जुड़ा हुआ है, जो उसकी दिनचर्या का हिस्सा है। इतना ही नहीं, लोगों की तरफ खड़े अपने करोड़ों को नगर निगम वसूल कर पाने में असमर्थ है। अगर निगम लोगों से अपना पैसा वसूल के लिए कारगार योजनाएं ईजाद कर ले तो हो सकता है कि वेंटीलेटर का सहारा ले रहा नगर निगम एक बार फिर से प्राकृतिक हवा का आनंद मान सके। इसके अलावा अगर नगर निगम नक्शे पास करवाने की व्यवस्था को सुचारू व सरल ढंग से चलाए तो लोग पतली गली से होने की बजाय निगम की तरफ सीधे रुख करेंगे, लेकिन इसके लिए नगर निगम लालफीता शाही मुक्त, रिश्वतखोरी मुक्त सिस्टम स्थापित करना होगा। अब तो नगर निगम में सुविधा केंद्र का निर्माण भी किया जा रहा है, लेकिन सवाल फिर वो ही उठता है कि सुविधा केंद्र लोगों को सुविधाएं दे पाएंगा या फिर सरकारी दफ्तरों की तरह असुविधाओं के जननी बनकर रह जाएगा।

प्रशासकीय अधिकारी लोगों की समस्या पहल के आधार पर हल करेः बादल

-हरसिमरत कौर ने संगत दर्शन में सुनी लोगों की समस्या, एक दर्जन गांवों का किया दौरा 
बठिंडा। सांसद हरसिमरत कौर बादल ने बठिंडा के एक दर्जन गांवों का दौरा किया, इस दौरान उन्होंने लोगों की समस्या सुनी व इन्हें हल करने के लिए अधिकारियो को निर्देश दिएं। श्रीमति बादल ने प्रशासकीय अधिकारियों को हिदायते जारी की कि वह लोगों की शिकायतों को पहल के आधार पर सुने व इसमें किसी तरह की कोताही न बरते। उन्होंने कहा कि केंद्रीय निधि से मिले दो करोड़ रुपये खर्च करने के इलावा बठिंडा जिले में राज्य की बादल सरकार की तरफ से जारी २५ करोड़ रुपये की राशि भी खर्च की गई है। उन्होंने कहा कि जिले के शहरों व गांवों का बराबर विकास किया जाएगा इसके लिए फंड की कमी आडे़ नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि वह लोकसभा क्षेत्र में कोशिश करती है कि हर गांव का दौरा कर उनकी समस्याओं को सुने व उसका हल निकाला जाए। लेकिन एक दौरे में यह संभव नहीं हो पाता है। जिले में ५५० गांव के साथ मंडिया, कसबे व शहर मिलाकर आठ सौ क्षेत्र पड़ते हैं। इस तरह हर गांव में जाने में काफी समय लग जाता है। कई गांवों को शिकायत रहती है कि उनके क्षेत्र में वह नहीं आ रही है लेकिन उनकी तरफ से कोशिश रहती है कि वह हर गांव में जाकर लोगों की समस्या सुने व उन्हे पहल के आधार पर हल करवाने का प्रयास करे। भुच्चो इलाके में एक साल के अंदर तीन करोड़ रुपये के फंड विकास कार्यों के लिए जारी किया गया है, आज संगत दर्शन के दौरान भी ६० लाख रुपये की अतिरिक्त ग्रांट इलाके के लिए जारी की गई। 
उन्होंने बताया कि जिले में दूषित पानी की समस्या के हल के लिए हर गांव में आरो सिस्टम लगाने का काम चल रहा है। इसमें कई गांवों को कवर किया जा चुका है व जल्द ही रहते गांवों में भी लोगों को स्वच्छ पेयजल मिलना शुरू हो जाएगा। जिन गांवों में पानी की टैंकियां नहीं है वहां दस प्रतिशत हिस्सा डालकर अनूसूचित जाति के चार सौ रुपये व जरनल वर्ग के आठ सौ रुपये  प्रति घर जमा कर पानी की टैंकी बनवाने में अपना सहयोग दे। जिन लोगों की जायज पैंशन आज तक नहीं लगी है उन्हें भी पहल के आधार पर पेंशन जारी की जाएगी। इस दौरान उन्होंने बरसात के दौरान विभिन्न स्कूलों व सार्वजनिक स्थानों में पौधे लगाने के लिए भी लोगों को प्रेरित किया। इस दौरान श्रीमति बादल के साथ डीसी गुरकृतकृपाल सिंह, एसएसपी सुखचैन सिंह, एसडीएम केपीएस माही भी मौजूद रहे।     

दो माह में दस बार उड़ चुका है बिजली निगम का ट्रांसफार्मर

-लोगों की समस्या की तरफ नहीं दी जा रहा है कोई ध्यान
-ट्रांसफार्मर पर पड़ रहा है अतिरिक्त बोझ, कई बार दो दिन बाद भी उड़ जाती है बिजली  
बठिंडा। लाईन पार क्षेत्र में स्थिति परसराम नगर गली नंबर दस केञ् पास स्थित बिजली का ट्रांसफार्मर लोगों केञ् लिए परेशानी का सबब बन रहा है। वर्तमान में हालात यह है कि पिछले दो माह में दस बार ट्रांफफार्मर उड़ चुका है जिससे लोगों को कई घंटों तक बिना बिजली के गुजर करने को मजबूर होना पड़ रहा है। इस ट्रांसफार्मर को पिछले कई साल से तबदील नहीं किया गया है जो दस साल पहले दिए लोड़ के हिसाब से बना हुआ है। वर्तमान में इस समय सीमा में इसमें कई गुणा लोड अतिरिक्त बढ़ गया है जिससे थोड़ा सा लोड़ पड़ते ही ट्रांसफार्मर उड़ जाता है। कई बार तो स्थिति ऐसी होती है कि रिपेयर करने के दो दिन बाद फिर से वही स्थिति में पहुंच जाता है। इस कंडम हो चुके ट्रांसफार्मर ने लोगों को तो परेशान कर ही रखा है साथ ही बिजली कर्मचारी भी इसे हर दो दिन बाद ठीक कर उक्त चुके हैं। इस बाबत स्थानीय लोगों की तरफ से बिजली निगम के अधिकारियों को कई बार लिखित तौर पर आवेदन कर इस समस्या से निजात दिलवाने की मांग की जा चुकी है लेकिन आला अधिकारी इसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। 
जानकारी अनुसार परसराम नगर स्थित इस ट्रांसफार्मर को लेकर कांग्रेस शहरी प्रेस सचिव रतन राही का कहना है कि गर्मियों में दिन का तापमान जहां ४५ डिग्री से ऊपर पहुंच रहा है वही बिजली निगम की तरफ से लगाया गया उक्त ट्रांसफार्मर किसी भी समय खराब हो जाता है, जिससे दस घंटे तक बिजली गुल रहती है। इसमें ट्रांसफार्मर खराब होने की सूचना बिजली निगम के अधिकारियों को कई बार लिखित तौर पर की जाती है लेकिन इसमें कई बार फोन करने के बादल भी कर्मचारी लापरवाही करते हैं। इस दौरान बुजुर्ग लोगों के साथ बच्चों को जानलेवा गर्मी में बेहाल होना पड़ता है। स्थानीय वासी रोकी, रवि कुमार, दिपक कुमार दीपू ने कहा कि अगर बिजली निगम ने पेश आ रही समस्या को जल्द हल नहीं किया तो मजबूरन उन्हें निगम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होना पडे़गा। इस बाबत किसी भी तरह की जिम्मेवारी बिजली निगम की होगी। एसडीओ अतिरिक्त कार्यभार अजय कुमार सेक्सेना का कहना है कि इस बाबत शिकायत मिलने के बाद ट्रांसफार्मर का मुआयना किया गया है, इसमें जरूरत पड़ने पर इसे तबदील किया जाएगा। फिलहाल फिल्ड रिपोर्ट आने के बाद इसमें बनती कार्रवाई की जाएगी। 

निगम बैठक में किया विपक्ष ने हंगामा

बठिंडा। नगर निगम सदन की आम बैठक में पार्षदों की सुनवाई न होने केञ् विरोध में कांग्रेसी व भाजपा पार्षदों ने जमकर हंगामा किया। पहले कांग्रेसी पार्षदों ने जनरल हाउस की मीटिंग का यह कहकर बायकाट कर दिया कि अधिकारी उनकी सुनवाई नहीं करते हैं। कांग्रेसी वर्कञ्र निष्पक्ष सुनवाई की मांग करते हुए अपनी सीटों से उठकर कमिश्नर, मेयर व सीनियर डिप्टी मेयर के  समक्ष चटाई पर बैठ गए और फिर नारेबाजी करते हुए बाहर निकल गए। इसके  बाद दूसरी बार मीटिंग में माहौल उस समय फिर गर्म हो गया, जब भाजपा के  पार्षद 
कृष्ण कुमर ने कमिश्नर को कुञ्छ एतराज जनक शब्द कह डाले। पार्षद के  ऐसे रवैया को देखते हुए कुञ्छ अन्य पार्षद गुस्से में लाल पीले हो गए, और मुख्य टेबल के  पास पहुंच गए। मामला हाथोपाई तक पहुंच गया था। इसके  अलावा मीटिंग हाल में लगाए हुए मायक भी दुरुस्त न होने के  कारण पार्षदों ने हल्ला मचाया। इस बारे में पार्षदों का कहना था कि पिछले दो साल से इन मायकों को ठीक नहीं करवाया गया, जिसके  कारण उनको बहुत दिक्कतें पेश आती हैं।

निगम बैठक में हड्डारोडी तबदील करने को मिली हरिझंडी 
रिक्शा भाड़ा बढ़ाने को दी हरि झंडी
-सीएलयू चार्ज से जुड़ा मामला विचाराधीन
बठिंडा। नगर निगम जनरल हाऊस की बैठक में हंगामे केञ् बावजूद कुञ्छ महत्वपूर्ण फैसलों को स्वीकृति दी गई। इसमें डबवाली रोड पर बनी हड्डारोड़ी को रिहायशी इलाके से तबदील करने का सर्वसम्मति से फैसला लिया गया। हालांकि कुछ मामलों को खुली चर्चा करने के  बाद पारित करने पर सहमति बनी। इस बैठक की अध्यक्षता नगर निगम मेयर बलजीत सिंह बीड़ बह्मिण, नगर निगम कमिश्नर रवि भगत व सीनियर डिप्टी मेयर तरसेम गोयल ने की।
बैठक के  दौरान बढ़ती महंगाई को देखते हुए रिक्शा किराये बढ़ाने, नगर निगम वाहनों के सरकारी इस्तेमाल का तेल व सर्विस खर्च वसूलने, डबवाली रोड़ स्थित हड्डा रोड़ी को किसी अन्य जगह शिफ्ट करने जैसे अहम फैसलों को सर्वसम्मति के साथ पास किया गया। इसके  अलावा सीएलयू चार्ज से जुडऩे, मॉडर्न म्यूनिसिपल बिल्डिंग बायलाज -२०१० अडॉप्ट करने संबंधी, सॉलिड वेस्ट के  विकास के  लिए धन एकत्र करने हेतु स्थानीय हाजी रतन रोड़ पर स्थित नगर निगम की जमीन को बेचने संबंधी मामलों को कुछ समय के  लिए स्थगित कर दिया है।
इस दौरान सीएलयू चार्ज के  मामले ने काफी तूल पकड़ा। बैठक में उपस्थित पार्षदों ने कहा कि सीएलयू चार्ज का अधिकार स्थानीय स्तर पर होना चाहिए, न कि सरकार के  पास क्योंकि ऐसे में नगर निगम को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सीएलयू चार्ज के  दायरे में करीब १५ फीस मार्ग आते हैं। इस दौरान कुछ पार्षदों ने कहा कि नियमों की धज्जियां उड़ाने वाली कुछ इमारतों को गिराने के  हुकम देने का अधिकार नगर निगम के  पास होना चाहिए। इसके  अलावा इससे जुड़ा एक और मामला भी उठाया गया, जिसमें सरकार की कार्यवाई को काफी पेचींदा ठहराते हुए कहा कि अगर अंतिम फैसला नगर निगम की जनरल हाऊस मीटिंग में ही लिया जाना है तो इसको ऊपर सरकार के  पास भेजने का क्या औचित्य है।

मंहगाई में अब नशों के विकल्प की तलाश

बठिंडा। पंजाब के सीमावर्ती इलाको में नशे का कहर बढता जा रहा है दिन भी दिन ये आपने पैर पसार रहा है हेरोइन और कोकीन चरस अफीम जैसे नशे वहाब आसानी से मिल जाते है लकिन अब बाद रही महगाई से नशे करने वाले लोग इन नाशो से दूर होते जा रहे है अब नशेडी़ लोगो ने एक नया तरह किया नशा डूंडा है और वेह है साप का नशा इसमें नशेडी़ लोग साप से दांग मरवाने का नशा करते है और इसके लिए उन्हें महज ५० रूपये देने होते है और इसका नशा भी २४ घंटे तक रहता है इसके साथ साथ सपेरे भी खुश रहते है क्योंकि उनको आपनी आमदनी का एक और सदन मिल गया है जिससे उन्हें दिन में ३ से ४ लोग दांग मरवाने के मिल जाते है और जिन लोगो के पास ५० रूपये भी नहीं है वेह लोग बूट पालिश का नशा करते है जी हां बात सुनने में अजीब जरूर लगे लकिन ये सच है बूट पालिश का नशा सारे दिन में ८ घंटे तक रहता है ये लोग पालिश की डिब्बी लेकर उसको आपने गले पर ब्रुश से मरवाते है जिसके बाद दीरे दीरे उन्हें नशा होने लगता है अजय और सौरव के मुताबिक वेह ये नशा सस्ता होने के कारन करते है और ये पालिश की डिब्बी उनकी ३ से ४ दिन तक चाह्लती है उलेख्निये है की सर्कार की तरफ से नशा रोकने के लिए मुहीम चाहलाई जा रही है लकिन नशा करने वाले युवक आपना नशा करने का रास्ता दूंद लेते है और सर्कार की तरफ और पोलिसे प्रसाशन उनके सामने बेबस नज़र आते है

पांच दरिया वाली धरती पंजाब में तो भू-जल की स्थिति बेहद चिंताजनक

मुक्तसर, बठिंडा और लुधियाना में धरती के नीचे पानी में नाईट्रेट की मात्रा बेइंतहा
बठिंडा। पांच दरिया वाली धरती पंजाब में तो भू-जल की स्थिति बेहद चिंताजनक है। सूबे के तीन जिलों मुक्तसर, बठिंडा और लुधियाना में धरती के नीचे पानी में नाईट्रेट की मात्रा बेइंतहा बढ़ चुकी है। नाईट्रेट से जहरीले हुए पानी के इस्तेमाल से लोग कैंसर और अन्य घातक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। यह खुलासा बेंगलुरु के एक गैर-सरकारी संगठन 'ग्रीन पीस इंडिया' ने किया है।
पंजाब के तीनों जिलों के विभिन्न गांवों से पानी के नमूनों की जांच के आधार पर ग्रीन पीस द्वारा तैयार रिपोर्ट के मुताबिक यह बात भी सामने आई कि इन जिलों में धरती के पानी में नाईट्रेट की खतरनाक मात्रा किसी कुदरती प्रकोप से नहीं बढ़ी है, बल्कि इसके लिए धरती-पुत्र (किसान) सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। जिन्होंने अपनी जमीनों में फसल की पैदावार बढ़ाने के लालच में रासायनिक खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल किया। नतीजतन नाईट्रेट ने मिट्टी को अपना निशाना बनाने के साथ धरती के पानी को भी अपनी चपेट में ले लिया है। उल्लेखनीय है कि पंजाब की धरती का पानी पहले ही यूरेनियमयुक्त है। अब नाइट्रोजन की अधिकता और युरेनियम के प्रभाव के चलते प्रभावित जिलों में लोग कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियों का शिकार बन रहे हैं।
रिपोर्ट में लुधियाना, मुक्तसर व बठिंडा जिलों के खेतों में रासायनिक खादों की सबसे अधिक खपत होने की तस्दीक की गई है। यह परीक्षण करने के लिए लुधियाना और मुक्तसर में 18-18 और बठिंडा में 14 धान व गेहूं के खेतों से भू-जल के नमूने लिए गए। इस सर्वेक्षण में तीनों जिलों के 9 ब्लॉक और 18 गांव कवर किए गए। जांच से बाद जो नतीजा सामने आया, वह काफी भयावह था। मुख्यमंत्री के गृह जिले मुक्तसर के ब्लॉक गिदड़बाहा के गांव दोदा के नमूने में पानी में नाईट्रेट की मात्रा बहुत अधिक, सुरक्षित-निर्धारित मानक पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से कहीं ज्यादा 94.3 पाई गई। बठिंडा जिला के सीमावर्ती गांव पथराला के भू-जल में भी नाईट्रेट की मात्रा 64.3 तक दर्ज की गई। जगरांव, लुधियाना व गिदड़बाहा के पानी के नमूनों में नाईट्रेट की उच्च उपस्थिति देखी गई। जबकि पायल, फूल, रायकोट, मलोट के क्षेत्रों में पानी के नमूनों में नाईट्रेट पाई गई। इन नमूनों की जांच में बठिंडा के गांव रायकेकलां से लिए 7 नमूनों में से तीन में नाईट्रेट की उच्च उपस्थिति 61.1, 59.6 व 53.2 दर्ज की गई। भू-जल के नमूने वाले कुल 18 गांवों में से 8 में नाईट्रेट की उपस्थिति उच्च मात्रा में पाई गई।
ग्रीन पीस इंडिया की कम्युनिकेशन अधिकारी प्रीति हरमन का कहना है कि किसानों द्वारा खेतों में रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग से भू-जल दूषित हुआ है। भूजल को पीने के लिए उपयोग करने के कारण नाईट्रेट मनुष्य के शरीर में जा रहा है। किसानों द्वारा अपनी फसलों की अधिक मात्रा में नाईट्रेट की तय दर 223 किलोग्राम प्रति हैक्टेअर से कहीं ज्यादा 322 किलो प्रति हैक्टेयर रासायनिक खादों का उपयोग किया गया। इतनी मात्रा में नाईट्रोजन सीधे तौर पर मनुष्य के स्वास्थ्य को प्रभावित करने में सक्षम है। खेतों में रासायनिक खादों का अत्यधिक उपयोग न केवल मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर खाद्य उत्पादन को प्रभावित करता है, बल्कि पेयजल को प्रदूषित कर लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। वैसे भी हरित क्रांति के बाद नाईट्रोजन के बढ़ते प्रकोप से मनुष्य अछूता नहीं है क्योंकि नाईट्रेटयुक्त फसलें ही मनुष्य के रोजाना के खानपान का हिस्सा हैं। वहीं रही सही कसर नाईट्रोजन से दूषित भू-जल पूरी कर रहा है। इससे कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियां फैल रही हैं।
प्रीति हरमन का यह भी कहना है कि किसान तो अधिक फसल लेने के लालच में रासायनिक खाद का अधिक उपयोग करते हैं। जबकि सरकार इनके दुष्परिणामों से भली-भांति परिचित होने के बावजूद हर साल खाद पर सैकड़ों करोड़ रुपये की सब्सिडी देकर बराबर की जिम्मेवार बनी हुई है। जिसके चलते रासायनिक खादें आम लोगों के लिए मौत का कारण बन रही हैं। उनका कहना है कि सरकार को चाहिए कि रासायनिक खादों पर सालाना सैकड़ों करोड़ रुपये सब्सिडी के तौर पर खर्च करने की बजाए वह किसानों को आर्गेनिक खेती के प्रति उत्साहित करें ताकि खेती के जरिए जीवन के साथ खिलवाड़ को बंद किया जा सके।
खेती विरासत मिशन के कार्यकारी निदेशक व वरिष्ठ पर्यावरणविद उमिंदर दत्त भू-जल में नाईट्रोजन की अत्यधिक मात्रा को बड़ा संकट मानते हैं। उन्होंने कहा कि इन जिलों में दूषित भू-जल के कारण कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों ने अपना जाल बिछाया हुआ है। इस क्षेत्र के गांवों में एक-एक घर में कैंसर से पीड़ित एक से ज्यादा मरीज होना आम बात है। जबकि इससे पहले बड़ी संख्या में लोग कैंसर व अन्य नामुराद बीमारियों के कारण अपनी जिंदगी से हाथ धो चुके हैं। उमिंदर दत्त कहते हैं, 'वक्त रहते लोगों को भू-जल के दूषित प्रभाव से मुक्त करने के लिए सरकार को रासायनिक खादों की जगह ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना चाहिए।' वह चेताते हैं कि अगर सरकार ने पानी में जहर व किसानों को फर्टिलाइजर्स के नुकसान के प्रति सचेत नहीं किया तो मालवा के घर-घर में अपनी जड़ें फैला रही कैंसर की नामुराद बीमारी एक दिन पूरे पंजाब को निगल जाएगी। रिपोर्ट में बठिंडा जिले के गांव जज्जल व ग्याना कैंसर के पिन-प्वाइंट बताए गए हैं। जिसके चलते इन गांवों में बहुत से परिवार कैंसर से तबाह हो चुके हैं।
हालात यह हैं कि राजस्थान के बीकानेर में कैंसर का इलाज कराने वाले मरीजों में ज्यादातर पंजाब के मालवा क्षेत्र के बठिंडा व मुक्तसर जिलों के हैं। यही नहीं, मालवा का कैंसर रेलवे पर भी छा गया है। अबोहर से बीकानेर वाया बठिंडा जाने वाली रेलगाड़ी 399 अप कैंसर ट्रेन के नाम से जानी जाने लगी है। एक अनुमान के मुताबिक एक महीने में सिर्फ बठिंडा स्टेशन से बीकानेर जाने वाले यात्रियों की संख्या लगभग 200 है। जबकि क्षेत्र के दूसरे शहरों के रेलवे स्टेशनों से बीकानेर जाने वाले मरीजों की गिनती इससे जुदा है। यह भी एक जमीनी सच है कि माली हालत खराब होने के कारण कैंसर से पीड़ित बहुत सारे लोग अपना पूरा इलाज करवाने से भी महरूम हैं। कैंसर की रोकथाम के लिए पंजाब सरकार द्वारा साल भर पहले बठिंडा के सिविल अस्पताल कांप्लैक्स में एक कैंसर अस्पताल का शिलान्यास भी किया गया था, लेकिन बात अभी तक उससे आगे नही बढ़ पाई।
आदेश मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (भुच्चो) के निदेशक प्रिंसिपल (लेफ्टिनेंट) डा जीपीआई सिंह कहते हैं कि भू-जल में नाईट्रेट ज्यादा होने से मनुष्य में कई तरह के कैंसर के अलावा बच्चों में ब्लू बेबी सिंड्रोम और गर्भवती महिलाओं में भी कई तरह की बीमारियां पैदा होने का खतरा रहता है। ग्रीन पीस इंडिया के सहयोग से जारी इस अभियान के तहत विदेशी वैज्ञानिक टिराडो ने भू-जल जांच के बारे में सार्वजनिक जानकारी देकर लोगों को सचेत किया। उन्होंने गांव पथराला के किसान गुरसेवक सिंह के खेत में ट्यूबवैल से पानी लेकर विशेष मशीन से मौके पर ही परीक्षण किया। यहां जांच के दौरान भू-जल में नाईट्रेट की मात्रा 58.2 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मानकों के अनुसार पानी में 5 ़2 मिलीग्राम प्रति लीटर तक नाईट्रेट की मौजूदगी स्वास्थ्य के अनुकूल मानी जाती है। उन्होंने बताया कि खेतों में किसानों द्वारा बेहिसाब रासायनिक खाद डालने के कारण नाईट्रेट अब भूमि को पार करके भू-जल में मिल गया है।
उल्लेखनीय है कि जब इसी जगह मार्च में भू-जल परीक्षण किया गया था तो उस समय नाईट्रेट की मात्रा 64.3 के करीब दर्ज की गई थी। टिराडो ने चिंता जताई कि भू-जल में नाईट्रेट की मात्रा अधिक होने से लोगों में कई तरह के कैंसर फैलने के अलावा बच्चों में ब्लू बेबी सिंड्रोम के लक्षण और गर्भवती महिलाओं में भी खतरनाक बिमारियों पनपने की आशंका रहती है। इस मौके पर मौजूद उमिंदर दत्त ने बताया कि ग्रीन पीस से पहले पंजाब सरकार के सहयोग से पीजीआई चंडीगढ़ ने भी कैंसर को लेकर एक सर्वेक्षण कराया था। उन्होंने राय जाहिर की कि टुकड़ों में बँटे अध्ययन से कुछ फायदा होने वाला नहीं है, अब जरूरत केन्द्र व पंजाब सरकार द्वारा युद्ध स्तर पर योजना बनाने की है। वह बठिंडा में विशेष केन्द्र स्थापित कर पर्यावरण में पैदा हुए असंतुलन से लोगों की सेहत पर पड़ने वाले असर का पता लगाने पर जोर देते हैं।
उधर, सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही गांव पथराला में साल 2001 से लेकर अब तक 13 लोग कैंसर का शिकार हो चुके हैं। गांव की डिस्पेंसरी में तैनात फार्मासिस्ट सुरेश शाद ने बताया कि कैंसर पीड़ितों में से छह रोगियों की मौत भी हो चुकी है। पीड़ितों में से छह को पेट, तीन को गले और बाकी को बच्चेदानी का कैंसर था। रासायनिक खादों के नुकसान से जागरूक हुए जैतो गांव के किसान गुरमेल सिंह ढिल्लों रासायनिक खाद त्यागकर अपनी चार एकड़ में से दो एकड़ जमीन पर पिछले छह साल से जैविक-खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जैविक खेती से उत्पन्न फसलें मनुष्य की सेहत के लिए हानिकारक भी नहीं हैं और इसकी फसल का बाजार में अच्छा मूल्य भी हासिल होता है।

गुरुवार, 15 जुलाई 2010

चर्चाओं में हैं मानव रूपी श्री हनुमान जी

भक्तों में है दर्शनों की चाह
बठिंडा : स्थानीय अमरपुरा बस्ती में अपने नाना के घर पहुंचे नवीपुरा के मानव रूपी श्री बालाजी को देखने के लिए श्री हनुमान भक्तों में काफी उत्साह पाया जा रहा है। शहर में जैसे जैसे उनके बारे में श्री हनुमान जी के भक्तों को सूचना मिल रही है, वो उनके दर्शनों के लिए वैसे वैसे उनके ननिहाल की तरफ रुख कर रहे हैं, कुछ भक्त तो उनको अपने निवास स्थान पर अमंत्रित कर रहे हैं, ताकि और ज्यादा लोग भी इस कुदरत के करिश्मे का दीदार कर सकें।

पैसा टका लेने से साफ इंकार करने वाले आठ वर्षीय श्री बालाजी का जन्म फतेहगढ़ साहिब से कुछ दूर स्थित गांव नवीपुरा में हुआ। संयोग देखो, गांव का नाम नबीपुरा, नबी का अर्थ ईश्वरीय दूत, हो सकता है कि श्री बाला जी के रूप में शायद ईश्वर ने कोई दूत ही भेजा हो।

श्री बालाजी की शारीरिक वेशभूषा बिल्कुल श्री हनुमान जैसी है, पीछे एक पूंछ, डौले पर भी एक अद्भुत निशान है, जिसको देखकर कोई भी चकित रहे जाए, टांगें व पांव कुदरती रूप से चौकड़ी मारने की अवस्था में हैं।

अमरपुरा निवासी उनके नाना संगीत विशेषज्ञ बाबू इकबाल कुरैशी बताते हैं कि श्री बाला जी डेढ़ साल की आयु में ही ऐसे भविष्यवाणियां करने लग गए थे कि देखकर हर कोई हैरत में पड़ जाता था। मामला इतना बढ़ गया था कि चंड़ीगढ़ में बड़े धर्म गुरूओं की बैठक बुलाई गई, जिसमें श्री बाला जी को बुलाया गया। श्री बाला जी को पैसे से कोई ज्यादा मोह नहीं, आज भी उनके जन्म स्थान पर साधारण सा मंदिर है, वो विशाल मंदिर बनाने की बात पर कहते हैं, साधारण सी बात है, मंदिर का अर्थ होता है मन अंदर।


बठिंडा की युविका बनी यूनि.टॉपर
स्थानीय वीर कालोनी की डा.युविका राजकुमार ने अपने व माता पिता के सपने को साकार करते हुए पंडित बीडी शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस रोहतक, हरियाणा में एमडीएस की परीक्षा में टॉप किया है, जो आजकल फिरोजपुर स्थित जेंट्स डेंटल कॉलेज में सीनियर रेजीडेंट एमडीएस के पद पर अपनी सेवाएं दे रही हैं।

डा.युविका ने बताया कि उनके कॉलेज डीएवी डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के 18 विद्यार्थियों के अलावा अन्य दो कॉलेजों से भी दर्जनों विद्यार्थी थे, जिनको पीछे छोड़ते हुए उसने इस उपलब्धि को हासिल किया। इसके अलावा उनको कॉलेज प्रबंधन की ओर से बेस्ट पीजी स्टूडेंट का एवार्ड भी दिया गया है।

ज्ञात रहे कि डा.युविका के पिता डा. राजकुमार बाल रोगों के विशेषज्ञ हैं, जिनके आदर्शों पर चलते हुए डा.युविका ने अपने व अपने माता पिता के सपनों को हकीकत में बदलकर रख दिया। बेटी की इस उपलब्धि को लेकर उत्साहित श्रीमति अनिता राजकुमार कहती हैं कि डा.युविका का हमेशा ध्यान अपने लक्ष्य पर होता था, वो हर समय अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रयास करती थी। यही कारण है कि वो अपने लक्ष्य को पाने में सफल हुई है। वो इसको रिटर्न गिफ्ट मानती हैं, क्योंकि 15 जुलाई यानि आज डा.युविका जन्मदिन है।

गर्मी से एक की मौत

बठिंडा : मालवा के कुछ क्षेत्रों में जहां पानी कहर बरपा रहा है, वहीं दूसरी तरफ कुछ क्षेत्रों में गर्मी इंसानों को निगल रहा है। इस गर्मी के कहर के कारण स्थानीय गोल डिग्गी के समीप स्थित एक टैक्सी स्टेंड पर एक व्यक्ति की मौत होने की सूचना मिली है। सूत्र बताते हैं कि जगजीत सिंह पुत्र साधू सिंह निवासी रोमाना अचानक उक्त टैक्सी स्टेंड पर चक्कर खाकर गिर गया। जिसे सूचना मिलने पर उक्त संस्था के कार्यकर्ता उठाकर स्थानीय सिविल अस्पताल में इलाज के लिए ले गए, लेकिन वहां डॉक्टरों ने मेडिकल चेकअप के बाद मृत घोषित कर दिया। पुलिस कार्यवाई के बाद लाश को परिजनों के हवाले कर दिया गया, ज्ञात रहे कि मृतक पेशे से पेंटर था। इससे पहले भी शहर में गर्मी के कारण कई मौतें हो चुकी हैं।

आटा चक्की पर सोए व्यक्ति की हत्या
अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज, जांच शुरू
बठिंडा : संगत मंडी पुलिस थाने के अधीन पड़ते गांव चक्क रूलदू सिंह वाला में गत रात्रि कुछ अज्ञात लोगों ने सड़क पर सो रहे एक व्यक्ति पर हमला बोल उसको मौत के घाट उतार दिया। उधर, संगत पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण कर अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए आगे की कार्यवाई शुरू कर दी है। सूत्र बताते हैं कि मृतक गुरलाल सिंह उर्फ बिल्लू (58) गांव के बीच स्थित अपनी आटा चक्की की रखवाली करने हेतु रोजमर्रा की तरह गली में सोने के लिए गए, लेकिन जब गांव वालों की निगाह चार पाई पर घायल अवस्था में पड़े गुरलाल पर पड़ी तो गांव वासी सकते में आ गया। इस घटना के बारे में संबंधित पुलिस थाने को सूचित किया, जिन्होंने मौके पर पहुंच घटनास्थल की जांच की और लाश को पोस्टमार्टम के लिए बठिंडा के सिविल अस्पताल में भेज दिया। प्रत्यक्षदर्शी सूत्र बताते हैं कि मृतक के सिर पर लगी चोट बताती है कि उस पर किसी तेजधार हथियार से हमला किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टि से हत्या का मामला लगता है। उधर, संगत मंडी पुलिस थाने के अधिकारियों का कहना है कि हत्या का मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है।

..खिड़की, बंद मत करना!

आध्यत्मिक लोग दुनिया को सराय कहते हैं, और विचारक इसको रंगमंच। दोनों ही अपने जगह बिल्कुल सही हैं, क्योंकि दोनों का अपना अपना नजरिया है। कारोबारी लोग इसको रिले ट्रेक भी कहते हैं, और कुछ बाजार भी। अगर खुले दिमाग से सोचा जाए, तो सब के सब सही नजर आएं, और वो हैं भी। एक बगीचे में तीन लोग सैर के लिए गए। जब वो बाहर आ रहे थे तो बगीचे के प्रवेश द्वार पर खड़े कर्मचारी ने एक एक से पूछा, आप ने बगीचे में क्या क्या देखा? सब ने उसको बताया, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि उन तीनों ने जो देखा, वो अलग अलग था, जबकि वो गए तो एक साथ ही थे।
 साहित्यकार की निगाह वहां खिले रहे पड़े पौधों पर गई, उद्यमी की निगाह इसको और बेहतर कैसे बनाए जाए पर गई और जबकि तीसरे व्यक्ति की निगाह वहां की निकम्मे प्रबंधन पर गई। जैसे हाथ की उंगली एक जैसी नहीं हो सकती, वैसे ही व्यक्तियों की सोच का एक होना मुश्किल है। एक आम बात जो हम सबके साथ घटित होती है। आप कुछ नया करने की सोच रहे हैं, उदाहरण के तौर पर कारोबार ही। जैसे आप इस बात को किसी के सामने रखोगे, वो पहले ही कह देगा मत करना, बहुत मुश्किल है। सामने वाले की पहली प्रतिक्रिया कुछ ऐसी ही होगी, सचमुच। अगर आप उससे पूछेंगे कि आसान क्या है, वो बता, तो उसके पास जवाब नहीं होगा, जबकि ज्यादातर लोग पूछते ही नहीं पलटकर। जो व्यक्ति कहता है, तुम यह मत करो, जोखिम है, उसको न तो खुद पर भरोसा है और न आप पर। वो असफलता से डरा हुआ है, जबकि असफलता नामक कोई चीज दुनिया में नहीं, जो लोग आज सफल हैं, और सफलता की शिखर की तरफ बढ़ रहे हैं, वो लोगों की परवाह नहीं करते, क्योंकि उनकी निगाह लक्ष्य पर है, न कि सड़क किनारे पड़े पत्थर पर। आप देखा होगा, जब कोई व्यक्ति नया नया साईकिल चलाना सीखता है, तो उसका साइकिल पूरी सड़क छोड़कर एक सड़क किनारे पड़े छोटे से पत्थर से जा टकराता है। पता है क्योंकि उसका ध्यान उस छोटे से पत्थर पर था, न कि दस फुट चौड़ी सड़क पर। वो व्यक्ति साइकिल सीखते समय कई दफा गिरता है, लेकिन साईकिल चलाना बंद नहीं करता, क्योंकि तब उसके जेहन में असफलता नहीं अनुभव घुसा होता है।
तब तक आपको कोई नहीं असफल कर सकता जब तक आप असफलता को अनुभव मानते हैं, जो एडिशन ने बल्ब बनाने के बाद कहा था, जब एडिशन से पूछा गया कि आप दस हजार बार असफल हुए, आपको कैसा लगता है, तो एडिशन का जवाब था, मैं कभी असफल नहीं हुआ, वो तो मेरे अनुभव थे, जिसके द्वारा मुझे पता चला कि इन दस हजार तरीकों से कभी भी बल्ब ईजाद नहीं किया जा सकता। इसलिए अगर सफलता की चोटी को चुंबन देना है, तो मुकाबला खुद से करना सीखो। जो कल किया है, आज उससे बेहतर करना सीखो। अगर दिल कभी हौसला हारने लगे तो बेसबॉल के उस खिलाड़ी की तरफ एक बार देख लेना, जो दस में से छह गेंदों को केवल टच कर पाता है। एक बार एक लड़का बेसबॉल का अभ्यास कर रहा था, उसने गेंद को अपने हाथों से कई दफा उछाला और खुद के बल्ले से ही टच करने की कोशिश की, वो गेंद को टच करने में विफल रहा।
वो हताश होकर बैठा, जब उसने शांत दिमाग से सोचा कि आखिर गेंद किसने उछाली थी? जवाब भीतर से मिला मैंने ही, तो उसके कहा कि अगर अच्छा शॉट नहीं लगा सकता, अच्छी गेंद तो फेंक सकता हूं। ऐसी हजारों उदाहरण हैं, जो हम को बताती हैं कि लकीर का फकीर बनने बेहतर है, अपने सही हुनर को पहचानो। हिन्दी फिल्म जगत के जाने माने फिल्म निर्माता निर्देशक सुभाष घई मुम्बई में हीरो बनने गया था, लेकिन किस्मत ने कहा, तुम हीरो खुद तो नहीं बन सकते, लेकिन हीरो ईजाद कर सकते हो। सुभाष घई ने हिन्दी फिल्म जगत को ऐसे चेहरे दिए, जो कई दशकों तक फिल्म जगत पर राज करते रहे। इसलिए कहता हूँ, दोस्तो सूर्य निकलते हैं, बस सोच घर की खिड़की बंद मत करना।

चर्चाओं में हैं मानव रूपी श्री हनुमान जी

भक्तों में है दर्शनों की चाह
बठिंडा : स्थानीय अमरपुरा बस्ती में अपने नाना के घर पहुंचे नवीपुरा के मानव रूपी श्री बालाजी को देखने के लिए श्री हनुमान भक्तों में काफी उत्साह पाया जा रहा है। शहर में जैसे जैसे उनके बारे में श्री हनुमान जी के भक्तों को सूचना मिल रही है, वो उनके दर्शनों के लिए वैसे वैसे उनके ननिहाल की तरफ रुख कर रहे हैं, कुछ भक्त तो उनको अपने निवास स्थान पर अमंत्रित कर रहे हैं, ताकि और ज्यादा लोग भी इस कुदरत के करिश्मे का दीदार कर सकें।
पैसा टका लेने से साफ इंकार करने वाले आठ वर्षीय श्री बालाजी का जन्म फतेहगढ़ साहिब से कुछ दूर स्थित गांव नवीपुरा में हुआ। संयोग देखो, गांव का नाम नबीपुरा, नबी का अर्थ ईश्वरीय दूत, हो सकता है कि श्री बाला जी के रूप में शायद ईश्वर ने कोई दूत ही भेजा हो।
श्री बालाजी की शारीरिक वेशभूषा बिल्कुल श्री हनुमान जैसी है, पीछे एक पूंछ, डौले पर भी एक अद्भुत निशान है, जिसको देखकर कोई भी चकित रहे जाए, टांगें व पांव कुदरती रूप से चौकड़ी मारने की अवस्था में हैं।
अमरपुरा निवासी उनके नाना संगीत विशेषज्ञ बाबू इकबाल कुरैशी बताते हैं कि श्री बाला जी डेढ़ साल की आयु में ही ऐसे भविष्यवाणियां करने लग गए थे कि देखकर हर कोई हैरत में पड़ जाता था। मामला इतना बढ़ गया था कि चंड़ीगढ़ में बड़े धर्म गुरूओं की बैठक बुलाई गई, जिसमें श्री बाला जी को बुलाया गया। श्री बाला जी को पैसे से कोई ज्यादा मोह नहीं, आज भी उनके जन्म स्थान पर साधारण सा मंदिर है, वो विशाल मंदिर बनाने की बात पर कहते हैं, साधारण सी बात है, मंदिर का अर्थ होता है मन अंदर।

बठिंडा की युविका बनी यूनि.टॉपर
स्थानीय वीर कालोनी की डा.युविका राजकुमार ने अपने व माता पिता के सपने को साकार करते हुए पंडित बीडी शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस रोहतक, हरियाणा में एमडीएस की परीक्षा में टॉप किया है, जो आजकल फिरोजपुर स्थित जेंट्स डेंटल कॉलेज में सीनियर रेजीडेंट एमडीएस के पद पर अपनी सेवाएं दे रही हैं।

डा.युविका ने बताया कि उनके कॉलेज डीएवी डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के 18 विद्यार्थियों के अलावा अन्य दो कॉलेजों से भी दर्जनों विद्यार्थी थे, जिनको पीछे छोड़ते हुए उसने इस उपलब्धि को हासिल किया। इसके अलावा उनको कॉलेज प्रबंधन की ओर से बेस्ट पीजी स्टूडेंट का एवार्ड भी दिया गया है।

ज्ञात रहे कि डा.युविका के पिता डा. राजकुमार बाल रोगों के विशेषज्ञ हैं, जिनके आदर्शों पर चलते हुए डा.युविका ने अपने व अपने माता पिता के सपनों को हकीकत में बदलकर रख दिया। बेटी की इस उपलब्धि को लेकर उत्साहित श्रीमति अनिता राजकुमार कहती हैं कि डा.युविका का हमेशा ध्यान अपने लक्ष्य पर होता था, वो हर समय अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रयास करती थी। यही कारण है कि वो अपने लक्ष्य को पाने में सफल हुई है। वो इसको रिटर्न गिफ्ट मानती हैं, क्योंकि 15 जुलाई यानि आज डा.युविका जन्मदिन है।

बुधवार, 14 जुलाई 2010

असहाय लोगों के लिए काम कर रहा है राजीव गांधी विचार मंच

-प्रदेश वाईस चेयरमैन अमरजीत सिंह ग्रेवाल का महत्वपूर्ण योगदान
-अब बठिंडा के साथ मालवा में मंच को मजबूत करने का काम 
बठिंडा। स्वर्गीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी युवाओं के साथ निर्बल व असहाय लोगों के उत्थान के लिए जीवनभर संघर्ष करते रहे। उन्होंने प्रधानमंत्री रहते इस वर्ग के लिए जितना काम किया वह बेमिशाल रहा। वर्तमान में उनकी ही विचारधारा व सोच को लेकर राजीव गांधी  विचार मंच देश भर में काम कर रहा है। पिछले ढ़ाई साल से इस मंच ने पंजाब में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। ढ़ाई साल पहले गरीबों, बेसहारा लोगों के उत्थान के साथ समाज में फैली बुराईयों के खिलाफ काम करने की शपथ लेकर शुरू हुए राजीव गांधी विचार मंच ने कम समय में ही अपनी नई पहचान बनाने में सफलता हासिल की है।
मंच को बुलंदियों में पहुंचाने के लिए प्रदेश वाईस चेयरमैन अमरजीत सिंह ग्रेवाल का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने इस मंच को पंजाब के विभिन्न जिलों में स्थापित करवाने के साथ बडे़ स्तर पर इसके सदस्य बनाने की मुहिम शुरू की। उनकी मेहनत का नतीजा ही रहा कि  ढाई साल में पंजाब के अंदर छह लाख ६८ हजार सदस्य बने हैं। इस मंच की खास बात यह है कि इसके साथ अधिकतर ऐसा वर्ग है जो गरीब व पिछड़ा है। इस मंच के चेयरमैन बलवीर सिंह है, जो समय-समय पर संस्था को अपना सहयोग देने के साथ उसके कार्य विस्तार को लेकर अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। मंच ने गरीब महिलाओं के उत्थान के लिए मुहिम चलाई जिसमें महिलाओं को स्वालंबी बनाने के साथ अपने पैरों में खड़ा करने के लिए सिलाई सेंटर खोलने का सिलसिला शुरू किया। इसके तहत राज्य में अब तक १२५ सिलाई सेंटर चल रहे हैं जिसमें महिलाओं को निशुल्क सिखलाई प्रदान की जाती है जिसमें छह माह का कोर्स करवाने के साथ बकायदा प्रमाणपत्र भी दिया जाता है। इसके साथ ही राजीव गांधी विचार मंच गरीब घरों की लड़कियों के विवाह में भी समय-समय पर सहयोग प्रदान करता है। जो परिवार ज्यादा जरूरुतमंद होता है उसे मंच के पदाधिकारी ४७ हजार रुपये का सामान देते हैं। इसके इलावा गरीब वर्ग की लड़की के विवाह में शगुन के तौर पर ११०० व ५१०० रुपये की सहायता भी प्रदान की जाती है।
राजीव गांधी विचार मंच के प्रदेश वाईस चेयरमैन अमरजीत सिंह ग्रेवाल का कहना है कि उनका मंच मानता है कि समाज में फैली बुराईयों को दूर करे बिना राष्ट्र का निर्माण संभव नहीं हो सकता है। इसी सोच के चलते समय-समय पर समाज में जागृति लाने व सामाजिक बुराईयों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए  सेमिनार का आयोजन भी किया जाता है। वर्तमान में मंच के महासचिव सुखदेव सिंह राज्य भर में मंच को बुलंदी में पहुंचाने के लिए कामं कर रहे हैं। मंच को प्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस सुप्रीमों सोनिया गांधी देखती है व समय-समय पर मंच का मार्गदर्शन करती है।
उन्होंने बताया कि राज्य भर में जिस तरह के मंच का कार्य विस्तार हुआ उससे मंच में नए व वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की तादाद भी बढ़ने लगी। इसके लिए उन्होंने सोनिया गांधी से पदाधिकारियों को समुचित सम्मान देने की अपील की थी जिसे स्वीकार करते हुए उन्होंने मंच के कार्यविस्तार की अनुमति प्रदान कर दी व छह नए विंग बनाने के आदेश दिए। इसी के तहत वर्तमान में एससीबीसी विंग, महिला विंग व स्पोर्टं‌स सैल, बीसी सैल अपना काम कर रहा है। इसमें बीसी सैल के प्रधान लक्खा सिंह बलटौवा है जबकि महिला सैल की प्रधान कमलजीत कौर है जो मंच की मजबूती में सहयोग दे रही है। वर्तमान में राजीव गांधी विचार मंच बठिंडा के इलावा मालवा में मंच को मजबूत करने व इसके कार्यविस्तार के लिए काम कर रहा है, जिसमें एक मुस्त योजना बनाकर व्यवहार में योजना को लागू किया जा रहा है।
प्रस्तुतिः-बब्बल गर्ग

एचटूपी प्रोजेक्ट के तहत लगाया एकदिवसीय शिविर

बठिंडा : स्थानीय ड्यून्स क्लब में इंडियन रेड क्रोस सोसायटी की ओर से ह्यूमनट्रीयन पेनडेमिक प्रपेर्डनेस प्रोजेक्ट (एचटूपी प्रोजेक्ट) के तहत स्वाईन फ्लू व अन्य महामारियों से निबटने हेतु लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए जिले भर से करीबन 25 लोगों को बुलाया गया। इस एकदिवसीय जागरूकता शिविर में समाज सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों, आरएमपी डॉक्टरों व अन्य लोगों ने भाग हिस्सा लिया। प्रशिक्षिण व जागरूकता हेतु आयोजित इस शिविर में प्रोजेक्ट डायरेक्टर आरवी वर्मा विशेष तौर पर पहुंचे, जिन्होंने शिविर में उपस्थित लोगों को स्वाईन फ्लू व अन्य महामारियों से निबटने के लिए कुछ खास बातें बताई, ताकि जो किसी महामारी के फैलने पर उसको रोकने के लिए व्यापक प्रबंध किए जा सके। इस मौके पर अन्य लोगों के अलावा सेहत विभाग की ओर से डॉ.धर्मपाल सेखों, रेड क्रास सचिव जेआर गोयल, रेड क्रास सुपरवाईजर नरेश पठानियां, रिपोर्टिंग ऑफिसर हरकृष्ण शर्मा, रेड क्रास कर्मचारी विद्या सागर व अजय गोयल आदि उपस्थित थे। इस मौके पर संबोधित करते हुए अलग अलग वक्ताओं ने स्वाईन फ्लू के लक्षणों व उनको फैलने से रोकने हेतु भरपूर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऐसी बीमारियों से निबटने के लिए सबसे बेहतर होता है बचाओ। इस लिए ध्यान रखें हाथों को निरंतर धोएं, छींकते समय मुंह पर रुमाल रखें, बीमार व्यक्ति से दूरी बनाए रखें व बीमार व्यक्ति को अलग कमरे में रखें। ज्ञात रहे कि एच1एन1 एक नया फ्लू है, जो लोगों में दमे की बीमारी पैदा कर रहा है। इस वायरस को सबसे पहले 18 मार्च 2009 को मैकसिको में पंछियों व सूअरों में पाया गया। इसके बाद यह बीमारी यूनाईटेड स्टेट व कनेडा में फैल गई। सूत्र बताते हैं कि अब तक इस बीमारी की चपेट में करीबन दुनिया भर के 209 देश आ चुके हैं, जिसमें भारत भी शामिल है। उधर, डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार 24 जनवरी तक दुनिया भर में स्वाईन फ्लू से लगभग 14711 मौतें हुई, जबकि भारत में 1194 मौतें। इतना ही नहीं, इस बीमारी से ग्रस्त 28596 केस सामने आए थे।

संस्था ने करवाया अंतिम संस्कार
बठिंडा : स्थानीय समाज सेवी संस्था सहारा जन सेवा ने एक प्रवासी मजदूर का पूरी धार्मिक रीति के अनुसार अंतिम संस्कार करवाया। जानकारी के अनुसार गत दिवस दौरा पड़ने से संगत मंडी के नजदीक स्थित गांव बांडी में 50 वर्षीय प्रवासी मजदूर मखतयार सिंह की दौरा पड़ने से मौत हो गई थी, जिसका अंतिम संस्कार करने के लिए उसकी पत्नि व 5 वर्षीय बच्ची के पास पैसे नहीं थे। वो मदद के लिए दर ब दर भटक रही थीं, ऐसे में सहारा जन सेवा को सूचना मिली, जिन्होंने मामले की पूरी पैरवी करने के बाद मृतक का अंतिम संस्कार धार्मिक रसमों के साथ करवाया। ज्ञात रहे कि उक्त मजदूर राजस्थान का रहने वाला था, वो पिछले छह माह से उक्त गांव में मजदूरी कर रहा था। 

घर में घुसकर की मारपीट, दो गंभीर घायल

बठिंडा : स्थानीय अमरपुरा बस्ती में गत रात उस समय तनाव का माहौल बन गया, जब एक घर में कुछ व्यक्तियों ने घूसकर मारपीट करना शुरू कर दिया। इस हादसे में घायल हुए लोगों को स्थानीय संस्था सहारा जन सेवा ने समय रहते स्थानीय सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया। सिविल अस्पताल में भर्ती घायल हरदेव सिंह ने बताया कि गत दिवस उसका पुत्र टोनी स्थानीय राशन डिपो पर तेल लेने के लिए गया। डिपो मालकों ने तेल देने से मना कर दिया, जिसके बाद वहां कहासुनी हो गई। इसके बाद मामला पूरी तरह शांत हो गया था, मगर आधी रात के करीब डिपो मालक अपने कुछ साथियों के साथ हमारे घर में आ धमका, जिन्होंने हमारे साथ बदसलूकी करते हुए मारपीट की। इस बाद वो मेरे बेटे टोनी को उठाकर ले गए, और उसके साथ खूब मारपीट गई। किसी ने संस्था को सूचना की, और संस्था के कार्यकर्ताओं ने घटनास्थल पर पहुंचकर इस घायल परिवार के सदस्यों को स्थानीय सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया। पुलिस ने घायल लोगों के बयान लेने के बाद शिकायत दर्ज करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है। सूत्र बताते हैं कि हरदेव सिंह व उसके पुत्र टोनी सिंह को काफी चोटें लगी हैं, जबकि अन्य सदस्य को मालूमी चोटें लगी।

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