-आंखों की लाली ने डाला लोगों की पाकेट पर बोझ
बठिंडा। बरसात के सीजन में लोग आई फ्लू का शिकार हो रहे हैं। सिविल अस्पताल के आंखों के विभाग की बात करें तो एक दिन में करीब २० से २५ मरीज आंखों की लाली वाले आ रहे हैं। इसमें अधिकतर लोगों ऐसे है जो निम्न वर्ग या फिर आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग से संबंधित होते हैं। करीब दस दिनों में आई फ्लू ने महानगर के साथ पूर जिले में जोर पकड़ रखा है। डाटरों द्वारा मरीजों को जो आई ड्राप्स लिखकर दिए जाते हैं वह इतने महंगे हैं कि आंखों की लाली भगाने के लिए जेब पर अधिक बोझ पड़ रहा है। इसमें एक बार तो तीन दिन का कोर्स लोगों को तीन से चार सौ रुपये पड़ रहा है जबकि इन दिनों आंखों की ड्राप बेचने वाली कंपनियों की जमकर चांदी हो रही है व अस्पतालों में डाटरों से संपर्क साधने वाले गैस्ट्रोल से लेकर आंखों की दवा बेचने वाली दवा प्रतिनिधियों की भरमार है जो नए-नए प्रोडेट डाटरों को दिखाने के साथ उन्हें मरीजों को थमाने के लिए कह रहे हैं।
आंखों में लाली के साथ खारिश होने को आई फ्लू का नाम दिया गया है। आंख को हाथ लगाने के बाद जब यह हाथ किसी से मिलाया जाए तो आई फ्लू फैलता है। एहतियात रखने के बावजूद आई फ्लू तेजी से फैल रहा है। छोटे बच्चों से लेकर हर उम्र में आई फ्लू ने जिले में हड़कंप मचा रखा है। इसी तरह की स्थिति गली महल्ले के डाटरों के साथ प्राइवेट वालीफाइड डाटरों के पास बनी है जहां प्रतिदिन दर्जनों लोग बीमारी से ग्रस्त पहुंचते हैं।
आंखों के माहिर डाटर अमृत सेठी कहते हैं कि वालीफाई डाटरों से ही आंखों की जांच करवानी चाहिए। एहतियात के तौर पर आंखों पर ऐनक का प्रयोग करना चाहिए। आंख पर हाथ नहीं लगाना चाहिए। ठंडे पानी से आंखों को साफ रखना चाहिए। दूसरी तरफ अस्पताल प्रबंधकों का कहना है कि मरीज की सुविधा के लिए हर आई ड्राप्स उपलध हैं। वहीं डाटर द्वारा लिखकर दिए जाने वाले ड्राप्स जनऔषधि स्टोर से कम दाम में मिल जाते हैं।
अब मास्टरों से मार नहीं खाएंगे बच्चे
-आदेशों की अवहेलना करने पर होगी विभागीय कार्रवाई
-सभी प्रबंधकों को पत्र भेजकर आदेश की पालना करवाने को कहा
बठिंडाा। अब स्कूली बच्चे होम वर्क करें या न करें, झूठे हो या सच्चे, मास्टरों को उनपर डंडा चलाना उनकी नौकरी पर भारी पड़ सकता है। इसकी वजह शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में विद्यार्थियों को शारीरिक या मानसिक सजा देने की मनाही के हुकम जारी कर दिए हैं। विभागीय आदेश जिले के सभी स्कूल मुखियों तक पहुंचा दिया गया है।
गौरतलब है कि बच्चों को कोई शरारत या होम वर्कन करने पर अध्यापकों द्वारा उनको प्रताड़ित करना या सजा देना बीते जमाने की बात होकर रह गई है। डायरेटर शिक्षा विभाग सीनियर सेकेंडरी चंडीगढ़ ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों एवं मंडल शिक्षा अधिकारियों को स्कूली बच्चों को शारीरिक या मानसिक सजा देने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है। गत ९ अगस्त २०१० को यह आदेश पत्र संख्या २०/१-२०१० सेकेंडरी शिक्षा(६) में सभी स्कूल मुखियों को भेज उक्त आदेश के सख्ती से पालन के आदेश जारी किए हैं।
उक्त आदेशों की पुष्टि करते हुए शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि विद्यार्थियों को किसी वजह से अध्यापकों द्वारा दी जाने वाली सजा को गंभीरता से लेते हुए विभाग ने सभी स्कूल मुखियों को सूचित करने के लिए पत्र जारी किया है। उन्होंने बताया कि उक्त आदेश जिले के सभी स्कूल मुखियों को सूचना पत्र भेज दिया गया है। उनको हिदायत दी गई है कि सभी स्कूलों में यह यकीनन बनाया जाए कि स्कूल अध्यापकों द्वारा बच्चों को शारीरिक अथवा मानसिक सजा कतई न दी जाए। उन्होने चेतावनी दी है कि यदि कोई इन आदेशों का उल्लंघन करने वाले अध्यापक के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
पाकिस्तान में फिदायीन हमला, PM शहबाज बोले- भारत ने कराया:रक्षा मंत्री का
अलग दावा- अफगानिस्तान जिम्मेदार; इस्लामाबाद कोर्ट कैंपस ब्लास्ट में 12 की
मौत
-
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हुए आत्मघाती बम विस्फोट को लेकर
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अलग-अलग दावे किए
हैं। PM शहबाज ...
8 घंटे पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें