Punjab Ka Sach Newsporten/ NewsPaper: गुप्ता अस्पताल बठिंडा ने सत्या देवी को दी नई जिंदगी, कई साल से घुटनो की तकलीफ़ से चलने फिरने में थी असमर्थ

Tuesday, February 22, 2022

गुप्ता अस्पताल बठिंडा ने सत्या देवी को दी नई जिंदगी, कई साल से घुटनो की तकलीफ़ से चलने फिरने में थी असमर्थ


बठिंडा.
बठिंडा के पावर हाउस रोड स्थित गुप्ता अस्पताल क्रिटिकल स्थिति में पहुंचे मरीजों के उपचार के लिए पहचाने जाते हैं। पिछले दिनों उन्होंने एक ऐसे मरीज को नई जिंदगी देने का काम किया जो पिछले कई साल से चलने फिरने में लाचार हो रही थी। 52 साल के मरीज सत्या देवी निवासी बरनाला को अपने बेटे मोहित कुमार के साथ गुप्ता हॉस्पिटल आई। वह गठिया रोग से ग्रस्त थीं। बहुत से डॉक्टरों से इलाज़ कराने के बाद जब उनकी तकलीफ कम ना हुई तो उन्हें उनके बेटे गुप्ता हॉस्पिटल लेकर आए। यहां पंजाब के प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक सर्जन में नाम बना चुके डाक्टर मोहित गुप्ता ने मरीज़ को अच्छी तरह चेक कर उनको 

टी.के.आर  ट्रीटमेंट के लिए कहा। इस ट्रीटमेंट में मरीजों के दोनों घुटने बदले जाते हैं।

डा. मोहित गुप्ता इस तरह की तकनीक से काफी आपरेशन पहले कर चुके हैं। इसके चलते उन्होंने मरीज का सफल आपरेशन कर उन्हें फिर से पैरों में खड़े होने के काबिल बना दिया। डा. मोहित गुप्ता ने बताया कि बदलते लाईफ स्टाइल की वजह से मनुष्य आज किसी न किसी कारण से घुटनों के दर्द से परेशान हैं। इसकी वजह घुटनों में किसी प्रकार की चोट, मोटापा या ओस्टियोआथ्राइटिस होता है। जिनका बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) अधिक यानि मोटापा अधिक हैं, उनमें घुटनों के दर्द की शिकायत ज्यादा रहती है। जब दर्द बहुत ही ज्यादा हो जाता है तो घुटने का बदलना ही उपाय रह जाता है। डा. मोहित गुप्ता ने बताया कि घुटनों में आथ्राईटिस होने से कई बार विकलांगता की स्थिति तक आ जाती है। जैसे जैसे घुटने जवाब देने लगते हैं, चलना फिरना, उठना बैठना, यहां तक कि बिस्तर से उठ पाना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में नी रिप्लेसमेंट यानी घुटनों को बदलना एक विकल्प के तौर पर मौजूद है। 

-कब पडती हैं जरूरत

डा. मोहित गुप्ता ने बताया कि यदि एक्सरे में आपको घुटना या उसके अंदर के भाग अधिक विकारग्रस्त होते दिख रहे हों या आप घुटनों से लाचार महसूस कर रहे हों, जैसे बेपनाह दर्द, उठने बैठने में तकलीफ, चलने में दिक्कत, घुटने में कड़ापन, सूजन, लाल होना, तो घुटने बदलना जरूरी हो जाता है। हर वर्ष पूरे विश्व में लगभग साढे छह लाख लोग अपना घुटना बदलवाते हैं। वैसे घुटना बदलवाने की उम्र 65 से 70 की उपयुक्त मानी गई है लेकिन यह व्यक्तिगत तौर पर भिन्न भी हो सकती है।




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