मंगलवार, 3 मार्च 2020

Delhi violence: निहत्थे जवान के सामने पिस्तौल तानने वाला शाहरुख गिरफ्तार, पुलिस साढ़े तीन बजे करेगी प्रेस कॉन्फ्रेंस

  • दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान सड़क पर पुलिस के सामने फायरिंग करने वाले शाहरुख को पुलिस ने गिरफ्तार कर दिया है. शाहरुख को शामली से गिरफ्तार किया गया है.

नई दिल्ली: दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान सड़क पर खुलेआम फायरिंग करने वाले शाहरुख को दिल्ली पुलिस ने उत्तर प्रदेश के शामली से गिरफ्तार किया है. इस संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए दिल्ली पुलिस दोपहर साढ़े तीन बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी.

दिल्ली में 23, 24 और 25 फरवरी को हुई हिंसा में कम से कम 47 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक जख्मी हो गए थे. पुलिस के सामने गोली चलाने के बाद शाहरुख 25 फरवरी को और उसका परिवार 26 फरवरी को घर से फरार हो गया था.


शाहरुख की तलाश के लिए पुलिस लगातार छापेमारी कर रही थी और अब उसे सफलता मिली है. शाहरुख को अब शामली से दिल्ली लाया जा रहा है. पिछले दिनों संयुक्त आयुक्त आलोक कुमार ने बताया था कि फिलहाल हम हिंसा के दौरान एक निहत्थे जवान के सीने पर पिस्तौल तानने वाले और हवा में कई राउंड गोलियां दागकर आतंक मचाने वाले शाहरुख खान की तलाश में जुटे हैं. शाहरुख के कई संभावित ठिकानों पर लगातार छापेमारी जारी है.

दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में 1000 से अधिक लोगों को या तो गिरफ्तार किया गया है या फिर हिरासत में लिया गया है और 350 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई है.

सोमवार, 2 मार्च 2020

दिल्ली दंगे के ‘हिन्दू पीड़ितों’ की मदद के लिए कपिल मिश्रा ने जुटाये 71 लाख, खुद एक पईसा नहीं दिया


नई दिल्ली। दिल्ली दंगे. 46 लोगों की मौत हो चुकी है. 200 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं. चोट खाने वाले, अपनों को खोने वाले, अपना घर-दुकान खोने वाले लोगों में हिन्दू भी शामिल हैं, तो मुसलमान भी शामिल हैं. मदद की ज़रुरत सभी को है. लेकिन बीजेपी नेता कपिल मिश्रा हैं. अब कैम्पेन चला रहे हैं. दंगों में प्रभावित हिंदू परिवारों के लिए 71 लाख जुटा रहे हैं. क्राउडकैश नाम की वेबसाइट. यहां पर कपिल मिश्रा ने कैम्पेन शुरू किया पैसे जुटाने का. लक्ष्य रखा 71 लाख रूपए का. कैम्पेन के अबाउट सेक्शन में लिखा :“हम इस दंगे में प्रभावित लोगों की मदद करना चाहते हैं. इस कदम से हम इस दंगे से प्रभावित आर्थिक रूप से कमज़ोर हिन्दू परिवारों की मदद करना चाहते हैं.” साथ में यह भी लिखा है कि अगर दंगों में ऐसे और परिवार मिलेंगे, तो हम 71 लाख की इस सीमा को बढ़ा सकते हैं. दावा है कि जुटाया गया पैसा दंगा प्रभावित हिन्दू परिवारों के खाते में सीधा ट्रांसफर कर दिया जाएगा.
क्राउडफंडिंग का पेज, जहां साफ़ लिखा है कि किस लिए पैसा लिया जा रहा है
साफ़ लिखा है, “ये कैम्पेन पूर्व विधायक कपिल मिश्रा जी के नेतृत्त्व में धार्मिक लोगों के एक समूह द्वारा मैनेज किया जा रहा है.” फिर लिखा है, “धर्मो रक्षति रक्षितः – आप धर्म को बचाइये, धर्म आपको बचायेगा.” 71 लाख का लक्ष्य था. 71 लाख 496 रूपए जुट गए. कुल 3969 लोगों ने हिन्दू परिवारों को बचाने के लिए पैसे दिए, ऐसा भी लिखा हुआ है. 23 फरवरी रविवार को कपिल मिश्रा की धमकी के बाद दंगे भड़के थे. ठीक एक हफ्ते बाद 1 मार्च रविवार को कपिल मिश्रा ने दंगा पीड़ित हिन्दू परिवारों को बचाने के लिए ट्वीट भी किया.
https://twitter.com/KapilMishra_IND/status/1234047685625122817?s=20
हरिनगर सीट पर चुनाव हार गए तेजिंदर पाल बग्गा ने भी इस कैम्पेन का लिंक आगे बढ़ा दिया.
https://twitter.com/TajinderBagga/status/1233619766859812864?s=20
खुद कितना पैसा दिया कपिल मिश्रा ने?
जब कपिल मिश्रा ने लाखों रूपए का कैम्पेन चलाया तो खुद उन्होंने कितना डोनेट किया? ये भी तो सवाल उठता है. जवाब है ज़ीरो रुपया. खुद देखिये.
                                             क्राउडफंडिंग की वेबसाइट पर दिखा रहा है कि कपिल मिश्र ने खुद एक रुपया भी नहीं दिया.
कपिल मिश्रा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं
कांग्रेस कपिल मिश्रा पर दंगा भड़काने के आरोप लगा रही हैं. साथ में केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का नाम है. भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा का भी. दिल्ली हाईकोर्ट में इन तीनों नेताओं का नाम आया. कार्रवाई करने की सिफारिश हुई. जज का तबादला हुआ. मामला अभी कुछ हफ़्तों तक स्थगित है. अब तक भाजपा की ओर से कपिल मिश्रा पर कार्रवाई करने सरीखे कोई आसार नहीं दिख रहे हैं।
यह खबर ललनटाप डाट काम के सभार से प्रकाशित की है। 

कुपवाड़ा के डीसी रहे राजीव रंजन समेत 2 आईएएस गिरफ्तार, 2 साल में 30 हजार फर्जी लाइसेंस बनाए




दिल्ली. फर्जी कागजात और बिना वेरिफिकेशन किए हजारों आर्म्स लाइसेंस जारी करने के आरोप में सीबीआई ने कश्मीर काडर के 2010 बैच के आईएएस राजीव रंजन को सोमवार को चंडीगढ़ में गिरफ्तार कर लिया। वे कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के डीसी रह चुके हैं। वहीं, देर रात 2013 से 2015 तक कुपवाड़ा के डीएम रहे इतरित हुसैन को भी गिरफ्तार कर लिया गया। सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया है।
सीबीआई के हवाले से दी खबर के अनुसार 2016 से 2017 तक कुपवाड़ा में तैनाती के दौरान राजीव रंजन ने करीब 30,000 आर्म्स लाइसेंस जारी किए। उन्होंने प्रति लाइसेंस 8-10 लाख रुपए लिए। ये लाइसेंस कश्मीरियों को ही नहीं बल्कि चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान समेत अन्य राज्यों के लोगों को भी फर्जी कागजातों पर कश्मीरी बताकर दिए थे। अब सीबीआई पता लगा रही है कि ये लाइसेंस किन लोगों को बांटे गए। आशंका है कि ज्यादातर लाइसेंस आतंकियों व गैंगस्टरों ने बनवाए ताकि वे बिना रोक टोक कहीं भी हथियार लेकर आ जा सकें।
देश के कई शहरों में हो चुकी है छापेमारी
बता दें कि इससे पहले पिछले साल दिसंबर में जम्मू-कश्मीर के कई जिलों समेत नोएडा और गुरुग्राम में भी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने छापेमारी की थी. यह छापेमारी जम्मू-कश्मीर में करीब 2 लाख शस्त्र लाइसेंस जारी करने के मामले में की गई थी.
आरोप है कि नियमों की अनदेखी करके बाहरी लोगों को शस्त्र लाइसेंस जारी किया गया था. इस धांधली में कई अधिकारिरयों के शामिल होने के आरोप लगे थे. मामले की जांच सीबीआई कर रही है. सीबीआई ने पिछले साल दिसंबर में श्रीनगर, जम्मू, कुपवाड़ा, बारामूला, उधमपुर, किश्तवाड़, शोपियां, राजौरी, डोडा, पुलवामा समेत नोएडा और गुडगांव के 13 ठिकानों पर छापेमारी की थी.
क्या है हथियार लाइसेंस फर्जीवाड़ा
सीबीआई का यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों से लगभग 2 लाख आर्म्स लाइसेंस जारी करने के आरोपों से संबंधित दो मामलों में चलाया गया था. यह भी आरोप है कि नियमों का उल्लंघन करते हुए तत्कालीन अफसरों ने जम्मू-कश्मीर के गैर-निवासियों को हथिय़ारों के लाइसेंस जारी किए थे.
राजीव रंजन की गिरफ्तारी से पहले सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर सरकार से इजाजत ली, क्योंकि वे कश्मीर काडर के हैं। वे इन दिनों मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन जम्मू में तैनात हैं। अब सीबीआई उन्हें सोमवार को कश्मीर लेकर जाएगी और जेएंडके कोर्ट में पेश कर दोबारा रिमांड हासिल करेगी।
राजस्थान से जुड़े हैं तार: दो साल पहले पकड़ा गया था रंजन का भाई
फर्जी हथियार लाइसेंस मामले के तार राजस्थान से भी जुड़े हुए हैं। पुलिस ने रंजन के भाई ज्योति रंजन को 2017 में गिरफ्तार कर फर्जी हथियार लाइसेंस पकड़े थे। उस समय डीजीपी रहे ओपी गिल्होत्रा ने शक जताया था कि इसमें राजीव रंजन का भी हाथ हो सकता है। श्रीगंगानगर में 2007 में फर्जी हथियार लाइसेंस के मामले सामने आए थे। उस समय करीब आधा दर्जन केस दर्ज हुए। इसके साथ ही तत्कालीन दाे-तीन आईएएस की सुपरविजन मामले में लापरवाही मानी गई थी। संबंधित शाखा के दाे लिपिकाें और एक सहायक कर्मचारी पर भी विभागीय कार्रवाई की गई थी। पूरे मामले कई आर्मी अफसर भी लिप्त माने गए। जम्मू से यहां आकर फर्जी दस्तावेजाें के आधार पर लाइसेंस जारी करवा लिए थे। यहां शहर के कुछ हथियार विक्रेताओं की भूमिका भी जांच के दायरे में रही थी।
कई अन्य आईएएस अफसरों पर भी शक
हथियार लाइसेंस रैकेट में कई आईएएस अफसर सीबीआई के रडार पर हैं। जांच एजेंसी ने पिछले दिनों कुछ अफसरों के घराें व दफ्तराें पर भी छापेमारी की थी। इनमें उधमपुर की पूर्व डीएम यशा मुदगिल, किश्तवाड़ के पूर्व डीएम सलीम मोहम्मद, पुलवामा के पूर्व डीएम जहांगीर अहमद मीर और डोडा के पूर्व डीएम फारूक अहमद खान भी शामिल हैं।

दलित मासूम बहन भाई की बली देने के मामले में आरोपियों पर कार्यवाही को लेकर दायर याचिका की सुनवाई 19 मार्च को


-अदालत में गवाहों को धमकी देने का मामला एस.एस.पी. के पास रखा, होगी जांच 

बठिंडा. नजदीक गांव कोटफत्ता में तीन साल पहले बली दिए गए दो दलित मासूम बहन व भाई के मामले में बठिंडा अदालत ने आरोपियों के खिलाफ कारर्वाई की मांग को लेकर दायर याचिका पर 19 मार्च को सुनवाई तय कर दी है। इस मौके अदालत में गवाहों को जान से मारने की धमकी देने का मामला भी एसएसपी बठिंडा के पास रखा गया है। दलित बहन-भाई की बली को लेकर गठित एक्शन कमेटी की तरफ से जारी प्रैस नोट में बताया गया कि बच्चों की बुआ अमनदीप कौर ने औलाद की ख़ातिर 5 साल के मासूम रणजोध सिंह और उसकी तीन सालों की बहन अनामिका कौर की बली दे दी थी। बली देने के मामले में कोटफ़त्ता निवासी राम सिंह ने अपनी गवाही भुगताते कातिल आरोपियों की पहचान की थी। एडीशनल जिला एंड सैसन जज बठिंडा में अपनी गवाही के दौरान गवाह राम सिंह ने तांत्रिक लखविन्दर सिंह के खिलाफ बयान दर्ज करवाए थे कि किस तरह से उसने लोगों को गुमराह कर दो मासूम बच्चों की बली दी। गवाही देने के बाद अदालत में मुखत्यार सिंह ने गवाहों को धमकाते कहा था कि वह उन का कत्ल कर देगा। एक्शन कमेटी ने इस बाबत तुरंत बैठक करते इस बाबत लिखित रूप में एसएसपी बठिंडा डा. नानक सिंह को जानकारी दी। जिन्होंने मामलो की गंभीरता को देखते हुए थाना सिविल लाइन को आरोपी लोगों के खिलाफ कानूनी कारर्वाई करने की हिदायत दी है।

वही पंजाब ला फार्म की तरफ से प्रसिद्ध वकील चरनपाल सिंह बराड़ और टीम मैंबर गुरसेवक सिंह की तरफ से जिला अदालत में दी दरख़ास्त में कानूनी दायरे से बाहर रहे मुलजिम अमनदीप कौर, गगनदीप कौर, जसवीर सिंह आदि को तलब करने की माँग की है। एक्शन कमेटी की तरफ से अदालत में पहुँचे बाबा हरदीप सिंह महराज, भाई परनजीत सिंह कोट फ़त्ता, बलजिन्दर सिंह कोटभारा, किसान नेता सुरजीत सिंह भुच्चों, नछत्तर सिंह छत्ता, पंच गुरचरन सिंह कोटभारा आदि ने कहा कि वह दोषियों को फांसी की सजा दिलाने तक संघर्ष करते रहेंगे व कानूनी लड़ाई जारी रखेगें।


गली विवाद में बयान दर्ज करवाने गई पुलिस ने फौजी से की मारपीट, गर्भवती पत्नी को धक्का मारा


-घायल महिला को उपचार के लिए सिविल अस्पताल में करवाना पड़ा दाखिल, पुलिस ने लगाए आरोपों को बताया बेबुनियाद 

-गांव में गली को लेकर हुए झगड़े में जांच के लिए गई थी बलुआना पुलिस  

बठिंडा. बलुआना में रहने वाले एक फौजी ने पुलिस पर उसे व उसकी पत्नी के साथ बेवजह मारपीट करने का आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसकी गर्भवती पत्नी के साथ धक्कामुक्की की जिससे वह घायल हो गई व उसे उपचार के लिए अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा है। वहू पुलिस ने इस मामले में लगाए जा रहे आरोपों को निराधार बताते कहा कि फौजी ने नशे की हालत में पुलिस के साथ धक्का मुकी की है जबकि पुलिस एक झगड़े की जांच के लिए गांव में गई थी।
अस्पताल में उपचाराधीन गांव बल्लुआणा की रहने वाली महिला के फौजी पति कुलदीप सिंह ने बताया कि उसकी ड्यूटी जालंधर में है, लेकिन वह अब 40 दिन की छुट्टी लेकर घर आया हुआ था। गांव में गालियां पक्की होने के कारण मोहल्ले के कुछ घरों का आपस में विवाद चल रहा है। जिसका बाद में पंचायती समझौता भी हो गया था।
कुलदीप सिंह के मुताबिक रविवार की देर शाम को गांव बल्लुआणा पुलिस चौंकी इंचार्ज जसपाल सिंह पुलिस टीम समेत उसके घर आए और गली पक्की होने संबंधी हुए झगड़े के बारे में पूछताछ करने लगे। पीड़िता ने बताया कि जब उसने चौकी इंचार्ज को बताया कि उसका इस विवाद के साथ कोई लेन देन नहीं है, तो पुलिस ने बेवजह उसके साथ मारपीट करनी शुरू कर दी। कुलदीप सिंह ने बताया कि इस दौरान उसकी पत्नी रीना कौर जोकि छह माह की गर्भवती है, उसने उसका बीच बचाव करने की कोशिश की, तो पुलिस ने उसके साथ भी धक्का मुक्की की। जिसके कारण उसकी पत्नी जमीन पर गिरकर घायल हो गई। जिसे उपचार के लिए सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया गया।
उधर, एसआई जसपाल सिंह का कहना है कि गांव बल्लुआणा में कुछ घरों का आपस में झगड़ा हुआ था। रविवार रात को सूचना मिलने के बाद वह मामले की जांच करने के लिए गए थे। जब वह मौके पर पहुंचे, तो फौजी कुलदीप सिंह ने शराबी हालत में पुलिस टीम के साथ धक्का मुक्की करनी शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि कुलदीप सिंह की पत्नी द्वारा लगाएं जा रहे सभी आरोपित बेबुनाद है। पुलिस टीम ने महिला के साथ कोई भी धक्का मुक्की नहीं की है।

दो करोड़ खर्च करने के बावजूद हररायपुर गोशाला बनी जानवरों के लिए कालगाह


-प्रतिदिन 10 से 15 जानवरों की भूख व प्यास से हो रही मौत, मरे जानवरों को नहीं उठाने से फैल रही बीमारियां 

-समाज सेवी संस्थाएं जिला प्रशासन को मिलकर स्थिति में सुधार की कर चुके हैं कई बार मांग पर नहीं हो रही स्थिति में सुधार  

बठिंडा . नगर निगन व जिला प्रशासन की देखरेख में चल रही हररायपुर गोशाला में दो करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने के बावजूद लावारिस जानवरों की देखभाल नहीं हो पा रही है। इस गौशाला में एक तरफ नगर निगम शहर के लावारिस जानवरों को पकड़कर भेज रहा है वही आए दिन भूख व प्यास से ग्रस्त जानवरों की मौत हो रही है। हालात यह है कि इस बारे में शहर की समाज सेवी संस्थाओं की तरफ से कई बार जिला प्रशासन को गौशाला की बदहाल स्थिति के बारे में अवगत करवाया जा चुका है लेकिन जमीनी स्तर पर गायों के मरने का सिलसिला बंद नहीं हो रहा है। अब तो समाज सेवी संस्थाओं ने सवाल खड़े करना शुरू कर दिए है कि जब शहर के लोग हर साल तीन करोड़ रुपए से अधिक का काउ सेस टैक्स के तौर पर प्रशासन व नगर निगम को दे रहा है। इसके बावजूद गौशाला में पशुधन सुरक्षित नहीं है।


गौशाला के निर्माण से लेकर 15गौशाला के निर्माण से लेकर 1500 के करीब जानवर इन गोशाला में मर चुके हैं जबकि पिछले तीन माह में तीन सौ से अधिक जानवर दम तोड़ चुके हैं व अभी भी भूख व प्यास के कारण बीमार होकर प्रतिदिन 10 से 16 जानवरों की मौत हो रही है। इस बारे में समाज सेवी संजीव सिंगला ने 28 फरवरी से लेकर 1 मार्च तक के तीन दिन गौशाला का दौरा अपनी टीम के साथ किया तो वहा की बदहाल स्थिति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गौशाला में करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद जानवरों को हरा चारा व तूड़ी वहां की जरूरत से काफी कम मात्रा में दिया जा रहा है। वही जनवरों को देने के लिए नमक भी नहीं मिल रहा है। हालात यह है कि जो जानवर मर रहे हैं उन्हें पास के खाली स्थान पर फैंक दिया जाता है जिससे आसपास बदबू मार रही है व प्रदूषण के कारण दूसरे जानवर भी बीमार होकर मर रहे हैं। बदबू व गंदगी के कारण गायों की सेवा करने वाले लोग भी वहां जाने से कतराने लगे हैं। गोशाला पूरी तरह से मरे जानवरों की हड्डियों से भरी पड़ी है। वहां रखे जानवरों के लिए डाक्टर की व्यवस्था नहीं की जा रही है जो जानवर पड़े हैं उनके पेट फूल रहे हैं व चमड़ी गलने लगी है। इसके चलते जानवरों के मरने का सिलसिला लगातार चल रहा है।


इस बाबत वहां काम कर रहे कर्मचारियों से जब जानकारी हासिल की गई तो उन्होंने बताया कि डाक्टर कई दिनों तक यहां आते ही नहीं है। बीमार गायों के शव शैड के अंदर ही पड़े हैं व 6 जानवर मरने की कगार पर खड़े थे। हालत यह है कि तीन से पांच दिनों तक मरे जानवर दूसरी गायों के पास ही पड़े रहते हैं। इस दौरान पशुओं को उठाने वाले एक व्यक्ति रंजीत सिंह ने बताया कि बठिंडा में हड्डा रोडी नहीं है इसके चलते उन्हें मरे जानवरों को फिरोजपुर या फिर कालियावाली में फैंककर आना पड़ता है। इन लोगों के पास किसी तरह की जानवर उठाने की कोई अनुमति व ठेका नहीं है। यही लोग गाड़ी लेकर आते हैं जिन्हें प्रति पशु के हिसाब से पैसा दिया जाता है लेकिन वह एक दो जानवर वहां से उठा लेते हैं व बाकि जानवरों को गौशाला के अंदर ही खाली जगह में फैक देते हैं। इस बाबत गौशाला में तैनात मैनेजर बलजीत से बात की गई तो उसने किसी तरह की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। फिलहाल समाज सेवी संस्थाओं ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन व नगर निगम लोगों से भारी भरकम टैक्स वसूल करने के बावजूद गायों की देखभाल करने में लागातार लापरवाही कर रहा है। इसमें शहर से जानवरों को पकड़कर गोशाला में मरने के लिएओ छोड़ दिया जाता है जिससे शहर की धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं में भारी रोष है। उन्होंने प्रशासन से समय रहते हररायपुर गोशाला की स्थिति में सुधार करने की मांग रखी।

शराब तस्करों को पकड़ने गई पुलिस व एक्साइज टीम पर लोगों ने किया हमला,सात पर केस

-वही नशा व शराब तस्करी करने वाले 6 लोगों के खिलाफ पुलिस ने दर्ज किया केस 


बठिंडा. जिला पुलिस ने शराब व नशा तस्करी के आरोप में जहां 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है वही शराब ठेकेदार के ड्राइवर पर जानलेवा हमला करने वाले सात लोगों के खिलाफ भी पुलिस ने मामला दर्ज किया है। इसमें शराब ठेकेदार के ड्राइवर गुरनाम सिंह वासी राजोवाल ने ने आरोप लगाया कि वह शराब ठेकेदार के पास ड्राइवरी का काम करता है। गत दिवस वह एक्साइज विभाग व पुलिस पार्टी की टीम के साथ गैसपुरा गांव में शराब तस्करी करने वाले लोगों के खिलाफ कारर्वाई करने के लिए गए थे। इस दौरान गांव के बलजीत सिंह, जोगिंदर सिंह, हरपाल सिंह, अरम सिंह, मनदीप सिंह, बलजिंदर कौर, संदीप कौर ने मिलकर उन पर हमला कर दिया। लोगों ने मिलकर एक्साइज विभाग, पुलिस कर्मियों को भी पीटा व गाड़ियों के साथ तोड़फोड़ की। पूरी टीम किसी तरह से जान बचाकर वहां से भागे। इसके बाद मामले की शिकायत दियालपुरा पुलिस के पास की गई। पुलिस ने आरोपी लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है इसमें अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
वही शराब तस्करी के मामलों में कनाल कालोनी पुलिस थाना के होलदार बलविंदर सिंह ने बताया कि दविंदर सिंह वासी जनता नगर बठिंडा ठंडी सड़क रेलवे कालोनी में 10 बोतल शराब पंजाब मार्का लेकर जा रहा था। उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर बाद में जमानत पर रिहा कर दिया। थर्मल पुलिस के सहायक थानेदार कुलविंदर सिंह ने बताया कि बलविंदर सिंह वासी गांव खचड़ा जिला फरीदकोट को नहरी पुल बठिंडा पर रोककर तलाशी ली गई तो उसके पास 2100 नशीली गोलियां बरामद की गई। आरोपी को गिरफ्तार कर हवालात में बंद कर दिया गया। नथाना पुलिस के सहायक थानेदार गुरप्रीत सिंह ने बताया कि शमशेर सिंह वासी गांव चक्कबख्तू गांव में जहां अवैध शराब निकालने का धंधा कर रहा था वही हरियाणा से शराब लाकर बेचता था। मौके पर आरोपी के पास 50 लीटर लाहन व 36 बोतल हरियाणा मार्का शराब बरामद की गई। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। वही मौड़ पुलिस के सहायक थानेदार गुरतेज सिंह ने बताया कि गुलवंत सिंह वासी मौड़ मंडी के पास से 700 ग्राम अफीम बरामद की गई। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। वह नशा तस्करी का धंधा करता था। संगत पुलिस के सहायक थानेदार गुरचरण सिंह ने बताया कि केवल सिंह, बिक्कर सिंह वासी संगत कला के यहां छापामारी के दौरान 70 लीटर लाहन बरामद की गई। आरोपी घर में कच्ची शराब बनाकर बेचने का धंधा करता था।

सिविल अस्पताल बठिंडा की प्रबंधकीय व्यवस्था बेहाल, एक ही समय में चार डाक्टर पहुंचे डीसी की बैठक में

  • मरीजों को झेलनी पड़ी पूरा दिन परेशानी, डाक्टरों के कमरे के बाहर लोगों की लगी लंबी कतार



बठिंडा. सिविल अस्पताल में दोपहर बाद चार डाक्टरों के गैरहाजिर रहने से मरीजों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा। इस दौरान डाक्टरों से जांच करवाने के लिए लोगों की लंबी कतारे लग गई। करीब दो घंटे तक लोग डाक्टरों के आने का इंतजार करते रहे। दरअसल जिला प्रशासन की तरफ से डैपो और करोना वायरस को लेकर सोमवार को जिला कांम्प्लेक्स में बैठक रखी गई थी। इस बैठक में सिविल अस्पताल में तैनात चार डाक्टरों को बुलाया गया था। इसमें डैपो की बैठक में जहां मनोरोग विशेषज्ञ डा. अरुण बांसल शामिल थे वही करोना वायरस को लेकर हुई बैठक में डा, मनु गुप्ता व डा. प्रियंका सिंगला बैठक में पहुंची थी। 
वही डा.जयंत करोना वायरस को लेकर मुक्तसर में चल रहे जागरुकता अभियान में हिस्सा लेने के लिए गए हुए है। इस स्थिति में एक ही समय में चार प्रमुख डाक्टरों के अस्पताल में नहीं रहने से मरीजों का काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसमें बताते चले कि सिविल सरज्न अमरिक सिंह भी छुट्टी पर चल रहे हैं जबकि एसएमओ डा, सतीश गोयल के सेवानिर्वित होने के कारण प्रबंधकीय व्यवस्था का काम भी विकल्पिक तौर पर डाक्टरों को दिया गया है। इसके चलते अस्पताल में किसी डाक्टर के हाजिर नहीं रहने या फिर किसी अन्य काम में व्यस्त रहने पर पीछे से काम कौन देखेंगा इसकी रुटेशन सही ढंग से नहीं हो पा रही है। इस अव्यवस्था का खामियाजा दूर दराज के क्षेत्रों से उपचार के लिए पहुंचने वाले सैकड़ों मरीजों व उनके परिजनों को भुगतान पड़ रहा है। 
अस्पताल में मनोचिकित्सक डा. अरुण बांसल के पास प्रतिदिन डेढ़ सौ से लेकर दो सौ मरीजों की ओपीडी रहती है जिसमें नशा छोड़ने के इच्छुक लोग ज्यादा पहुंचते हैं जबकि मानसिक समस्या से ग्रस्त लोगों का उपचार भी उनके पास ही होता है। रविवार की छुट्टी होने के चलते सोमवार को अस्पताल में अन्य दिनों के मुकाबले ज्यादा भीड़ भी रहती है। अस्पताल में उपचार के लिए पहुंचे रोशन लाल, राजू व मंजू ने बताया कि वह दोपहर 12 बजे से डाक्टर के आने का इंतजार कर रहे हैं पहले कहा गया कि डाक्टर है लेकिन वह जरूरी काम में व्यस्त है। इसमें कुछ समय बाद वहां बैठे सहायक ने बताया कि डाक्टर अरुण डीसी दफ्तर में मिटिंग करने गए है और कब तक वापिस आएंगे कुछ कहा नहीं जा सकता है।


इस दौरान कई मरीज तो डेढ़ घंटे तक इंतजार करने के बाद वापिस लौट गए लेकिन कई मरीज डाक्टर के आने का इंतजार काफी समय तक करते रहे। यही स्थिति ईएनटी स्पेसलिस्ट प्रियंका सिंगला व डा. मनु गुप्ता के कमरे के बाहर की थी जहां मरीजों की लंबी लाइनें लगी थी व उन्हें अटेंड करने वाला कोई नहीं था। इस बारे में डाक्टर अरुण बांसल का कहना था कि डीसी दफ्तर में बुलाई जाने वाली बैठक में जाना भी जरूरी है। इससे पहले पूरा रिकार्ड भी इकट्ठा करना पड़ता है जिसे आगे दफ्तर में देना पड़ता है। इस स्थिति में बैठक के दौरान उनका ज्यादातर समय तैयारी में ही निकल जाता है। उन्होंने माना कि इस दौरान उपचार के लिए आने वाले मरीजों का खासा परेशानी का सामना करना पड़ता है लेकिन वह इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं। वही एडीशनल एसएमओ का कार्यभार देख रही डा. सीमा गुप्ता का कहना है कि डीसी दफ्तर की तरफ से डैपो व करोना वायरस को लेकर बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में सेहत विभाग के संबंधित विभागों के डाक्टरों का जाना लाजमी होता है क्योंकि बैठक में आगामी योजना बनने के साथ पुरानी कारगुजारी का ब्योरा देना होता है। इस स्थिति में जहां जरूरत पड़ती है उसमें अस्पताल में व्याप्त साधनों के अनुसार विकल्प के तौर पर दूसरे डाक्टरों की ड्यूटी लगाई जाती है।


दिल्ली हिंसा पर पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी का बड़ा आरोप- 'हिंसा होती रही, सरकार सोती रही'

  • हामिद अंसारी ने कहा कि सरकार ने हिंसा रोकने की कोशिश नहीं की. उन्होंने कहा कि दिल्ली हिंसा पूरी तरह से सुनियोजित थी.



नई दिल्लीः दिल्ली हिंसा को लेकर पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने हिंसा रोकने की कोशिश नहीं कि. उन्होंने कहा कि दिल्ली हिंसा पूरी तरह से सुनियोजित थी. एबीपी न्यूज़ चैनल से एक्सक्लूसिव बात करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली में हिंसा होती रही और सरकार सोती रही. इसके अलावा उन्होंने सरकार पर कई आरोप लगाए.

हालत हो रहे हैं सामान्य

बता दें कि दिल्ली में फैली हिंसा के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. लोग अपनी-अपनी जरूरतों के हिसाब से बाहर निकल रहे हैं. दंगा प्रभावित इलाकों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं. कई इलाकों में धारा 144 में ढील दी गई है.

दिल्ली पुलिस ने बताया है कि राजधानी में जारी हिंसा को लेकर अब तक 123 एफआईआर दर्ज हुए हैं. 25 एफआईआर फायर आर्मस की दर्ज हैं. दिल्ली पुलिस के मुताबिक 630 लोगों को पकड़ा (गिरफ्तार या हिरासत) गया है.

सोशल मीडिया की भी मॉनिटरिंग में जुटी पुलिस

पुलिस के मुताबिक यह आंकड़ा और भी बढ सकता है. नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में स्थिति सामान्य है. जांच का काम शुरू हो चुका है. दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएम रंधावा ने बताया कि फॉरेसिंक टीम ने क्राइम सीन का दौरा किया.

पुलिस सोशल मीडिया की भी मॉनिटरिंग में जुट गई है. स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम सबूत इकट्ठे कर रही है. हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 42 हो गई है. हिंसा में 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं.

दिल्ली: अफवाह फैलाने वाला विकास गिरफ्तार, दी थी फायरिंग की झूठी जानकारी

  • अफवाह फैलाने वालों पर पुलिस का एक्शन

  • अमन विहार से एक गिरफ्तार, दो हिरासत में
  • बाइक के साइलेंसर को बताया था फायरिंग

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में रविवार शाम को अचानक हिंसा को लेकर अफवाह फैल गई थी. इस अफवाह के बाद दिल्ली में हड़बड़ी का माहौल था लेकिन पुलिस ने हर हिंसा की खबर को झूठा करार दिया. अब सोमवार को दिल्ली पुलिस ने अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई की है. पुलिस ने अमन विहार से एक शख्स को गिरफ्तार किया है.

https://twitter.com/ANI/status/1234372674681331718?s=20

दिल्ली पुलिस ने अमन विहार से विकास नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है. विकास ने अमन विहार के ए ब्लॉक में फायरिंग होने की जानकारी दी थी और PCR को फोन किया था. जो कि गलत जानकारी थी.
विकास को गिरफ्तार करने के अलावा पुलिस ने दो अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया है. 22 साल के पुनीत ने बच्चों के फंसे होने की झूठी कॉल की थी, जिसे पुलिस ने रात को ही हिरासत में लिया. हालांकि पूछताछ के बाद पुनीत को छोड़ दिया.
वहीं, 22 साल के शिवम ने भी पुलिस को झूठी फायरिंग की कॉल की थी. दिल्ली पुलिस ने बाद में पूछताछ कर शिवम को भी छोड़ दिया. जांच में पता लगा कि आवाज़ किसी फायरिंग की नहीं, बल्कि मोटर साइकिल के साइलेंसर की थी. इसके अलावा अभी भी दिल्ली पुलिस का एक्शन जारी है और झूठी शिकायत दर्ज करने वालों की तलाश हो रही है.
रविवार को फैली थी हिंसा की अफवाह
गौरतलब है कि रविवार शाम को अचानक दिल्ली में अफवाह का माहौल बन गया था. तिलक नगर, उत्तम नगर, जाकिर नगर समेत क्षेत्रों में हिंसा को लेकर अफवाह फैलाई गई थी. इस दौरान लगातार बाजारों में हलचल तेज थी और लोगों ने दुकानें भी बंद कर दी थीं. इन अफवाहों के तुरंत बाद दिल्ली पुलिस एक्टिव हुई थी और सड़कों पर उतरकर अफवाहों को गलत करार दिया था.
इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने लगातार सोशल मीडिया पर अपडेट, वीडियो डाल लोगों को भरोसा दिलाया था कि दिल्ली में सबकुछ ठीक है. बता दें कि अफवाहों को बीच रविवार को दिल्ली के करीब 7 मेट्रो स्टेशनों को कुछ देर के लिए बंद कर दिया गया था.
दिल्ली हिंसा में अब तक 46 की मौत
नागरिकता संशोधन एक्ट के नाम पर दिल्ली में 24 फरवरी को फैली हिंसा तीन तक चली थी. इस दौरान उत्तर पूर्वी इलाके में भजनपुरा, करावल नगर, मौजपुर जैसे इलाकों में काफी पत्थरबाजी, आगजनी और तोड़फोड़ हुई थी. इस हिंसा में अबतक 46 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल हैं.
हालांकि, अब पुलिस ने हिंसा के बाद एक्शन लेना शुरू किया है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, अबतक हिंसा से जुड़े मामलों में 334 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं जबकि पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार भी किया और हिरासत में लिया है.

कपिल-अनुराग और प्रवेश का हेट स्पीच मामला सुनेगा सुप्रीम कोर्ट, CJI बोले- कोर्ट दंगे नहीं रोक सकता

  • भड़काऊ भाषण देने के आरोपी कपिल मिक्षा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा समेत बीजेपी नेताओं के खिलाफ पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी..

  • याचिका में कहा गया कि इस मामले में जल्द सुनवाई की जरूरत है, क्योंकि हर रोज हिंसा में लोग मारे जा रहे हैं.

Hate Speech: Supreme Court to hear pleas seeking fir against BJP leaders for hate speeches on wednesday
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नई दिल्ली: बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा और दूसरे बीजेपी नेताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण के लिए एफआईआर की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. आज इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबडे ने सख्त टिप्पणी की और कहा कि ऐसा माहौल बनाया जाता है जैसे दंगा होने में कोर्ट की ही कोई गलती हो.

बुधवार को होगी अगली सुनवाई

हाई कोर्ट में बेवजह सुनवाई टलने का दावा कर रहे वकील कॉलिन गोंजाल्विस से सीजेआई शरद अरविंद बोबडे ने कहा है कि हाई कोर्ट ने किसी वजह से ही सुनवाई टाली होगी. हमने उनका आदेश नहीं देखा. सीजेआई ने यह भी कहा है कि कोर्ट दंगे नहीं रोक सकता, लेकिन माहौल ऐसा बनाया जाता है जैसे दंगा होने में कोर्ट की ही कोई गलती हो. अब इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी.

याचिका में क्या कहा गया है?

भड़काऊ भाषण देने के आरोपी कपिल मिक्षा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा समेत बीजेपी नेताओं के खिलाफ पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के मामले को 13 अप्रैल तक टालने को चुनौती दी गई हैं. याचिका में कहा गया कि इस मामले में जल्द सुनवाई की जरूरत है, क्योंकि हर रोज हिंसा में लोग मारे जा रहे हैं. याचिका में भड़काऊ भाषण देने वाले बीजेपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की गई है.

अनुराग ठाकुरप्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा ने क्या कहा था?

बीजेपी सासंद प्रवेश वर्मा ने दिल्ली चुनावों के दौरान 28 जनवरी को कहा था कि कश्मीर में जो कश्मीरी पंडितों के साथ हुआ वह दिल्ली में भी हो सकता है. साथ ही चेताया था कि शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लाखों लोग घरों में घुस कर लोगों की हत्या और महिलाओं के साथ रेप कर सकते हैं. वहीं अनुराग ठाकुर ने दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान एक जनसभा में 'गोली मारो' वाला विवादित नारा लगाय था. इसके बाद जाफराबाद में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के बाद कपिल मिश्रा ने दिल्ली पुलिस को अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि तीन दिन में सड़क खाली कराएं वरना हम आपकी भी नहीं सुनेंगे.

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इंसानियत: हिंसा से झुलसी दिल्ली में सिख पिता-पुत्र ने 70 मुस्लिमों की बचाई जान

जिस वक्त दिल्ली हिंसा से जूझ रही थी, इंसान इंसान का दुश्मन बना बैठा था. उनमें से कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने इंसानियत की लाज रख ली. ऐसे ही लोगों में थे एक बुजुर्ग सिख और उनका बेटा. जिन्होंने मुस्लिमों की जान बचाने के लिए पगड़ी पहनाकर सुरक्षित जगह पहुंचाया.


नई दिल्ली: 24 फरवरी को जिस वक्त दिल्ली का गोकुलपुरी इलाका हिंसा की चपेट में था, उस वक्त कुछ ऐसे बंदे भी थे जो इंसानियत को बचाने के लिए आगे आए. ऐसे लोगों ने ना तो किसी का मजहब देखा और ना किसी की जात. नफरत की दीवारों से घिरे गोकुलपुरी में सिख बाप बेटे ने मिलकर करीब 70 मुस्लिमों को बचाया.

सिख बाप-बेटे ने 70 मुस्लिमों की बचाई जान

मोनिंदर सिंह कहते हैं, "हिंसा से घिरे इलाके के बीच मैंने अपने बेटे की मदद से करीब 70 मुस्लिमों को सुरक्षित जगह पहुंचाया. मैं अपने स्कूटर से लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचा रहा था जबकि मेरे काम में मेरा बेटा बुलेट से मदद कर रहा था. हम दोनों ने अपने-अपने दोपहिया वाहनों से मुस्लिम परिवारों को गोकुलपुरी इलाके से कर्दमपुरी पहुंचाया. हिंसाग्रस्त इलाके में सहमे हुए मुस्लिम परिवारों को बाहर निकालने के लिए करीब 20 चक्कर हम दोनों ने गोकुलपुरी इलाके का लगाया."

दंगाइयों से बचाने के लिए मुस्लिमों को पहनाई पगड़ी

बुजुर्ग मोनिंदर सिंह 1984 के दंगों को याद करते हुए बताते हैं, "दाढ़ीवाले मुस्लिमों की पहचान छिपाने के लिए हमने अपनी पगड़ी उन्हें पहनाई. फिर पहले औरतों और बच्चों को एक इलाके से दूसरे इलाके पहुंचाया. हमने सिर्फ इंसानियत की खातिर ऐसा किया. हमें किसी की जात या धर्म से क्या वास्ता?" आपको बता दें कि रविवार को नागरिकता कानून के विरोधी और समर्थक आमने सामने आ गये थे. जिसके बाद दो समुदाय में पथराव और आगजनी की घटना ने हिंसक रूप ले लिया. उसके बाद करीब चार दिनों तक चली हिंसा की चपेट में आकर 42 लोगों की जान चली गई. जबकि करीब 200 लोग अस्पतालों में भर्ती हैं. फिलहाल दिल्ली पुलिस ने हिंसा की जांच के लिए दो SIT का गठन किया है.

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